Author Topic: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार  (Read 153592 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #100 on: November 24, 2013, 08:44:56 PM »
उत्तराखंड में आपदा को बीते अभी कुछ ही महीने बीते हैं इसके बाद आज सुबह 5 बजकर 3 ‌मिनट पर यहां भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.3 बताई जा रही है।

ताजा जानकारी के मुताबिक यह भूकंप उत्‍तराखंड के गढ़वाल मंडल में ज्यादा महसूस किया गया। आपदा का सबसे ज्यादा प्रभाव इसी इलाके में था। भूकंप का केंद्र रुद्रप्रयाग के आसपास था और इसकी गहराई 5 किमी थी। डेंजर जोन होने के कारण इस इलाके में इस तरह के भूकंप आते रहते हैं।


http://www.dehradun.amarujala.com/news/city-news-dun/earthquake-in-uttarakhand-1/

विनोद सिंह गढ़िया

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #101 on: February 08, 2014, 02:41:19 PM »
[justify]महत्वपूर्ण सूचना -

वेबसाइट में देखिए आप मतदाता सूची में हैं या नहीं !

आपका नाम अपने क्षेत्र की विधानसभा मतदाता सूची में है या नहीं इसके लिए अब आपको कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। अब कोई भी मतदाता राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट में मात्र एक क्लिक से इसकी जानकारी ले सकता है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्धारित कार्यक्रम के तहत 31 जनवरी 2014 को राज्य की सभी 70 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियों का अंतिम प्रकाशन कर दिया गया है।
 आप उत्तराखण्ड निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के इस http://election.uk.gov.in/Default.aspx लिंक पर जाकर अपनी स्थिति जान सकते हैं।


MANOJ BANGARI RAWAT

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #102 on: February 11, 2014, 07:04:36 PM »
Thanks Brother,
 

विनोद सिंह गढ़िया

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #103 on: March 04, 2014, 04:23:31 PM »
सब्सिडी को पहाड़, सेवा के लिए मैदान

[justify]मेडिकल कालेज हल्द्वानी ने सोमवार को 51 से अधिक नए डाक्टर प्रदेश को दिए हैं। जनता के लिए भले ही यह खुशी की बात हो लेकिन डाक्टर बनने वाले अधिकांश चेहरों में उत्साह कहीं नजर नहीं आया। पहाड़ी प्रदेश के नाम पर सब्सिडी लेकर पढ़ाई करने वाले हर चेहरे पर पहाड़ के दूरस्थ गांव तक पहुंचने की चिंता थी। कई डाक्टर तो ऐसे थे जिन्होंने अपने जिले के गांवों को ही नजरअंदाज किया। डाक्टर बनने वाले युवाओं के साथ पहुंचे अभिभावक भी चाहते थे कि उनके बच्चों को सड़क के किनारे ही नियुक्ति मिले। यह वही अभिभावक हैं जो बरसों पहले पहाड़ छोड़ आए और अब आए दिन सरकार को पहाड़ की अनदेखी को कोसते हैं।

प्रदेश में इस वक्त डाक्टरों की भारी कमी है। 2440 के सापेक्ष केवल 912 ही डाक्टर काम कर रहे हैं। इसमें भी अधिकांश डाक्टर मैदानी या सुविधाजनक इलाकों में हैं। ऐसे में उम्मीद बचती है प्रदेश के मेडिकल कालेज से निकलने वाले युवा डाक्टरों से। इस उम्मीद को हकीकत में बदलने के लिए सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई करने वालों को बड़ी रियायत दी है। निजी मेडिकल कालेजों में जहां एक डाक्टर बनने में करीब 40 से 50 लाख रुपये खर्च होते हैं, वहीं सरकारी मेडिकल कालेज में करीब तीन लाख रुपये खर्च कर एक डाक्टर बन रहा है। इसके बावजूद युवा पहाड़ जाने से कदम पीछे खींच रहे हैं।

