Author Topic: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार  (Read 153188 times)

नवीन जोशी

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #60 on: March 19, 2012, 11:21:25 PM »
पहाड़ में अभी से सूखे जैसे हालात
दीप सिंह बोरा, अल्मोड़ा पहाड़ में रबी की फसल पर सूखे का खतरा मंडराने लगा है। वर्षा पर निर्भर खेतों से शीतकालीन बरसात क्या रूठी, कुमाऊं के पर्वतीय अंचल में परिपक्व होने से पूर्व ही गेहूं की 15 से 20 फीसद पैदावार नष्ट हो चुकी है। रबी के सीजन में फसल को 342 एमएम पानी की जरूरत होती है, पर अब तक 60 से 70 एमएम वर्षा ही हुई है। कृषि विशेषज्ञों की मानें तो पखवाड़े भर के भीतर 20 से 25 एमएम बारिश न हुई तो कुमाऊं के चारों पहाड़ी जिलों में रबी का उत्पादन करीब 40 फीसद गिर सकता है। लगातार बदतर होते हालात के चलते किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। कुमाऊं के मैदानी भूभाग में 99 फीसद कृषि भूमि सिंचित है। इसके उलट पहाड़ी जिलों में बमुश्किल 7 से 9 प्रतिशत क्षेत्रफल ही सिंचित है, शेष वर्षा आधारित खेती है। रही बात रकबे की तो पर्वतीय अंचल में छोटी जोत के किसान अधिक हैं। उस पर भी सिंचाई के अभाव में बड़ा हिस्सा बंजर हो चुका है। विषम भौगोलिक परिस्थितियों में जहां खेती हो भी रही है, संसाधनों के अभाव में रकबा धीरे-धीरे घट रहा है। अल्मोड़ा जनपद में 80 हजार हेक्टेयर खेती योग्य भूमि है। वर्ष 2009 में 51093.80 हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था। तब उत्पादकता 14 कुंतल प्रति हेक्टेयर रही। बीते वर्ष यानी 2011 में करीब 45000 हेक्टेयर में 13 कुंतल प्रति हेक्टेयर के हिसाब से उत्पादकता रही। तब पहाड़ में 117 एमएम वर्षा हुई और खेतों को पूरा पानी मिला था। मगर अब रबी का रकबा घटकर 43000 हेक्टेयर जा पहुंचा है। इस बाबत पूछे जाने पर विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ.जेसी भट्ट कहते हैं, समय से बोए जाने वाली गेहूं की फसल को 342 एमएम व जल्दी बोई जाने वाली फसल को 560 एमएम पानी की जरूरत होती है। इसके उलट रबी सीजन में नवंबर, दिसंबर, फरवरी और मार्च में 60 से 70 फीसद वर्षा कम हुई। नवंबर, 2011 से इस साल मार्च मध्य तक 60 से 70 एमएम ही पानी बरसा जो मात्र 20 से 30 प्रतिशत है।

नवीन जोशी

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #61 on: March 19, 2012, 11:24:18 PM »
क्षेत्रीय ताकतों के आगे फीकी पड़ी राष्ट्रीय राजनीति
क्षेत्रीय ताकतों के विरोध के चलते भाजपा व कांग्रेस ने मौके की नजाकत को देखते हुए राज्यसभा के लिए बाहरी प्रत्याशियों से किया परहेज
स्थानीय प्रत्याशी को ही समर्थन देने की घोषणा की थी निर्दलीयों व उक्रांद ने

