Author Topic: The Monkey Menace In Uttarakhand - पहाड़ में बंदरो का आतंक  (Read 6653 times)

D.N.Barola / डी एन बड़ोला

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   Monkey is creating havoc on the day to day life of the people. You can see a horde of monkeys loitering on the road or on the roof-tops without restriction and trespassing the campus of anybody and everybody’s house at will. They enter the kitchen, open the doors of the refrigerator and plunder away the eatables and what so ever is inside the Kitchen room. You can see them staging a rope walk majestically in open roads, snatching away eatables from the hands of the people and frequently attacking and biting the children and women, whom they consider to be totally non-resistance to their attacks. Apart from the physical injury they inflict, this entails a reluctant but urgent trip to the Doctor, who invariably advises some doses of costly anti-rabies injections.  Lord Hanuman’s progeny, the money is flourishing due to the deep rooted religious sentiments of the people and nobody wants to invite the ire of the Gods, thus making them non-vulnerable.

In order to curb the menace of the Monkey, long drawn plan is the need of the hour. Wild Life has to be protected so that the ecological balance does not get awry and is properly maintained. Forest cover should therefore increase further. There should be minimum interference of the people into the Jungle, after all the beasts get horrified by the awful sight of the two legged animal, called the Man who unnecessarily meddles into their exclusive domain. Illegal felling of trees should stop, Fire Hazard should be minimized. Fruit bearing trees should be planted in the Jungle. Wild Life awareness programmes should be launched and finally people suffering injuries by Monkey bite be granted some compensation by the Uttarakhand Government as everybody cannot afford costly anti-rabies injection.

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Re: The Monkey Menace in Uttarakhand
« Reply #1 on: August 08, 2008, 05:33:34 PM »
Right said Sir this is a problem for which we have to think of a solution keeping in mind that monkey also have a right to live.

Devbhoomi,Uttarakhand

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गुड़ौली गांव में बंदर व लंगूरों का जबरदस्त आतंक

कनालीछीना (पिथौरागढ़)। विकासखंड के दर्जनों गांवों में बंदरों व लंगूरों का आतंक छाया हुआ है। सुबह से देर शाम तक खेत खलिहानों में घुसकर सब्जियों व फलों को नुकसान पहुंचाने से काश्तकार खासे परेशान है। ग्रामीणों ने वन विभाग से बंदरों के आतंक से निजात दिलाये जाने की मांग की है।

विकासखंड के गुड़ौली ग्राम सभा सहित आसपास के दर्जनों गांवों में बंदरों का जबरदस्त आतंक बना हुआ है। सुबह चार बजे से बंदरों के खेतों में घुसकर सब्जियों व फलों को तहस नहस कर देने से काश्तकारों को भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है। सैकड़ों की तादात में झुंडों में पहुंच रहे बंदरों ने आलू, केले, संतरे, गीठे, अरबी सहित अन्य साक सब्जियों को भारी क्षति पहुंचा दी है। बंदरों के दिन भर छतों में धमा चौकड़ी मचाने से महिलाओं और बच्चों का घरों से बाहर निकलना दूभर हो गया है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5921495.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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बंदरों के आतंक से मंदिरों में नहीं चढ़ पा रहा प्रसाद


डीडीहाट (पिथौरागढ़)।

थल घाटी में बंदरों का जबरदस्त आतंक बना हुआ है। अब तक ग्रामीण क्षेत्रों में परेशानी का सबब बने बंदर कस्बे में भी आतंक फैलाने लगे है। बंदरों का झुंड प्रसिद्ध शिव मंदिर में प्रसाद चढ़ाने को जाने वाले लोगों के हाथों से पूजा की सामग्री छीनने के साथ ही थल बाजार में दुकानों से सामान उठाकर ले जा रहे है। परेशान क्षेत्रवासियों ने वन विभाग द्वारा उत्पाती बंदरों को शीघ्र आबादी से दूर नहीं खदेड़े जाने पर आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी है।

सैकड़ों की तादात में आबादी में पहुंचे बंदर घाटी क्षेत्रवासियों के लिये परेशानी का पर्याय बन गये है। बंदरों द्वारा खेतीबाड़ी को व्यापक नुकसान पहुंचा देने से काश्तकारों की कमर टूट गयी है। गांवों के बाद अब बंदरों का झुंड थल कस्बे में भी आतंक मचाने लगा है।

 बंदर द्वारा दुकानों में घुसकर सामान उठाकर ले जाने से व्यापारी खासे परेशान है। इतना ही नहीं यह बंदर अब पूजा करने के लिये प्रसिद्ध शिव मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिये भी खासी परेशानी का सबब बन गये है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं के हाथों से पूजा की सामग्री और फल छीन लेने के कारण मंदिर में प्रसाद तक चढ़ाना मुश्किल हो गया है। यह बंदर अब तक कई लोगों को काट चुके है। इसके चलते महिलाओं और बच्चों में दहशत का माहौल है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5978124.html

