Author Topic: Holy Rivers Of Uttarakhand - उत्तराखंड की पवित्र नदिया  (Read 66639 times)

पंकज सिंह महर

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Re: SACRED AND FAMOUS RIVERS OF UTTARAKHAND !!!
« Reply #20 on: December 11, 2007, 03:49:56 PM »
उदगम - यमुना का उद्गम स्थान हिमालय के हिमाच्छादित श्रंग बंदरपुच्छ २०,७३१ऊँचाई फीट ७ से ८ मील उत्तर-पश्चिम में स्थित कालिंद पर्वत है, जिसके नाम पर यमुना को कालिंदजा अथवा कालिंदी कहा जाता है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हीमगारों और हिंम मंडित कंदराओं में अप्रकट रुप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत (२०,७३१ऊँचाई फीट) से प्रकट होती है। वहां इसके दर्शनार्थ हजारों श्रद्धालु यात्री प्रतिवर्ष भारत वर्ष के कोंने-कोंने से पहुँचते हैं।
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यमुनोत्तरी पर्वत से निकलकर यह नदी अनेक पहाड़ी दराç और घाटियों में गर्जन-तर्जन के साथ प्रवाहित होती हुई तथा वदियर, कमलाद, वदरी अस्लौर जैसी छोटी और तोंस जैसी बड़ी पहाड़ी नदियों को अपने अंचल में समेटती हुई आगे बढ़ती है। उसके बाद यह हिमालय का दामन का छोड़ कर दून की घाटी में प्रवेश करती है। वहां से कई मील तक दक्षिण पश्चिम की और बहती हुई तथा गिरि, सिरमौर और आशा नामक छोटी नदियों को अपनी गोद में लेती हुई यह अपने उद्गम से लगभग ९५ मील दूर वर्तमान सहारनपुर जिला के फैजाबाद ग्राम के समीप मैदान में आती है। उस समय इसके तट तक की ऊँचाई समुद्र सतह से लगभग १२७६ फीट रह जाती है।
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प्राचीन प्रवाह - मैदान में जहा इस समय यमुना का प्रवाह है, वहा वह सदा से प्रवाहित नहीं होती रही है। पौराणिक अनुश्रुतियों और ऐतिहासिक उल्लेखों से ज्ञात होता है, यद्यपि यमुना पिछले हजारों वर्षो से विधमान है, तथापि इसका प्रवाह समय समय पर परिवर्तित होता रहा है। अपने सुधीर्ध जीवन काल में इसने जितने स्थान वदले है, उनमें से बहुत कम की ही जानकारी हो सकी है।
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प्रागऐतिहासिक काल में यमुना मधुबन के समीप बहती थी, जहां उसके तट पर सत्रुध्न जी सर्वप्रथम मथुरा नगरी की स्थापना की थी वाल्मीकि रामायण और विष्णु पुराण में इसका विवरण प्राप्त होता है। १ कृष्ण काल में यमुना का प्रवाह कटरा केशव देव के निकट था । सत्रहवीं शताबदी में भारत आने वाले यूरोपीय विद्वान टेवर्नियर ने कटरा के समीप की भूमि को देख कर यह अनुमानित किया था कि वहां किसी समय यमुना की धारा थी। इस संदर्भ में ग्राउज का मत है कि ऐतिहासिक काल में कटरा के समीप यमुना के प्रवाहित होने की संभावना कम है, किन्तु अत्यन्त प्राचीन काल में वहाँ यमुना अवश्य थी। २ इससे भी यह सिद्ध होता है कि कृष्ण काल में यमुना का प्रवाह कटरा के समीप ही था।
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कनिधंम का अनुमान है, यननानी लेखकों के समय में यमुना की प्रधान धारा या उसकी एक बड़ी शाखा कटरा केशव देव की पूर्वी दीवाल के नीचे बहती होगी। ३ जव मथुरा में बौद्ध धर्म का व्यापक प्रचार गो गया और यहाँ यमुना के दोंनों ओर अनेक संधारम बनाये गये, तव यमुना की मुख्य धारा कटरा से हटकर प्रायः उसी स्थान पर बहती होगी, जहाँ वह अब है, किन्तु उसकी कोई शाखा अथवा सहायक नही कटरा के निकट भी विधमान थी। ऐसा अनुमान है, यमुना की वह शाखा बौद्ध काल के बहुत बाद तक संभवतः सोलहवीं शताब्दी तक केशव देव मन्दिर के नीचे बहती रही थी। पहिले दो वरसाती नदियाँ 'सरस्वती' और 'कृष्ण गंगा' मथुरा के पश्चिमी भाग में प्रवाहित होकर यमुना में गिरती थीं, जिनकी स्मृति में यमुना के सरस्वती संगम और कृष्ण गंगा नामक धाट हैं। संभव है यमुना की उन सहायक नादियों में से ही कोई कटरा के पास बहती रही हो।
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पुराणों से ज्ञात होता है, प्राचीन वृन्दाबन में यमुना गोबर्धन के निकट प्रवाहित होती थी। ४ जवकि वर्तमान में वह गोबर्धन से लगभग मील दूर हो गई है। गोवर्धन के निकटवर्ती दो छोटे ग्राम 'जमुनावती' और परसौली है। वहाँ किसी काल में यमुना के प्रवाहित होने उल्लेख मिलते हैं।
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बल्लभ सम्प्रदाय के वार्ता साहित्य से ज्ञात होता है कि सारस्वत कल्प में यमुना नदी जमुनावती ग्राम के समीप बहती थी। उस काल में यमुना नदी की दो धाराऐं थी, एक धारा नंदगाँव, वरसाना, संकेत के निकट वहती हुई गोबर्धन में जमुनावती पर आती थी और दूसरी धारा पीरधाट से होती हुई गोकुल की ओर चली जाती थी। आगे दानों धाराएँ एक होकर वर्तमान आगरा की ओर बढ़ जाती थी।
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परासौली में यमुना को धारा प्रवाहित होने का प्रमाण स. १७१७ तक मिलता है। यद्यपि इस पर विश्वास होना कठिन है। श्री गंगाप्रसाद कमठान ने ब्रजभाषा के एक मुसलमान भक्तकवि कारबेग उपमान कारे का वृतांत प्रकाशित किया है। काबेग के कथनानुसार जमुना के तटवर्ती परासौली गाँव का निवासी था और उसने अपनी रचना सं १७१७ में स्त्रजित की थी।