जितेंद्र नेगी/एसएनबी, देहरादून। ‘कौन कहता है कि आसमां में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों।’ दुष्यंत कुमार की यह पंक्तियां प्रदेश के वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य पर सटीक बैठ रही हैं। यही वजह है कि क्षेत्रीय ताकतों के आगे राष्ट्रीय दलों की राजनीति भी अब फीकी दिखायी दे रही है। इसे राष्ट्रीय दलों की सियासी मजबूरी कहें या क्षेत्रीय ताकतों की एकजुटता, ‘परम्परा’ के विपरीत राष्ट्रीय दलों को इस बार स्थानीय नेता को ही राज्यसभा का प्रत्याशी घोषित करना पड़ा। उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य कांग्रेस के सत्यव्रत चतुव्रेदी का कार्यकाल दो अप्रैल को समाप्त होने जा रहा है। इसके मद्देनजर रिक्त हो रही इस सीट के लिए निर्वाचन प्रक्रिया शुरू हो गई है। सोमवार को नामांकन का अंतिम दिन था। कुल तीन प्रत्याशियों ने नामांकन किया। इनमें सत्ताधारी दल कांग्रेस ने पूर्व मंत्री महेंद्रंिसंह माहरा को प्रत्याशी बनाया जबकि भाजपा ने संगठन में दायित्व संभाल रहे नरेश बंसल व अनिल गोयल का नामांकन कराया है। इनमें से एक अपना नाम वापस लेगा। कुल मिलाकर देखा जाए तो पहली बार राज्यसभा की सीट के लिए स्थानीय नेताओं के बीच मुकाबला होने जा रहा है। परम्परा के अनुसार राज्यसभा में अमूमन राष्ट्रीय पार्टियों की ओर से अपने केंद्रीय नेताओं को एडजस्ट करने के लिए भेजा जाता रहा है। पूर्व में भी भाजपा व कांग्रेस की ओर से प्रदेश से बाहर के नेताओं को उत्तराखंड से राज्यसभा भेजा जाता रहा। भाजपा की ओर से अब तक संघप्रिय गौतम, सुषमा स्वराज व कांग्रेस की अेार से सत्यव्रत चतुव्रेदी, सतीश शर्मा ऐसे नेता रहे है जो कि प्रदेश के बाहर के होते हुए यहां से राज्यसभा पहुंचे। इन नेताओं को प्रत्याशी बनाए जाने का हमेशा विरोध किया गया। पिछली बार जब कांग्रेस की ओर से सतीश शर्मा व सत्यव्रत चतुव्रेदी को राज्यसभा प्रत्याशी बनाया जा रहा था, उस समय पार्टी के अंदर व स्थानीय स्तर पर इन नेताओं को कड़ा विरोध झेलना पड़ा था। विरोध के तेवर देखते हुए इन नेताओं की ओर से पत्रकार वार्ता कर प्रदेश की समस्याओं को सदन में उठाने व जनता से लगातार संवाद स्थापित करने का वादा किया गया। हालांकि इन वादों का वही हश्र हुआ जो अमूमन नेताओं की घोषणाओं का होता है। इन दोनों नेताओं ने राज्यसभा में निर्वाचित होने के बाद पलट कर नहीं देखा। उसके बाद भाजपा की ओर से भगत सिंह कोश्यारी और उसके बाद तरुण विजय को राज्यसभा भेजा गया। ये दोनों नेता उत्तराखंड के ही हैं। इसके पीछे स्थानीय मुद्दा कम व भाजपा की अंदरूनी राजनीति ज्यादा थी, जिसके चलते पार्टी हाईकमान को यह फैसला लेना पड़ा। हालांकि यह भी सच है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों ही दलों की प्रदेश इकाइयों की ओर से दबी जुबां से बाहरी प्रत्याशी का विरोध किया जाता रहा है, लेकिन हाईकमान के आगे ये विरोध का जज्बा नहीं जुटा पाए। इसके विपरीत क्षेत्रीय ताकतों ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय दलों के विपरीत खूब भुनाया। विधानसभा में एक मात्र क्षेत्रीय दल उक्रांद(पी) का एक सदस्य होने के बावजूद उसकी ओर से इस आवाज को बुलंद किया गया। वर्तमान राजनीतिक परिदृ्श्य में उसके एक सदस्य की ताकत को काफी आंका जा रहा है। इसके साथ ही तीन निर्दलीयों के साथ मिलकर उक्रांद (पी) ने गठजोड़ कर पीडीएफ का गठन कर क्षेत्रीय ताकत को और मजबूती प्रदान कर दी है। ऐन राज्यसभा चुनाव से पूर्व इस गठजोड़ की ओर से बाहरी प्रत्याशी को समर्थन न देने की धमकी ने दोनों राष्ट्रीय दलों भाजपा व कांग्रेस को स्थानीय प्रत्याशी के विषय में सोचने पर मजबूर कर दिया, जबकि दोनों दलों की ओर से पूर्व में केंद्रीय नेताओं को प्रोजेक्ट किया जा रहा था। कांग्रेस की ओर से जहां सुरेश पचौरी का नाम लिया जा रहा था, वहीं भाजपा की ओर से निर्मला सीतारमन को मैदान में उतारा जा रहा था। इस संबंध में पीडीएफ के मंत्री प्रसाद नैथानी ने कहा कि राज्यसभा के लिए ऐसी कोई प्रतिबद्धता नहीं होती कि राज्य के अंदर से ही प्रत्याशी होना चाहिए, लेकिन स्थानीय प्रत्याशी होने से वह क्षेत्रीय समस्याओं को राज्यसभा में आसानी से रख सकता है। इसको देखते हुए ही हमने यह मांग उठायी थी कि स्थानीय प्रत्याशी को ही समर्थन देंगे। इसको देखते हुए ही कांग्रेस ने महेंद्र सिंह महरा को प्रत्याशी बनाया गया। उक्रांद (पी) के केंद्रीय अध्यक्ष त्रिवेंद्र पंवार ने कहा कि पहली बार दोनों राष्ट्रीय दलों ने राज्यसभा के लिए स्थानीय प्रत्याशी घोषित किये। उन्होंने कहा कि यह उक्रांद की जीत है। सबसे पहले उक्रांद ने ही इस मुद्दे को उठाया था।[/size][/color]

