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Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
Blogs or चिट्ठाजगत jo aaj kal khoob pracharit prasarit ho rahe hain internet pai.

MeraPahad main hum aapko unhi main se Uttarakhand related blogs ke link denge.

Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
http://devbhumiuk.blogspot.com

By Sandeep Kala:

सन्दीप काला
    उत्तराखण्ड, भारत ।
    मैं सन्दीप काला आप सभी का अपने ब्लोग मे स्वागत करता हूँ । मैं इस ब्लोग के माध्यम से उत्तराखण्ड की संस्कृति, संगीत व सौन्दर्य से आप लोगो को अवगत कराने का प्रयास कर रहा हूँ । इस प्रयास मे अगर किसी के व्यक्तिगत भावो को ठेस पहुँचे तो मै क्षमा का प्रार्थी हूँ । धन्यवाद ।

Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
http://nainitaali.blogspot.com

नैनीताल हमारी यादो मे

ये शहर नैनीताल की सांझी यादो को बाटने का प्रयास है, नैनीताल से जुडे सभी लोगों का इसमे स्वागत है.......

Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
http://dnbarola.blogspot.com/

By: Shri D.N. Barola.

चजई कुमाउनीगढ़वाली राजभाषा कैसे बने?

कुछ जागरूक नागारिकोँ ने कुमाउनी तथा गढ़वाली को उत्तराखंड की राजभाषा के रुप मैं प्रतिस्थापित करने की मांग की. कभी कभार इस विषय मैं बहस चलती रहती है,परन्तु सच तो यह है कि कुमाउनी तथा गढ़वाली भाषा है ही नहीं. yah bolee की श्रेणी मैं आती हैं. Or bolee हर पांच सात किलोमीटर मैं बदल जाती हैं हालांकि मोटे तौर पर उसका स्वरूप वही रहता है. भाषा का दर्जा प्राप्त करने कि लिए लिपि का होना आवश्यक है. इस समय यह देवनागरी मैं लिखी जाती है. कुमाउनी अति सम्रद्ध हैं. इसका साहित्य परिपूर्ण है. अब तो कुमाउनी तथा गढ़वाली मैं CD कैसेट व फिल्मोंभरमार है. दोनों अति भावपूर्ण बोलियाँ हैं, इनका भावार्थ समझने के लिए बहुत कुछ समझना व समझाना होगा. जैसे कोई बुजुर्ग किसी चंचल बाला को भावातिरेक हो, प्यार स्वरूप उलाहना देते हुई खर्युनी कहता है और वह लाडली अल्हर बालिका मंद मुस्कान लिए मुदित मन से इठलाती हुई चपल चितवन से निहारते हुई खेतों की और सरपट भाग जाती है. दुर्गन्ध को ही लें. कपरे जलने की दुर्गन्ध को हन्त्रीं, मिट्टी से आती गंध को मतें कहते है. इसी प्रकार गुवैन, किह्नाएँ, कुकैं, सनाएँ, भैसें आदि कहा जाता है. अन्य भाषाओँ मैं इतने विभिन्न प्रकार के शब्द नहीं पाए जाते. अंग्रेजी मैं जो लिखा जाता है वैसा पढ़ नहिउन जाता. जैसे बी उ टी बुत है तो पी उ टी पुट होता है.

Anubhav / अनुभव उपाध्याय:
http://kandpalsubhash.blogspot.com/

आपका अपना बंधु

सुभाष कान्डपाल
    रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड, India
    उत्तराखंड की प्राकृतिक सुन्दरता, भाषा बोली, रीति रिवाज और सांस्कृतिक छवि को आप लोगों के सामने लाने का प्रयास.इस ब्लॉग मे मेरे कुछ लेख मोलिक है और कुछ संकलित किए हुए हैं. यदि किसी भी पाठक को कभी ये महसूस हो की ये मेरी मोलिक कृति नही है, उसके लिए छमा चाहूँगा.

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