Author Topic: Srujan Se Magazine Published From Sahibabad - त्रिमासिक पत्रिका "सृजन से"  (Read 44787 times)

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Srujan se-july-sep feedback from Kailash Bhat ji....
« Reply #90 on: September 12, 2010, 01:26:32 PM »
सृजन से का तीसरा अंक प्राप्त हुआ । मार्मिक विशयों, रोचक जानकारियों,   मनोरंजन एवं ज्ञान से भरपूर पत्रिका का यह अंक हृदय स्पर्षी है । कवि   कुलवंत सिंह जी का ‘लक्ष्य से जीत तक‘ लेख निष्चित तौर पर सभी को विषेश रूप   से युवा वर्ग को प्रोत्साहित एवं लाभान्वित करने वाला लेख है। हरीष बडोला   जी की कविता ‘मां! मुझे बताओ‘ हृदय को छू जाती है । आचार्य   दार्षनेय लोकेष जी द्वारा ज्योतिश की दिषा में एक जो सार्थक प्र्रयास किया   गया है, उसे जारी रखने हेतु अनुरोध है । अम्बर जी का ‘मां है तो सारा घर   ठाकुरद्वारा है‘ लेख में उल्लिखित दो पंक्तियां ‘किसी को घर मिला हिस्से   में या कोई दुकां आई, मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई‘ तो   दिल में ही उतर आती हैं। पत्रिका को अत्यधिक रोचक एवं स्तरीय बनाने हेतु   हास्य व्यंग एवं भरतीय लोक संस्कृतियों की झलक भी प्रस्तुत किये जाने की   आवष्यकता महसूष ही जा रही है । विशय वस्तु को देखते हुए पत्रिका के सफल   भविश्य की आषा है ।

षुभ कामनाओं के सांथ कैलाष चन्द्र भट्टएम-351, सरोजिनी नगरनई दिल्ली - 11023 

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Srujan se- July-Sep feedback from Dr. Suwarn Rawat.....
« Reply #91 on: September 12, 2010, 01:30:45 PM »
'Srujanse' ka tisra ank mila. Sampadak, Pramarshdata, Sanrakshakmandal   ke sath 'Srujan se' ki puri team ko mubarakbad !

Kala,Sahitya,Sanskriti   ke anek vidhaon ke rango se saji-sanwari sabhi krtiyan achhi lagi. Visheshkar- Sharafat Ali Khan, Manmohan Saral, Kewal Tiwari, Dhan Singh   Mehata'Anjan' ke kramashah: Shor, Dadur Pul Ka Bachha- B. Vitthaall,   Gauraiya Ka Pankh, Bharose Ka Aadami.

Kiran Pande, Dr. Saumitra Sharma   aur Dinesh Diwedi ne Bhishm Sahini, Dr. Ramnath Tripathi, evam Mridula   Garg ke aanek pahuluon ko chhuwa.

Kavitayen, Gzalein, Abhivanjanayein   ruchikar lagein. 'Srujan Nibandh' ke sath 'Srujan Parikrama' ke tahat   bahut kuchh pata chala.' Nanha Srujan' nam se chhote bachhon ko bhi   jagah mii, bahut aachha laga. Ismein Aania aur Aania Kaushik ki Kakshaon   ka pata nahein chal paya- ye dono ek hi hain ya alag-alag?

Aakhir mein   yah bhi achha laga ki 'Srujan se' anavashyak vigyapano se pati..bhari   nahi thi.- Shubhkamanein!

--Dr. Suwarn Rawat,
NSD Alumnus,One of the founders of NSD TIE Co., New Delhi
( Has been awarded PhD degree entitled "Theatre : Its significance in Education" ) 

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Srujan Se- Feedback from J.P Dangwal ji....
« Reply #92 on: September 13, 2010, 11:34:37 AM »
Dear Srujan Se Team,
Undoubtedly 'Srujan Se' is a high class literary  magazine of Hindi. I have gone through all the issues of srijan Se and found  the contents of class taste and standard.

I see great potential and capability in the editor  and her board to carry on never ending publishing of the magazine without  compromising with the standard and quality of the magazine.