सोमवार को मेडिकल कालेज में हुई काउंसिलिंग में पिथौरागढ़ जिले के ही कई ऐसे युवा थे जिन्होंने जिले के दूरस्थ गांवों में जाने से इंकार कर दिया। कुछ ने पिथौरागढ़ की जगह अल्मोड़ा के गांवों को चुना ताकि हल्द्वानी और दिल्ली से नजदीकी बनी रहे। कुछ नैनीताल जिले के आसपास सिमटकर रह गए। पिथौरागढ़ जिले में 11 हजार फीट पर गूंजी गांव की बात आई तो डाक्टर कहने लगे कि वहां क्या करेंगे। मूलरूप से पिथौरागढ़ की रहने वाली एक डाक्टर ने तो जिले के गांव में नाम लिखवाने के बावजूद हटवा दिया। डाक्टरों की मनोदशा देखकर साफ कहा जा सकता है कि अनुबंध न होता तो एक भी डाक्टर पहाड़ के गांव जाने को तैयार न होता।

Source -  Amar Ujala

MANOJ BANGARI RAWAT

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देश का नाम तक नहीं बता पाए छात्र
गुरुवार, 13 नवंबर 2014
PauriUpdated @ 5:30 AM IST
पौड़ी। बीरोंखाल ब्लाक के बेसिक स्कूल देवकंडई में पढ़ रहे विद्यार्थियों को अपने देश का नाम तक पता नहीं है। थलीसैण ब्लाक के बेसिक स्कूल चाकीसैण के विद्यार्थी अपना नाम सही तरीके नहीं लिख पा रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक केएस रावत ने बेसिक स्कूल देवकंडई के दोनों शिक्षकों और बेसिक स्कूल चाकीसैण के प्रधानाध्यापक के वेतन अनिश्चितकाल के लिए रोकने के निर्देश दिए हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी केएस रावत ने बताया कि उन्होंने बुधवार को जीआईसी थलीसैण, पोखड़ा, हाईस्कूल जिवई, फरसाड़ी, प्राथमिक विद्यालय थली, देवकंडई, पंचधार समेत कई विद्यालयों का निरीक्षण किया। इस दौरान बीरोंखाल ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय देवकंडई में व्यवस्थाएं काफी खराब मिली। इस विद्यालय में आठ विद्यार्थी हैं, जबकि शिक्षक दो हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से अपने देश का नाम पूछा तो कोई नहीं बता पाया। शिक्षकों ने बच्चों की अभ्यास पुस्तिकाओं में कोई काम नहीं कराया है। स्कूल ड्रेस का वितरण भी नहीं किया है। स्कूल की स्थिति को देखकर उन्होंने बीईओ इन दोनों शिक्षकों का वेतन अनिश्चितकाल तक रोकने को निर्देश दिए हैं। स्कूल में पठन- पाठन और अन्य व्यवस्थाएं सुधरने के बाद ही इनका वेतन आहरित किया जाएगा।
डीईओ बेसिक ने बताया कि निरीक्षण कार्यक्रम के तहत उन्होंने मंगलवार को इंटर कालेज चिपलघाट, साकरसैण, चौरा, चाकीसैण, प्राथमिक विद्यालय चिपलघाट, गाड़, चाकीसैण स्कूलों में जाकर निरीक्षण किया। बेसिक स्कूल चाकीसैण में काफी अव्यवस्थाएं पाई गई।
इस विद्यालय में पांच कक्षाएं एक ही कक्ष में संचालित हो रही थी। उसी कक्ष में मध्याह्न भोजन योजना का सामान रखा हुआ था। विद्यालय में पढ़ रहे विद्यार्थी अपना नाम तक सही तरीके से नहीं लिख पाए। विद्यालय की स्थिति को देखते हुए उन्होंने यहां कार्यरत प्रधानाध्यापक के वेतन को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है। प्रधानाध्यापक को व्यवस्था सुधारने के लिए कुछ मानक दिए हैं। व्यवस्था में सुधार होने के बाद ही इनका वेतन आहरित किया जाएगा।

MANOJ BANGARI RAWAT

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #105 on: December 24, 2014, 02:03:26 PM »
शांतिपूर्वक संपन्न हुआ मां कालिंका का मेला
Publish Date:Tue, 23 Dec 2014 06:45 PM (IST) | Updated Date:Tue, 23 Dec 2014 06:45 PM (IST)

