जौलीजीवी मेले पर आशंकाओं के बादल
पिथौरागढ़, जाका। भारत-नेपाल की साझी संस्कृति का प्रतीक जौलजीवी मेला शुरू होने में अब मात्र एक माह का समय बचा हुआ है। दोनों देशों को जोड़ने वाले झूले पूल का अभी तक पुनर्निर्माण न होने से मेले की सफलता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। क्षेत्र की महिलाओं ने जिलाधिकारी से पुल का अविलंब निर्माण कराए जाने की मांग की है।
गोरी और काली नदी के संगम पर बसे जौलजीवी में हर वर्ष 15 नवंबर से व्यापारिक मेला शुरू होता है। करीब दस दिन चलने वाले इस मेले में भारत के साथ ही नेपाली जनता भी भागीदारी करती है। अतीत में इस व्यापारिक मेले में तिब्बत के व्यापारी भी पहुंचते थे। मेला शुरू होने में अब मात्र एक माह का समय बचा हुआ है, लेकिन इस बार भारत नेपाल को जोड़ने वाले झूला पुल के आपदा में बह जाने से मेले की सफलता पर सवाल उठने लगे हैं। क्षेत्र में यही एक मात्र झूला पुल है, जिससे भारत और नेपाल के बीच आवागमन होता है। पुल नहीं होने से दोनों देशों के लोग आवागमन नहीं कर पा रहे हैं। क्षेत्र की सामाजिक कार्यकत्री लीला बंग्याल ने कहा है जौलजीवी मेला जहां दोनों देशों को आपस में जोड़ता है, वहीं इस मेले से कई परिवारों की आजीविका भी चलती है। उन्होंने कहा कि पुल नहीं बना तो मेला फीका रहेगा। उन्होंने इस संबंध में जिलाधिकारी को पत्र भेजा है, जिसमें पुल का अविलंब निर्माण कराए जाने की मांग की है। इधर जिला प्रशासन का कहना है कि इस पुल का निर्माण नेपाल सरकार को करना है। पिछले दिनों पिथौरागढ़ में हुई दोनों देशों के प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में इस मसले पर चर्चा हुई थी। नेपाली अधिकारियों ने पुल के शीघ्र निर्माण का आश्वासन दिया था।