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कुमाईं के सुप्रसिद्ध कवि लोकरत्न पन्त ‘गुमानी’ जी ने काफल पर कुछ पंक्तियाँ लिखी हैं :
खाणा लायक इन्द्र का हम छियां भूलोक आई पड़ा
पृथ्वी में लग यो पहाड़ हमरी थाती रची दैव ले –
ऐसो सोच-विचारि काफल सबै राता भया क्रोध ले
बाकी बुडा-खुडा शर्म ले काला-धुमैला भया ||