Author Topic: Do You Know This About Uttarakhand? - क्या आप उत्तराखंड के बारे ये जानते है?  (Read 45535 times)

umeshbani

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क्या आप जानते है वह          रास्ता जो कि गंगोलीहाट से निकलता है और पहुँचता है हरिद्वार ....................

पंकज सिंह महर

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क्या आप जानते हैं कि जागेश्वर मंदिर का निर्माण सम्राट विक्रमादित्य ने करवाया था और शिवजी की लिंग रुप में पूजा भी जागेश्वर से ही हुई थी।


पूरी जानकारी लें, इस जागेश्वर मंदिर उत्तराखण्ड- द्वादश ज्योर्तिलिंगों में से एक लिंक से

umeshbani

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  ऐसी मान्यता है कि पाताल्भुब्नेस्वर गुफा   से  एक underground     रास्ता है  जो हरिद्वार निकलता है .............लकिन उसमे केवल लेट के जा सकते है

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Do you know the name of River which flows Loghaghat ?

Lohaghat on the banks of Lohawati River in Champawat district is one of the important places for its beautiful temples

umeshbani

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लमकेश्वर झलतोला पिथोरागढ़  मे है वहां लमकेश्वर  के नाम से  एक महादेव का मंदिर  है  वहां   जमीन खोकली है और कूदने मे बजती है वहां से रात को अल्मोडा कि light रात में  दिखाए देती थी
वहां कि एक और खासियत कि एक पेड जिसके तने का कुछ भाग खोखला है और उसमे मछलीया थी ........जबकि आसपास कोई नदी नहीं  मैंने यह जगह बहुत साल पहले देखी थी 1989........... वहां पर किसी अंग्रजे ने चाय के पत्तों से चाय बनाने कि मशीन भी रखी थी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Do you know this ?

The famous Song of Uttarakhand "Bedo Pako Baro Maasa" was composed by Sh Brijendra Lal SAh.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Distance of Gairsain & Dehradoon from various District of Uttarakhand.


Distt                              Gaisain            Dehradoon


Uttarkashi                      266 Km            208 Km
Pauri                             150 Km            182 Km
Nayi Tehri                      202 Km            115 Km
Rudraprayag                    46 Km           186 Km
Chamoli (Gopeshwar)        95 Km           259 Km
Haridwar                        255 Km              52 Km
Champawat                    261 Km            503 Km
Pithoragarh                    280 Km            578 Km
Bageshwar                     156 Km            503 Km
Almora                           135 Km            409 Km
Nainital                           155 Km            357 Km
Udhyam Singh Nagar        213 Km            279 Km
Gairsain       -                                         272 Km 

सुधीर चतुर्वेदी

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Mehta ji Namaskar ..... Sayad Haridwar say Dehradoon ki duri 65 KM hai


Do you know this ?

Distance of Gairsain & Dehradoon from various District of Uttarakhand.


Distt              Gaisain            Dehradoon

Uttarkashi             266 Km                     208 Km
Pauri                150 Km            182 Km
Nayi Tehri             202 Km            115 Km
Rudraprayag              46 Km             186 Km
Chamoli (Gopeshwar)         95 Km                       259 Km
Haridwar                      255 Km                    259 Km
Champawat            261 Km            503 Km
Pithoragarh            280 Km            578 Km
Bageshwar             156 Km            503 Km
Almora                      135 Km            409 Km
Nainital                      155 Km             357 Km
Udhyam Singh Nagar           213 Km            279 Km
Gairsain       -                                           272 Km 

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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Goog Information Mehta ji Lekin Haridwar se Dehradun to 259 km nahi hota hoga mere khyal se to 100 km hota hoga.