I wish bright future for Srijan Se free from  politics and unnecessary controversial issues.
[/b][/font]
[/size][/font][/size]Always a well wisher[/b][/font]
[/size][/b][/font][/size]Jai Prakash Dangwal[/b][/font]

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Srujan se- Feedback from T.D.Pandey ji.....
« Reply #93 on: September 13, 2010, 02:35:46 PM »



‘‘सृजन से‘‘‘ पत्रिका के तीन अंक पढ़े । पत्रिका में स्तरीय, प्रबुद्ध लेखकों के साथ नये रचनाकारों का  भी समावेष हुआ है। पत्रिका हो, समाचार पत्र या मीडिया की कोई भी विधा, यहॉ तक कि पुस्तकों के लेखक अथवा कवि उसके सृजक तथा सम्पादक पर निर्भर करते है। सम्पादक कैसा है व किस अवधारणा अथवा लालच से पत्रकारिता के क्षेत्र में आया है, कदाचित इन प्रष्नों का उत्तर ही पत्रकारिता का भविश्य हुआ करता है।

पत्रकारिता का पावनतम कर्म पूर्ण निश्ठा, सत्यता एवं पारदर्षिता से देष, समाज व संस्कृति की रक्षा करना है । कलम की नोक से सृजनात्मक विचारों को अभिव्यक्ति देना, उत्कृश्ट कार्य करने वालों को महत्व देना साथ ही दुश्कर्म वालों को हतोत्साहित करना पत्रकारिता का ही कार्य है।  इस उददेष्य की पूर्ति के लिए पत्रकारिता से जुंडे़ लोगों का चरित्र अति पावन, विषाल व निश्पक्ष होना जरूरी होता है। प्रायः देखने में आता है कि अधिकांष पत्रकार काली कमाई को ठिकाने लगाने, छदम नाम कमाने या फिर पत्रकारिता के माध्यम से फूहड़ विज्ञापन व सरकारी विज्ञापन बटोर कर सरकार के काले कारनामों पर पर्दा डाल कर और अधिक कमाने के उददेष्य से पत्रकारिता केा ही कलंकित करने लगते हैं व इसी प्रयास में आसमान छू जाने के बाद मटियामेट भी हो जाते हैं। पत्रकारिता के छदम व पीतकर्म से आज देष व समाज में जहॉ  फिल्मी नायक व नायिकाएॅ, ्िरककेट खिलाड़ी, ब्यूटी क्वीन तथा विज्ञापनी पुरूश, बालाएॅ वक्त के भगवान बने हुए हैं वही उत्कृश्ट कर्म व सोच देने वाले वैज्ञानिक, विचारक, चिंतक तथा प्रबुद्ध वर्ग के पदाधिकारी, कलाकार, संगीतज्ञ, कवि तथा लेखक उपेक्षित हैं। इन सभी  कसौटियों एवं चुनौतियों पर ‘‘सृजन से,,,‘‘ पत्रिका को आकार लेना है।


तारा दत्त पाण्डे ‘‘अधीर‘‘
मानस विहार बिठोरिया न0-1
हल्द्वानी नैनीताल उत्तराखण्ड

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Real Achievement of SRUJAN SE....
« Reply #94 on: September 13, 2010, 04:53:49 PM »

‘‘हरी भरी दुनियॉ-साफसुथरी दुनियॉ‘‘ षींर्शक लेख के रूप में ‘‘सृजन से‘‘ पत्रिका में प्रकाषित कर, उत्तराखण्ड के संदर्भ में विषेश रूप में व्यक्त किया गया है। माननीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार द्वारा इस लेख को श्री प्रदीप टम्टा, माननीय सांसद, अल्मोड़ा के माध्यम से, माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार को कार्यान्वयन हेतु भेजा गया है। माननीय मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड के निर्देषन में, मुख्य सचिव के पत्रांक 499/नि0स0-मु0स0 दिनांक 23जून 2010 से प्रमुख सचिव सिंचाई, लघु सिंचाई, आपदा प्रबन्धन एवं सचिव ऊर्जा, वन, खाद्य तथा वन विभागों को कार्यान्वयन हेतु निर्देषित किया गया है।