नवीन जोशी

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #62 on: March 22, 2012, 11:41:23 PM »

नवीन जोशी

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #63 on: March 22, 2012, 11:43:19 PM »
 भूस्खलन से पहले मिल जाएगी जानकारी

नवीन जोशी

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #64 on: March 26, 2012, 11:17:10 PM »
हिमालयी मौसम पूर्वानुमान तंत्र‘ स्थापित होगा
ऑटोमेटिक वैदर स्टेशन और डॉप्लर वैदर रडार आदि का एक नेटवर्क स्थापित होगा भारतीय मौसम विभाग का उत्तराखंड के गोविंद बल्लभ पंत कृषि विविद्यालय से भी समझौता

देहरादून (एसएनबी)। केंद्र सरकार जल्द ही हिमालयी प्रदेशों के लिए मौसम पूर्वानुमान तंत्र यानी ‘हिमालयन वैदर फोरकास्ट सिस्टम’ स्थापित करेगी। इस तंत्र के तहत मौसम से जुड़े विभिन्न उपकरणों, ऑटोमेटिक वैदर स्टेशन और डॉप्लर वैदर रडार आदि का एक नेटवर्क स्थापित किया जाएगा। इस नेटवर्क के जरिए केवल हिमालयी क्षेत्रों के लिए मौसम की भविष्यवाणी की जाएगी। उम्मीद है कि पूर्वानुमान तंत्र की स्थापना से उत्तराखंड समेत सभी हिमालयी राज्यों को लाभ होगा। इसके जरिए दैवीय आपदाओं की पहले ही चेतावनी दी जा सकेगी और पर्वतीय किसान भी खेती में मौसम पूर्वानुमान का भरपूर लाभ उठा सकेंगे। दरअसल, आगामी कुछ वर्षो में सरकार का इरादा पर्वतीय क्षेत्रों के लिए क्लाइमेट मॉडल भी विकसित करना है ताकि मानसून की भविष्यवाणी और बेहतर हो सके और हिमालयी क्षेत्रों में बादल फटने, भारी बारिश आदि की समय पर भविष्यवाणीकी जा सके। इस योजना के तहत सबसे पहले जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर और हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में दो डॉप्लर राडार स्थापित किए जाएंगे। नेटवर्क की स्थापना के लिए पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाले भारतीय मौसम विभाग ने हाल में ही चंडीगढ़ स्थित रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के स्नो एंड एवलांच स्टडीज इस्टैबलिशमैंट के अलावा जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड के गोविंद बल्लभ पंत कृषि विविद्यालय जैसे पांच कृषि विविद्यालयों से समझौता किया है। जिसका उपयोग कृषि संबंधी मौसम पूर्वानुमान व सलाह के लिए होगा। इस नेटवर्क को गति देने के लिए सरकार एटमोस्फेयरिक टेक्नोलॉजी इंस्टीटय़ूट भी स्थापित करेगी। जिसमें भविष्यवाणी तंत्र के लिए आधुनिक उपकरणों का अनुसंधान व विकास किया जाएगा। यह संस्थान चेन्नई के नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ ओशियन टेक्नोलॉजी के परिसर में स्थापित किया जाएगा। जिसे बाद में कहीं और स्थापित किया जाएगा। केंद्र सरकार इन दोनों परियोजनाओं के लिए 2012-13 के बजट में 206 करोड़ रुपये का आवंटन भी कर चुकी है। डॉप्लर राडार के लिए सरकार की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल)के बात चल रही है। अगर बीईएल राडार उपलब्ध नहीं करवा पाया तो मंत्रालय उन्हें विदेशों से आयात भी कर सकता है। सूत्रों की मानें तो अगले दो-तीन हफ्ते में इस परियोजनाओं की डीपीआर तैयार हो जाएगी। सरकार का मानना है कि मानसून में हिंमालय की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है इसलिए हिमालय के मौसम को समझकर मानसून की बेहतर भविष्यवाणी की जा सकेगी। मानसून देश की अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करताहै। चक्रवात चेतावनी तंत्र के लिए डॉप्लर राडार के अलावा सरकार पर्वतीय इलाकों के लिए एक्स बैंड व सी बैंड राडार भी खरीदेगी क्योंकि एस बैंड रडार हिमालय में काम नहीं कर सकेंगे।[/size]

