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Devbhoomi,Uttarakhand:
उत्तराखंड में आपदा को बीते अभी कुछ ही महीने बीते हैं इसके बाद आज सुबह 5 बजकर 3 ‌मिनट पर यहां भूकंप के झटके महसूस किए गए। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3.3 बताई जा रही है।

ताजा जानकारी के मुताबिक यह भूकंप उत्‍तराखंड के गढ़वाल मंडल में ज्यादा महसूस किया गया। आपदा का सबसे ज्यादा प्रभाव इसी इलाके में था। भूकंप का केंद्र रुद्रप्रयाग के आसपास था और इसकी गहराई 5 किमी थी। डेंजर जोन होने के कारण इस इलाके में इस तरह के भूकंप आते रहते हैं।


http://www.dehradun.amarujala.com/news/city-news-dun/earthquake-in-uttarakhand-1/

विनोद सिंह गढ़िया:
[justify]महत्वपूर्ण सूचना -

वेबसाइट में देखिए आप मतदाता सूची में हैं या नहीं !

आपका नाम अपने क्षेत्र की विधानसभा मतदाता सूची में है या नहीं इसके लिए अब आपको कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। अब कोई भी मतदाता राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट में मात्र एक क्लिक से इसकी जानकारी ले सकता है। भारत निर्वाचन आयोग के निर्धारित कार्यक्रम के तहत 31 जनवरी 2014 को राज्य की सभी 70 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियों का अंतिम प्रकाशन कर दिया गया है।
 आप उत्तराखण्ड निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के इस http://election.uk.gov.in/Default.aspx लिंक पर जाकर अपनी स्थिति जान सकते हैं।

MANOJ BANGARI RAWAT:
Thanks Brother,
 

विनोद सिंह गढ़िया:
सब्सिडी को पहाड़, सेवा के लिए मैदान

[justify]मेडिकल कालेज हल्द्वानी ने सोमवार को 51 से अधिक नए डाक्टर प्रदेश को दिए हैं। जनता के लिए भले ही यह खुशी की बात हो लेकिन डाक्टर बनने वाले अधिकांश चेहरों में उत्साह कहीं नजर नहीं आया। पहाड़ी प्रदेश के नाम पर सब्सिडी लेकर पढ़ाई करने वाले हर चेहरे पर पहाड़ के दूरस्थ गांव तक पहुंचने की चिंता थी। कई डाक्टर तो ऐसे थे जिन्होंने अपने जिले के गांवों को ही नजरअंदाज किया। डाक्टर बनने वाले युवाओं के साथ पहुंचे अभिभावक भी चाहते थे कि उनके बच्चों को सड़क के किनारे ही नियुक्ति मिले। यह वही अभिभावक हैं जो बरसों पहले पहाड़ छोड़ आए और अब आए दिन सरकार को पहाड़ की अनदेखी को कोसते हैं।

प्रदेश में इस वक्त डाक्टरों की भारी कमी है। 2440 के सापेक्ष केवल 912 ही डाक्टर काम कर रहे हैं। इसमें भी अधिकांश डाक्टर मैदानी या सुविधाजनक इलाकों में हैं। ऐसे में उम्मीद बचती है प्रदेश के मेडिकल कालेज से निकलने वाले युवा डाक्टरों से। इस उम्मीद को हकीकत में बदलने के लिए सरकार ने मेडिकल की पढ़ाई करने वालों को बड़ी रियायत दी है। निजी मेडिकल कालेजों में जहां एक डाक्टर बनने में करीब 40 से 50 लाख रुपये खर्च होते हैं, वहीं सरकारी मेडिकल कालेज में करीब तीन लाख रुपये खर्च कर एक डाक्टर बन रहा है। इसके बावजूद युवा पहाड़ जाने से कदम पीछे खींच रहे हैं।

