Author Topic: Srujan Se Magazine Published From Sahibabad - त्रिमासिक पत्रिका "सृजन से"  (Read 44883 times)

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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"Srujan Se" Feedback from Shankar Prasad Kargeti Ji.....
« Reply #70 on: July 28, 2010, 03:48:56 PM »
‘सृजन से’ के प्रथमांक हेतु ढेरों बधाइयाँ! आवरण से लेकर कलेवर, चित्रांकन, रचनाएँ, कागज एवं आकार सभी प्रभावषाली हैं। लगता है संपादक, संचालक एवं सहयोगी अतिशय उत्साह से परिपूर्ण हैं।

साहित्य की अनेक विधाओं पर सार्थक रचानाओं का समावेश पत्रिका को परिपूर्णता की ओर अग्रसर करता है। साहित्यिक पत्रिका के प्रारम्भिक अंकों में अच्छे साहित्यकारों को जोड़ने और अच्छी रचनाओं की व्यवस्था में थोड़ी कठनाई होती है।

धीरे-धीरे ‘उत्तराखण्ड’ और ‘गाजियाबाद’ से बाहर निकल कर राष्ट्रीय स्तर पर आइये, आपको भी अच्छा लगेगा और पाठकों को भी।

‘इलैक्ट्रॉनिक-मीडिया’ ने प्रिन्ट-मीडिया’ पर ग्रहण सा लगा रखा है, सच है। ‘साप्ताहिक हिन्दुस्तान’ और ‘धर्मयुग’ जैसी समृद्ध पत्रिकाओं का बन्द हो जाना इसका ज्वलन्त प्रमाण है। कविता और कहानी ऐसे अनोखे फल हैं जिनके पेड़ों को न पानी मिल रहा है न खाद। कैसे फलेंगे ये पेड़ ? ऐसे में इस जलते रेगिस्तान में आप मीठे पानी की नहर निकालने का प्रयास कर रही हैं।
आपके लिए मेरी दिल से शुभकामनाएँ।मेरा हर प्रकार से सहयोग आपके साथ रहेगा। रचनाओं के चयन में थोड़ी कठोरता बरतें, अच्छा रहेगा। संपादक पत्रिका को जीवन देता है, एक विशिष्ट चरित्र देता है अपना महत्वपूर्ण समय, ज्ञान एवं सृजन शक्ति उस पर लुटाता है यदि चित्र न भी दें तब भी उतना ही महत्वपूर्ण रहेगा। शायद दिल पर और भी अधिक प्रभाव छोड़ जाती हैं अनदेखी शक्तियाँ।
होली की असीम शुभकामनाओं सहित ---

शंकर प्रसाद करगेती
गाजियाबाद (उ0प्र0)

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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"Srujan Se" Feedback from Pankaj Bisht Ji (Editor-Samayantar).....
« Reply #71 on: July 28, 2010, 04:03:13 PM »
‘सृजन से’ का पहला अंक मिला। तत्काल नईमा जी का साक्षात्कार पढ़ा। इतने अच्छे जानकारी से भरे और सघन साक्षात्कार के लिए दीपा जोशी को मेरी बधाई।

मेरे लिए इस साक्षात्कार का अतिरिक्त महत्व है। मैं बचपन से नईमा जी और उनके परिवार को जानता हूं। मैंने उन्हें अल्मोड़े में जब पहली बार सुना था तब मैं 6-7 वर्ष का रहा हूंगा। पर उनका सुरीला स्वर मेरी स्मृति में सदा बना रहा है। अपने प्रेम और कमिटमेंट के लिए उन्हें जिस पीड़ा और संत्रास से गुजरना पड़ा होगा, उसकी मात्र कल्पना की जा सकती है। जिस तरह वह चार दषक तक अपने प्रण पर अटल रही वह प्रेम की अद्भुत मिसाल है। वह भी एक ऐसे समाज में जो पाखंड और रूढ़िवादिता के लिए प्रसिद्ध है।

मेरी बधाई और पत्रिका की सफलता के लिए शुभकामनाएं।

पंकज बिष्ट,
सम्पादक ‘समयान्तर’
दिलशाद गार्डन, नई दिल्ली

Raje Singh Karakoti

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Dear Mr Kailash
 
How one can subscribe for this book?
Is it also availible in Delhi??