C.S.Mehta

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #65 on: March 27, 2012, 12:29:20 PM »
आउट आफ टर्न के नाम पर हो रही पदोन्नतियों पर रोष

बागेश्वर, जागरण कार्यालय: उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ की यहां सम्पन्न बैठक में शिक्षकों ने आउट आफ टर्न के नाम पर की जा रही पदोन्नतियों पर नाराजगी व्यक्त की। कहा कि इससे वरिष्ठ शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं तथा उन्हें पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कहा कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने आचार संहिता से पूर्व आनन-फानन में पदोन्नतियां देकर नियमों का उल्लंघन किया है।
ब्लाक अध्यक्ष विक्रम सिंह पिल्खवाल की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में वक्ताओं ने कहा कि आचार संहिता से पूर्व ही नियम के विपरीत पदोन्नतियां की गई जिसकी जांच की जानी चाहिए। बैठक में शिक्षकों ने तय किया कि नए शैक्षिक सत्र से सभी अध्यापक अपने कर्तव्यों का कुशलता से निर्वहन करेंगे व शत प्रतिशत नामांकन के लिए कार्रवाई करेंगे। बैठक में संगठन द्वारा चलाए जा रहे संजीवनी कार्यक्रम, नि:शुल्क पाठ्यक्रम, गणवेश, कम्प्यूटर शिक्षक, अंग्रेजी शिक्षा, मध्याह्न भोजन, नवाचारी कार्यक्रम आदि पर चर्चा की गई व पूर्ण सफलता के लिए हरसंभव प्रयास करने को कहा। शिक्षकों ने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर द्वारा सरकारी शिक्षा के प्रति दिए गए बयानी की भी निंदा की गई। बैठक में रमा पाठक, गीता धपोला, पार्वती दफौटी, पुष्पा टम्टा, अतुल लोहनी, सुरेंद्र रौतेला, राजेंद्र राठौर, मनोज जोशी आदि उपस्थित थे। संचालन कैलाश चंद्र जोशी ने किया।

नवीन जोशी

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #66 on: March 30, 2012, 01:03:39 AM »
अस्कोट में बढ़ा सोने-चांदी का भंडार