पंकज सिंह महर

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Re: SACRED AND FAMOUS RIVERS OF UTTARAKHAND !!!
« Reply #21 on: December 11, 2007, 03:51:15 PM »
यमुना का आधुनिक प्रवाह
- वर्तमान समय में सहारनपुर जिले के फैजाबाद गाँव के निकट मैदान में आने पर यह आगे ६५ मील तक बढ़ती हुई पंजाव के अम्बाला और हरियाणा के करनाल जिलों को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर और मुजफ्फर नगर जिलों से अलग करती है। इस भू-भाग में इसमें मस्कर्रा, कठ, हिंडन और सबी नामक नदियाँ मीलती हैं, जिनके कारण इसका आकार वहुत बढ़ जाता है। मैदान में आते ही इससे पूर्वी यमुना नहर और पश्चिमी नहर निकाली जाती हैं। ये दोनों नहरें यमुना से पानी लेकर इस भू-भाग की सैकड़ों मील धरती को हरी-भरी और उपज सम्पन्न वना देती है।
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इस भू-भाग में यमुना की धारा के दोनों ओर पंजाव और उत्तर प्रदेश के कई छोटे बड़े नगरों की सीमाएँ है, किन्तु इसके ठीक तट पर वसा हुआ सवसे प्राचीन और पहिला नगर दिल्ली है, जो लम्बे समय से भारत की राजधानी है। दिल्ली के लाखों नर-नारियों की आवश्यकता की पूर्ति करते हुए, और वहां की ढेरों गंदगी को वहाती हुई यह ओखला नामक स्थान पर पहुँचती है यहां पर इस पर एक बड़ा बांध बांधा गया है जिससे नदी की धारा पूरी तरह नियंत्रित कर ली गयी है। इसी बांध से आगरा नहर निकलती है, जो हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सैकड़ों मील भूमि को सिंचित करती है। दिल्ली से आगे यह हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा बनाती हुई तथा हरियाणा के गुड़गाँवा जिला को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले से अलग करती हुई यह ब्रज प्रदेश में प्रवाहित होने लगती है।

