Author Topic: Enrich Your Knowledge On Uttarakhand - उत्तराखंड के बारे संक्षिप्त जानकारी  (Read 89921 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रुड़की में चली थी भारत की पहली रेल

प्रस्तुतकर्ता मुसाफिर जाट http://neerajjaatji.blogspot.com/2008/12/blog-post_25.html
अगर आपसे पूछा जाए कि भारत में पहली बार रेल कहाँ चली थी, तो निःसंदेह आपका जवाब ग़लत होगा। शायद आप कहें "मुंबई से ठाणे" और फ़िर इतिहास भी बताने लगें कि सोलह अप्रैल 1853 को 34 किलोमीटर की दूरी तय की थी। लेकिन ये जवाब तो सरासर ग़लत है। सही जवाब है कि भारत की पहली रेल रुड़की में चली थी।
यह रेल मालगाडी थी। शुरू में तो यह मानव शक्ति से खींची जाती थी, लेकिन बाद में भाप का इस्तेमाल होने लगा था। इसके विपरीत मुंबई-ठाणे वाली रेल सवारी गाड़ी थी।
1850 में अंग्रेजों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश को अकाल और सूखे से बचाने के लिए एक नहर परियोजना की शुरूआत की। इसे आजकल गंगनहर के नाम से जाना जाता है। यह नहर हरिद्वार से निकलकर रुड़की, मुज़फ्फ़रनगर, मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर होते हुए कानपुर तक चली जाती है।
रुड़की में इस नहर के रास्ते में सोलानी नदी आती है। इस नदी पर पुल बनाना जरूरी था ताकि इसके ऊपर से गंगनहर का पानी गुजर सके। अब यह पुल कोई छोटा मोटा तो बनना नहीं था, कि दो चार लक्कड़ लगा दो, चल जाएगा काम। तो इसके लिए जितने भी कच्चे माल की जरूरत पड़ी, वो पिरान कलियर से आता था। पिरान कलियर रुड़की से लगभग दस किलोमीटर दूर एक गाँव है।
इसमे प्रयुक्त रेल लकड़ी की थी। बाद में जब इसमे भाप इंजन लगाया गया वो भारत का पहला इंजन था। इसकी स्पीड छः किलोमीटर प्रति घंटा थी। यह बाईस दिसम्बर, 1851 को शुरू हुई थी। इसमे केवल दो डिब्बे थे, जो पुल निर्माण की सामग्री ढोते थे। जब हम दिल्ली से हरिद्वार जाते हैं तो रुड़की पार करके सोलानी नदी आती है। सड़क वाले पुल से बाएं देखने पर एक और जबरदस्त आकार वाला पुल दिखाई देता है। यही वो ऐतिहासिक पुल है। इसी से पश्चिमी उत्तर प्रदेश की खुशहाली बहती है। आज कल पिरान कलियर भी मुस्लिम धर्म का तीर्थस्थान है।

Parashar Gaur

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News from pahad

खतरे में हैं दस उत्तराखंडी  बोलियां
Garhwali, including Uttarakhand Kumaunni ten quotes and Rongpo also is in danger. Tolcha of these two quotes and then Rngks also have been extinct. Off the UNESCO Atlas Vlrds di Langyuejej of these Denjr in Sube these languages have added. United Neshns Educational, Saintifk and Cultural Organization (UNESCO) according to the atlas of the Pithoragarh district of Uttarakhand in the bid and Rngks Tolcha quotes are extinct. In addition, the Uttarkashi region Bangan Bangani approximately 12,000 people speak the dialect. It is on the verge of Vilupti. Darma and Byansi of Pithoragarh, Uttarkashi and Dehradun of Jad's Junsari is threatened in a serious bids. According to the 1761 Atlas bid Darma people, Byansi the 1734, 2000 and Jad Junsari the estimated 114,733 people speak understand. According to the atlas and Rongpo Kumaunni Garhwali dialects is also threatened. They have been kept in unsafe class. According to UNESCO, approximately 279,500 people in the world, Garhwali, 2003783 people Kumaunni and 8000 people live in the area of Rongpo bid, but it means living in these areas Nhinki all know people are quotes. Linguists study of 30 know that based on this language has been released on Friday atlas. According to UNESCO in the world with 200 languages Pidihyon last three have become extinct. 199 language in the world - which offers a mere 10-10 people speak. 178 to 10 to 50 people speak understand. The first bid in the country agreed on a PhD linguist who Sobaram Dr. Sharma says UNESCO Halnaki Pithoragarh and Champawat districts of the tribe's bid to persuade Atlas but it is not included in the language is on the verge of Vilupti. According to the 2001 Census in Uttarakhand Tribe agreed Vnrawat or just 217 people are left. According to Dr Sharma, the Hindi dialects of Uttarakhand - English domination, the unbalanced development of mountainous areas migration, development projects because of growing urbanization and the displacement are reeling. Anthropological Survey of danger, according to Superintendent Dr. Rizvi Sanac lying in the language of conservation is very important, otherwise bids mankind will lose its valuable heritage.

