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Raje Singh Karakoti:

--- Quote from: Raje Singh Karakoti on December 03, 2016, 04:51:07 PM ---
उत्तराखंड के इस लाल ने अमेरिका में जीता 3.4 करोड़ का अवार्ड

उत्‍तराखंड के अल्‍मोड़ा के लाल डॉ. शैलेश उप्रेती ने अमेरिका में कमाल कर दिया। लांग-लास्टिंग बैटरी बनाने के लिए उनकी कंपनी ने 76वेस्ट अवार्ड और 5 लाख डॉलर जीता।देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड के लाल ने सात समंदर पार ना केवल उत्तराखंड का नाम रोशन किया, बल्कि भारत का सिर भी गर्व से ऊंचा कर दिया। हम बात कर रहे हैं 76वेस्ट एनर्जी प्रतियोगिता के विजेता वैज्ञानिक डॉ. शैलेश उप्रेती की। उन्होंने एक ऐसी बैटरी बनाई है, जो 20 से 22 घंटे का बैकअप देती है। उन्हें पुरस्कार के रूप में 3.4 करोड़ रुपये दिए हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में।

जन्म और प्रारंभिक शिक्षा
डॉ. शैलेश उप्रेती का जन्म 25 सितंबर 1978 को अल्मोड़ा जिले के तल्ला ज्लूया (मनान) में पिता रेवाधर उप्रेती और माता चंद्रकला उप्रेती के घर हुआ। शैलेश बचपन से ही होनहार थे। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा प्राइमरी स्कूल मनान से की। पिता रेवाधर ब्लॉक शिक्षा अधिकारी थे तो घर में पढ़ाई का महौल रहा। तीन भाई-बहनों में सबसे बड़े शैलेश ने वर्ष 1992 में जीआइसी बागेश्वर से हाईस्कूल किया। वर्ष 1994 में जीआइसी भगतोला (अल्मोड़ा) से इंटर की परीक्षा अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण की।[/font][/size]

PICS: इस भारतीय ने अमेरिका में जीते 3.4 करोड़

एमएससी में जीता गोल्ड मैडल
शैलेश ने वर्ष 1997 में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के अल्मोड़ा कैंपस से बीएससी की। इस दौरान उन्होंने सीडीएस की परीक्षा भी उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2000 में अल्मोड़ा कैंपस से ही रसायन विज्ञान से एमएससी की। उन्होंने एमएससी में गोल्ड मैडल जीता।


दिल्ली से अमेरिका का सफर
शैलेश के मन में कुछ करने का जज्बा पहले से ही था। एमएससी के बाद उन्होंने नेट परीक्षा में जेआरएफ पास किया। वर्ष 2001 में उनका चयन पीएचडी के लिए दिल्ली के आइआइटी में हुआ। यहां भी उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। वह बेस्ट स्टूडेंट ऑफ द ईयर भी रहे। पीएचडी के दौरान उनके कई रिसर्च पेपर भी पब्लिश हुए। वर्ष 2007 में उनका चयन अमेरिका के स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क में हुआ। पढ़ाई के दौरान वह एमटेक के क्लास भी लेते थे।
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अमेरिका में किया कमाल
शैलेश के छोटे भाई अशोक उप्रेती ने बताया कि दाज्यू (बड़ा भाई) ने 2013 में अमेरिका में बैटरी बनाने वाली चार्ज सीसीसीवी (सी4वी) बिंगमटन न्यूयार्क कंपनी की स्थापना की। उन्होंने 20 से 22 घंटे का बैकअप देने वाली लांग-लास्टिंग बैटरी बनाई। बता दें कि लिथियम ऑयन बैटरी के जीवनकाल को 20 साल के लिए बढ़ाता है, बल्कि उसकी भंडारण क्षमता और शक्ति में सुधार के साथ ही आग या शॉर्ट सर्किट की स्थिति में उसका तापमान कम कर देता है।
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5 लाख डॉलर (करीब 3.4 करोड़ रुपए) का पुरस्कार जीता
न्यूयॉर्क राज्य ऊर्जा अनुसंधान और विकास प्राधिकरण की ओर से न्यूयार्क की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सुधार के विकल्प पर कार्य करने के मिशन को बढ़ावा के लिए दुनियाभर की कंपनियों में प्रतिस्पर्धा कराई गई थी। जनवरी में शुरू हुई प्रतियोगिता 8 चरणों में हुई और 6 अक्तूबर को पुरस्कार की घोषणा हुई थी। 30 नवंबर को न्यूयॉर्क में लेफ्टिनेंट गवर्नर कैथलीन होचूल ने डॉ. शैलेश को यह पुरस्कार दिया। इस प्रतियोगिता में विश्व की 175 कंपनियों ने हिस्सा लिया था।