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M S Mehta Quote "
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The distance has been corrected.
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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DO YOU KNOW ?
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पद्म विभूषण- स्व० भैरव दत्त पाण्डे (17 मार्च, 1917-2 अप्रैल, 2009)

उत्तराखण्ड के गौरव-

* उत्तराखण्ड के पहले आई०सी०एस०
* उत्तराखण्ड से पहले कैबिनेट सैक्रेट्री
* उत्तराखण्ड से पहले कमिश्नर जनरल एण्ड चीफ सेक्रेट्री, बिहार
* उत्तराखण्ड से पहले राज्यपाल
* भारतीय गणतंत्र के नागरिकों के दूसरे बड़े नागरिक सम्मान "पद्म विभूषण" से सम्मानित पहले उत्तराखण्डी।


स्व० श्री भैरव दत्त पाण्डेय जी का जन्म १७ मार्च, १९१७ को हल्द्वानी में हुआ, ये सिमल्टा गांव, चम्पानौला, अल्मोड़ा के मूल निवासी थे। इन्होंने 1935 में इलाहाबाद वि०वि० से बी०एस०सी० की डिग्री हासिल की और कैम्ब्रिज वि०वि०, लन्दन से 1939 में बी०ए० की उपाधि हासिल की। 1938 में ये इण्डियन सिविल सर्विस (ICS) में चयनित हुये। इनकी प्रथम नियुक्ति बिहार राज्य के गया जिले के असिस्टेंट कलेक्टर के रुप में हुई। 1939 से 1959 तक आप बिहार राज्य के विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रहे, यथा- वित्त सचिव, खाद्य एवं रसद आयुक्त, भूमि सुधार आयुक्त, विकास आयुक्त और कुछ समय के लिये मुख्य सचिव। बिहार राज्य की लम्बी प्रशासनिक सेवाओं के उपरान्त 1960 में आप केन्द्रीय सरकार की सेवाओं में आये। यहां आपने विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिव, अतिरिक्त सचिव, अध्यक्ष, केन्द्रीय राजस्व परिषद एवं स्वर्ण नियंत्रक जैसे उत्तरदायित्वपूर्ण पदों का दक्षतापूर्वक निर्वहन किया। 1965-67 में चैयरमैन भारतीय जीवन बीमा निगम, 1967 में कमिश्नर-जनरल एण्ड चीफ सैक्रेट्री, बिहार्म 1967-70 तक सचिव, योजना आयोग, 1971-72  में सचिव औद्यौगिक विकास एवं वित्त, 1972-77 तक कैबिनेट सैक्रेट्री रहे। लम्बी सेवा के बाद आप 31 मार्च, 1977 को सेवानिवृत्त हुये।
       आपकी दीर्घ एवं कुशल प्रशासनिक सेवाओं को देखते हुये सेवानिवृत्ति के बाद भी सरकार ने आपकी सेवायें पुनः आमंत्रित की और चैयरमैन नेशनल ट्रांसपोर्ट पालिसी कमेटी (1978-80) और चैयरमैन, रेलवे रिफार्म्स कमेटी (1981)  के शीर्ष पदों पर नियुक्त कर आपकी सेवाओं का लाभ लिया। विशद और दक्षतापूर्ण प्रशासनिक सेवाओं के बाद दो राज्यों (पंजाब और पश्चिम बंगाल) के राज्यपाल के रुप में सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन रहे। आप 12 दिसम्बर, 1981 से 10 अक्टूबर, 1983 तक पश्चिम बंगाल और 10 अक्टूबर,1983 से 2 जुलाई, 1984 तक पंजाब राज्य के राज्यपाल रहे।
        राज्यपाल पद से सेवानिवृत्त होने के बाद आप अपने पैतॄक नगर अल्मोड़ा आकर बस गये और 1986  में आपने एक स्वयं सेवी संगठन "उत्तराखण्ड सेवा निधि" की स्थापना कर समाज की सेवा की। दिनांक 2 अप्रैल, 2009 को 92 वर्ष की आयु में आपका निधन हो गया। श्री पाण्डे मन, वचन, और कर्म से विशुद्ध उत्तराखण्डी थे, आप ख्यातिनाम प्राप्त और सफल उत्तराखण्डीयों के लिये एक प्रेरणास्रोत हैं। आपके द्वारा स्थापित आदर्श और मूल्य हर उत्तराखण्डी और देशवासी के लिये अनुकरणीय है।
   

  शासन और प्रशासन में आपकी सराहनीय सेवाओं के लिये भारत के राष्ट्रपति ने 30 मार्च, 2000 को आपको देश के दूसरे बड़े नागरिक अलंकरण "पद्म विभूषण" से सम्मानित किया।

 

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