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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
  बाबा रामदेव ने प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में दिए सवालों के जबाव       Oct 12, 09:51 pm    बताएं              जागरण कार्यालय,बागेश्वर: योग गुरु बाबा रामदेव के शिविर में दूसरे दिन भी हजारों लोग शामिल हुए। इससे पूर्व प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में लोगों ने बाबा से सवाल पूछे, जिसमें सर्वाधिक सवाल बच्चों ने भ्रष्टाचार व काले धन को लेकर किए।
बुधवार की सुबह नुमाइश मैदान में बाबा रामदेव ने हजारों लोगों को योग के टिप्स दिए साथ ही आसनों की जानकारी दी। उन्होंने योग से होने वाले लाभ बताए। दूसरे दिन भी सैकड़ों की संख्या में लोग योग सीखने पहुंचे। प्रदेश के काबीना मंत्री बलवंत सिंह भौर्याल व विधायक चंदन राम दास ने भी योग के गुर सीखे। शिविर में बाबा के पहुंचने से पूर्व ही सैकड़ों लोग उपने स्थान पर पहुंच गए। प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में कई लोगों ने बीमारी से संबंधित सवाल पूछे जिस पर बाबा ने उपचार की जानकारी दी। इस बीच उन्होंने काले धन को वापस लाने व भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून बनाने तथा देश की आर्थिक आजादी के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने को कहा। कार्यक्रम में बच्चों ने सर्वाधिक सवाल भ्रष्टाचार व कालेधन को लेकर पूछे। बाबा ने बच्चों को मंच पर बुलाकर उन्हें उपहार प्रदान किए।
फोटो परिचय- बागेश्वर में प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम में बच्चे के सवाल का जबाव देते बाबा रामदेव।       जागरण


(Source (Dainik jagran)

   

Devbhoomi,Uttarakhand:
नाइजीरिया में फंसे दूनवासी परेशान
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नाइजीरिया में फंसे दून के मयंक नागर और भूपेंद्र सिंह रावत के परिजन खासे चिंतित हैं। कारण, रुपयों की तंगी के चलते अब मयंक और भूपेंद्र समेत अन्य लोगों को होटल छोड़ना पड़ सकता है। होटल में रह रहे दस लोगों को लगातार होटल से निकालने की धमकी दी जा रही है।

 तपोवन एनक्लेव निवासी केंद्रीय संस्थान के अधिकारी सूरत नागर का परिवार एक माह से परेशान है। उनका एकलौता बेटा मयंक साथियों के साथ नाइजीरिया में फंसा हुआ है। बताते चलें कि मयंक नोहा मरीन सर्विस कंपनी में काम करता है। जिस शिप में मयंक और उसके साथी थे वह शिप नाइजीरिया में ब्लास्ट हो गई थी।

शिप में 15 लोग सवार थे। इनमें से चार की मौत हो गई और एक लापता है। शेष दस लोगों को रेस्क्यू शिप ने बचा लिया था। इसके बाद ये करीब एक माह से होटल में रह रहे हैं। परिजनों से मयंक की बुधवार रात बात हुई।

उसने बताया कि होटल में प्रतिदिन का खर्चा दो सौ रुपये का है। रुपया ने होने के चलते उन्हें होटल से निकालने की धमकी दी जा रही है। परिजनों के मुताबिक इन सभी को कंपनी ने पिछले चार माह से वेतन नहीं दिया।

मयंक की मां बाला नागर बताती हैं कि वो 27 मई को घर आया था, तभी कंपनी का फोन आया और उसे एक दिन बाद ही जाना पड़ा। फोन पर इकलौते बेटे की घबराई आवाज सुनकर परिजन चिंतित हैं। मयंक के साथ ही वहां फंसे भानियावाला निवासी भूपेंद्र रावत के घरवाले परेशान हैं।


भूपेंद्र भी घर का इकलौता बेटा है। परिजनों का आरोप है कि कंपनी के अधिकारी मामले में दखल नहीं दे रहे, वो एक-दूसरे से बात करने को कहकर फोन काट देते हैं। उन्होंने नाइजीरिया में भारतीय उच्चायुक्त से भी संपर्क किया, लेकिन निराशा ही हाथ लगी। थक हार कर उन्होंने मुख्यमंत्री समेत अन्य नेताओं से मदद की गुहार लगाई है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8351964.html

Devbhoomi,Uttarakhand:
माणा जनजाति भूमि मामले में शासन ने रिमाइंडर भेजा
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बदरीनाथ के निकट माणा गांव में अनुसूचित जनजाति की भूमि सेना के माध्यम से हरिद्वार के एक ट्रस्ट को बेचने संबंधी मामले में शासन ने केंद्रीय रक्षा मंत्रालय और जिला प्रशासन को रिमाइंडर भेजा है।



