Dosto,
Our Senior Member Sunita Lakhera Sharma ji will be writing here exclusive information about various herbs found in Uttarkahand and their medicinal use. We are sure that information provided by Sunita Ji will be appreciated by you.
Here is one article which Sunita Lakhera Sharma Ji has posted in another topic in the forum. This article has been written in Garhwali language.
औषधीय डाला-बूटों कु हमर जीवन दगडी सीधू सम्बन्ध च जैक वास्ता हम सभीयुं त जागरूक हूँ चेंद ! उत्तराखंड त अमूल्य संजीवनी वाटिका च जैकी जानकारी हम सभयूं ते हूण बहुत जरूरी च, निथर हमर प्राकृतिक संपदा केवल कुछ हथो मा सिमट जैली ! अगर हम सैह ढंग से जीण चाणा छंवा त अपर आसपास क वनस्पति ते न केवल समझन प्वाडल बल्कि वेक सुरक्षा वास्ता काम भी कन प्वाड़ल ! आधुनिक [एलोपथिक] दवै आराम त दीन्दी च पर वेकि दगड न जाने कथsकू आफत भी दगड़ मा लन्दिन ! हमर पुरण जमsने कू वैध हकीमो कु इलाज मा जू चमत्कार हून्दी छयाई व् यु नै दवाईयों मा कख छ ! सबसे पैली त समस्त वनस्पति जगत और मनखि जीवन मा परस्पर मेल हूण चेणू च ! हमर देस कु रिसी मुनियों न वेद , पुराणों , उपनिषदों अर अनेक धार्मिक ग्रंथों मा हमर यूँ संसाधनों की जानकारी मिलदी ! यु लेख अपुर राज्य मा ही न बल्कि हर घेर अर दरोज तक 'हर्बलिज्म' फैलाण क वास्ता उठायु गयु कोसिस/कदम च ! 'हर्बलिज्म' मतलब जड़ी बूटीयूं कु संसार क आधुनिक धारा दगडी विकास व् प्रचार /प्रसार करन च ! १५ -१७ शताब्दी ,जड़ी बूटी कुण स्वर्ण युग छयाई ! जड़ी बूटी कु सिधांत हमर आयुर्वेद ,चीनी अर यूनानी पारम्परिक हकीमों कु माध्यम च ! विश्व स्वास्थ्य सगठन कु अनुमानुसार आज क दुनिया कु ८०% आबादी कै हद तक अपर इलाज घरेलू चिकित्षा अपने की कर लिंदीन !प्राकृतिक चिकित्सक दुनिया भर मा २/३ % से अधिक जातिया जे मा अनुमानित रूप मा ३५००० औषधि गुंणों से भरपूर छन !हर्बल दवे बीज / कलम पद्धति से उगै जै सक्दन ,आर थोडा बहुत खर्च कं अपर पुंगडीयूं ,घर ,बगीचों मा उगै जै सकदन ! दुनिया भर मा भी लोग ईं दिशा मा जागरूक छन्न!
वैध डाली बूटयूं कु विभिन्न हिस्सों -जेड़, टेनी ,पत्ता ,फूल अर फलों कु रसायन / सुखू पौडर बने कन अपर रोगियों कु उपचार करदन !जातिगत वनस्पति कु अध्यन बहुत जरुरी च ! हमर उत्तराखंड मा त यु जड़ी बूटियों कु अपार संपदा च ! हमर उद्देश्य हरेक घोर मा एकी जागरूकता फैलाण कु अभियान च ! जै से धन व् समय कु बर्बाद नि करी कण हम अपर आस पास की वनस्पति कु सेह इस्तमाल कर सकवां !
देवभूमि उत्तराखंड दुर्लभ जड़ी बूटियों कुण संसार मा प्रसिद्ध च पण आधुनिक धारा मा ईंते पिछने धकेलनायी छन यु एलोपथिक सत्ताधारी ! उत्तराखंड सासन द्वारा स्वास्थ्य पर्यटन व् जड़ी बुटीयु का विकास पर ध्यान नि दीणा छन जै की वजह से लोगों ते एक यांका बारा ज्ञान नी च ! बाबा रामदेव ,गुरुकुल ,बैधनाथ अर डाबर जन और भी यीन पद्धति पर आज भी अडिग छन ! कतका यन भी वैध छन जोंते अपर ज्ञान औरों त बटण मा डैर लगदी, न वा कखी वु मै से आग्ने चली जाव !
आज इन्टरनेट कु युग छ ! अर ये माध्यम से न जाने कथका समाजसेवी यीं दिसा मा अग्रसर छन ! यूँ सब मा आजकल डॉ अरुण बडोनी जी कु नाम शिरोमणि [सर्वोपरि] चलणु च च जौन अपर फील्ड रिसर्च कु अध्यन जनता तक अपर गैर सरकारी संस्था -शेर -( सोसाईटी आफ हिमालयन एन्वैर्नमेंट रिसर्च कू माध्यम से पौंछाणा छन !
उत्तराखंड कु ज्यादातर क्षेत्र पहाड़ी हूण से ज्यादातर इखा क लोग गुरबत अर अभावग्रस्त जीवन यापन करणा छन ! इन परिस्तिथि मा छुट- मुट रोगों क वास्ता ये लोग अपर इलाज करी सकदन ,साथ ही बड से बड रोगों से अफु ते सुरक्षित रख सक्दन ! यदि हर गौं कु हर सदस्य अपर आसपास कु वन संपदा अर घास -पात कु जानकार व्हेह जाली त हर घर मा वैध ह्वाला अर यूँ अंग्रेजी दवे ते बस आपातकाल मा ही इस्तेमाल कारला ! पण उत्तराखंड की प्राकृतिक स्वास्थ्य केन्द्रों कु स्तिथि ठीक नि च ! दुर्लभ व् संजीवनी वर्ग कु औषधि कु महत्व दीं कु दगडी वैधों कु शिक्षा ,व् ये ज्ञान कु प्रयोग व् प्रचार वास्ता सरकारी - गैर सरकारी स्वयं सेवियों ते यीं दिशा मा कार्य करनी चेंद ! आवा हम सब एक सजग उत्तराखंडी बणिक अपर औषधि ज्ञान बढ़ौला ! सरकार ते भी शोधकर्ता अर किसानो त यीं दिशा मा बढ़ावा दीण चेन्दु ! जै उत्तराखंड !
M S Mehta