Author Topic: Srujan Se Magazine Published From Sahibabad - त्रिमासिक पत्रिका "सृजन से"  (Read 44334 times)

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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KAILASH PANDEY
09811505696

Dinesh Chandra Pathak

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Dinesh Pathak
9810234878
pathakdinesh77@gmail.com

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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"Srujan se" in the hand of Agathaa Sangama..
« Reply #62 on: July 08, 2010, 03:49:53 PM »
"सृजन से" के सभी सहयोगियों को बताते हुए बड़ा हर्ष हो रहा है की "सृजन से" अप्रैल-जून २०१० अंक को देश की सबसे युवा केंद्रीय मंत्री-भारत सरकार सुश्री अगाथा संगमा (पुत्री श्री पी० एम्० संगमा) को भेंट की गयी....बताया जा रहा है की सुश्री अगाथा संगामा ने "सृजन से" के कार्य को सराहा और "सृजन से"  टीम के सभी सदस्यों को पत्रिका के प्रकाशन में शुभकामनाये दी.
       Thanks & regards     KAILASH PANDEY  09811504696       

सत्यदेव सिंह नेगी

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ये ख़ुशी की बात है कैलाश भाई आप लोगों की कड़ी मेहनत रंग ला रही है मेरी तरफ से आप सब लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं धन्यबाद

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Daju, I am also thankful for all the members who are doing great effords for improving the "Srujan se" and also trying to make it popular...

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KAILASH PANDEY
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ये ख़ुशी की बात है कैलाश भाई आप लोगों की कड़ी मेहनत रंग ला रही है मेरी तरफ से आप सब लोगों को हार्दिक शुभकामनाएं एवं धन्यबाद

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"सृजन से"...
"सृजनात्मक विधाओं की संवाहक" त्रैमासिक पत्रिका
जुलाई-सितम्बर २०१० अंक की विशेष सामग्री
 
 
"सृजन से पहले"
स्तम्भ की शुरुवात भाभा अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक अधिकारी कवि कुलवंत सिंह जी के "लक्ष्य से जीत तक" स्तम्भ से हुई है|
 
साहित्य: डां० सौमित्र शर्मा जी (कानपुर), शराफ़त अली खान जी (रुहेलखन्ड) इत्यादि के आलेख/एकांकी|
 
चित्रकला: सुप्रसिद्व चित्रकार बी0 विठ्ठल पर धर्मयुग पत्रिका के सहसंपादक रहे एवं प्रसिद्ध कला क्षेत्रै पुस्तक के संपादक मनमोहन सरल जी (मुंबई) का विशेष आलेख तथा प्रतिष्ठित व युवा चित्रकारों की कृतियां इस अंक मे देखी जा सकती हैं|
 
साक्षात्कार-  प्रख्यात कथाकार मृदुला गर्ग जी से उनके सहित्य पर दिनेश द्विवेदी जी की लम्बी बातचीत के अंश|
 
वातायन स्तम्भ-  डा० शिव ओम अम्बर|

लोक / संस्कृति:
श्रीनन्दा स्तुति की रचना पर हेमंत जोशी जी का लेख व गढवाल के लोक बाल साहित्य पर डां० नन्द किशोर ढौडियाल जी (हिंदी विभागाध्यक्ष- कोटद्वार) का विशेष आलेख|

कहानियां-
  धन सिंह मेहता ' अनजान' जी ( लखनऊ), केवल तिवारी जी (गाजिआबाद) व ओ० हेनरी (विश्व साहित्य से)|
 
गज़लें- ओम प्रकाश खरबंदा जी (देहरादुन) व अशोक यादव जी (इटावा)|
 
कवितायें-  घनानंद पाण्डेय "मेघ" जी (लखनऊ), अलोक शुक्ला जी (उ० प्र०), जय प्रकाश डंगवाल जी (हेदराबाद), हरीश बडोला जी (लखनऊ) एवं नये  रचनाकारों की कविताये|
 
सामाजिक सरोकार:  सुप्रसिद्ध लेखक मकबूल वाजिद जी (म० प्र०) का पर्यावरण पर विशेष आलेख|
 
इसके साथ ही कई नये व प्रतिष्ठित रचनाकारों जैसे नीतू चौधरी जी (मेरठ), सुधा शुक्ला जी (लखनऊ), किरन पान्डेय जी (दिल्ली), हेमचन्द्र कुकरेती जी (पौडी गढवाल) आदि की रचनायें/आलेख इस अंक मे देखे जा सकते हैं|

 सभी साहित्यकारों,रचनाकारों व कलाकारों से निवेदन है कि पत्रिका के अगले अंको के लिये स्तरीय सामग्री उपलब्ध करायें।
 
Email id: srujanse.patrika@gmail.com
Blog: www.srujunse.blogspot.com
पता: एम-3, सी-61, वैष्णव अपार्टमेन्ट,
शालीमार गार्डन-2, साहिबाबाद,
गाज़ियाबाद (उ० प्र०)
पिन कोड -२०१००५

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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"Srujan Se" Feedback from J.P.Dangwal Ji.....
« Reply #67 on: July 28, 2010, 01:44:49 PM »
सृजन से” के दो अंक भेजने के लिए धन्यवाद। हिन्दी की प्रतिष्ठित पत्रिकाएं धर्म युग और साप्ताहिक हिन्दुस्तान के प्रकाशन से बड़े बड़े प्रकाशक जुड़े हुए थे जिनके पास न तो धनाभाव था और न ही विज्ञापनों की कमी। लेकिन व्यवसायिक दृष्टिकोण से आर्थिक लाभ न होने के कारण दोनो उच्च कोटि की पत्रिकाएं बुरी तरह लड़खड़ा गईं। यह एक कटु सत्य है कि आधुनिक परिवेश में हिन्दी की एक मनोरम पत्रिका निकालना एक सहज कार्य नहीं है। आपने एवं आपके यहयोगियों ने अपने सामर्थ्य से “सृजन से” का प्रकाशन आरम्भ कर इस दिशा में एक साहसिक और सराहनीय
कार्य किया है।