Parashar Gaur

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खतरे में हैं दस बोलियां
देहरादून गढ़वाली, कुमाऊंनी और रोंगपो समेत उत्तराखंड की दस बोलियां भी खतरे में है। इनमें से दो बोलियां तोल्चा व रंग्कस तो विलुप्त भी हो चुकी हैं। यूनेस्को ने अपने एटलस आफ दि वल्‌र्ड्स लैंग्यूएजेज इन डेंजर में सूबे की इन भाषाओं को शामिल किया है। यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटिफक एंड कल्चरल ऑर्गेनाइजेशन (यूनेस्को)के एटलस के मुताबिक उत्तराखंड की पिथौरागढ़ जिले में बोली जाने वाली रंगकस और तोल्चा बोलियां विलुप्त हो चुकी हैं। इसके अलावा उत्तरकाशी के बंगाण क्षेत्र की बंगाणी बोली को लगभग 12000 लोग बोलते हैं। यह भी विलुप्ति के कगार पर है। पिथौरागढ़ की ही दारमा और ब्यांसी, उत्तरकाशी की जाड और देहरादून की जौनसारी बोलियों पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। एटलस के मुताबिक दारमा बोली को 1761 लोग, ब्यांसी को 1734 , जाड को 2000 और जौनसारी को अनुमानत: 114,733 लोग ही बोलते समझते हैं। एटलस के मुताबिक गढ़वाली कुमाऊंनी और रोंगपो बोलियां पर भी खतरा मंडरा रहा है। इन्हें असुरक्षित वर्ग में रखा गया है। यूनेस्को के मुताबिक अनुमानत: दुनिया में 279500 लोग गढ़वाली, 2003783 लोग कुमाऊंनी और 8000 लोग रोंगपो बोली के क्षेत्र में रहते हैं मगर इसका मतलब यह नहींकि इन क्षेत्रों में रहने वाले सभी लोग ये बोलियां जानते ही हों। मालूम हो कि 30 भाषाविदों के अध्ययन पर आधारित यह भाषा एटलस शुक्रवार को जारी हुआ है। यूनेस्को के मुताबिक विश्व में 200 भाषाएं पिछली तीन पीढि़यों के साथ विलुप्त हो गईं। दुनिया में 199 भाषा-बोलियां ऐसी हैं जिन्हें महज 10-10 लोग ही बोलते हैं। 178 को 10 से 50 लोग ही बोलते समझते हैं। राजी बोली पर देश में पहली पीएचडी करने वाले भाषाविद डॉ. शोभाराम शर्मा का कहना है हालंाकि यूनेस्को ने पिथौरागढ़ और चंपावत जिलों की राजी जनजाति की बोली को एटलस मे शामिल नहीं किया है मगर यह भाषा भी विलुप्ति की कगार पर है। 2001 की जनगणना के अनुसार उत्तराखंड में राजी या वनरावत जनजाति के महज 217 लोग ही बचे हैं। डॉ. शर्मा के मुताबिक उत्तराखंड की बोलियां उन पर हिंदी-अंग्रेजी के वर्चस्व, असंतुलित विकास पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन, विकास परियोजनाओं की वजह से विस्थापन व बढ़ते शहरीकरण की मार झेल रही हैं। मानव विज्ञान सर्वेक्षण के अधीक्षक डॉ.एसएनएच रिजवी के मुताबिक खतरे में पड़ी इन भाषा बोलियों का संरक्षण बहुत जरूरी है अन्यथा मानव समाज अपनी बहुमूल्य विरासत को खो देगा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Temples of Garhwal