पंकज सिंह महर

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Re: SACRED AND FAMOUS RIVERS OF UTTARAKHAND !!!
« Reply #22 on: December 11, 2007, 03:52:26 PM »
यमुना का तटवर्ती स्थान -
ब्रज प्रदेश की सांस्कृतिक सीमा में यमुना नदी का प्रथम प्रवेश बुलंदशहर जिला की खुर्जा तहशील के 'जेबर' नामक कस्बा के निकट होता है। वहाँ से यह दक्षिण की ओर बहती हुई फरीदाबाद (हरियाणा) जिला की पलवल तहसील और अलीगढ़ उत्तर प्रदेश के हाथरस जिला की खैर तहसील की सीमा निर्मित करती है। इसके बाद यह छाता तहसील के शाहपुर ग्राम के निकट यह मथुरा जिला में प्रवेश करती है और मथुरा जिले की छाता और भाँट तहसीलों की सीमा निर्धारित करती है। जेबर से शेरगढ़ तक यह दक्षिणाभिमुख प्रवाहित होती है उसके बाद कुछ पूर्व की ओर मुड़ जाती है। ब्रज क्षेत्र में यमुना के तट पर बसा हुआ पहिला उल्लेखनीय स्थान शेरगढ़ है।
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शेरगढ़ से कुछ दूर तक पूर्व की दिशा में बह कर फिर यह मथुरा तक दक्षिण दिशा में ही बहती है। मार्ग में इसके दोनों ओर पुराण प्रसिद्ध बन और उपबन तथा कृष्ण लीला स्थान विधमान हैं। यहाँ पर यह भाँट से वृन्दावन तक बलखाती हुई बहती है और वृन्दाबन को यह तीन ओर से घेर लेती है। पुराणों से ज्ञात होता है। प्राचीन काल में वृन्दाबन में यमुना की कई धाराएँ थी, जिनके कारण वह लगभग प्रायद्वीप सा बन गया था। उसमें अनेक सुन्दर बनखंड और घास के मैदान थे, जहाँ भगवान् श्री कृष्ण अपने साथी गोप बालकों के गाय चराया करते थे।
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वर्तमान काल में यमुना की एक ही धारा है और उसी के तट पर वृन्दाबन वसा हुआ है। वहाँ मध्य काल में अनेक धर्माचार्यों और भक्त कवियों ने निवास पर कृष्णोपासना और कृष्ण भक्ति का प्रचार किया था। वृन्दाबन में यमुना के किनारों पर बड़े सुन्दर घाट बने हुए हैं और उन पर अनेक मंदिर-देवालय, छतरियां और धर्मशालाएँ है। इनसे यमुना के तट की शोभा अधिक बड़ जाती है। वृन्दाबन से आगे दक्षिण की ओर बहती हुई यह नदी मथुरा नगर में प्रवेश करती है।
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मथुरा यमुना के तट पर बसा हुआ एक ऐसा ऐतिहासिक और धार्मिक स्थान है, जिसकी दीर्घकालिन गौरव गाथा प्रसिद्ध है। यहां पर भगवान श्री कृष्ण ने अवतार धारण किया था, जिससे इसके महत्व की वृद्धि हुई है। यहां भी यमुना के तट पर बड़े सुन्दर घाट बने हुए हैं यमुना मेंनाव से अथवा पुल से देखने पर मथुरा नगर और उसके घाटो का मनोरम द्रष्य दिखाई देता है मथुरा मेंयमुना पर दो पक्के पुल वने हैं जिनमें एक पर रेलगाड़ी चलती है तथा दूसरे पर सड़क परिवहन चलते हैं। मथुरा नगर की दक्षिणी सीमा पर अब गोकुल वैराज भी निर्मित कराया गया है जिसका उद्देश्य ब्रज के भूमिगत जल के स्तर को पुनः वापिस लाना और ब्रज की उपजाऊ भूमि को अधिकाधिक सिंचित करना है। विगत काल में यमुना मथुरा-वृन्दाबन में एक विशाल नदी के रुप में प्रवाहित होती थी, किन्तु जवसे इससे नहरें निकाली गयी हैं, तब से इसका जलीय आकार छोटा हो गया है। केवल वर्षा ॠतु मे यह अपना पूर्ववर्ती रुप धारण कर लेती है। उस समय मीलों तक इसका पानी फैल जाता है।
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मथुरा से आगे यमुना के तट पर बायीं ओर गोकुल और महाबन जैसे धार्मिक स्थल हैं तथा दांये तट पर पहिले औरंगाबाद और उसके बाद फरह जैसे ग्राम हैं। यहाँ तक यमुना के किनारे रेतीले हैं, किन्तु आगे पथरीले और चटटानी किनारे आते हैं, जिससे जल धारा बलखाती हुई मनोरम रुप में प्रवाहित होती है।