सृजन से” अंक जनवरी-मार्च, 2010 के संपादकीय में मीना पाण्डे जी की “सृजन से" की प्रथम दस्तक पाठकों के द्वार पर” एक सशत्त, सुरूचि पूर्ण और ठोस दस्तक लगी। मेरी यह सम्मति है कि यह सुन्दर दस्तक “सुजन से” के प्रत्येक अंक में बड़े आकार में “नव वर्ष की हर बेला पर” के स्थान पर “इस वर्ष की हर बेला पर” के साथ प्रकाशित हो।

श्री के. पाण्डे जी एवं श्री महेश चन्द्र पाण्डे जी के लेख प्रथम और द्वितीय अंक में बड़े ही सारगरभित एवं विद्वतापूर्ण लगे।

मेरे प्रिय लेखक श्री इला चंद्र जोशी जी का पहाप्राण कवि निराला पर रोचक व अनूठा संस्मरण मन को आल्हादित कर गया। साथ ही उस महान कवि का अपने आक्रोश पर अचम्भित संतुलन जिसने श्री इला चंद्र जोशी जी को उनकी चपेट से बचा लिया हृदय को गुदगुदा गया।

पद्मश्री डा. यशोधर मठपाल जी से जोशी जी के साक्षातकार में डा. मठपाल जी की अभिव्यक्ति कि उनके लिए कला ईश्वर प्राप्ति का साधन है यदि हमें एक कला महर्षि का बोध कराता है तो महान लेखिका अमृता प्रीतम जी की अभिव्यक्ति कि “सच और परमात्मा को मैंने प्रेम के साथ साए की तरह आते हुए देखा है।” सच और ईश्वर का प्रेम में निरूपण कराता है।

पत्रिका में छपी कहानियां, कविताएं, गजलें और गीत, सब रुचिकर लगे। और सबसे अच्छी बात यह लगी कि पत्रिका में भाषा दोष नगण्य देखने को मिला जिसका श्रेय संपादक मंडल को जाता है।

कुल मिलाकर मुझे “सृजन से” एक उत्तम साहित्यिक पत्रिका लगी जिससे आशा की जा सकती है कि उसमें निरन्तर परिमार्जन होता रहेगा और साहित्यिक गुणवत्ता बढ़ती रहेगी।



सदैव शुभाकांक्षी
जय प्रकाश डंगवाल।

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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"Srujan Se" Feedback from Urmil Kumar Thapaliyal Ji.....
« Reply #68 on: July 28, 2010, 03:37:15 PM »
‘सृजन से’ का प्रवेशांक मिला। धन्यवाद। पर्वतीय अंचलों से या उनके लिए निकलने वाली कई पत्र-पत्रिकाओं की तरह आप राजनैतिक विवरणों से परहेज कर रही हैं। इसके लिए बधाई।

पहले ही अंक से आपके संपादकीय इरादों का पता चल जाता है। मैदानी और पर्वतीय साहित्य में अभी संतुलन बनाना शेष है। आगे दोहराव से भ्ी बचना होगा। नईमा जी पर जानकारी भली लगी। उधर गढ़वाल के प्रख्यात नाटककार ललित मोहन थपलियाल का कथाकार का स्वरुप पहली बार जानकारी में आया। सभी पत्रिकाओं की तरह आपने कला व साहित्य तथा रंगमंच के प्रश्नों को शामिल किया है। गजलें भी अच्छी हैं किन्तु कविताओं का चयन अधिक गंभीरता मांगता हैै। संपादकीय दृष्टि को भी अभी और खरा और पैना होना है। दर्द और पीड़ा की पुरानी परिभाषा अब नहीं रही। कितनी ही आधुनिकता हो, उसमें परंपरा तो झलकनी ही चाहिए।

आपकी पत्रिका केवल पर्वतीय न रहकर सृजन की सीमाऐं लांघेगी। ऐसी आशा है। आपने रचनात्मक सहयोग का सहयोगी आदेश दिया था सो उसका पालन कर रहा हूं। आगामी अंकों में रचनाकारों के पते व फोन नम्बर भी प्रकाशित करें। पाठकों को सुविधा होगी। अनेक शुुभकामनाएं।                       


उर्मिल कुमार थपलियाल,
इन्द्रानगर, लखनऊ।

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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"Srujan Se" Feedback from Padamshri Dr. Yashodhar Mathpal Ji.....
« Reply #69 on: July 28, 2010, 03:41:52 PM »
‘सृजन से’ का प्रथम अंक मिला, धन्यवाद। उसका कलेवर कलात्मक सज्जा व विषय वस्तु नेत्ररंजक व ज्ञानवर्र्द्धक है। निराला जी पर इलाचन्द्र जोषी जी का संस्मरण सर्वाधिक भाया। नईमा जी का स्वकथ्य भी उतना ही रोचक है। लोक संगीत, लोक गाथायें, साक्षात्कार तथा कविताऐं सभी अच्छी तरह चयनित हैं। कृपया मेरा अभिवादन स्वीकार करें। संरक्षण मण्डल में स्थान दिया, एतदर्थ भी धन्यवाद।

पद्मश्री डॉ0 यशोधर मठपाल
गीता धाम, भीमताल

 

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