Uttarakhand Updates > Uttarakhand Updates - उत्तराखण्ड समाचार

Some Scheme/ Initiative Taken by Uttarakhand Govt- सरकार की पहल

<< < (4/10) > >>

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
उत्तराखंड में दुनिया का पहला हिमनद प्राधिकरण स्वीकृत   
 
   देहरादून | राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को हिमनदों और हिमशिलाओं के संरक्षण और संव‌र्द्धन के लिए दुनिया का पहला हिमनद प्राधिकरण बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। इसके अलावा मंत्रिमंडल ने राज्य में रिक्त पड़े 18 हजार पदों को पदोन्नति से भरने के लिए नियमों को शिथिल करने के साथ अगले सत्र से योग, प्राकृतिक चिकित्सा एवं जड़ी-बूटी से संबंधित शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी प्रदान कर दी। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में संपन्न हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि राज्य सरकार ने हिमनद प्राधिकरण बनाने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि हिमनदों को सिकुड़ने से रोकने, उनके संरक्षण और संव‌र्द्धन के लिए इस प्राधिकरण का गठन राज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत किया जाएगा। 21 सदस्यीय प्राधिकरण के अध्यक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री होंगे, जबकि वरिष्ठ उपाध्यक्ष मुख्य सचिव व उपाध्यक्ष एफआरडीसी प्रमुख होंगे। इसमें वन, ग्राम्य विकास, सिंचाई, ऊर्जा पेयजल आदि विभागों के अफसरों तथा भारत सरकार के विभिन्न केंद्रों में कार्यरत विषय विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाएगा। पांच विशेषज्ञों व इस क्षेत्र में कार्य करने वाले तीन गैर सरकारी संगठनों को प्राधिकरण में तीन वर्ष के लिए नामित किया जाएगा। अन्य सदस्यों का कार्यकाल पदेन ही होगा। प्राधिकरण की कार्यदायी संस्था उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र होगी। कुमार ने बताया कि उत्तराखंड के अंतरिक्ष उपयोग केंद्र को इसकी नोडल एजेंसी बनाया जाएगा, क्योंकि अधिकांश कार्य सेटेलाइट के माध्यम से ही किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस प्राधिकरण की नियमावली तैयार की जा रही है। एक वर्ष में कम से कम इसकी तीन बैठकें आयोजित की जाएंगी। प्रस्तावित प्राधिकरण के क्रियाकलापों में भारतीय अंतरिक्ष संस्थान (इसरो) की मदद लेने के साथ कुछ अन्य संस्थाओं के विशेषज्ञों को भीं शामिल किए जाने की योजना है। उत्तराखंड ऐसा राज्य है जहां दस बड़े और 1400 छोटे छोटे हिमनद हैं। करीब 75 किलोमीटर क्षेत्र में गंगोत्री ग्लेशियर फैला है, जहां से करोड़ों लोगों की आस्था भागीरथी निकलती हैं जो बाद में देवप्रयाग में पतित पावनी गंगा बनकर देश के अन्य हिस्सों में जाती हैं। उत्तराखंड के दस ग्लेशियरों को दुनिया में बड़ा ग्लेशियर माना जाता है ,लेकिन इसके अतिरिक्त भी कई ग्लेशियर हैं जो कई नदियों को जन्म देते हैं। प्रस्तावित प्राधिकरण बर्फ और हिमनदों को विश्व संपदा घोषित कराने की दिशा में भी कार्य करेगा। कुमार ने बताया कि मंत्रिमंडल ने राज्य में 18 हजार रिक्त पदों को पदोन्नति से भरने का फैसला किया है। इसमें 3500 एससी तथा 1100 पद एसटी के भी शामिल हैं। इसके लिए सेवा नियमावली को शिथिल किया गया है। मुख्य सचिव ने बताया कि सरकारी विद्यालयों में प्राइमरी से लेकर इंटर तक योग, प्राकृतिक चिकित्सा व जड़ी-बूटी से संबंधित शिक्षा को अगले सत्र से पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि संपत्तियों के सर्किल रेट के मामले में नई व्यवस्था लागू की गई है। नये संशोधन के बाद राज्य सरकार स्वप्रेरणा अथवा आवेदन मिलने पर सर्किल रेट तय कर सकेगी।
 
Source : http://www.pressnote.in/national-news_96112.html

नवीन जोशी:

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

उत्तराखण्ड में विशेश टाइगर संरक्षण बल का गठन


देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने राज्य में विशेष टाइगर संरक्षण बल का गठन किया है। मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि राज्य सरकार बाघों के संरक्षण के प्रति गंभीर है इसलिए राज्य में विशेष टाइगर संरक्षण बल का गठन किया गया है।

श्री निशंक ने कहा कि 112 वन कर्मियों वाला यह बल सघन गश्त करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने बाघों के संरक्षण को अभियान के रूप में चलाने के लिए भारतीय क्रिकेट कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को ब्रांड अम्बेसडर बनाया है। श्री निशंक ने कहा कि सूचना तंत्र, मोबाइल फोन, वायरलेस सेट, रिवाल्वर और राइफल जैसे अत्याधुनिक उपकरणों से टाइगर बल को लैस किया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार राजाजी राष्ट्रीय उधान और जिम कार्बेट उद्यान के बीच में कोरिडोर को बनाने का निर्णय ले चुकी है, जिसके लिए खांडगांव के परिवारों को लालपानी वनखण्ड में पुनर्वसित किया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिम कार्बेट पार्क को ध्वनि प्रदूषण और प्लास्टिक बैग से बचाने के उपाय किये जा रहे हैं। तस्करी रोकने के लिए नेपाल सीमा पर चौकसी बढाई गई है।


