ब्रह्म कमल इस पुष्प के चारों ओर कुच्छ पारदर्शी ब्लैडर के समान पत्तियों की रचना होती है,जिनको स्पर्श कर लेने मात्र से जिसकी सुगंध कई घंटों तक अनुभब की जा सकती है !ब्रह्म कमल फूल की जड़ों मैं ओसधीय गुण होते हैं !
यह दुर्लब पर्जाति का विशेष पुष्प है महाभारत एवं पौराणिक भारतीय साहित्य में इस दिब्य पुष्प का कई स्थलों पर उल्लेख मिलता है महाभारत के वनपर्व में संभवतः इसे ही सुगंधित पुष्प कहा गया है !
उत्तराखंड की स्थानीय भाषा में इसे "कोंल पदम" कहते है हिमालय के देव मंदिरों में कोंल पदम चढ़ाने का विधान है !यह प्रसाद के रूप में कई मंदिरों में भक्तों में वितरित किया जाता है !