शांतिपूर्वक संपन्न हुआ मां कालिंका का मेला
संवाद सूत्र, वीरोंखाल: गढ़वाल-कुमाऊं सीमा पर स्थित कालिंका मंदिर में मंगलवार को मां कालिंका मेला शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया। प्रशासन ने मेले में पशु बलि से इंकार किया है।
मेले में पोखड़ा, वीरोंखाल, थलीसैण, सुराईखेत सहित अन्य प्रखंडों के करीब 35 हजार श्रद्धालु मेले में पहुंचे। मंदिर में रात से ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था, जो कि मंगलवार देर शाम तक जारी रहा। हजारों भक्तों ने दर्शन कर मां का आर्शीवाद लिया व माता से पुन: भेंट का वादा कर अपने घरों को चले गए। मेले के दौरान पशु बलि रोकने को प्रशासन की ओर से पुख्ता इंतजाम किए गए थे। उपजिलाधिकारी अनिल गब्र्याल की माने तो मंदिर व इसके आसपास के क्षेत्र में कहीं कोई पशुबलि नहीं दी गई। हालांकि, श्रद्धालुओं ने मंदिर से दूर उन स्थानों पर बलि दी, जहां से मंदिर व निषाण नजर आ रहे थे।
मेले में कोठा, लखोर, तिमलाखोली, बंदरकोट, मल्ली बाखल, थलीसैंण, पोखड़ा, बडियारी समेत विभिन्न गांवों के श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किए।
बस-जीप चालकों ने मचाई लूट
मंगलवार को संपन्न हुए इस मेले के दौरान बस-जीप चालकों ने जमकर लूट मचाई। दरअसल, श्रद्धालुओं को मंदिर तक मेला स्थल ले जाने के लिए जीपों ने जहां सौ से दो सौ रूपए तक किराया वसूला, वहीं बस चालकों ने भी पचास-साठ रुपये तक किराया वसूला।

Raje Singh Karakoti

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उत्तराखंड के लाल का अमेरिका में कमाल, लांग-लास्टिंग बैटरी बना जीता 34 करोड़ का अवार्ड


अमेरिका में हुई 76वेस्ट एनर्जी प्रतियोगिता में अल्मोड़ा जिले के तल्ला ज्लूया (मनान) निवासी वैज्ञानिक-उद्यमी डॉ. शैलेश उप्रेती की कंपनी चार्ज सीसीसीवी (सी4वी) ने 5 लाख डॉलर (करीब 34.2 करोड़ रुपए) का पुरस्कार जीता है। बिंगमटन यूनिवर्सिटी में हुए अवार्ड समारोह में न्यूयॉर्क की लेफ्टिनेंट गवर्नर कैथलीन होचूल ने 9 महीने चली इस प्रतियोगिता को जीतने पर शैलेश को पुरस्कार दिया। इस प्रतियोगिता में विश्व की 175 कंपनियों ने हिस्सा लिया था। शैलेश की कंपनी चार्ज सीसीसीवी, न्यूयार्क को यह पुरस्कार 20 से 22 घंटे का बैकअप देने वाली बैटरी बनाने पर दिया गया है।

http://www.amarujala.com/photo-gallery/dehradun/uttarakhand-born-scientist-shailesh-upreti-won-5-lakh-dollar-award-in-america?pageId=2

Raje Singh Karakoti

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उत्तराखंड के इस लाल ने अमेरिका में जीता 3.4 करोड़ का अवार्ड

उत्‍तराखंड के अल्‍मोड़ा के लाल डॉ. शैलेश उप्रेती ने अमेरिका में कमाल कर दिया। लांग-लास्टिंग बैटरी बनाने के लिए उनकी कंपनी ने 76वेस्ट अवार्ड और 5 लाख डॉलर जीता।
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड के लाल ने सात समंदर पार ना केवल उत्तराखंड का नाम रोशन किया, बल्कि भारत का सिर भी गर्व से ऊंचा कर दिया। हम बात कर रहे हैं 76वेस्ट एनर्जी प्रतियोगिता के विजेता वैज्ञानिक डॉ. शैलेश उप्रेती की। उन्होंने एक ऐसी बैटरी बनाई है, जो 20 से 22 घंटे का बैकअप देती है। उन्हें पुरस्कार के रूप में 3.4 करोड़ रुपये दिए हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।