अरविंद शेखर/एसएनबी देहरादून। अस्कोट की सोने-चांदी की खान का धातु भंडार आठ गुना से ज्यादा बढ़ गया है। दरअसल पिथौरागढ़ के अस्कोट में धातु खनन करने वाली कनाडा की खनन कंपनी पेबल क्रीक माइनिंग लिमिटेड द्वारा कराई गई नई ड्रिलिंग से यह अनुमान सामने आया है। पहले के वैज्ञानिक अनुमानों में अस्कोट में 1 लाख 49 हजार टन धातु भंडार मिलने का अनुमान लगाया गया था। वहीं नए अनुमान के मुताबिकत अस्कोट से 12 लाख टन सोना, चांदी, सीसा, जस्ता आदि धातु प्राप्त होगी। इस क्षेत्र में पारंपरिक रूप से पहले भी सोना, चांदी और तांबा आदि धातुओं को निकाला जाता रहा है, लेकिन उस पर अस्कोट के पाल राजवंश का ही स्वामित्व रहा है। बता दें कि देश में 1993 से पहले विदेशी और निजी कंपनियों के अलौह धातुओं के खनन पर रोक रही है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जहां किसी विदेशी कंपनी को अलौह अयस्कों के खनन की इजाजत दी गई है। अस्कोट में पेबल क्रीक की सब्सिडियरी कंपनी आदि गोल्ड माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड सोना, चांदी,तांबा, जिंक (जस्ता)और सीसा(लेड) के खनन का काम करना है। भारतीय खान ब्यूरो के अधिकारियों का कहना है कि अस्कोट खदान में चार नई दिशाओं व जगहों पर की गई हालिया ड्रिलिंग से खनिज धातुओं के भंडार के अनुमान में वृद्धि हुई है। पुराने अनुमान के मुताबिक अस्कोट में सोना व चांदी के साथ-साथ तरह-तरह धात्विक अयस्कों मसलन स्फैलेराइट (जिंक), चाल्कोपायराइट (तांबा), गेलेना (सीसा) आदि का 19 लाख टन से बड़ा भंडार है।

नवीन जोशी

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #67 on: April 02, 2012, 01:16:23 AM »
चिंताजनक....
धधकने लगे जंगल , उठाने लगी लपटें..गरमी आते ही भड़की दावाग्नि


नवीन जोशी

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Re: Uttarakhand News - उत्तराखंड समाचार
« Reply #68 on: April 04, 2012, 11:34:41 AM »
शिक्षा विभाग में ठोकर पर नौकरी, ठेंगे पर प्रमोशन

Hisalu

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आज से शुरू होगा थल मेला
« Reply #69 on: April 11, 2012, 10:31:44 PM »
थल के शिव मंदिर में की गई भव्य सजावट आज से शुरू होगा थल मेला अमर उजाला ब्यूरोथल (पिथौरागढ़)। बृहस्पतिवार से शुरू हो रहे थल मेले के लिए ऐतिहासिक शिव मंदिर की सजावट कर दी गई है। मेले का उद्घाटन 12 अप्रैल को अपराह्न तीन बजे जिला पंचायत अध्यक्ष सुनीता देवी करेंगी। मेला कमेटी ने इस बार व्यापक स्तर पर तैयारी की है। रात में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। 13 अप्रैल को मुख्य मेला होगा। उस दिन विधायक विशन सिंह चुफाल मुख्य अतिथि होंगे। जबकि 14 अप्रैल को समापन अवसर पर गंगोलीहाट के विधायक नारायण राम आर्य को मुख्य अतिथि बनाया जाएगा।मेला कमेटी के अध्यक्ष शमशेर सत्याल और संयोजक जगजीवन राम ने बताया कि कल दोपहर 12 बजे से स्थानीय स्कूलों के बच्चे और महिलाएं कलश यात्रा निकालेंगी। उनके साथ कौली, बरड़ और बलतिर के छलिया दल भी रहेंगे। 13 अप्रैल को तड़के तीन बजे से स्नान शुरू हो जाएगा। पूरे दिन शिव मंदिर में पूजा-अर्चना का कार्यक्रम जारी रहेगा। 14 अप्रैल को दिन में खेल तथा अन्य प्रतियोगिताएं होंगी। शाम को समापन विधायक नारायण राम आर्य करेंगे। मेला कमेटी ने शिव मंदिर को रोशनी से जगमग कर दिया है। मंदिर परिसर तथा घाटों की सफाई की गई है।

 

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