उत्तराखंड की प्रमुख नदियाँ और जलपर्वाह
१-भागीरथी अलकनंदा जलप्रवाह तंत्र -
इस प्रवाह छेत्र के अर्न्तगत उत्तरकाशी जनपद के पश्चिमी भाग को छोड़कर गढ़वाल,रुद्रप्रयाग, चमोली,तथा अल्मोडा जनपद के पश्चिमी छेत्र सम्मिलित हैं!
भागीरथी और अलकनंदा महाहिमालय के चौखम्बा शिखर के विपरीत ढालों से उद्गाम्मित है,अलकनंदा भागीरथी की प्रमुख सहायक नदी है,तथा भागीरथी से लम्बा प्रवाह बनाती है!अलकनंदा अलकापुरी बांक ग्लेशियर (६०७६मि)से निकलती है,वशुधर पर्पात भी इसी नदी पर है,शास्त्रोक्त छीर सागर भी बद्रीनाथ से २५ किमी दूर अलकनंदा नदी पर है,बद्रीनाथ धाम से ४ किम दूर अंतिम भारतीय सीमान्त गाँव माणा के पास देवताल से निश्त्रित सरस्वती ,केशव प्रयाग मैं अलकनंदा नदी से संगम बनाती है!
रिशिगंगा तथ अलकनंदा के संगम पर ही बद्रीनाथपुरी स्तिथ है,धोलिगंगा,निति छत्र से धोलागिरी पर्वत के कनुलुक श्रेणी से निकलकर विशनी प्रयाग मैं अलकनंदा नदी मैं मिल जाती है,पहले बाल्खिला की नदी तुंगनाथ-रुद्रनाथ की श्रेणियों से निकलकर अलकनंदा मैं समा जाती थी!आगे चलकर बिहारिगंगा,पातालगंगा ,व गरुड़गंगा अलकनंदा मैं सम्मिलित ही जाती है!नंदाकिनी त्रिशूल पर्वत से निकलकर नंदप्रयाग मैं अलकनंदा से संगम बनाती है!पिन्दार नदी बागेश्वर से निकलकर पिंडारी ग्लेशियर से निकलकर,करणप्रयाग मैं अलकनंदा नदी मैं मिल जाती है,
भारत की सर्व्श्रेस्थ व पवित्रतम नदी गंगा का आदि उद्गम स्थान ,गंगोत्री से लगभग २० किम उत्तरपूर्व की ओर गोमुख है! पौराणिक आधार पर राजा भागीरथ के अथक प्रयास से गंगा पिर्थ्वी के कल्याण हेतु स्वर्ग से आवृत हुई है! अपने उद्गम स्थान से देवप्रयाग तक गंगा नदी राजा भागीरथ के नाम से भागीरथी कही जाती है!
भिलंगना नदी जो टिहरी के निर्माण से पूर्व तक भागीरथी सहायक नदी थी!गंगोत्री हिमनद से दक्षिणी पश्चिमी ढाल से नकलती है,इन दोनों नदियों का सगम स्थल गणेश प्रयाग टिहरी के के निकट था!इन दोनों स्थानों का अस्तित्वा टिहरी बाँध पैयोजना पूरण होने के साथ ही समाप्त हो गया है!
देवप्रयाग से आगे चलकर गढ़वाल जनपद की प्रमुख नदी न्यार नदी दो जल धाराओं, पूर्वी न्यार तथ पश्चिमी न्यार नदियों की संयुक्त धारा है!