जन्म और प्रारंभिक शिक्षा
डॉ. शैलेश उप्रेती का जन्म 25 सितंबर 1978 को अल्मोड़ा जिले के तल्ला ज्लूया (मनान) में पिता रेवाधर उप्रेती और माता चंद्रकला उप्रेती के घर हुआ। शैलेश बचपन से ही होनहार थे। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी स्कूल मनान से की। पिता रेवाधर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी थे तो घर में पढ़ाई का महौल रहा। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े शैलेश ने वर्ष 1992 में जीआइसी बागेश्वर से हाईस्कूल किया। वर्ष 1994 में जीआइसी भगतोला (अल्मोड़ा) से इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की।
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PICS: इस भारतीय ने अमेरिका में जीते 3.4 करोड़

एमएससी में जीता गोल्ड मैडल
शैलेश ने वर्ष 1997 में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के अल्मोड़ा कैंपस से बीएससी की। इस दौरान उन्होंने सीडीएस की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2000 में अल्मोड़ा कैंपस से ही रसायन विज्ञान से एमएससी की। उन्होंने एमएससी में गोल्ड मैडल जीता।


दिल्ली से अमेरिका का सफर
शैलेश के मन में कुछ करने का जज्बा पहले से ही था। एमएससी के बाद उन्होंने नेट परीक्षा में जेआरएफ पास किया। वर्ष 2001 में उनका चयन पीएचडी के लिए दिल्ली के आइआइटी में हुआ। यहां भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वह बेस्ट स्टूडेंट ऑफ द ईयर भी रहे। पीएचडी के दौरान उनके कई रिसर्च पेपर भी पब्लिश हुए। वर्ष 2007 में उनका चयन अमेरिका के स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क में हुआ। पढ़ाई के दौरान वह एमटेक के क्लास भी लेते थे।
पढ़ें-लाचारी छोड़कर हौसले ने जगाया विश्वास, हारे मुश्किल भरे हालात
अमेरिका में किया कमाल
शैलेश के छोटे भाई अशोक उप्रेती ने बताया कि दाज्यू (बड़ा भाई) ने 2013 में अमेरिका में बैटरी बनाने वाली चार्ज सीसीसीवी (सी4वी) बिंगमटन न्यूयार्क कंपनी की स्थापना की। उन्होंने 20 से 22 घंटे का बैकअप देने वाली लांग-लास्टिंग बैटरी बनाई। बता दें कि लिथियम ऑयन बैटरी के जीवनकाल को 20 साल के लिए बढ़ाता है, बल्कि उसकी भंडारण क्षमता और शक्ति में सुधार के साथ ही आग या शॉर्ट सर्किट की स्थिति में उसका तापमान कम कर देता है।
पढ़ें-नशे के खिलाफ आवाज उठाकर महिलाओं के लिए 'परमेश्वर' बनी परमेश्वरी
5 लाख डॉलर (करीब 3.4 करोड़ रुपए) का पुरस्कार जीता
न्यूयॉर्क राज्य ऊर्जा अनुसंधान और विकास प्राधिकरण की ओर से न्यूयार्क की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सुधार के विकल्प पर कार्य करने के मिशन को बढ़ावा के लिए दुनियाभर की कंपनियों में प्रतिस्पर्धा कराई गई थी। जनवरी में शुरू हुई प्रतियोगिता 8 चरणों में हुई और 6 अक्तूबर को पुरस्कार की घोषणा हुई थी। 30 नवंबर को न्यूयॉर्क में लेफ्टिनेंट गवर्नर कैथलीन होचूल ने डॉ. शैलेश को यह पुरस्कार दिया। इस प्रतियोगिता में विश्व की 175 कंपनियों ने हिस्सा लिया था।

