Author Topic: Brief Information about Uttarahand - जानें उत्तराखंड के बारे में सबकुछ  (Read 6926 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

We are posting some brief information about Uttarakhand Here which we have taken from Amar Ujala.

उत्तराखंड का निर्माण 9 नवम्बर 2000 को कई वर्षों के लंबे संघर्षों के बात भारत के सत्ताइसवें राज्य के रूप में किया गया था।

2000 से 2006 तक यह उत्तरांचल नाम से जाना जाता था लेकिन इस नाम को लेकर लोगों में रोष रहा। जनवरी 2007 में जनभावनाओं का सम्मान करते हुए इसका नाम बदलकर उत्तराखंड किया गया। राज्य की सीमाएं उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल, पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश से लगी है।

अलग राज्य बनने से पहले यह उत्तर प्रदेश के अंतर्गत आता था। पारंपरिक हिन्दू ग्रंथों और प्राचीन साहित्य में इस क्षेत्र का उल्लेख उत्तराखंड के रूप में किया गया है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखंड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। यहां भारत की सबसे बड़ी नदियों गंगा और यमुना के उद्गम स्थल क्रमशः गंगोत्री और यमुनोत्री तथा इनके तटों पर बसे वैदिक संस्कृति के कई महत्त्वपूर्ण तीर्थस्थल हैं।

देहरादून, उत्तराखंड की राजधानी होने के साथ इस राज्य का सबसे बड़ा नगर है। राज्य आंदोलनकारियों की मांग थी क‌ि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य है अतः इसकी राजधानी पहाड़ में होनी चाह‌िए। जिसके चलते गैरसैंण नामक कस्बे की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भविष्य की राजधानी के रूप में प्रस्तावित किया गया है लेकिन विवादों और संसाधनों के अभाव के चलते अभी भी देहरादून अस्थाई राजधानी बना हुआ है।

राज्य का उच्च न्यायालय नैनीताल में है। उत्तराखंड में वृहद बांध परियोजनाएं भी हैं जिनकी पूरे देश में कई बार आलोचनाएं भी की जाती रही हैं, जिनमें टिहरी बांध परियोजना मुख्य है। इस परियोजना की कल्पना 1953 में की गई थी और अन्ततः 2007 में बनकर तैयार हुआ। उत्तराखंड में पेड़ों को बचाने के ल‌िए च‌िपको आंदोलन चला था ज‌िससे इस क्षेत्र की पर्यावरण प्रेमी छव‌ि दुन‌िया के सामने आई।

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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राज्य की पौराणिक और ऐत‌िहास‌िक मान्यता

कुमाऊं- पौराणिक ग्रंथों में कुर्मांचल क्षेत्र मानसखंड के नाम से प्रसिद्व था। ग्रंथों में उत्तरी हिमालय में सिद्ध गन्धर्व, यक्ष, किन्नर जातियों की सृष्टि और इस सृष्टि का राजा कुबेर बताया गया है। कुबेर की राजधानी अलकापुरी (बद्रीनाथ से ऊपर) बताई जाती है।

कुर्मांचल व कुमाऊं नाम चन्द राजाओं के शासन काल में प्रचलित हुआ। कुर्मांचल पर चन्द राजाओं का शासन कत्यूरियों के बाद प्रारम्भ होकर सन 1790 तक रहा। 1790 में नेपाल की गोरखा सेना ने कुमाऊं पर आक्रमण कर कुमाऊं को अपने आधीन कर लिया।

गोरखाओं ने 1815 तक यहां राज किया। 1815 में अंग्रेंजो से परास्त होने के बाद गोरखा सेना नेपाल वापस चली गई किन्तु अंग्रेजों ने कुमाऊं का शासन चन्द राजाओं को न देकर ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया।

गढ़वाल- इतिहासकारों के अनुसार पंवार वंश के राजा ने इन गढ़ों को अपने अधीनकर एकीकृत गढ़वाल राज्य की स्थापना की और श्रीनगर को अपनी राजधानी बनाया। केदार खंड का गढ़वाल नाम तभी प्रचलित हुआ। 1803 में नेपाल की गोरखा सेना ने गढ़वाल राज्य पर आक्रमण कर अपने अधीन कर लिया।

