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Fairs & Festivals Of Uttarakhand - उत्तराखण्ड के प्रसिद्ध त्यौहार एवं मेले

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
Festivals in Almora
Festivals in almora

Doonagiri Mela (fair)
Organised at the tample Doonagiri at Ranikhet in the month of October.

Shrawan Mela (fair)
Organised at the of tample Jageshwar at Jageshwar in the month of July & August.

Gananath Mela (fair)
Organised at the tample in the month of October or Nov.

Dwarhat Mela (fair)
Organised at the tample at Dwarhat in the month of April.

Kasar Devi Mela (fair)
Organised at the tample at Kasar Devi tample

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 Regional fairs of Kanda: Bageshwar
a)      Dashara fair at Kanda market, 10 days, 5 sacrifices.
b)      Shiva Ratri – Lord Shiva worship, Gopeshwar.
c)      Panchami fair Dholinag in September/ October.
d)     Bashai Jagaran, 11days celebration, Golu and Ganganath temples.
e)      Dashahara – 5 sacrifices or 9 night celebration in other temples.
   

Devbhoomi,Uttarakhand:
 विभिन्न गांवों में राज दीपावली अर्थात राज बग्वाल धनतेरस की रात्रि को धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर लोगों ने पारंपरिक पकवानों का स्वाद चखा और ढोल-नगाड़ों की थाप पर रातभर नाचते रहे। इतना ही नही लोगों ने जमकर भैले भी खेले।

राजबग्वाल को चम्बा के नजदीकी गांव मखल्वाणू गांव के कुंवर परिवार के लोगों ने राज बग्वाल को पारंपरिक, लेकिन धूमधाम से मनाया। तो वहीं दूसरी कुजणी के रामपुर गांव में रौतेला और सेलूर, डोभालगांव आदि कई गांवों में कभी राज परिवार के दीवान रहे डोभाल परिवार के लोगों ने राज बग्वाल अपने-अपने तरीके से मनाया। मखल्वाणू गांव में कुंवर परिवारों ने राज बग्वाल के मौके पर क ई प्रकार के पारंपरिक पकवानों का स्वाद लेकर और भैले खेलकर राज बग्वाल मनाई। इस मौके पर उन्होंने आस-पास के दूसरे समुदाय को लोगों को भी भोज दिया। यहां के लोगों ने डीजे को दरकिनार कर पारंपरिक वाद्य यंत्र ढोल और दमाऊ का प्रयोग किया और रातभर ढोल की थाप पर नाचते रहे। ग्राम प्रधान भगवान सिंह कुंवर ने बताया कि वे राजपरिवार का होने के कारण पहले से ही राज बग्वाल धूमधाम से मनाते है। इसमें दूसरे लोगों को भी आमत्रिंत किया जाता है। विदित हो कि राज बग्वाल राजपरिवार के अलावा डोभाल और कुंवर व रौतेला लोग मनाते है। डोभाल लोगों को राजपरिवार ने राज बग्वाल मनाने का अधिकार दिया था तो वहीं दूसरी ओर कुंवर और रौतेला लोग अपने को राज परिवार के वंशज बताते हैं और उसी आधार पर राज बग्वाल को धनतेरस की रात्रि को मनाते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
नखरूं घाट मेला  26 Nov 2012            आज से शुरू होगा नखरूं घाट मेला
   लोहाघाट : भारत व नेपाल सीमा में लगने वाला प्रसिद्ध नखरूं घाट मेला मंगलवार की सायं शुरू हो जाएगा। मेला कमेटी ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। प्रशासन द्वारा मेले में शांति व सुरक्षा व्यवस्था के लिए एहतियाती कदम उठाए हैं। एसएसबी के जवान भी व्यवस्था में मुस्तैद रहेंगे। मेले में भारत के अलावा नेपाल देश से भी भारी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। क्षेत्र के लोगों की अटूट श्रद्धा का केंद्र बाबा नागार्जुन देवता रथों को सल्टा, बगौटी, जमरसों से कार्तिक पूर्णिमा को गगनभेदी जयकारों के साथ मंदिर ले जाया जाएगा। इसके साथ ही मुख्य मेला भी शुरू होगा। इसके साथ ही दर्जनों गांवों से जत्थों के आने का क्रम भी शुरू होगा। नखरूं घाट में एकादशी की रात्रि से ही भजन-कीर्तन व जागरण का क्रम शुरू हो गया था। पासम, सुल्ला, बगौटी, सल्टा, लेटी, मजपीपल, जमरसों, देवकुंडा, सुनकुरी, दिगालीचौड़, रौंसाल, मडलक, गुरेली, चामा, कमलेड़ी, पुंडिल, केलानी, सागर, रौल, गुड़मागल, आदि गांवों के साथ नेपाल के दर्जनों गांवों से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है


(Source dainik jagran)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

ध्याणियों को किया आल-कलेऊं भेंट

कर्णप्रयाग। हरियाली पूड़ा मेले के दूसरे दिन नौटी के ग्रामीणों ने ध्याणियों को आल-कलेऊं भेंट किया। शुक्रवार को ध्याणियों ने घरों में मालू के पत्ते में उगाई गई जौ की हरियाली को रिंगाल की डल्लियों में रखकर मां श्रीनंदा के मंदिर पहुंची, जहां मां नंदा की पूजा-अर्चना की गई।

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