पढ़ें-महिलाओं के जीवन को 'अर्थ' दे रही उत्तराखंड की पुष्पा
संस्कृति से लगाव
डॉ शैलेश को अपनी संस्कृति से भी विशेष लगाव रहा है। डॉ शैलेश के छोटे भाई अशोक उप्रेती बताते हैं कि उन्हें गाने का शौक रहा है। उनके पहाड़ी गाने की दो कैसेट भी रिलीज हो चुकी है। इतना ही नहीं वह पहाड़ी वाद्य यंत्र भी बजाते हैं। हुड़का (पहाड़ी वाद्य यंत्र) बजाने में उन्हें महारथ हासिल है। शैलेश का विवाह बिंदिया उप्रेती से हुआ। उनकी डेढ़ साल की बेटी मायरा है।- See more at: http://www.jagran.com/uttarakhand/dehradun-city-uttarakhandborn-scientist-bags-usaward-for-developing-long-lasting-batteries-15142041.html?src=p2#sthash.XrTIrqjm.dpuf
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Raje Singh Karakoti

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #108 on: December 12, 2016, 03:29:05 PM »

उत्तराखंड के इस लाल ने अमेरिका में जीता 3.4 करोड़ का अवार्ड

उत्‍तराखंड के अल्‍मोड़ा के लाल डॉ. शैलेश उप्रेती ने अमेरिका में कमाल कर दिया। लांग-लास्टिंग बैटरी बनाने के लिए उनकी कंपनी ने 76वेस्ट अवार्ड और 5 लाख डॉलर जीता।
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड के लाल ने सात समंदर पार ना केवल उत्तराखंड का नाम रोशन किया, बल्कि भारत का सिर भी गर्व से ऊंचा कर दिया। हम बात कर रहे हैं 76वेस्ट एनर्जी प्रतियोगिता के विजेता वैज्ञानिक डॉ. शैलेश उप्रेती की। उन्होंने एक ऐसी बैटरी बनाई है, जो 20 से 22 घंटे का बैकअप देती है। उन्हें पुरस्कार के रूप में 3.4 करोड़ रुपये दिए हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।

जन्म और प्रारंभिक शिक्षा
डॉ. शैलेश उप्रेती का जन्म 25 सितंबर 1978 को अल्मोड़ा जिले के तल्ला ज्लूया (मनान) में पिता रेवाधर उप्रेती और माता चंद्रकला उप्रेती के घर हुआ। शैलेश बचपन से ही होनहार थे। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी स्कूल मनान से की। पिता रेवाधर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी थे तो घर में पढ़ाई का महौल रहा। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े शैलेश ने वर्ष 1992 में जीआइसी बागेश्वर से हाईस्कूल किया। वर्ष 1994 में जीआइसी भगतोला (अल्मोड़ा) से इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की।
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PICS: इस भारतीय ने अमेरिका में जीते 3.4 करोड़

एमएससी में जीता गोल्ड मैडल
शैलेश ने वर्ष 1997 में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के अल्मोड़ा कैंपस से बीएससी की। इस दौरान उन्होंने सीडीएस की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2000 में अल्मोड़ा कैंपस से ही रसायन विज्ञान से एमएससी की। उन्होंने एमएससी में गोल्ड मैडल जीता।