महाराजा गढ़वाल ने नेपाल की गोरखा सेना के अधिपत्य से राज्य को मुक्त कराने के लिए अंग्रेजों से मदद ली। अंग्रेजों ने गोरखा सेना को देहरादून के समीप 1815 में परास्त कर दिया।

अंग्रेजों ने युद्ध खर्च की धनराशि का भुगतान न करने का आरोप लगाकर गढ़वाल का अलकनंदा-मंदाकिनी के पूर्व का भाग ईस्ट इंडिया कंपनी को दे दिया। गढ़वाल के महाराजा को केवल टिहरी जिले (वर्तमान उत्तरकाशी सहित) का भू-भाग वापस किया।

तत्कालीन महाराजा सुदर्शन शाह ने 28 दिसंबर 1815 को टिहरी को अपनी राजधानी बनाया। कुछ सालों के बाद उनके उत्तराधिकारी महाराजा नरेंद्र ने ओड़ाथली नामक स्थान पर नरेंद्रनगर नाम से दूसरी राजधानी स्थापित की।

भारतीय गणतंत्र में टिहरी का विलय अगस्त 1949 में हुआ और टिहरी को तत्कालीन संयुक्त प्रान्त (उ.प्र.) का एक जिला घोषित किया गया। 1962 के भारत-चीन युद्ध की पृष्ठ भूमि में सीमान्त क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से सन 1960 में तीन सीमान्त जिले उत्तरकाशी, चमोली व पिथौरागढ़ का गठन किया गया।

एक नए राज्य के रुप में उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के फलस्वरुप (उत्तर प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000) उत्तराखंड की स्थापना 9 नवंबर 2000 को हुई। इसलिए इस दिन को उत्तराखंड में स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है। http://www.dehradun.amarujala.com/feature/city-news-dun/know-about-uttarakhand-in-one-click-hindi-news/page-2/

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उत्तराखंड की प्रमुख नदियां



उत्तराखंड की संस्कृति में नदियों का बहुत ही महत्व है। यहां की नदियां सिंचाई व जल विद्युत उत्पादन का प्रमुख संसाधन हैं। इनके किनारे अनेक धार्मिक व सांस्कृतिक केंद्र स्थापित हैं। हिंदुओं की पवित्र नदी गंगा का उद्गम स्थल मुख्य हिमालय की दक्षिणी श्रेणियां हैं। गंगा का प्रारंभ अलकनंदा भागीरथी नदियों से होता है। अलकनंदा की सहायक नदी धौली, विष्णु गंगा तथा मंदाकिनी है।

गंगा नदी, भागीरथी के रुप में गौमुख से 25 कि.मी. लम्बे गंगोत्री हिमनद से निकलती है। भागीरथी व अलकनंदा देव प्रयाग संगम करती है जिसके पश्चात वह गंगा के रुप में पहचानी जाती है। यमुना नदी का उद्गम क्षेत्र बंदरपूंछ के पश्चिमी यमनोत्री हिमनद से है।

इस नदी में होंस, गिरी व आसन मुख्य सहायक हैं। राम गंगा का उद्गम स्थल तकलाकोट के उत्तर पश्चिम में माकचा चुंग हिमनद में मिल जाती है। सोंग नदी देहरादून के दक्षिण पूर्वी भाग में बहती हुई वीरभद्र के पास गंगा नदी में मिल जाती है।
इनके अलावा राज्य में काली, रामगंगा, कोसी, गोमती, टोंस, धौली गंगा, गौरीगंगा, पिंडर नयार (पूर्व) पिंडर नयार (पश्चिम) आदि प्रमुख नदियां हैं।

