कुमाऊं की प्राचीन लोक परंपरा से रूबरू
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अल्मोड़ा: सोबन सिंह जीना परिसर के चित्रकला विभाग व फैकल्टी आफ विजुअल आर्ट्स में आयोजित चार दिवसीय कार्यशाला का दूसरा दिन कुमाऊं के प्राचीन वस्त्रों के बदलते स्वरूप, कुमाऊं की लोक कला व परंपरा को समर्पित रहा। प्रथम सत्र में ग्रामीण लोक चिह्नों की महत्ता, संस्कृति के बारे में विभिन्न क्षेत्रों से आए शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इसके अतिरिक्त कार्यशाला में जल, तैल, एकरेलिक रंगों के माध्यम से कलाकारों ने कैनवास पर तुलिका से चित्र उकेरे। प्रो.शेखर चंद्र जोशी ने नख द्वारा कार्यशाला में चित्र निर्माण का कौशल बताया। युवा मूर्ति शिल्पी कैलाश सिंह बिष्ट ने मिट्टी से मूर्तियां उकेरकर विविध भावों के मुखड़े व अन्य कृतियां कार्यशाला में आए कलाकारों के सम्मुख अपने हस्तलाघव का प्रदर्शन किया। डॉ.रीना सिंह ने प्रिंट मेकिंग का सलीका बताया। रोल आफ आर्ट्स यस्टर्डे, टूडे एंड टुमारो शीर्षक पर आधारित राष्ट्रीय कार्यशाला का संयोजन प्रो.शेखर जोशी, डॉ.सोनू द्विवेदी, डॉ.संजीव आर्या, डॉ.यामिनी कांडपाल, कैलाश सिंह बिष्ट, डॉ.मधु बहुगुणा ने किया। कार्यशाला में गिरीश चंद्र पैन्युली, हिमांशु भट्ट, राज राणा सहित 62 कलाकारों ने हिस्सेदारी की। इसके अतिरिक्त कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से आए आकाश वर्मा, चंपावत से आए डॉ.मनोहर आर्या, शोधार्थी देवेश अवस्थी, खिला कोरंगा, विमला राणा, नीलम बिष्ट, मीता खन्ना ने शोध पत्र प्रस्तुत किए।
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