सोमवार को मेडिकल कालेज में हुई काउंसिलिंग में पिथौरागढ़ जिले के ही कई ऐसे युवा थे जिन्होंने जिले के दूरस्थ गांवों में जाने से इंकार कर दिया। कुछ ने पिथौरागढ़ की जगह अल्मोड़ा के गांवों को चुना ताकि हल्द्वानी और दिल्ली से नजदीकी बनी रहे। कुछ नैनीताल जिले के आसपास सिमटकर रह गए। पिथौरागढ़ जिले में 11 हजार फीट पर गूंजी गांव की बात आई तो डाक्टर कहने लगे कि वहां क्या करेंगे। मूलरूप से पिथौरागढ़ की रहने वाली एक डाक्टर ने तो जिले के गांव में नाम लिखवाने के बावजूद हटवा दिया। डाक्टरों की मनोदशा देखकर साफ कहा जा सकता है कि अनुबंध न होता तो एक भी डाक्टर पहाड़ के गांव जाने को तैयार न होता।

Source -  Amar Ujala

MANOJ BANGARI RAWAT:
देश का नाम तक नहीं बता पाए छात्र
गुरुवार, 13 नवंबर 2014
PauriUpdated @ 5:30 AM IST
पौड़ी। बीरोंखाल ब्लाक के बेसिक स्कूल देवकंडई में पढ़ रहे विद्यार्थियों को अपने देश का नाम तक पता नहीं है। थलीसैण ब्लाक के बेसिक स्कूल चाकीसैण के विद्यार्थी अपना नाम सही तरीके नहीं लिख पा रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी बेसिक केएस रावत ने बेसिक स्कूल देवकंडई के दोनों शिक्षकों और बेसिक स्कूल चाकीसैण के प्रधानाध्यापक के वेतन अनिश्चितकाल के लिए रोकने के निर्देश दिए हैं।
जिला शिक्षा अधिकारी केएस रावत ने बताया कि उन्होंने बुधवार को जीआईसी थलीसैण, पोखड़ा, हाईस्कूल जिवई, फरसाड़ी, प्राथमिक विद्यालय थली, देवकंडई, पंचधार समेत कई विद्यालयों का निरीक्षण किया। इस दौरान बीरोंखाल ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय देवकंडई में व्यवस्थाएं काफी खराब मिली। इस विद्यालय में आठ विद्यार्थी हैं, जबकि शिक्षक दो हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से अपने देश का नाम पूछा तो कोई नहीं बता पाया। शिक्षकों ने बच्चों की अभ्यास पुस्तिकाओं में कोई काम नहीं कराया है। स्कूल ड्रेस का वितरण भी नहीं किया है। स्कूल की स्थिति को देखकर उन्होंने बीईओ इन दोनों शिक्षकों का वेतन अनिश्चितकाल तक रोकने को निर्देश दिए हैं। स्कूल में पठन- पाठन और अन्य व्यवस्थाएं सुधरने के बाद ही इनका वेतन आहरित किया जाएगा।
डीईओ बेसिक ने बताया कि निरीक्षण कार्यक्रम के तहत उन्होंने मंगलवार को इंटर कालेज चिपलघाट, साकरसैण, चौरा, चाकीसैण, प्राथमिक विद्यालय चिपलघाट, गाड़, चाकीसैण स्कूलों में जाकर निरीक्षण किया। बेसिक स्कूल चाकीसैण में काफी अव्यवस्थाएं पाई गई।
इस विद्यालय में पांच कक्षाएं एक ही कक्ष में संचालित हो रही थी। उसी कक्ष में मध्याह्न भोजन योजना का सामान रखा हुआ था। विद्यालय में पढ़ रहे विद्यार्थी अपना नाम तक सही तरीके से नहीं लिख पाए। विद्यालय की स्थिति को देखते हुए उन्होंने यहां कार्यरत प्रधानाध्यापक के वेतन को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है। प्रधानाध्यापक को व्यवस्था सुधारने के लिए कुछ मानक दिए हैं। व्यवस्था में सुधार होने के बाद ही इनका वेतन आहरित किया जाएगा।

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