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सादाबाद तहसील के ग्राम अकोस के पा यमुना मथुरा जिला की सी मा से बाहर निकलती है और फिर कुछ दूर तक मथुरा और आगरा जिलों की सीमा निर्मित करती है। सादाबाद तहसील के मंदौर ग्राम के पास यह आगरा जिला में प्रवेश करती है। वहाँ इसमें करबन और गंभीर नामक नदियां आकर मिलती हैं।
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आगरा जिले में प्रवेश करने पर नगला अकोस के पास इसके पानी से निर्मित कीठम झील है, जो सैलानियों के लिये बड़ी आकर्षक है। कीठम से रुनकता तक यमुना के किनारे एक संरक्षित बनखंड का निर्माण किया गया है, जो 'सूरदास बन' कहलाता है। रुनकता के समीप ही यमुना तट पर 'गोघात' का वह प्राचीन धार्मिक स्थल है, जहाँ महात्मा सूरदास १२ वर्षों तक निवास किया था और जहाँ उन्होंने महाप्रभु बल्लभाचार्य से दीक्षा ली थी।
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यमुना के तटवर्ती स्थानों में दिल्ली के बाद सर्वाधिक बड़ा नगर आगरा ही है। यह एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक, व्यापारिक एंव पर्यटन स्थल है, जो मुगल सम्राटों की राजधानी भी रह चुका है। यह यमुना तट से काफी ऊँचाई पर बसा हुआ है। यहाँ पर भी यमुना पर दो पुल निर्मित हैं। आगरा में यमुना तट पर जो इमारतें है, मुगल बादशाहों द्वारा निर्मित किला और ताज महल पर्यटकों के निमित्त अत्याधिक प्रसिद्ध हैं।
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आगरा नगर से आगे यमुना के एक ओर फिरोजाबाद और दूसरी ओर फतेहबाद जिला और तहसील स्थित है। उनके बाद बटेश्वर का सुप्रसिद्ध धार्मिक और ऐतिहासिक स्थल आता है, जहाँ ब्रज की सांस्कृतिक सीमा समाप्त होती है। बटेश्वर का प्राचीन नाम 'सौरपुर' है, जो भगवान श्री कृष्ण के पितामह शूर की राजधानी थी। यहाँ पर यमुना ने बल खाते हुए बड़ा मोड़ लिया है, जिससे बटेश्वर एक द्वीप के समान ज्ञात होता है। इस स्थान पर कार्तिक पूर्णमा को यमुना स्नान का एक बड़ा मेला लगता है।
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बटेश्वर से आगे इटावा एक नगर के रुप में यमुना तट पर वसा हुआ है। यह भी आगरा और बटेश्वर की भाँति भँचाई पर बसा हुआ है। यमुना के तट पर जितने ऊँचे, कगार आगरा और इटावा जिलों में हैं, उतने मैदान में अन्यत्र नहीं हैं। इटावा से आगे मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध नदी चम्बल यमुना में आकर मिलती है, जिससे इसका आकार विस्तीर्ण हो जाता है, अपने उद्गम से लेकर चम्बल के संगम तक यमुना नदी, गंगा नदी के समानान्तर बहती है। इसके आगे उन दोनों के बीच के अन्तर कम होता जाता है और अन्त में प्रयाग में जाकर वे दोनों संगम बनाकर मिश्रित हो जाती हैं।
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चम्बल के पश्चात यमुना नदी में मिलने वाली नदियों में सेंगर, छोटी सिन्ध, बतवा और केन उल्लेखनीय हैं। इटावा के पश्चात यमुना के तटवर्ती नगरों में काल्पी, हमीर पुर और प्रयाग मुख्य है। प्रयाग में यमुना एक विशाल नद के रुप में प्रस्तुत होती है और वहां के प्रसिद्ध ऐतिहासिक किले के नीचे गंगा में मिल जाती है। प्रयाग में यमुना पर एक विशाल पुल निर्मित किया गया है, जो दो मंजिला है। यह उत्तर प्रदेश का विशालतम सेतु माना जाता है। यमुना और गंगा के संगम के कारण ही, प्रयाग को तीर्थराज का महत्व प्राप्त हुआ है। यमुना नदी की कुल लम्बाई उद्गम से लेकर प्रयाग संगम तक लगभग ८६० मील है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: SACRED AND FAMOUS RIVERS OF UTTARAKHAND !!!
« Reply #23 on: December 31, 2007, 11:58:10 AM »



