कोटद्वार: कोटद्वार में 'अन्ना', चौंकिए नहीं यहां बात समाजसेवी 'अन्ना' की नहीं, बल्कि इजराइल की 'अन्ना' प्रजाति के सेब की हो रही है। इसकी कोटद्वार में अच्छी पैदावार है। उद्यान विभाग की ओर से 'अन्ना' प्रजाति के सेब की पौध को काश्तकारों में बांटा जा रहा है, ताकि उनकी आर्थिकी मजबूत हो।
दरअसल, स्थानीय बीईएल इकाई में कार्यरत आरपी सिंह ने करीब आठ साल पहले सनेह क्षेत्र के कुंभीचौड़ स्थित बगीचे में 'अन्ना' के कुछ पौधे लगाए थे। इस साल यह पेड़ लकदक हैं। अब अन्ना की पैदावार को देख जहां बागवानी करने वाले अन्ना की ओर आकर्षित हो रहे हैं। वहीं उद्यान विभाग भी अन्ना को काश्तकारों तक पहुंचाने के लिए योजना बना रहा है।
सब्सिडी में बंटेगा अन्ना
'अन्ना' की प्रगति देख उद्यान विभाग की भी आस जगी है। विभाग ने जहां शुरुआती तौर पर 'अन्ना' की पौध मंगाकर लोगों को बांटनी शुरू कर दी है। अब तक विभाग लोगों को करीब पांच हजार पौंधे बांट चुका है। विभाग अब सब्सिडी पर 'अन्ना' के पौधे देने की तैयारी में है।
यह है 'अन्ना' की खासियत
'अन्ना' आम तौर पर ठंडे क्षेत्रों में होने वाले सेब की प्रजातियों से एकदम अलग है। इसकी खासियत यह है कि जहां आम प्रजातियों कि लिए कम से कम 15 सौ से 16 सौ घंटे पांच से सात डिग्री के तापमान में रहना जरूरी है। वहीं 'अन्ना' को फूल आने से पहले मात्र चार सौ से सात सौ घंटे ही पांच से सात डिग्री तापमान की जरूरत होती है।
क्षेत्र में 'अन्ना' की पैदावर उत्साहजनक है। कोटद्वार की जलवायु अन्ना के लिए मुफीद है। काश्तकारों को 'अन्ना' प्रजाति की पौध देने के लिए योजना बनाई जा रही है।
डॉ. एसके सिंह, उद्यान विशेषज्ञ, उद्यान विभाग कोटद्वार