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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"Srujan Se" Feedback from Dayanand Anant Ji.....
« Reply #73 on: July 28, 2010, 04:18:47 PM »
किसी भी नई पत्रिका को देखकर वैसी ही प्रसन्नता होती है जैसी किसी स्वस्थ नवजात शिशु किलकारियाँ मारते हुए इस संसार में प्रवेश करते हुए देखने पर होती है।
लेकिन इस व्यवसायिक बाजारवादी वातावरण में उसके जीवित रह पाने को लेकर दूसरे ही क्षण यह चिन्ता सताने लगती है कि इस प्रदूशित वातावरण में वह कितने दिन जी पायेगा।

आपने जिस व्यापक फलक को चुना है उसकी दीर्घायु कामना के साथ।

दयानन्द अनन्त
संस्थापक ‘पर्वतीय टाईम्स

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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"Srujan Se" Feedback from Soni Pant Ji.....
« Reply #74 on: July 28, 2010, 04:24:23 PM »
‘सृजन से’ के प्रथम अंक से परिचय हुआ जो वास्तव में खास था। सर्वप्रथम इस सृजनशीलता के लिए ‘सृजन से’ परिवार को हार्दिक बधाई व अग्रिम यात्रा हेतु शुभकामनाएं।

प्रथम अंक से ही आभास होता है कि ‘सृजन से’ का सफर बहुत लम्बा व प्रेरणादायी होगा।

इस पत्रिका के माध्यम से जहां एक ओर देवभूमि के रचनाकारों की कलम का आनन्द लिया वहीं साहित्य से जुड़ी अन्य नामचीन हस्तियों के अभिलेख प्रेरणादायी व पथप्रदर्शक हैं। उत्तराखण्ड व देश के इतर भागों के साहित्यकारों को एक साथ, एक ही पत्रिका में पढ़ना कम ही हो पाता है। पत्रिका का यह सार्थक प्रयास वास्तव में किसी गंगा-जमुना संगम से कम नहीं है।

आशा ही नहीं पूर्ण विष्वास है कि निष्पक्षता के साथ नये-पुराने रचनाधर्मियों की अभिव्यक्तियां यूं ही सृजन से के माध्यम से हम तक पंहुचती रहेगी। शुभकामनाओं सहित।


श्रीमती सोनी पन्त
सहा0 अध्यापक (जीव विज्ञान)
रा0 क0 इ0 का0 स्याल्दे,
अल्मोड़ा, उत्तराखण्ड।

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Yes, This is available in Delhi also even this is publicizing from DELHI-NCR only.....

For Subscription of this magazine you may contact me any time.

Thanks & Regards

KAILASH PANDEY
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Dear Mr Kailash
 
How one can subscribe for this book?
Is it also availible in Delhi??

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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"सृजन से" साहित्य व कलात्मक विधाओं की एक अग्रणीय त्रैमासिक   पत्रिका है। जिसका उद्देश्य सभी सृजनात्मक विधाओं को न केवल एक धरातल पर   उकेर लाना है वरन उससे भी महत्वपूर्ण इन कलाओं की नयी पोंध के लिये भरपुर   खाद पानी जुटाकर स्तरीय सृजन को प्रोत्साहन देना है। यह उत्तराखंड के कला   सहित्य के साथ ही हिन्दी साहित्य, रंगमंच, चित्रकला, नृत्य संगीत तथा कला   जगत की विभिन्न गतिविधियों की जानकारी कला प्रेमीयों तक लाने का प्रयास है।

"सृजन से" का यह   कार्य मैग्ससे पुरुस्कार से सम्मानित पदम श्री दीप जोशी जी, ख्याति प्राप्त   चित्रकार पदम श्री डां० यशोधर मठपाल जी, रंगमंच की वरिष्ठ हस्ती नईमा खान   उप्रेती जी व गाज़ियाबाद के अपर जिला सुचना अधिकारी युगल किशोर जी के   संरक्षण व मार्गदर्शन में हो रहा है।
अभी तक "सृजन से" के   तीन अंकों में देश के अनेक वरिष्ठ व चर्चित लेखक, रचनाकार व चित्रकार जैसे   कि पदम श्री डा० रमेश चन्द्र शाह, पदम श्री डा० यशोधर मठपाल, महेश दर्पण,   दयानन्द अनंत, मोहमद सलीम, दिनेश दिवेदी, मंगलेश डबराल, डा० शिव ओम अम्बर,   डा० कुंअर बेचैन, मनमोहन सरल, बंधु कुशावर्ती, डा० उर्मिल कुमार थपलियाल,   दिनेश सिन्दल, गिरीश तिवारी "गिर्दा", कवि कुलवंत सिंह, मकबूल वाजिद, डा०   नन्दकिशोर ढौडियाल, डा० आशा पांडेय इत्यादी अपना लेखकीय सहयोग दे रहे हैं।
बिना किसी के आर्थिक   मदद से "सृजन से" के माध्यम से उत्कृष्ट रचनाओं एवं उभरते हुए युवा   रचनाकारों को एक मंच प्रदान करने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है.पत्रिका से सम्बधित   विस्तृत जानकारी www.srujunse.blogspot.com पर प्राप्त की जा सकती है।   अपनी उत्कृष्ट रचनाऎं "सृजन से" को भेजने हेतु आप srujanse.patrika@gmail.com   पर ई-मेल कर सकते हैं।



Thanks & Regards

KAILASH PANDEY
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'Srujan Se' Magazine from Gaziabad
« Reply #78 on: August 24, 2010, 08:07:28 PM »
Nanda stuti ki rachana par vishesh..........


KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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'Srujan Se' Magazine from Gaziabad
« Reply #79 on: August 24, 2010, 08:09:13 PM »
Color page of Srujan se 3rd Edition......


 

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