Author Topic: Mohan Chand Sharma - दिल्ली आतंकवादी मुडभेड मे शहीद इंसपेक्टर मोहन चंद शर्मा  (Read 36401 times)

हेम पन्त

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Msg. from shri Hari Pant ji

"Hari pant" <hari_pant@yahoo.com>

राष्‍ट के सपूत को हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।  उत्‍तराखंड की धरती से निकले सपूत ने पहाड का सिर एक बार फिर गर्व से उठा दिया। हमें आपके बिछडने का दुख तो है लेकिन आपका वलिदान हमेशा हमारा मार्ग प्रशस्‍त करेगा।  हम सभी को आप पर नाज है। अश्रुपूर्ण अंतिम विदाई। वीर कभी मरते नहीं हैं, वह वीरता के नये स्‍तंभ खडे करते हैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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CONDOLENCE MEETING

 

 

CONDOLENCE MEETING OF LATE SHIR MOHAN CHANDER SHARMA, MASIWAL. WILL BE HELD ON 23RD SEPTEMBER, 2008 AT 5.00 P.M. AT GARHWAL BHAWAN, PANCHKYA ROAD , NEW DELHI . 110001.

ALL ARE REQUESTED THAT KINDLY ATTAND CONDOLENCE MEETING IS THE SWEET MEMORY OF OUR HERO MOHAN CHAND SHARMA, MASIWAL.

 

 

CONTACT:-

9312836126-9811777006-9350202996-9891955999


__._,_.___

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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शहीद के परिजनों से मिले सीएम खंडूड़ीSep 23, 12:15 am

देहरादून। मुख्यमंत्री मेजर जनरल (से.नि.) भुवन चंद्र खंडूड़ी ने आज दिल्ली में शहीद इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा के परिजनों से भेंट कर उन्हें सांत्वना दी।

दिल्ली में श्री खंडूड़ी शहीद के आवास पर गए। परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इस दुख की घड़ी में उत्तराखंड सरकार उनके साथ है। स्व.शर्मा को एक जांबाज सिपाही बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस शहादत पर पूरे देश को गर्व है। मुख्यमंत्री ने परिजनों को सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन देते हुए पांच लाख रुपये की सहायता राशि का ड्राफ्ट भी भेंट किया।


हेम पन्त

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कल शाम गढवाल भवन, दिल्ली में शहीद इन्स्पेक्टर शर्मा (असल में उनका surname मासीवाल है) की स्मृति में उत्तराखण्ड प्रवासियों द्वारा  आयोजित श्रद्धांजली सभा में लोगों ने मासीवाल जी को अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये. उनके कई रिश्तेदारों और दिल्ली पुलिस में उनके सहयोगियों ने मासीवाल जी के व्यक्तित्व और उनसे जुङे संस्मरण लोगों के साथ बांटे. भारी संख्या में उपस्थित जनसमूह में सांसद बच्ची सिंह रावत व टी.वी. एक्टर हेमन्त पाण्डे के अलावा उत्तराखण्डी मूल के अनेक पत्रकार, राजनेता, आन्दोलनकारी व समाजसेवी शामिल थे..

इस रविवार को फरीदाबाद में भी एक श्रद्धांजली सभा का आयोजन किया जा रहा है..जिसमें "उत्तराखण्ड की वीर परंपरा और शहादत का मूल्य" विषय पर एक विचार गोष्टी भी होगी.


CONDOLENCE MEETING

 

 

CONDOLENCE MEETING OF LATE SHIR MOHAN CHANDER SHARMA, MASIWAL. WILL BE HELD ON 23RD SEPTEMBER, 2008 AT 5.00 P.M. AT GARHWAL BHAWAN, PANCHKYA ROAD , NEW DELHI . 110001.

ALL ARE REQUESTED THAT KINDLY ATTAND CONDOLENCE MEETING IS THE SWEET MEMORY OF OUR HERO MOHAN CHAND SHARMA, MASIWAL.

 

 

CONTACT:-

9312836126-9811777006-9350202996-9891955999


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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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CONDOLENCE MEET

(SHHOK SABHA)

 
Garhwal Bhatra Mandal, Mumbai is organising condolence meet to pay homage to brave soldier of Veer Bhoomi , Uttarakhand  Inspector Late Shri Mohan Chand Sharmaji who laid down his life on 19.09.2008 in an encounter against terrorist while safegaurding the security of our great nation.  He hailed from village Masi, Ranikhet Almora of Uttarakhand.
 
Date & Venue :
 
27 th September 2008 at 6 pm sharp at Garhwal Darshan, Natwar Nagar Road No.1, Jogeshwari (East), Mumbai - 400 060.
 
Please contact Mr. Rajendra Sharmaji on
28391838 / 2821 6195
Cell # 9967623889.
 
Kindly attend the same in large numbers to showyour solidarity for his great sacrifice.
 
Kar chale hum fhida jaano tan aathiyo  ............
 
aab tumhare hawale vatan saathiyo..........
 



शहीद मोहन चन्द्र शर्मा (मासीवाल) जी को मेरा शत शत नमन.

ईश्वर उनकी आत्मा को शाँती दें और शोक संतृप्त परिवार को यह दुख सहने की शाक्ती दें. उनके जाने से दिल्ली पुलिस ने एक जाँबाज आफ़िसर खो दिया है. देश को उनकी कमी सदा खलेगी.