दिल्ली से अमेरिका का सफर
शैलेश के मन में कुछ करने का जज्बा पहले से ही था। एमएससी के बाद उन्होंने नेट परीक्षा में जेआरएफ पास किया। वर्ष 2001 में उनका चयन पीएचडी के लिए दिल्ली के आइआइटी में हुआ। यहां भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वह बेस्ट स्टूडेंट ऑफ द ईयर भी रहे। पीएचडी के दौरान उनके कई रिसर्च पेपर भी पब्लिश हुए। वर्ष 2007 में उनका चयन अमेरिका के स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क में हुआ। पढ़ाई के दौरान वह एमटेक के क्लास भी लेते थे।
पढ़ें-लाचारी छोड़कर हौसले ने जगाया विश्वास, हारे मुश्किल भरे हालात
अमेरिका में किया कमाल
शैलेश के छोटे भाई अशोक उप्रेती ने बताया कि दाज्यू (बड़ा भाई) ने 2013 में अमेरिका में बैटरी बनाने वाली चार्ज सीसीसीवी (सी4वी) बिंगमटन न्यूयार्क कंपनी की स्थापना की। उन्होंने 20 से 22 घंटे का बैकअप देने वाली लांग-लास्टिंग बैटरी बनाई। बता दें कि लिथियम ऑयन बैटरी के जीवनकाल को 20 साल के लिए बढ़ाता है, बल्कि उसकी भंडारण क्षमता और शक्ति में सुधार के साथ ही आग या शॉर्ट सर्किट की स्थिति में उसका तापमान कम कर देता है।
पढ़ें-नशे के खिलाफ आवाज उठाकर महिलाओं के लिए 'परमेश्वर' बनी परमेश्वरी
5 लाख डॉलर (करीब 3.4 करोड़ रुपए) का पुरस्कार जीता
न्यूयॉर्क राज्य ऊर्जा अनुसंधान और विकास प्राधिकरण की ओर से न्यूयार्क की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सुधार के विकल्प पर कार्य करने के मिशन को बढ़ावा के लिए दुनियाभर की कंपनियों में प्रतिस्पर्धा कराई गई थी। जनवरी में शुरू हुई प्रतियोगिता 8 चरणों में हुई और 6 अक्तूबर को पुरस्कार की घोषणा हुई थी। 30 नवंबर को न्यूयॉर्क में लेफ्टिनेंट गवर्नर कैथलीन होचूल ने डॉ. शैलेश को यह पुरस्कार दिया। इस प्रतियोगिता में विश्व की 175 कंपनियों ने हिस्सा लिया था।

पढ़ें-महिलाओं के जीवन को 'अर्थ' दे रही उत्तराखंड की पुष्पा
संस्कृति से लगाव
डॉ शैलेश को अपनी संस्कृति से भी विशेष लगाव रहा है। डॉ शैलेश के छोटे भाई अशोक उप्रेती बताते हैं कि उन्हें गाने का शौक रहा है। उनके पहाड़ी गाने की दो कैसेट भी रिलीज हो चुकी है। इतना ही नहीं वह पहाड़ी वाद्य यंत्र भी बजाते हैं। हुड़का (पहाड़ी वाद्य यंत्र) बजाने में उन्हें महारथ हासिल है। शैलेश का विवाह बिंदिया उप्रेती से हुआ। उनकी डेढ़ साल की बेटी मायरा है।- See more at: http://www.jagran.com/uttarakhand/dehradun-city-uttarakhandborn-scientist-bags-usaward-for-developing-long-lasting-batteries-15142041.html?src=p2#sthash.XrTIrqjm.dpuf
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Raje Singh Karakoti

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #109 on: December 12, 2016, 03:29:25 PM »

उत्तराखंड के इस लाल ने अमेरिका में जीता 3.4 करोड़ का अवार्ड

उत्‍तराखंड के अल्‍मोड़ा के लाल डॉ. शैलेश उप्रेती ने अमेरिका में कमाल कर दिया। लांग-लास्टिंग बैटरी बनाने के लिए उनकी कंपनी ने 76वेस्ट अवार्ड और 5 लाख डॉलर जीता।
देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड के लाल ने सात समंदर पार ना केवल उत्तराखंड का नाम रोशन किया, बल्कि भारत का सिर भी गर्व से ऊंचा कर दिया। हम बात कर रहे हैं 76वेस्ट एनर्जी प्रतियोगिता के विजेता वैज्ञानिक डॉ. शैलेश उप्रेती की। उन्होंने एक ऐसी बैटरी बनाई है, जो 20 से 22 घंटे का बैकअप देती है। उन्हें पुरस्कार के रूप में 3.4 करोड़ रुपये दिए हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।

जन्म और प्रारंभिक शिक्षा
डॉ. शैलेश उप्रेती का जन्म 25 सितंबर 1978 को अल्मोड़ा जिले के तल्ला ज्लूया (मनान) में पिता रेवाधर उप्रेती और माता चंद्रकला उप्रेती के घर हुआ। शैलेश बचपन से ही होनहार थे। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी स्कूल मनान से की। पिता रेवाधर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी थे तो घर में पढ़ाई का महौल रहा। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े शैलेश ने वर्ष 1992 में जीआइसी बागेश्वर से हाईस्कूल किया। वर्ष 1994 में जीआइसी भगतोला (अल्मोड़ा) से इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की।
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PICS: इस भारतीय ने अमेरिका में जीते 3.4 करोड़

