कदली वृक्ष लाने को छानी-ल्वेशाल रवाना हुआ दल
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अल्मोड़ा: उत्तराखण्ड की अराध्य व चंदवंशीय राजाओं की कुलदेवी मां नंदा-सुनंदा की मूर्ति निर्माण के लिए कदली वृक्ष लाने के लिए मेला समिति के सदस्यों का दल दोपहर छानी-ल्वेशाल के लिए रवाना हुआ। रवाना होने से पूर्व मां नंदादेवी मंदिर में पूजा-अर्चना की गई।
सर्वप्रथम सफेद व लाल ध्वजों का पूजन कदली वृक्ष लाने वाले दल के नेतृत्व के रूप में किया गया। अक्षत, चंदन, पिठावां, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य से अर्चन किया गया। उसके बाद परंपरागत वाद्य यंत्रों ढोल, नगाड़ों, तुरई, नरसिंग का उद्घोष, शंख, घंट ध्वनि के साथ नंदा-सुनंदा मैया की जयकार के साथ यात्रा का शुभारंभ किया गया। यात्रा नंदादेवी मंदिर परिसर से शुरू होकर लाला बाजार से लोहा शेर की सीढि़यों से उतरते हुए राज परिवार के जगदम्बा मंदिर के दर्शन के बाद आगे की यात्रा शुरू की गई।
उल्लेखनीय है कि कदली वृक्ष को लाने वाला दल गोधूलि काल में छानी-ल्वेशाल गांव पहुंचकर उन कदली वृक्षों का पूजन, अर्चन कर न्यौता दिया जाएगा कि सप्तमी की प्रात: ससम्मान मां नंदा-सुनंदा की मूर्ति निर्माण के लिए आपको अल्मोड़ा ले जाया जाएगा। परंपरा के अनुसार कदली वृक्ष को न्यौता देते वक्त अक्षत कदली वृक्षों में फेंके जाते हैं, जो-जो वृक्ष हिला उसे स्वीकृति मानकर रोली, चंदन लगाकर चिह्नित किया जाता है। प्रात: उन्हीं को काटकर लाया जाता है।
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