चीन सीमा पर स्थित देश और उत्तराखंड के अंतिम गांव माणा (जिला चमोली) में सेना ने अनुसचित जनजाति के स्वामित्व वाली 26 नाली जमीन का सालों पहले अधिग्रहण कर लिया था। 2008 में यह भूमि सेना के लिए अनुपयुक्त बताते हुए सेना ने हरिद्वार के एक ट्रस्ट को बेच दी थी। इस मामले में प्रदेश सरकार ने रक्षा मंत्रालय भारत सरकार को पत्र भेजकर वस्तुस्थिति की जानकारी मांगी थी। साथ ही चमोली के जिलाधिकारी से भी भूमि के वर्तमान स्टेटस की जानकारी मांगी गई थी।



राजस्व विभाग के सूत्रों के अनुसार एक साल बाद भी न तो रक्षा मंत्रालय से कोई जवाब आया और न ही चमोली के जिलाधिकारी ने कोई जानकारी भेजी। अब शासन स्तर से रक्षा मंत्रालय भारत सरकार तथा चमोली के जिलाधिकारी को इस संबंध में रिमाईडर भेजा गया है। गौरतलब है कि सीमा पर स्थित भूमि को निजी ट्रस्ट को बेचने संबंधी इस गंभीर मामले में कहीं से भी गंभीरता नहीं दिखाई दे रही है।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8365134.html

Devbhoomi,Uttarakhand:
ग्रामीणों के सवालों पर सेना की चुप्पी
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भारत-तिब्बत सीमा पर देश के अंतिम गांव माणा में सेना के उच्च अधिकारियों द्वारा 2008 में गुपचुप तरीके से निजी ट्रस्ट को बेची गई 26 नाली भूमि वापस न मिलने से ग्रामीणों में भारी रोष है। ग्रामीणों का कहना है कि 1962 में युद्ध के बाद उन्होंने देश की सुरक्षा की खातिर यह भूमि सहर्ष सेना को दे दी थी। लेकिन यदि अब सेना को भूमि की जरूरत नहीं, तो उसे ग्रामीणों को वापस क्यों नहीं लौटाया जा रहा।


गौरतलब है कि 1962 में युद्ध के बाद रक्षा मंत्रालय ने माणा के ग्रामीणों की 26 नाली भूमि सैन्य प्रयोजन के लिए ली थी। अनुसूचित जनजाति के ग्रामीणों ने भी यह भूमि सहर्ष सेना को दे दी थी।

 मगर, वर्ष 2008 में सेना ने जमीन ग्लेशियर प्वाइंट पर होने का तर्क देते हुए हरिद्वार निवासी सचिन अग्रवाल को 1.21 लाख रुपये प्रति नाली की दर पर बेच दी। भूमि की रजिस्ट्री सेंट्रल कमांड की ओर से दी गई पावर आफ आटर्नी के आधार पर सेना के कर्नल नीरज चौधरी ने कराई थी।


माणा के ग्रामीण तब से सवाल उठा रहे हैं कि यदि सेना को यह जमीन बेचनी थी, तो उनसे जमीन ली ही क्यों गई। यदि देशहित में जमीन बेचना जरूरी था, तो सरकारी नियमों के अनुसार नीलामी क्यों नहीं कराई गई।

 फिर सीमा क्षेत्र में अनुसूचित जाति के लोगों की यह जमीन निजी ट्रस्ट को बेचने के पीछे सैन्य अधिकारियों की क्या मंशा थी। यदि सैन्य प्रयोजन के लिए यह जमीन नहीं चाहिए थी, तो गांव के पैतृक संपत्ति धारकों को क्यों वापस नहीं की गई।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8361842.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

Uttarakhand vidhan sabha two day session starts Oct 31                  Dehra Dun : In what is being seen in political circles here as a gimmick to send the message that his government is for zero tolerance towards corruption, chief minister Maj Gen (retd) B C Khanduri has decided to hold a two-day session of the Uttarakhand vidhan sabha from Oct 31, to pass a more meaningful and stringent Lokpal Bill.
The proposed new Lokpal Bill (the state already has a Lokayukta) will not only bring the chief minister also within the purview of the Lokpal, but will also empower the Lokayukta to recommend suitable or exemplary punishment in matters where corrupt acts or corruption by the guilty has been proved. The Bill is likly to be passed unanimously by the House.
Members of Team Anna met the Uttarakhand chief minister during the latter’s recent stay in Delhi where the issue of the Lokpal Bill to be passed by the Uttarakhand assembly was discussed at length. It was here that Khanduri agreed to include the recommendations and suggestions that Team Anna had to make in the Bill, which would also send a message to other states of the country.
Besides the chief minister, the gram pradhans of the various gram panchayats, vice chancellors, registrars and other officials of the state-run Universities and chairman, members anf other officials of the state services commission, will also come within the purview of the Lokpal.
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http://hillpost.in/2011/10/22/uttarakhand-vidhan-sabha-two-day-session-starts-oct-31/32924/latest-news/bhatt

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