एमएससी में जीता गोल्ड मैडल
शैलेश ने वर्ष 1997 में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के अल्मोड़ा कैंपस से बीएससी की। इस दौरान उन्होंने सीडीएस की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2000 में अल्मोड़ा कैंपस से ही रसायन विज्ञान से एमएससी की। उन्होंने एमएससी में गोल्ड मैडल जीता।


दिल्ली से अमेरिका का सफर
शैलेश के मन में कुछ करने का जज्बा पहले से ही था। एमएससी के बाद उन्होंने नेट परीक्षा में जेआरएफ पास किया। वर्ष 2001 में उनका चयन पीएचडी के लिए दिल्ली के आइआइटी में हुआ। यहां भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वह बेस्ट स्टूडेंट ऑफ द ईयर भी रहे। पीएचडी के दौरान उनके कई रिसर्च पेपर भी पब्लिश हुए। वर्ष 2007 में उनका चयन अमेरिका के स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क में हुआ। पढ़ाई के दौरान वह एमटेक के क्लास भी लेते थे।
पढ़ें-लाचारी छोड़कर हौसले ने जगाया विश्वास, हारे मुश्किल भरे हालात
अमेरिका में किया कमाल
शैलेश के छोटे भाई अशोक उप्रेती ने बताया कि दाज्यू (बड़ा भाई) ने 2013 में अमेरिका में बैटरी बनाने वाली चार्ज सीसीसीवी (सी4वी) बिंगमटन न्यूयार्क कंपनी की स्थापना की। उन्होंने 20 से 22 घंटे का बैकअप देने वाली लांग-लास्टिंग बैटरी बनाई। बता दें कि लिथियम ऑयन बैटरी के जीवनकाल को 20 साल के लिए बढ़ाता है, बल्कि उसकी भंडारण क्षमता और शक्ति में सुधार के साथ ही आग या शॉर्ट सर्किट की स्थिति में उसका तापमान कम कर देता है।
पढ़ें-नशे के खिलाफ आवाज उठाकर महिलाओं के लिए 'परमेश्वर' बनी परमेश्वरी
5 लाख डॉलर (करीब 3.4 करोड़ रुपए) का पुरस्कार जीता
न्यूयॉर्क राज्य ऊर्जा अनुसंधान और विकास प्राधिकरण की ओर से न्यूयार्क की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सुधार के विकल्प पर कार्य करने के मिशन को बढ़ावा के लिए दुनियाभर की कंपनियों में प्रतिस्पर्धा कराई गई थी। जनवरी में शुरू हुई प्रतियोगिता 8 चरणों में हुई और 6 अक्तूबर को पुरस्कार की घोषणा हुई थी। 30 नवंबर को न्यूयॉर्क में लेफ्टिनेंट गवर्नर कैथलीन होचूल ने डॉ. शैलेश को यह पुरस्कार दिया। इस प्रतियोगिता में विश्व की 175 कंपनियों ने हिस्सा लिया था।

पढ़ें-महिलाओं के जीवन को 'अर्थ' दे रही उत्तराखंड की पुष्पा
संस्कृति से लगाव
डॉ शैलेश को अपनी संस्कृति से भी विशेष लगाव रहा है। डॉ शैलेश के छोटे भाई अशोक उप्रेती बताते हैं कि उन्हें गाने का शौक रहा है। उनके पहाड़ी गाने की दो कैसेट भी रिलीज हो चुकी है। इतना ही नहीं वह पहाड़ी वाद्य यंत्र भी बजाते हैं। हुड़का (पहाड़ी वाद्य यंत्र) बजाने में उन्हें महारथ हासिल है। शैलेश का विवाह बिंदिया उप्रेती से हुआ। उनकी डेढ़ साल की बेटी मायरा है।- See more at: http://www.jagran.com/uttarakhand/dehradun-city-uttarakhandborn-scientist-bags-usaward-for-developing-long-lasting-batteries-15142041.html?src=p2#sthash.XrTIrqjm.dpuf
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