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: SACRED AND FAMOUS RIVERS OF UTTARAKHAND !!!
« Reply #24 on: July 30, 2008, 05:12:19 PM »
Girthi River

Girthi River originates in Pithoragarh District and follows a short course in the extreme north-west of Pithoragarh. It then moves along the Kungribingri range and takes a south-west course, before entering the Garhwal region. The river eventually merges into the Ganges and hence, has been geographically grouped under the rivers of the Ganga system.

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Re: SACRED AND FAMOUS RIVERS OF UTTARAKHAND !!!
« Reply #25 on: August 01, 2008, 11:35:24 AM »
Pindari River


Pindari River originates from the Pindari Glacier in Almora District. It flows though Pindar Valley, meets Kafni River at Dwali village and merges with Alaknanda River at Karnaprayag in Chamoli District.

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Re: SACRED AND FAMOUS RIVERS OF UTTARAKHAND !!!
« Reply #26 on: August 01, 2008, 11:36:58 AM »
Khati (Bageshwar Pindari)

 Khati Village is situated 18 km from Loharkhet in Bageshwar District. It lies at the confluence of Pindari and Sundardunga Rivers. It is believed that the villagers of Khati are the direct descendants of those who had sheltered the Pandavas during their exile. The place provides an enchanting view of snowy peaks of Himalayas. Dwali Village - where Kafni River merges with Pindari River - is only 11 km from here. Khati also serves as the base for a trek to Pindari Glacier.

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Re: SACRED AND FAMOUS RIVERS OF UTTARAKHAND !!!
« Reply #27 on: August 01, 2008, 03:31:56 PM »
Rupin River : Uttarakshi District


Originating at Rupin Glacier, the small Rupin River flows through Uttarakshi District of Uttaranchal. It joins Supin River at Naitwar to form the Tons River.

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Re: SACRED AND FAMOUS RIVERS OF UTTARAKHAND !!!
« Reply #28 on: August 01, 2008, 03:33:35 PM »
Bhilganga River

 
Bhilganga River, one of the seven streams of the Ganges River, flows through Uttarkashi District of Uttaranchal. The source of the river is Khatling

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: SACRED AND FAMOUS RIVERS OF UTTARAKHAND !!!
« Reply #29 on: August 01, 2008, 03:35:08 PM »
Supin River

Supin River is in Uttarakshi District of Uttaranchal. This small river is a tributary of the Tons River. Supin River feeds the

 

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