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उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और राज्यपाल
उत्तराखंड बनने के बाद से अब तक के 14 सालों में राज्य ने 7 मुख्यमंत्री देखे हैं। उत्तराखंड में सीएम की इस उठापठक का नतीजा राज्य के विकास पर पड़ा है। कहा जाता है क‌ि इस राज्य में सीएम कुर्सी पर बैठते ही उसे संभालने में लग जाता है। एनडी तिवारी इकलौते सीएम रहे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। देख‌िए अब तक के मुख्यमं‌त्रियों की सूची-

1- नित्यानन्द स्वामी
2- भगत सिंह कोश्यारी
3- नारायण दत्त तिवारी
4- भुवन चंद्र खंडूरी
5- रमेश पोखरियाल निशंक
6- भुवन चंद्र खंडूरी (एक कार्यकाल में दूसरी बार)
7- विजय बहुगुणा
8- हरीश रावत

ये हुए यहां राज्यपाल
1- सुरजीत सिंह बरनाला
2- सुदर्शन अग्रवाल
3- बी॰ एल॰ जोशी
4- मार्ग्रेट आल्वा
5- अजीज कुरैशी
6- डॉ. कृष्णकांत पॉल

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उत्तराखंड के जिले, जनसंख्या और पर्यटन स्थल
जिलेः अल्मोड़ा, उधम सिंह नगर, चंपावत, नैनीताल, पिथौरागढ़, बागेश्वर, उत्तरकाशी, चमोली गढ़वाल, टिहरी गढ़वाल, देहरादून, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग,
हरिद्वार।

जनसंख्या:
2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड की जनसंख्या 1, 01, 16, 752 है। मैदानी क्षेत्रों के जिले पर्वतीय जिलों की अपेक्षा अधिक जनसंख्या घनत्व वाले हैं। उत्तराखंड के मूल निवासियों को कुमाऊंनी या गढ़वाली कहा जाता है जो प्रदेश के दो मंडलों कुमाऊं और गढ़वाल में रहते हैं। एक अन्य श्रेणी हैं गुज्जर, जो एक प्रकार के चरवाहे हैं और दक्षिण-पश्चिमी तराई क्षेत्र में रहते हैं।

मध्य पहाड़ी की दो बोलियां कुमाऊंनी और गढ़वाली, क्रमशः कुमाऊं और गढ़वाल में बोली जाती हैं। जौनसारी और भोटिया दो अन्य बोलियां, जनजाति समुदायों द्वारा क्रमशः पश्चिम और उत्तर में बोली जाती हैं। लेकिन हिंदी पूरे प्रदेश में बोली और समझी जाती है और नगरीय जनसंख्या अधिकतर हिन्दी ही बोलती है।

प्रमुख पर्यटन स्थल:
केदारनाथ, नैनीताल, गंगोत्री, यमुनोत्री, बदरीनाथ, ऋषिकेश, हेमकुण्ड साहिब, नानकमत्ता, फूलों की घाटी, मसूरी, देहरादून, हरिद्वार, औली, चकराता, रानीखेत, बागेश्वर, भीमताल, कौसानी, लैंसडौन

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उत्तराखंड बनने के बाद से अब तक के 14 सालों में राज्य ने 7 मुख्यमंत्री देखे हैं। उत्तराखंड में सीएम की इस उठापठक का नतीजा राज्य के विकास पर पड़ा है। कहा जाता है क‌ि इस राज्य में सीएम कुर्सी पर बैठते ही उसे संभालने में लग जाता है। एनडी तिवारी इकलौते सीएम रहे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। देख‌िए अब तक के मुख्यमं‌त्रियों की सूची-

1- नित्यानन्द स्वामी
2- भगत सिंह कोश्यारी
3- नारायण दत्त तिवारी
4- भुवन चंद्र खंडूरी
5- रमेश पोखरियाल निशंक
6- भुवन चंद्र खंडूरी (एक कार्यकाल में दूसरी बार)
7- विजय बहुगुणा
8- हरीश रावत

ये हुए यहां राज्यपाल
1- सुरजीत सिंह बरनाला
2- सुदर्शन अग्रवाल
3- बी॰ एल॰ जोशी
4- मार्ग्रेट आल्वा
5- अजीज कुरैशी
6- डॉ.कृष्णकान्त पॉल

 

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