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संस्कृति से लगाव
डॉ शैलेश को अपनी संस्कृति से भी विशेष लगाव रहा है। डॉ शैलेश के छोटे भाई अशोक उप्रेती बताते हैं कि उन्हें गाने का शौक रहा है। उनके पहाड़ी गाने की दो कैसेट भी रिलीज हो चुकी है। इतना ही नहीं वह पहाड़ी वाद्य यंत्र भी बजाते हैं। हुड़का (पहाड़ी वाद्य यंत्र) बजाने में उन्हें महारथ हासिल है। शैलेश का विवाह बिंदिया उप्रेती से हुआ। उनकी डेढ़ साल की बेटी मायरा है।- See more at: http://www.jagran.com/uttarakhand/dehradun-city-uttarakhandborn-scientist-bags-usaward-for-developing-long-lasting-batteries-15142041.html?src=p2#sthash.XrTIrqjm.dpuf[/size][/font]

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Raje Singh Karakoti:

--- Quote from: Raje Singh Karakoti on December 03, 2016, 12:13:03 PM ---
उत्तराखंड के लाल का अमेरिका में कमाल, लांग-लास्टिंग बैटरी बना जीता 34 करोड़ का अवार्ड

अमेरिका में हुई 76वेस्ट एनर्जी प्रतियोगिता में अल्मोड़ा जिले के तल्ला ज्लूया (मनान) निवासी वैज्ञानिक-उद्यमी डॉ. शैलेश उप्रेती की कंपनी चार्ज सीसीसीवी (सी4वी) ने 5 लाख डॉलर (करीब 34.2 करोड़ रुपए) का पुरस्कार जीता है। बिंगमटन यूनिवर्सिटी में हुए अवार्ड समारोह में न्यूयॉर्क की लेफ्टिनेंट गवर्नर कैथलीन होचूल ने 9 महीने चली इस प्रतियोगिता को जीतने पर शैलेश को पुरस्कार दिया। इस प्रतियोगिता में विश्व की 175 कंपनियों ने हिस्सा लिया था। शैलेश की कंपनी चार्ज सीसीसीवी, न्यूयार्क को यह पुरस्कार 20 से 22 घंटे का बैकअप देने वाली बैटरी बनाने पर दिया गया है।

http://www.amarujala.com/photo-gallery/dehradun/uttarakhand-born-scientist-shailesh-upreti-won-5-lakh-dollar-award-in-america?pageId=2