विकास केन्द्र आधारित इस प्रबन्धन का अपने आप में संतुलित एवं समन्वित विचार तो है ही, इस विचार को देष के प्रधानमंत्री एवं क्षेत्रीय सांसद के माध्यम से उत्तराखण्ड सरकार को भेजा गया है, तो यह एक अवसर है जिसका भरपूर लाभ उठाया जा सकता है। वर्तमान में उत्तराखण्ड से जारी पलायन के कारण उत्तराखण्ड के गॉवों का रिक्त होना, कम से कम अर्न्तराश्ट्रीय सीमाओं पर सजगता एवं सघनता को ध्यान में रखते हुए भी इस विचार पर गंभीरता से कार्य किया जाय तो उत्तराखण्ड पूर्ण आत्मनिर्भर हो सकेगा। इसी कार्यप्रणाली पर समूचा देष स्वतः ही आत्मनिर्भर होगा। यह चिंतन जहॉ एक ओर ग्रामीण क्षेत्रों का षहरीकरण है, वहीं भीड़ के कारण महानगरों का नारकीय जीवन रोकने का प्रयास भी है। इस सषक्त विचार को केन्द्र सरकार की संसद तथा राज्य सरकारों की विधान सभाओं में विषेश विधेयक के रूप में पारित करने की अपेक्षा है। समय रहते इस विचार या इसके अनुकूल विचारों पर कार्य नहीं किया गया तो भारत सहित दुनियॉ में महाअकाल, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, महंगाई, मिलावट व जमाखोरी सहित प्राकृतिक एवं पर्यावरणीय क्षति के दुश्परिणाम भुगतने होंगे। इस लिहाज से यह लेख गंभीर चेतावनी है। चुनौती भी है।

तारा दत्त पाण्डे ‘‘अधीर‘‘


Complete article will update very soon.............

सत्यदेव सिंह नेगी

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I salute your continual effort towards betterment of system of Uttrakhand

Heartiest thanks Kailash Bhai


‘‘हरी भरी दुनियॉ-साफसुथरी दुनियॉ‘‘ षींर्शक लेख के रूप में ‘‘सृजन से‘‘ पत्रिका में प्रकाषित कर, उत्तराखण्ड के संदर्भ में विषेश रूप में व्यक्त किया गया है। माननीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार द्वारा इस लेख को श्री प्रदीप टम्टा, माननीय सांसद, अल्मोड़ा के माध्यम से, माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार को कार्यान्वयन हेतु भेजा गया है। माननीय मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड के निर्देषन में, मुख्य सचिव के पत्रांक 499/नि0स0-मु0स0 दिनांक 23जून 2010 से प्रमुख सचिव सिंचाई, लघु सिंचाई, आपदा प्रबन्धन एवं सचिव ऊर्जा, वन, खाद्य तथा वन विभागों को कार्यान्वयन हेतु निर्देषित किया गया है।

विकास केन्द्र आधारित इस प्रबन्धन का अपने आप में संतुलित एवं समन्वित विचार तो है ही, इस विचार को देष के प्रधानमंत्री एवं क्षेत्रीय सांसद के माध्यम से उत्तराखण्ड सरकार को भेजा गया है, तो यह एक अवसर है जिसका भरपूर लाभ उठाया जा सकता है। वर्तमान में उत्तराखण्ड से जारी पलायन के कारण उत्तराखण्ड के गॉवों का रिक्त होना, कम से कम अर्न्तराश्ट्रीय सीमाओं पर सजगता एवं सघनता को ध्यान में रखते हुए भी इस विचार पर गंभीरता से कार्य किया जाय तो उत्तराखण्ड पूर्ण आत्मनिर्भर हो सकेगा। इसी कार्यप्रणाली पर समूचा देष स्वतः ही आत्मनिर्भर होगा। यह चिंतन जहॉ एक ओर ग्रामीण क्षेत्रों का षहरीकरण है, वहीं भीड़ के कारण महानगरों का नारकीय जीवन रोकने का प्रयास भी है। इस सषक्त विचार को केन्द्र सरकार की संसद तथा राज्य सरकारों की विधान सभाओं में विषेश विधेयक के रूप में पारित करने की अपेक्षा है। समय रहते इस विचार या इसके अनुकूल विचारों पर कार्य नहीं किया गया तो भारत सहित दुनियॉ में महाअकाल, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, महंगाई, मिलावट व जमाखोरी सहित प्राकृतिक एवं पर्यावरणीय क्षति के दुश्परिणाम भुगतने होंगे। इस लिहाज से यह लेख गंभीर चेतावनी है। चुनौती भी है।

तारा दत्त पाण्डे ‘‘अधीर‘‘


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Negi ji, Thanks for your appreciation.....This efforts is not made by me it is totally made by Author and his thoughts....We (Srujan se) has only given some to this article on our Praweshank (1st Edition)......

