Author Topic: Do You Know This About Uttarakhand? - क्या आप उत्तराखंड के बारे ये जानते है?  (Read 45220 times)

विनोद सिंह गढ़िया

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गर्म कुंड में नहाने से होता है चर्म रोग दूर

यमुनाघाटी क्षेत्र के ओसला और रेऊका गांव की विचित्र कहानी है। मोरी ब्लाक के ओसला गांव में जहां लोग दीमकों के प्रकोप से पलायन कर चुके हैं। वहीं बड़कोट के पास रेऊका गांव में गर्म कुंड में नहाने से चर्मरोग तो समाप्त होता ही है साथ ही अनाज पर भी वर्षो तक कीड़े नही पड़ते हैं।

विकास खंड नौगांव की ठकराल पट्टी के गंगटाड़ी गांव से आगे दो किमी की दूरी पर स्थित रेऊक नामक स्थान अपनी विशिष्ट पहचान के लिए प्रसिद्ध है। यह पौराणिक गर्म पानी का कुंड रेऊका के नाम से जाना जाता है। यहां गर्मी अथवा बरसात में बच्चे ,जवान और बुजुर्ग त्वचा संबंधित बीमारी के लिए किसी डाक्टर की खोज में नहीं बल्कि रेऊका के गर्म कुंड में स्नान करने जाते हैं। इस गर्म पानी में गंधक की अधिकता होने के कारण यहां लगातार तीन दिनों तक स्नान करने से चर्म रोग पूरी तरह समाप्त हो जाता है। यहां के लोग इस क्षेत्र की गंधकयुक्त मिट्टी के बर्तनों में ही अनाज रखते हैं। उनका मानना है कि इससे अनाज वर्षो तक खराब नहीं होता है।


Devbhoomi,Uttarakhand

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क्या आप ये जानते हैं ?

माणा गाँव को पुराणों में "मणिभद्र पूरी" नाम पुकारा गया है !

विनोद सिंह गढ़िया

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क्या  जानते हैं...............?

गोरी नदी पर शीत काल या वर्षाकाल कोहरा नहीं लगता है।

भारत -तिब्बत सीमा पर स्थित विश्व प्रसिद्ध मिलम ग्लेशियर से निकलने वाली गोरी को काली नदी की सहायक नदी कहा जाता है। मल्ला जोहार के उच्च हिमालयी ग्लेशियरों का पानी इसमें समाहित होता है। गंधक के पहाड़ों के बीच से गुजरने गुजरने वाली इस नदी के किनारे कई स्थानों पर गर्म जलकुंड भी हैं। इस नदी के बीच में अक्सर फूटने वाले गंधक (सल्फर) के स्रोत पर्यटकों को काफी लुभाते हैं। यही नहीं इसके आसपास ग्लेशियरों से फूटने वाले झरने नदी के प्राकृतिक सौंदर्य को बढ़ाते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि इस नदी का जल गंगा नदी की तरह ही पवित्र है। इसमें लंबे अंतराल के बाद भी कीड़े नहीं पड़ते हैं। इससे क्षेत्रीय लोग धार्मिक लिहाज से भी इसके जल को पवित्र मानते हैं। नदी का जल पूजा पाठ के साथ ही सभी तरह के धार्मिक अनुष्ठानों ने श्रद्धा के साथ प्रयुक्त किया जाता है। नदी का नाम भी हिंदू देवी गौरी का अपभ्रंश गोरी है, इसका हल्का सा वर्णन मानसखंड में भी किया गया है। इस नदी की सबसे बड़ी विशेषता नदी के जल में कोहरा नहीं लगना है। अमूमन पर्वतीय क्षेत्र की नदियों में शीतकाल में सुबह से ही कोहरा लग जाता है। गोरी नदी पर शीत काल या वर्षाकाल कोहरा नहीं आने की अब तक जांच नहीं हो सकी है।

 

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