पिथौरागढ़। सीमांत तहसील मुनस्यारी के दर्जनों गांव दुर्दशा के शिकार हैं। इन गांवों में न बिजली है न पानी की व्यवस्था, स्कूलों में शिक्षक नहीं है। वर्षो से भू-स्खलन की मार झेल रहे गांवों में बचाव के भी कोई उपाय नहीं किये गये है। इससे सीमांत के लोगों में गहरा आक्रोश है। समस्याओं को अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि जो गांव तहसील मुख्यालय को जगमग करने के लिए पानी उपलब्ध करा रहे है सरकार ने उन गांवों को आज तक अंधेरे में रखा है।
भाकपा माले के राज्य कमेटी सदस्य गिरिजा पाठक, जिला कमेटी सदस्य जगत मर्तोलिया, सुरेन्द्र बृजवाल ने दूरस्थ गावों का पैदल भ्रमण कर इन समस्याओं को देखा। गांवों का भ्रमण करने के बाद लौटे भाकपा माले नेताओं ने बताया कि सीमांत के गांव तमाम संकट झेल रहे हैं। सेनर और प्यांग्ती गांव से निकलने वाली सुरिंग गाड़ में बनायी गयी जल विद्युत परियोजना से तहसील मुख्यालय सहित दर्जनों गांवाें को बिजली मिल रही है,लेकिन ये दोनों गांव आज भी अंधेरे में है। ग्रामीणों के बार-बार आवाज उठाने पर विद्युत विभाग ने गांव में विद्युत लाइन बिछा दी,लेकिन उन्हे ऊर्जीकृत नहीं किया। पांच वर्ष पूर्व इन गांवों में जबरदस्त भू-स्खलन हुआ था जिसमें किसानों की कई नाली भूमि में लगी उपज बह गयी,लेकिन आज तक इस उपज का मुआवजा किसानों को नहीं दिया गया है। यही हाल क्वीरी जिमियां गांव का है। साई पोलू गांव में वर्ष 1962 से आपदायें आ रही है,लेकिन इस संवेदनशील गांव के लोगों को पुनर्वासित करने के लिए प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया है। साईपोलू के जूनियर हाईस्कूल में मात्र एक शिक्षक तैनात है। इन ग्रामीण इलाकों में आज भी कई पात्र व्यक्ति वृद्धा, विकलांग, विधवा पेंशन के लाभ से वंचित है। वर्षो बाद बन रहे धापा- बोगडियार मोटर मार्ग के निर्माण से क्वीरी जिमियां और साई पोलू गांवों को सड़क सुविधा मिलने की उम्मीद थी,लेकिन नये सर्वे में इन गांवों को सड़क सुविधा से वंचित कर दिया गया है। जिसका ग्रामीण क्षेत्रों में जबरदस्त विरोध हो रहा है।