जोशीमठ। प्रसिद्ध नंदाष्टमी त्योहार के लिए बुग्यालों में ब्रह्मकमल पुष्प नने उच्च हिमालयी क्षेत्र जाएंगी छंतोलियां
फूल चुनकर अपने गांव के मिलेंगे भी या नहीं इसे लेकर संशय तो बना है, लेकिन सीमांत प्रखंड जोशीमठ में पारंपरिक नंदाष्टमी पर्व मनाने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। १३ सिंतबर को पिछले दो महीनों से लगातार हो रही वर्षा के चलते उच्च हिमालयी बुग्यालों मे इस बार ब्रह्मकमल पुष्प मिल सकेंगे या नहीं इसे लेकर ग्रामीणों मे संशय बना हुआ है। बावजूद इसके मां नंदा के प्रति आस्था के चलते इस वर्ष भी विभिन्न गांवाें से नंदा जात की छंतोलियां उच्चहिमालयी बुग्यालों की ओर रुख करेंगी और अपने-अपने नंदा मंदिरों के लिए ब्रह्मकमल लेकर लौंटेगी ऐसा नंदा भक्तों का विश्वास है।
सीमांत प्रखंड जोशीमठ मे उर्गम घाटी के साथ ही नीती-माणा घाटियों जोशीमठ नगर, भ्यूंडार वैली और सलूड-डुंग्रा में नंदाष्टमी पर्व बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है। १३ सितबंर से शुरू होने वाले इस पर्व पर विभिन्न गांवों की ब्रह्मकमल फूल लेने वाले फुलारी उच्च हिमालयी बुग्याल को नंगे पावं जाते हैं और दूसरे दिन ब्रह्म कमल से लदी छंतोली लेकर वापस अपने-अपने गांवाें के नंदा मंदिरों मे पहुंचते हैं। फुलारी को विदा करते और वापसी के वक्त जागर गीत गाया जाता है, जबकि दो दिनों तक नंदा भगवती के गीतों के साथ दांकुडी लगाकर त्योहार को मनाया जाता है।
जोशीमठ प्रखंड के प्रसिद्ध फ्यूंला नारायण मंदिर में तो नंदा मेले की रौनक ही कुछ और होती है। यहां उर्गम घाटी के कई अन्य गांवों की छंतोली भी पंहुचती हैं। भर्की गांव के ठीक ऊपर स्थित इस मंदिर मे श्रावण संक्राति से ही पूजा अर्चना की शुरू हो जाती है और नंदाष्टमी पर समापन इसका समापन होता है।
भर्की के पूर्व प्रधान दुलप सिंह रावत का कहना है कि नंदाष्टमी की तैयारियां तो पूरे जोराें पर हैं, लेकिन लगातार बारिश से ब्रह्म कमल पुष्प सही हालात में मिलेंगे भी या नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता।
(Source - Amar Ujala).