क्या आप उत्तराखंड के बारे ये जानते है ?- की बिजली की भूख निगलने लगी जंगलों को
उत्तराखंड की जल विद्युत परियोजनाएं हिमालय के लिए खतरा बनती जा रही हैं। उत्तरकाशी में देवदार, कैल, बांज और बुरांश के जंगल अंतिम सांसें गिन रहे हैं। लोहारीनाग-पाला और पाला-मनेरी जल विद्युत परियोजनाओं की खातिर अब तक डेढ़ लाख से अधिक हरे पेड़ों पर आरियां चला दी गई हैं। उच्च हिमालय की बर्फीली चोटियों की गोद में बसे उत्तरकाशी के ब्लाक भटवाड़ी में गंगोत्री
की वादियों में गोमुख ग्लेशियर की ओर निर्माणाधीन लोहारीनाग-पाला जल विद्युत परियोजना के लिए 140 हेक्टेयर और पाला-मनेरी के लिए 78 हेक्टेयर वन भूमि 30 सालों के लिए लीज पर ली गई है।
इस 218 हेक्टेयर वन भूमि में दुर्लभ प्रजाति के वृक्ष देवदार, कैल, बांज, बुरांश, थुनैर समेत अन्य का सघन जंगल हैं। लेकिन परियोजनाएं शुरू होने के बाद सबसे पहले हरे पेड़ों पर आरियां चलीं। परियोजना निर्माण के लिए सड़क निर्माण और अन्य कार्यो की वजह से हजारों वृक्ष भूस्खलन की चपेट में आकर जड़ उखड़ कर सड़कों पर आ गए। इसके बाद शुरू हुए भूस्खलन से तो जंगल का एक बड़ा हिस्सा समाप्त होता जा रहा है।
हर बार गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन में 50 से 60 पेड़ सीमा सड़क संगठन द्वारा हटाए जाते हैं, यानी पूरे जंगल पर संकट मंडरा रहा है। आलम यह है कि भटवाड़ी से गंगोत्री की ओर करीब 20 किमी गंगा तटों पर अब एक भी पेड़ नहीं बचा है। बड़े पेड़ों के साथ ही यहां पाई जाने वाली हिसर, किनगोड़, भंमोर की झाडियां भी खत्म हो चुकी है और अब शायद ही इस प्रजाति की झाडियां कभी गंगा के तटों पर फिर से उग पाएंगी।
वन विभाग को मिले 12 करोड़
प्रभागीय वनाधिकारी सुशांत पटनायक बताते हैं कि अतीश, देवदार, सुरई, खड़ीक, अखरोट, शहतूत, बुरांश, बांज, कैल, राई, वन पीपल आदि प्रजातियों के 1169 पेड़ काटे गए हैं। उन्होंने स्वीकारा कि गिनती केवल बड़े पेड़ों की ही की गई। छोटे पौधों व छोटे पेड़ों को नहीं गिना गया है। पटनायक ने कहा कि नदियों के किनारे हुए कटान की जांच की जाएगी।
रेगिस्तान बनेगा पहाड़ : बहुगुणा
पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा का कहना है कि परियोजना के लिए लोहारीनाग-पाला और पाला-मनेरी में लाखों पेड़ों का कत्ल किए जाने से पर्यावरण पर सीधा प्रभाव पड़ेगा। गोमुख ग्लेशियर के निकट चल रहे इस खेल से ग्लेशियर सूख जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर पेड़ों का काटना बंद नहीं हुआ तो टिहरी से गंगोत्री तक का क्षेत्र एक दिन रेगिस्तान बन जाएगा।
याचिका दायर करेंगे
हिमालय पर्यावरण शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष सुरेश भाई कहते हैं कि भारत सरकार के मानकों के अनुसार एक हेक्टेयर में एक हजार पेड़ों का अस्तित्व माना गया है, जबकि लोहारीनाग-पाला और पाला मनेरी के 218 हेक्टेयर में 2 लाख 18 हजार पेड़ कटे हैं। इस पर संस्थान उच्च न्यायालय नैनीताल में याचिका दायर करेगा।
चुप हैं कार्यदायी संस्थाएं
लोहारीनाग-पाला की कार्यदायी संस्था एनटीपीसी के महाप्रबंधक सुनील गुलाटी कहते हैं कि काटे पेड़ों की एवज में पौधरोपण के लिए वन विभाग को 12 करोड़ रुपये दिए गए हैं। उनका कहना है कि एनटीपीसी ने कहीं भी अवैध कटान नहीं किया है।