Uttarakhand > Uttarakhand at a Glance - उत्तराखण्ड : एक नजर में

Historical Facts Of Uttarakhand - जानिए उत्तराखंड से संबंधित कुछ ऐतिहासिक तथ्य

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
1979 A.D. Indira Gandhi in her 3rd visit to Srinagar
1981 A.D. Indira Gandhi's public address at G.I.T.I., Srinagar in an election campaign
June 25, 1984 Foundation of 200 Bed Hospital at Srikot, Srinagar
by Indira Gandhi
December 9, 1984 Rajeev Gandhi's public address at
G.I.T.I., Srinagar in his first visit
November 10, 1995 Death of two revolutionaries of
Uttarakhand Andolan at
Sri Yantra Tapoo, at Alaknanda river,
in firing by Police force.
November 9, 2000 A bifurcated new state of
Uttaranchal came into being
June 6, 2003 Foundation of Srikot Medical College by
Uttaranchal Chief Minister,
Shri N. D. Tiwari

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

1890 Swami Viveka Nand Visited Nainital

एतिहासिक तथ्यों के मुताबिक स्वामी विवेकानंद पहली बार 1890 में कुमाऊं भ्रमण पर आए थे। काकड़ीघाट: स्वामी विवेकानंद को मिला था आध्यात्मिक ज्ञान

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
नेहरु पर्वतारोही संस्‍थान
 
उत्तरकाशी की शामइस संस्‍थान की स्‍थापना 1965 ई.में हुई। इस संस्‍थान में पर्वतारोहण सिखाया जाता है। यहां एक हिमालयन संग्रहालय भी है। इस संग्रहालय में पर्वतारोहण से संबंधित पुस्‍तकें, फिल्‍म्‍ा तथा स्‍लाइडस रखे हुए हैं। यहां एक दुकान भी हैं। इसमें पर्वतारोहण से संबंधित सामान मिलता हैं। लोकेशन: टहरी झील के नजदीक राष्‍ट्रीय राजमार्ग संख्‍या 108 पर। वेबसाइट: nimindia.org समय: सुबह 10बजे से शाम 5 बजे तक। मंगलवार बंद। शुल्‍क: वयस्‍क के लिए 5 रु.तथा बच्‍चों के लिए 2 रु.।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
1804 - खुड़बुड़ा यु( में नेपाली गोरखाओं की गढ़वाली सेना पर जीत। गढ़वाल नरेश प्रद्युम्नशाह को
वीरगति।

1804-15- गढ़वाल पर नेपाली गोरखाओं का शासन।

1815 - गढ़वाल के निर्वासित राजा सुदर्शनशाह के अनुरोध पर ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा गढ़वाल
से नेपाली गोरखाओं को खदेड़ कर मुक्त किया। सुदर्शनशाह द्वारा कम्पनी को यु( व्यय अदा न करने पर गढ़वाल का एक हिस्सा कम्पनी को दिया, जो ब्रिटिश गढ़वाल कहलाया। प्रशासन की दृष्टि से इसे कुमाऊं कमिश्नरी के अलमोड़ा जिले से सम्ब( किया।

- सुदर्शनशाह ने भागीरथी एवं भिलंगना के संगम पर स्थित स्थान टिहरी को अपनी रियासत की राजधानी बनाया।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

1839 - गढ़वाल जिले की अलग से स्थापना। 1940 में मुख्यालय श्रीनगर से पौड़ी लाकर स्थापित किया।
1857 - गदर के दौरान ब्रिटिश गढ़वाल में पूर्ण शान्ति। रियासत टिहरी नरेश सुदर्शनशाह ने ब्रिटिश शासन का साथ दिया।
1864 - डिप्टी कमिश्नर बेकेट ने 1864 में अपनी ओर से
1840 भू-व्यवस्था में ‘शिक्षा कर’ लगाकर गढ़वाल में आधारिक विद्यालयों की स्थापना की।
1864 - पौड़ी के समीप चोपड़ा में अमेरिकन मिशनरी थोवर्ण ने मिशन शाखा खोली ।
1868 - ‘समय विनोद’ पत्र का नैनीताल से प्रकाशन
1870 - अल्मोड़ा में ‘डिबेटिंग क्लब’ की स्थापना।
1871 - ‘अल्मोड़ा अखबार’ का अल्मोड़ा से प्रकाशन आरम्भ।
1875 - टिहरी नरेश प्रतापशाह द्वारा रियासत में प्रथम स्कूल की स्थापना। कीर्तिशाह के शासनकाल में यह प्रताप हाईस्कूल कहलाया।
1877- गढ़वाल में भीषण अकाल पड़ा, इससे पूर्व भी गढ़वाल में अन्न संकट आया था, जिसको ‘बावनी’ कहा जाता है।
1879 - कान्धार के यु( में विशेष वीरता एवं सूझ-बूझ खाने पर बलभद्रसिंह नेगी को ‘ऑर्डर ऑफ मैरिट’ का सम्मान दिया गया। यह सम्मान बहुत कम भारतीयों को मिला था। इन्हें ऑर्डर ऑफ ब्रिटिश इण्डिया’ नामक पदक भी मिला।

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