Chamoli :
Badrinath Hemkund Saheb
Gopeshwar Prayags

Pauri :
Siddhbali Temple Durga Devi Temple
Shri Koteshwar Mahadev Medanpuri Devi Temple
Tarkeshwar Mahadev Keshorai Math
Shankar Math Kamleshwar Temple
Devalgarh Dhar Devi

Uttarkashi :
Gangotri Yamunotri

Dehradun :
Mussoorie Rishikesh
Bhadraj Temple Bharat Mandir
Surkhanda Devi Kailash Niketan Mandir
Jwalaji Temple Satya Narayan Temple
Nag Devta Temple Shatrughan Temple
Parkasheshwar Temple Neelkanth Mahadev

RudraPrayag :
Kedarnath Shankaracharya Samadhi
Gaurikund Son Prayag
Panch Kedar Madhyamaheshwar
Tungnath Koteshwar
Guptkashi

Haridwar :
Har ki Pauri Sapt Rishi Ashram and Sapt Sarovar
Mansa Devi Temple Chandi Devi Temple
Maya Devi Temple Daksha Mahadev Temple

Tehri Garhwal :
Surkhanda Devi Temple


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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SOME OF THE FAMOUS CAVES OF UTTARKAHAND

1..  Vasisth Gufa               =   In Uttarkashi District
2.   Hanuman Gufa            =   Laghasu near Girsa
3.   Ram Gufa                   =   Near Badrinath
4.   Bhart Gufa                  =  Laghasu near Girsa
5.   Vyas Gufa                   =  Near Badri nath
6.   Gorakh Nath Gufa        =  Near Srinagar & the place called Bhaktyana
7.   Ganesh Gufa               =  Near Badri Nath
8.  Shankar Gufa               =  In Devparayag
9.  Sakand Gufa                =  Near Badri Nath
10. Pandakholi Gufa           =  Near Doonagiri (Dwarahaat Almora)
11. Bheem Gufa                =  Near Kedarnaath
12. Sumeru Gufa              =   In pithorgarh District (near Gangoli Haat)
13  Brahma Gufa              =   Near Kedarnath
14  Swadharm Gufa          =   Near Pithoragah

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Jagmohan Singh Negi has been described as ‘Jawahar of Uttarakhand’
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Jagmohan Singh Negi has been described as ‘Jawahar of Uttarakhand’ who served the people of this region for thirty-eight years. He was born on 5th July 1905 at Kandi village of district Pauri Garwhal. In 1925, he successfully organized the youth movement in his area for boycotting the elections of the state council. On October, 1930 he organized yet another meeting attended by thousands of people at the historic place of Yamkeshwar Block in district Pauri Garhwal. This meeting shook the British administration and later he was arrested and awarded imprisonment.


Source : http://pauri.nic.in/Nextpage11.htm

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चौन फूला एवं झुमेलाः

चौनफूला एवं झुमेला मौसमी रुप है जिन्हे बसंन्त पंचमी से संक्रान्ती या बैसाखी के मध्य निष्पादित किया जाता है। झुमेला को सामान्यतः महिलाओं द्वारा निष्पादित किया जाता है। परन्तु कभी-2 यह मिश्रित रुप में भी निष्पादित किया जाता है। चौनफूला नृत्य को स्त्री एवं पुरुषों द्वारा रात्रि में समाज के सभी वर्गों द्वारा समूहों में किया जाता है। चौनफूला लोक गीतों का सृजन विभिन्न अवसरों पर प्रकृति के गुणगान के लिए किया जाता है। चौनफूला, झुमेला एवं दारयोला लोकगीतों का नामकरण समान नाम वाले लोकनृत्यों के नाम पर हुआ है।

