Author Topic: kumaon mein vyapt dharmik aur samajik pravartiyan ek manovaigyanik vishleshan  (Read 3647 times)

Ajay Pandey

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   kumaon  में व्याप्त धार्मिक और सामाजिक रूढ़ियाँ एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
आज उत्तराखंड तरक्की के शिखर पर है और उत्तराखंड राज्य में विकास की लहर है राज्य नए नए अवसर सृजित कर रहा है लेकिन आज kumaon  का निवासी रुढ़िवादी भी है रुढियों का यहाँ पर काफी प्रचार है  kumaon में भूत प्रेत का प्रचार भी है आज भी कई जगह kumaon  के निवासी मानते हैं की भूत और प्रेत होता है लेकिन भूत प्रेत कुछ नहीं होता है तंत्र मंत्र और टोने टोटके में भी kumaon  का निवासी विश्वास करता है श्री बद्रीदत्त पाण्डेय जी की पुस्तक के अनुसार kumaon  का निवासी टोने टोटके में विश्वास करता है kumaon  में ना जाने ये रूढ़ियाँ क्यों फेलने लगी हैं kumaon  का निवासी इसीलिए तरक्की पर नहीं हैं क्योंकि वह रुढियों में विश्वास करता है और जागर पर भी kumaon  निवासी विश्वास करता है जागर ढोंग है देवता नहीं नाचता यह सब ढोंग है और यह रूढ़ियाँ आखिर कब तक kumaon  में रहेंगी देवता नहीं आता जगरिया और डगरिया बुलाना और देवता नचवाना सब कुछ ढोंग है चावल परखना भी ढोंग है kumaon  में जागर भी एक रूढी ही है kumaon  का निवासी रूढ़ीवाद में विश्वास रखता है जागर उत्तराखंड की संस्कृति में है यह में मानता हूँ पर यह रूढी बनकर घर कर गया है

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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I don't agree with you Pandey ji. We can not call every thing superstition & orthodox.

Uttarakhand is known as Devbhoomi. There is temple of God & Goddess at every step in hill areas. The fact that new generation is finding it hard to do the Pooja as per our traditional rules. 

I have personally seen in many cases that people get fine after performing pooja, / jagar etc. However, there are also some cases of excess superstition but it is will be unfair to call entire is system / culture is fake.   

Ajay Pandey

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kumaun  में व्याप्त धार्मिक और सामाजिक प्रवर्तियाँ एक मनोवैज्ञानिक विश्लेषण  भाग २
कुमाउन में जागर एक रूढी का भी रूप ले चूका है विभिन्न स्त्रोतों से जांच पड़ताल के बाद यह पता चलता है की जागर कई जगह रूढ़ीवाद का भी रूप ले चूका है और कई जगह अपने अच्छे परिणाम भी दे रहा है जागर के दो पक्ष हैं एक मनोवैज्ञानिक है तो दूसरा रुढ़िवादी पक्ष है आजकल जब उत्तराखंड में कोई बीमार हो जाता है तो जागर लगाई जाती है बच्चे नहीं हो रहे हों तो जागर लगाई जाती है जागर आज एक रूढी बन चूका है कई कई जगह तो जागर एक कुरीति का रूप ले चूका है जागर को कई लोग तो मानते ही नहीं हैं यह हमें पता चला है लोग कहते हैं की हम गीता और रामायण के सिद्धांतो को मानते हैं जागर के नहीं जागर एक अन्धविश्वास ही है ऐसा सब लोग कहते हैं इसके बाद भूत प्रेत और टोने टोटके की बात आती है कुमाउन में आज भी यह प्रचलित है क्योंकि देवभूमि उत्तराखंड के लोग अब टोने टोटके में भी ज्यादा विश्वास रखते हैं यदि कुछ हुआ किसी के घर में तो कहते हैं की घात डाल दिया यह कर दिया वगेरह पर ऐसा कुछ होता ही नहीं और देवभूमि के लोग तो पूछ पर भी विश्वास रखने लगे हैं जो पूछ वाला बताता है उसे मान लेते हैं ऐसे टोने टोटके कुछ ही दिन तक लगते हैं फिर उनका असर कम होने लगता है पर लोग हैं की पूछ और टोने टोटके में ही विश्वास रखते हैं इन तथ्यों से यही सिद्ध होता है की कुमाउन रूढ़िवादी हो गया है और कुछ रूढ़ियाँ तो कुमाउन में इस तरह घर कर गयी है की लोग उन्हें ख़त्म करना ही नहीं चाहते हैं जागर एक ढोंग है और पाखण्ड है यह कुमाउन के लोगों को मान लेना चाहिए जागर कुछ हद तक सही भी है और कुछ हद तक रूढी भी है जागर के दो पक्ष हैं वो में निचे दे रहा हूँ
१. जागर में देवता नाचता है और देवता आता है उससे सब सही होता है कही कही यह तथ्य प्रमाणित भी है
२. अशोक का शिलालेख जो कालसी देहरादून में है उसमें यह बताया है की जागर एक रूढी है और ढोंग पाखंड है इसे ख़त्म किया जाना चाहिए
३. जागर एक ढोंग भी है जो रूढी बनकर घर कर गया है
४. कुमाउन के निवासी अगर जागर को कम प्राथमिकता दें तो जागर रूढ़िवादी न होकर सही रूप में उभरकर आ सकता है
यह पक्ष जागर के हैं अगर हम ये रूढ़ियाँ कुमाउन से बाहर कर दें तो इसमें कोई शक नहीं की कुमाउन तरक्की पर होगा और अगर जागर भूत प्रेत और टोने टोटके जैसी रूढी कम हो तो भी कुमाउन सही प्रदेश बनकर उभरेगा और शिखर पर होगा यदि कुमाउन का निवासी इन रुढियों को मानना बंद कर दे और कुमाउन से हटा दे तो
धन्यवाद
अजय पाण्डेय द्वारा जारी

 

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