Thanks again for support & Appreciation....

Regards

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Heartiest thanks Kailash Bhai


‘‘हरी भरी दुनियॉ-साफसुथरी दुनियॉ‘‘ षींर्शक लेख के रूप में ‘‘सृजन से‘‘ पत्रिका में प्रकाषित कर, उत्तराखण्ड के संदर्भ में विषेश रूप में व्यक्त किया गया है। माननीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार द्वारा इस लेख को श्री प्रदीप टम्टा, माननीय सांसद, अल्मोड़ा के माध्यम से, माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड सरकार को कार्यान्वयन हेतु भेजा गया है। माननीय मुख्यमंत्री, उत्तराखण्ड के निर्देषन में, मुख्य सचिव के पत्रांक 499/नि0स0-मु0स0 दिनांक 23जून 2010 से प्रमुख सचिव सिंचाई, लघु सिंचाई, आपदा प्रबन्धन एवं सचिव ऊर्जा, वन, खाद्य तथा वन विभागों को कार्यान्वयन हेतु निर्देषित किया गया है।

विकास केन्द्र आधारित इस प्रबन्धन का अपने आप में संतुलित एवं समन्वित विचार तो है ही, इस विचार को देष के प्रधानमंत्री एवं क्षेत्रीय सांसद के माध्यम से उत्तराखण्ड सरकार को भेजा गया है, तो यह एक अवसर है जिसका भरपूर लाभ उठाया जा सकता है। वर्तमान में उत्तराखण्ड से जारी पलायन के कारण उत्तराखण्ड के गॉवों का रिक्त होना, कम से कम अर्न्तराश्ट्रीय सीमाओं पर सजगता एवं सघनता को ध्यान में रखते हुए भी इस विचार पर गंभीरता से कार्य किया जाय तो उत्तराखण्ड पूर्ण आत्मनिर्भर हो सकेगा। इसी कार्यप्रणाली पर समूचा देष स्वतः ही आत्मनिर्भर होगा। यह चिंतन जहॉ एक ओर ग्रामीण क्षेत्रों का षहरीकरण है, वहीं भीड़ के कारण महानगरों का नारकीय जीवन रोकने का प्रयास भी है। इस सषक्त विचार को केन्द्र सरकार की संसद तथा राज्य सरकारों की विधान सभाओं में विषेश विधेयक के रूप में पारित करने की अपेक्षा है। समय रहते इस विचार या इसके अनुकूल विचारों पर कार्य नहीं किया गया तो भारत सहित दुनियॉ में महाअकाल, बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, महंगाई, मिलावट व जमाखोरी सहित प्राकृतिक एवं पर्यावरणीय क्षति के दुश्परिणाम भुगतने होंगे। इस लिहाज से यह लेख गंभीर चेतावनी है। चुनौती भी है।

तारा दत्त पाण्डे ‘‘अधीर‘‘


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Srujan se- Feedback From Vivek ji...
« Reply #97 on: September 17, 2010, 03:58:42 PM »
सृजन से का जुलाई  अंक मिला। इस अंक में सभी लेख बहुत अच्छे लगे। साहित्यिक स्तर पर पत्रिका अपने नाम को सार्थक करती है, लक्ष्य से जीत तक लेख पढकर अच्छा लगा, ऑर साथ ही विठ्ठल जी की जीवनी प्रेरणादायक ळगी, पत्रिका में सभी पह्लुओ पर ध्यान दिया गया है, ऑर शब्दो की सुंदरता ऑर सरलता ने साहित्य को आसान बनाया  है , इसके लिए आपको बधाई।पत्रिका के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हू,धन्यवाद,विवेक पटवाल,

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Suprasidh Kathak Nrityagana evam “Srujan se” patrika ki Co-Editor Shrimati Deepa Joshi ji ko Nritya evam sangeet me unke utkrishth yogdaan ke liye Swar Sadhana Samiti Ramanagar ne  10th[/sup] Aug 2010 ko unhe SWAR SADHAK SAMMAN se sammanit kiya…

[/b]

Thanks & RegardsKAILASH PANDEY09811504696[/font]

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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