Author Topic: BAGESHWAR  (Read 11379 times)

D.S.Mehta

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BAGESHWAR
« on: October 25, 2011, 10:56:34 AM »
श्री 108 मूलनारायण देवता की जय हो[/b]


बागेश्वर

इस प्रगने की सरहद इस प्रकार है
         पूर्व में सरयू पश्चिम में बारामंडल दक्षिण मंे दानपुर तथा डत्तर में गंढवाल व पाली पछाउ है।

पहाड़ पहाड़ इसम जगथाण का धुरा तथा गोपालकोट है।
नदियॉ गोमती व गरूड़गंगा। यहॉ पर कुछ जगह देश की तरह मैदान है। वहॉ गरमी व बरसात में ताप ज्वरों ;डंसंतपंद्ध  की बीमारी फैलती है। किले यहॉ गोपालकोट तथा रणचुला है। गोपलकोट 6050 कत्यूरी राजाओं का खजाना रहता था । चंदोला के समय यहा फोज रहती थी। अब तो गोपालकोट नाम मात्र किला है। इस समय वहा पहाड ही पहाड है। रणचूला अभी तक विधमान है। यह बडी सुन्दर जगह पर है। यहा से मल्ला व बिचला कत्यूर का तथा र्सप की तरह घूमनेवाली गोमती नदी का दृश्य  बडा ही मनोर दिखई देता है। यह रणचूला किला नगर के उपर है। सूर्यवंशी कत्यूरी राजाओं की राजधानी यहॉ थी। नाम उस नगर का कार्तिकेयपुर  उर्फ करबीरपुर था जो बिगडते कत्यूर हो गया। टूटे हुए मकान व देव मंदिर  यहा बहुत है।  राजा की आम कचहरी का दृश्य टूटा फूटा है। अब इस शहर को तैलीहाट तथा सेलीहाट कहते है। इन दो हाटो के बीच में गोंमती नदी बहती है। मंदिरों की कारीगरी देखने योग्य है और देवताऔ   की मूर्ती भी देखनें एक से एक  साफसुथरी है। इसी सहर के सामने दक्षिण की तरफ को एक तालाब भी बना था। जो इन दिनो मिटी से दब गया है प्राचीन नगर के पुर्व की तरफ गोमती के किनारे बैजनाथ नामक शिव  मंदिर है। इसके आगे एक बडा कुंड़ है।  जिसमें हरिद्वार के ब्रहमकंुड़ की तरह मछ़लीयॉ देखने में आती है कहतें है कि पुराने जवाने में जहॉ पर अब कत्यूरी लोग खेंती करते है खर मील से कुछ ज्यादा  लंम्बा चौड़ा तालाब था। वह तालाब टूट गया । तब से वहा खेती तथा आबादी हुई।  अब भी गोर से देखने में आता है कि नीचे की ओंर दो बडे बडे पाषण दोनो ओर खडे है इनही के बीच के पत्थरों को तोडकर संभव है। तालाब निकल पड़ा हो। इस तालाब के भीतर की  जमीन गरम है। यहॉ भी पहले कहते है कि लोंगों को देश निकाले की सजा दी जाती थी । जो यहा आकर बसा वह राजा का आसामी कहा जाता था। उसे फीर ओर कोई और सजा नही होती थी। इन्ही लोगो से शुरू में यहॉ की  जमीन आबाद करइ्र गई थी। र्इ्रस प्रगने में तीन पटियॉ है जो अब मल्ला तल्ला व बिचला कत्यूर के नाम से पुकरी  जाती है। बागेश्वर का प्रचीन शिंव मंदिर तल्ला कत्यूर में सरयू तथा गोमती के किनारे है। इसे कत्यूरी राजाओं ने बनाया था। पूराने  लोग तो कहते है बागेश्वर स्वयंभू देवता है स्वयं प्रकट हुए किसी के स्थापित किये नही है। इस मंदिर के दरवाजे में एक पत्थर रक्खा है जिसमें 8 पुश्त तक कत्यूरी राजाओं  की बंरूावली खुदी है  इस मंदिर में जो जमीन चढाई गई है उसकी वह सनद है। इसका सविस्तर वर्णन अन्यत्र किया गया है। कार्तिक पूर्णिमा गंगा दशहरा व शिवरात्रि को छोटा मेंला तथा उत्तयणी को बढा मेंला लगता है। यहा पर चछा बाजार है। ड़ाकबॅगला है।स्नातोकर विध्यालय  भी है।उत्तरायणी को चारा ओर के लोग आते है। पहले के लोग चुड़ियॉ तिबती माल या खंपे जोहरी शौक दरम्याल गंढवाली दनपुरीये कुमयें देशी सौदागर सब आते थे यहा पर ऊनी माल कम्बल चुकटें दन पंखियॉ पशमीने चॅवर कस्तूरी शिलाजीत गजगह निरवीसी नमक सुहाग कपडा जंबू गंद्रायनी मेवे पान सुपारी आदि की तिजारत होती थी। प्रयः सब सामान हमेशा मिलता है। गरमी में लोग कम आते थे। इधर उधर चले जाते थे। यहॉ से 30 कि0 मी0 दूर  जारती में मूलनारायण जी का मंदिर जूनायल नन्दा देवी का मंदिर  तिलाडी गुरू गुसाई देवता  रीमा पचार धरमघर  नौ मील पर काड़ा उत्तम स्थान है। यहॉ पहले मिडिल स्कूल था । बागेशवर धार्मिक ही नही बल्कि राष्ट्रीय तथा स्वराज्य आन्दोंलन का भी केन्द्र सन 1929 से रहा है। सन 1921 में ब्राहमण क्लब चामी के बुलाने से राष्ट्रीय नेता श्री हरगोबिन्द पंत लाला रिचंजीलाल तथा राष्ट्रीय सेवक श्री बदरीदत्त पांडे प्रभृति संजन बागेशवर पहुचे। वहा एक लाल टूल में ये शब्द लिखे थे  कली उतार बंद करो । राष्ट्रीय नेताओ ने नगर कीर्तन किया। जोगों को बाते समझाई कुमॉऊॅ के प्रायः सब लोगों को नौकरशाही सरकाने कुली बना रखा था। वे मनमाने दामों पर बोझ ले जाने पर बाध्य थे।  मना करने पर दंडित होते थे। सरकारी कर्मचारी उन्हें तंग करते थे। 29 अॅगरेज अफसर भी थे  जिनके नेता डिप्ट कमिशनर वहॉ थे। कुछ पुलिस भी थी।  नेताओं को सरकार गिरफतार करना चाहती थी कहते है गोली चलाने की भी बात थी पर फौजी अफसरो ने लोंगों के ऐक्य तथा साहस को देखकर तथा अपने पास गोली बारूद कम देख जिलाधीश को एसा करने से मना किया।  जिलाधीश ने नेताओ को गिरफतार करने की धमकी दी पर नेता दृढ रहे ओर अटल रहे।दानपुर मल्ला और तल्ला व बिचला दुग कत्यूर  मल्ला और तल्ला व बिच्ला नाकुरी।
                                                           
                                                         
 
दलीप सिंह मेंहता
 जारती सीता बड़ी
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