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खुदेदः

ये लोकगीत अपने पति से प्रथक हुई महिला की पीडा को वर्णित करते हैं। पीडित महिला अपशब्दों के साथ उन परिस्थितयों को वर्णित करती है जिसके कारण वह अपने पति से प्रथक हुई है सामान्यतः प्रथक्करण का मुख्य कारण पति का रोजगार की खोज में घर से दूर जाना है। लमन नामक अन्य लोक नृत्य विशिष्ट अवसरों पर गाया जाता है जो पुरुष द्वारा अपनी प्रेमिका के लिए बलिदान की इच्छा को व्यक्त करता है। लोकगीतों के इस वर्ग में पवादा एक अन्य लोक गीत है जो दुःख के इस अवसर पर गाया जाता है जब पति युद्ध के मैदान में चला गया होता है।

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गढ़वाल के विभिन्न भागों में लगभग 61 मुख्य विष्णु मन्दिर स्थापित हैं। इनमें से कुछ को नीचे सूचीबद्ध किया गया है।
बद्रीनाथ का बद्रीविशाल मन्दिर
विष्णु प्रयाग में विष्णु मन्दिर
मन्द प्रयाग का नारायण मन्दिर
चन्द्रपुरी (मन्दाकिनी घाटी) का मुरलीमनोहर मन्दिर
तपोवन के निकट सुभेन नामक स्थल पर स्थित भविष्य बद्री मन्दिर
पान्डुकेश्वर का ध्यान बद्री या योग बद्री मन्दिर
जोशीमठ का नरसिंह मन्दिर

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name of 52 gar of Gadwal
=

   नाम                  जगह का नाम

  १  क्योलीगढ            क्योलीगढ 

 २.   भरपूर गढ           भरपूर गढ

 ३..  कुजरीगढ            कुजेडी

 ४.   सितगढ             सितगढ

 ५  मुगरा गढ           रिवायी ( उत्तरकाशी)

  ६.   रामीगढ             शिमला उत्तरकाशी)

  ७..  विशालता गढ        जौनपुर (टेहरी 

 ८.    चांदपुर गढ          पैली चांदपुर (पौडी)

 ९.     चौडा गढ            सिली चांदपुर

 १०  तपो गढ             सिली चांदपुर

 ११  नागपुर गढ           नागपुर

 १२  कोल्ही गढ           बछण सियूं

 १३  खाड़ गढ            चमोली

 १४  फ़ल्याड गढ          फुल्दाकोट

 १५  बांगर गढ            बांगर गढ

 १६  रैका गढ             रैका

 १७  भौलिया गढ          रमोली

 १८  उपु गढ              उदयपुर

 १९  नालागढ             देहरादून

 २०  साकरीगढ           रवाई, उत्तरकाशी

 २१  राणी गढ           राणी गढ पट्टी

 २२  श्री गुरुगढ          सौलाण (तेहरी गड़ वाल )

 २३   बैधाण गढ          बैधाण

२४   लोहाबगड़            लोटुगा

 २५  दसोली गढ          चमोली

 २६  लंगूरगढ             लंगूर गडी

 २७  बाग़ गढ             गंगा सालाण

 २८  गड़कोट गढ          मल्ला दागु

 

 २९  गड्पांग गढ          कफ्नौर

 ३०  बनगढ              बनगढ   

 ३१  सावालिगड़           सावालिगड़ कट्टी

 ३२  बदपुरगढ            बदरपुर

 ३३  मंगला  गढ          नील चामी

 ३४  गुजर गढ           गुजड

 ३५  जोल गढ            जौनपुर

 ३६  कंडारी  गढ          नागपुर

 ३७  धौना गढ            इतवालसियु

 ३८  रतन  गढ            कुजडी

 ३9  एरासियुगढ           श्री नगर पूरी गडवाल

 ४०  इडिया गढ           रवाई (बड़कोट) उत्तरकाशी)

  ४१  भरदार  गढ          भरदार

 ४२  चंद्कोट  गढ         चाँद कट

 ४३  न्याल  गढ           कतूल्सियु

 ४४  अजमेर  गढ          अजमेर पट्टी

 ४५  काका  गढ           रावत सियु

 ४६  चंपा  गढ             देवलगढ

 ४७  डोगरा गढ            देवलगढ

 ४८  क्वारा गढ            देवलगढ

 ४९  मोना गढ            देवलगढ

 ५० लोदगढ               देवलगढ

 ५१  लोदान गढ           देवलगढ

 ५२  जौलपुर गढ           देवलगढ

 

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