http://www.deshbandhu.co.in/newsdetail/95406/1/20

lpsemwal:
Seems good, but it is neccessary to look on the people's problem with wildlife in Uttrakhand. Recent elephent crises in Rishikesh-Dehradun road is serious enough to plan differently.
The wildlife conservation has been addressed so far as per the preception of researcher/scientists/ pro-conservation not according to people's need. Hope it will addressed holisticly.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
  उत्तराखंड राज्यकर्मियों को सरकार ने दिया तोहफा [/t][/t][/t]  [/t][/t]   डा. रमेश पोखरियाल निशंक, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड[/t][/t]प्रदेश सरकार मंगलवार को कार्मिकों पर विशेष मेहरबान दिखी.
  सरकार ने जहां शिक्षकों को सत्रांश लाभ देने के साथ-साथ एलटी से प्रवक्ता पद पर पदोन्नति के लिए बीएड की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया. वहीं मिनिस्टीरियल संवर्ग के लिए माडल सर्विस रूल्स बनाने पर सहमति जता दी है. इससे इस संवर्ग में पदोन्नति के अवसर बढ़ेंगे.
इसके अलावा संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन कर सभी संस्कृत महाविद्यालय उसके अधीन लाए गए हैं. साथ ही वन विभाग में मानचित्रकार एवं वन क्षेत्राधिकारी की सेवा नियमावली, स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स की भर्ती सेवा नियमावली, नायब तहसीलदार सेवा नियमावली व होमगार्ड में समूह ग के पदों के लिए सेवा नियमावली का अनुमोदन कर दिया है.
मंगलवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री डा. रमेश पोखरियाल निशंक की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक के निर्णय की जानकारी देते हुए प्रमुख सचिव व एफआरडीसी राजीव गुप्ता ने बताया कि प्राथमिक से लेकर माध्यमिक शिक्षकों को अब सत्रांश लाभ दिया जाएगा. इसके तहत शैक्षिक सत्र के बीच में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों को अब 31 मार्च तक का सेवा विस्तार स्वत: मिल जाएगा. इसके साथ ही प्रवक्ता में 50 प्रतिशत पद सीधी भर्ती के और 50 प्रतिशत पद पदोन्नति के हैं. पदोन्नति वाले इन पदों में एलटी के शिक्षकों को पदोन्नत किया जाता है, लेकिन इसके लिए बीएड होना अनिवार्यता था.
उन्होंने बताया कि एलटी के शिक्षकों के लिए प्रवक्ता पद पर पदोन्नत होने के लिए बीएड की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है. प्रदेश में विभिन्न विभागों में मिनिस्टीरियल संवर्ग की सेवा नियमावली में एकरूपता लाने के लिए माडल सर्विस रूल्स बनाने की मांग की जा रही थी. ताकि सभी विभागों में  पदोन्नति के अवसर एक समान हो सकें. इनके लिए कार्मिक विभाग की ओर से माडल सर्विस रूल्स तैयार कर लिया गया है. कार्मिक विभाग की ओर से दिए गए प्रस्ताव के अनुसार मिनिस्टीरियल संवर्ग में कनिष्ट सहायक का पद सीधी भर्ती का होगा. इस पद पर सात वर्ष की सेवा के उपरांत उसकी पदोन्नति प्रवर सहायक पर, इस पद पर पांच वर्ष की सेवा के बाद अगली पदोन्नति मुख्य सहायक पद पर होगी.
इस पद पर तीन वर्ष की सेवा के बाद वह प्रशासनिक अधिकारी व उसके बाद दो वर्ष की सेवा के बाद वह वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी बन सकेगा. कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए इसमें और अधिक संभावनाओं को देखने के लिए कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी है. इसमें कैबिनेट मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट व खजान दास के अतिरिक्त न्याय, कार्मिक व वित्त के प्रमुख सचिव को सदस्य बनाया गया है.
प्रदेश में करीब 84 संस्कृत महाविद्यालय हैं. वर्तमान में ये सभी उत्तराखंड शिक्षा परिषद के अधीन हैं. इन सभी महाविद्यालयों को उत्तराखंड शिक्षा परिषद से अलग करते हुए उत्तराखंड संस्कृत शिक्षा परिषद का गठन कर उसके अधीन कर दिया गया है.  प्रमुख सचिव पीसी शर्मा ने बताया कि संस्कृत शिक्षा परिषद ही अब संस्कृत महाविद्यालयों की परीक्षा से लेकर मूल्यांकन, पाठ¬क्रम का निर्धारण, आचार्यो के प्रशिक्षण से लेकर संस्कृत के प्रचार-प्रसार का कार्य करेगी. इसका मुख्यालय देहरादून में स्थापित होगा. परिषद में एक सचिव, एक उपसचिव सहित कुल नौ पद होंगे. उन्होंने कहा कि संस्कृत को राज्य की द्वितीय भाषा बनाया गया है.
साथ ही हरिद्वार व ऋ षिकेश को संस्कृत नगरी के रूप में और कुमाऊं व गढ़वाल मंडल में एक-एक गांव को संस्कृत गांव के रूप में विकसित किया जाना है. इसके लिए शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह बिष्ट की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है, जो इसका स्वरूप तय करने के लिए विस्तृत रिपोर्ट देगी. इसके अतिरिक्त यह भी तय किया गया है कि प्रत्येक जिलाधिकारी के कार्यालय में और शासन में एक पद संस्कृत अनुवादक का होगा. सभी कार्यालयों में नेम प्लेट संस्कृत में भी लिखी हुई होंगी.
 
(Source Sahara news)[/td][/tr][/table][/td][/tr][/table]

Navigation

[0] Message Index

[#] Next page

[*] Previous page

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 
Go to full version