Devbhoomi,Uttarakhand

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भालू, बाघ के बाद अब बंदरों का भी आतंक

रुद्रप्रयाग। जिले में जंगली जानवरों का आतंक रुकने का नाम नहीं ले रहा है। एक के बाद एक हो रही जंगली जानवरों के आतंक की घटनाओं से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना हुआ है। बंदर व बाघ के आतंक के साथ अब भालू का आतंक ने लोगों को परेशान कर दिया है। भालू अब तक कई लोगों व मवेशियों पर हमला बोल चुका है। भालू के आतंक से महिलाओं व बच्चों का जीना दूभर हो गया है।

जिला रुद्रप्रयाग के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में गत दिनों भालू का आतंक बना हुआ है। भालू अभी तक कई लोगों व जानवरों पर हमला बोल चुका है, वहीं पैदल मार्गो व घरों के आस-पास देखे जाने से ग्रामीण दहशत में है। इससे पहले भी जिले मे बंदरों व बाघ के आतंक ने लोगों का जीना दूभर कर रखा है, वहीं अब उनके सम्मुख एक नई परेशानी भालू बनकर सामने आया है। विगत 28 नवम्बर को भालू द्वारा पाबौ गांव में ग्राम प्रहरी राजेन्द्र सिंह बिष्ट पर हमला बोल कर उसे बुरी तरह घायल करने की घटना से क्षेत्र के गांवों की दिनचर्या बदल गई है।

 लोग सांय ढलते ही जंगली जानवरों के डर से घरों में दुबकने को मजबूर बने हुए है। प्रभागीय वनाधिकारी सुरेन्द्र महरा ने बताया कि अब तक दो नरभक्षी बाघ को मार गिराया जा चुका है। भालू के आतंक से लोगों को बचाने के विभाग प्रयास करेगा।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6005148.html

Risky Pathak

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Baanr(Bandar) & Gun(Langoor) ka aatank bahot faila hua hai pahaad me..

Gehu ki fasle, naaring, daadim etc ko bahot nuksaan ho chuka hai

Devbhoomi,Uttarakhand

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बंदरों के आतंक से ग्रामीण परेशान

जैंती (अल्मोड़ा)। समूचे क्षेत्र में जंगली सूअरों व बंदरों के आतंक से ग्रामीणों का जीना दूभर कर दिया है। बार-बार शिकायत के बावजूद शासन-प्रशासन द्वारा इनके आतंक से निजात का कारगर उपाय न होने से ग्रामीणों में रोष है। क्षेत्र के सैनोली, दाड़िमी, सीम, मझाऊ, बाराकोट, रज्यूड़ा में जहां सूअरों ने खेतों में खड़ी गेहूं की फसल रौंद दी है, वहीं खांकर, निरई, बसगांव, कालाडुंगरा, सिलपड़, कुटोली सहित दर्जनों गांवों में बंदर मडुवे के खाली खेतों में राशन, पानी न मिलने से लोगों के घरों में घुस रहे हैं।

लमगड़ा प्रधान संघ के अध्यक्ष मान सिंह महरा का कहना है कि सरकार को चाहिए कि सैकड़ों की संख्या में खूंखार हुए बंदरों के लिए अलग से कहीं बाड़ा बनाया जाय। बाराकोट की प्रधान शांति देवी का आरोप है कि सरकार ने सूअरों के मारने की इतनी जटिल कर रखी है कि ऐसे कोई भी शिकारी उन्हें नहीं मार सकता। उनका कहना था कि इस प्रक्रिया के तहत प्रभावित ग्रामीण काश्तकार के उसके नाप खेत में सूअरों के आक्रमण के बाद पीड़ित व्यक्ति प्रधान के माध्यम से रेंजर को सूचना देगा। बाद में रेंजर की अनुमति पर वन विभाग द्वारा नियुक्त शिकारी आबादी क्षेत्र में ही उसे मार गिराएगा। श्रीमती शांति देवी का कहना है कि एक तो सूअरों का झुण्ड रात में खेतों में प्रवेश करते हैं, दूसरा उसे मारने की कानूनी प्रक्रिया में हफ्तों का समय लग जाता है तब तक सूअरों का झुण्ड प्रभावित गांव की समूची फसल को चौपट कर दूर जंगलों में चले जाते हैं। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता प्रकाश चन्द्र आर्या ने भी इसे सरकार का तुगलकी फरमान करार दिया है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6071187.html

 

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