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Raje Singh Karakoti:
लेफ्टिनेंट जनरल बिपिन रावत को भारत का अगला सेना प्रमुख और अनिल धस्माना को RAW की कमान सौंपी गई है। रावत और धस्माना, दोनों ही उत्तराखंड के हैं। इस समय इन दोनों के अलावा उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले कई अन्य लोग रक्षा और खुफिया विभाग में टॉप पदों पर नियुक्त हैं। रावत और धस्माना दोनों ही उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल इलाके से आते हैं।[/size]राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल भी पौड़ी गढ़वाल से हैं। तटरक्षक बल प्रमुख राजेंद्र सिंह भी देहरादून के नजदीक बसे चकराता गांव से ताल्लुक रखते हैं। उधर हाल ही में डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिटरी ऑपरेशन्स (DGMO) नियुक्त किए गए अनिल भट्ट भी उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के रहने वाले हैं। देश के इतने अहम पदों पर उत्तराखंड के लोगों की नियुक्ति पर गर्व जताते हुए प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ BJP नेता बी.सी. खंडूरी ने कहा, 'हमारे प्रदेश को देव भूमि कहा जाता है। अब यहां के इतने सारे लोग देश की सुरक्षा से जुड़े इतने वरिष्ठ पदों पर तैनात हैं। इससे उत्तराखंड देव भूमि के साथ-साथ वीर भूमि भी हो गई है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। साथ ही, इससे यह भी पता चलता है कि उनपर कितना भरोसा किया गया है।'

 खंडूरी ने आगे कहा, 'देश की सुरक्षा से जुड़े विभागों में एकसाथ इतने टॉप पदों पर उत्तराखंड के लोगों की नियुक्ति प्रदेश के लिए काफी अच्छी बात है। वे सभी काफी योग्य अधिकारी हैं और मैं उम्मीद करता हूं कि वे ऐसा काम करें जिससे कि देश और राज्य उनपर गर्व महसूस करे।' उत्तराखंड से ताल्लुक रखने वाले लोगों को इतनी अहम रक्षा व खुफिया जिम्मेदारियां सौंपने का चलन मोदी सरकार ने शुरू किया। प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में रिटायर्ड IPS अधिकारी अजीत डोभाल को अपना NSA नियुक्त किया। डोभाल इससे पहले खुफिया ब्यूरो (IB) के निदेशक रह चुके थे। पिछले एक साल में उत्तराखंड के कई लोगों को अहम पद सौंपे गए। इसी साल फरवरी में राजेंद्र सिंह को कोस्ट गार्ड का प्रमुख नियुक्त किया गया। राजेंद्र चकराता गांव के हैं और उनकी पढ़ाई मसूरी में हुई है। पौड़ी गढ़वाल के श्रीनगर स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई की है।


नवंबर में अनिल भट्ट को भारतीय सेना द्वारा की जाने वाली सभी गतिविधियों पर नजर रखने वाले DGMO का पद दिया गया। यह पद काफी अहम माना जाता है। सितंबर में भारत द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद इस पद की संवेदनशीलता और बढ़ गई है। भट्ट ने मसूरी के सेंट जॉर्ज कॉलेज से पढ़ाई की है। वह टिहरी गढ़वाल के रहने वाले हैं। अब लेफ्टिनेंट जनरल रावत और धस्माना को भी अहम पद सौंप दिए जाने के बाद रक्षा गलियारों में उत्तराखंड का महत्व और बढ़ गया है। नए सेना प्रमुख रावत जब 1970 के दशक में देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में प्रशिक्षण ले रहे थे, तब ब्रिगेडियर आरएस रावत (रिटायर्ड) वहां नियुक्त थे। वह बताते हैं कि उत्तराखंड के लोगों का एकसाथ इतने सारे पदों पर नियुक्त होना कोई संयोग नहीं है। ब्रिगेडियर रावत ने कहा, 'उत्तराखंड में सेना और रक्षा विभाग से जुड़ने की गौरवशाली परंपरा रही है। यहां लोगों में सेना और रक्षा एजेंसियों में शामिल होने की ईमानदार लगन है, ताकि वे देश की सेवा कर सकें। उनके स्वभाव और शारीरिक मजबूती भी उन्हें महत्वपूर्ण बनाती है। मुझे याद है कि सेना प्रमुख नियुक्त किए गए बिपिन रावत बेहद अनुशासित और मेहनती छात्र थे। ट्रेनिंग के दौरान दिखाए गए उनके गुणों के कारण मुझे भरोसा है कि वह महान सेना प्रमुख बनेंगे।'

Devbhoomi,Uttarakhand:
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