यह उनका बलिदान ही था कि उनकी अन्तिम यात्रा में भारी भीड़ शामिल हुई. इसमें विभिन्न पुलिस विभागों, IB, आदि के आफ़िसर, कर्मचारी, उनके पूर्व साथी, रिश्तेदार एवं विभिन्न गणमान व्यक्ति तो थे ही साथ ही दिल्ली में उत्तराँचल के प्रवासी बन्धु भी काफ़ी आए थे.  इनसे भी बड़ी बात है कि दिल्ली के आम नागरिक जो कि उनसे पूर्व परिचित नहीं थे, वे भी भारी संख्या में निगम बोध घाट पहुँचे थे. हमने यह तो देखा है कि सैनिकों की शहादत पर देश की जनता उनको  काफ़ी सम्मान देती है पर  यह शायद पहली बार हुआ कि एक पुलिस वाले की अन्तिम यात्रा में इतना बड़ा जनसमुदाय शामिल हुआ वह भी तब जब देश में पुलिस की छवि कोई अच्छी नही मानी जाती.  यह उनका बलिदान ही था कि लोग उनकी जय-जयकार "शाहीद मोहन चन्द्र शर्मा अमर रहें" के साथ-साथ "दिल्ली पुलिस जिन्दाबाद" के नारे भी लगा रहे थे.  उनकी शहादत से दिल्ली पुलिस का सिर भी ऊँचा  हो गया है.

वे मेरे ही गाँव आदिग्राम कनौणियाँ, पट्टी तल्ला गेवाड़, पोस्ट आफ़िस मासी (तिमिलखाल - पसीखाल), तहसील चौखुटिया, अल्मोड़ा के मूल निवासी थे. उनका पैतृक surname मासीवाल था. 

इस वर्ष वे जून में देव पूजन के लिए परिवार सहित गाँव आए थे. हम लोग भी देव पूजन (जागर बैसी)के लिए उसी दौरान गाँव गये हुए थे जैसा कि इस फ़ोरम में अन्यत्र मैं इस बारे में विस्तार से लिख चुका हूँ.  उनके परिवार का भी नव-अवतार गढ़ाने और बैसी का कार्यक्रम था.  पर ४-५ दिन की जागर के बाद जब देवता अवतरित नहीं हुए  तो उन्होंने सत्यनारायण भगवान की कथा कराई और पूरे गाँव को भोज दिया था. उनके साथ उनके अंगरक्षक भी आए थे जिनका रहने खाने की व्यवस्था उन्होंने मासी बाजार में कराई थी. मासी के भूमियाँ मन्दिर में वे घंटी भी चढ़ा गये थे.  उन्होंने हमारे गाँव "आदिग्राम कनौणियाँ" का नाम भी सुर्खियों में ला दिया और हम ग्राम निवासियों का सिर भी ऊँचा कर दिया है.

सरकार से विनम्र प्रार्थना है कि उनके परिवार का उचित सम्मान किया जाए ओर उन्हें समय के साथ भुला न दिया जाए.

अन्त में इतना ही कहना चाहुँगा कि " ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना"

वीरेन्द्र सिंह बिष्ट

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Virendra Ji,

Thanx for sharing the movements spent with the   Martyr M C Sharma. We wish that whatever Govt has promised is fulfilled.


शहीद मोहन चन्द्र शर्मा (मासीवाल) जी को मेरा शत शत नमन.

ईश्वर उनकी आत्मा को शाँती दें और शोक संतृप्त परिवार को यह दुख सहने की शाक्ती दें.
उनके जाने से दिल्ली पुलिस ने एक जाँबाज आफ़िसर खो दिया है. देश को उनकी कमी सदा खलेगी.
यह उनका बलिदान ही था कि उनकी अन्तिम यात्रा में भारी भीड़ शामिल हुई. इसमें विभिन्न पुलिस विभागों, IB, आदि के आफ़िसर, कर्मचारी, उनके पूर्व साथी, रिश्तेदार एवं विभिन्न गणमान व्यक्ति तो थे ही साथ ही दिल्ली में उत्तराँचल के प्रवासी बन्धु भी काफ़ी आए थे.  इनसे भी बड़ी बात है कि दिल्ली के आम नागरिक जो कि उनसे पूर्व परिचित नहीं थे, वे भी भारी संख्या में निगम बोध घाट पहुँचे थे. हमने यह तो देखा है कि सैनिकों की शहादत पर देश की जनता उनको  काफ़ी सम्मान देती है पर  यह शायद पहली बार हुआ कि एक पुलिस वाले की अन्तिम यात्रा में इतना बड़ा जनसमुदाय शामिल हुआ वह भी तब जब देश में पुलिस की छवि कोई अच्छी नही मानी जाती.  यह उनका बलिदान ही था कि लोग उनकी जय-जयकार "शाहीद मोहन चन्द्र शर्मा अमर रहें" के साथ-साथ "दिल्ली पुलिस जिन्दाबाद"
के नारे भी लगा रहे थे.  उनकी शहादत से दिल्ली पुलिस का सिर भी ऊँचा  हो गया है.

वे मेरे ही गाँव आदिग्राम कनौणियाँ, पट्टी तल्ला गेवाड़, पोस्ट आफ़िस मासी (तिमिलखाल), तहसील चौखुटिया, अल्मोड़ा के मूल निवासी थे. उनका surname मासीवाल था. 

इस वर्ष वे जून में देव पूजन के लिए परिवार सहित गाँव आए थे. हम लोग भी देव पूजन (जागर बैसी)के लिए उसी दौरान गाँव गये हुए थे जैसा कि इस फ़ोरम में अन्यत्र मैं इस बारे में विस्तार से लिख चुका हूँ.  उनके परिवार का भी नव-अवतार गढ़ाने और बैसी का कार्यक्रम था.  पर ४-५ दिन की जागर के बाद जब देवता अवतरित नहीं हुए  तो उन्होंने सत्यनारायण भगवान की कथा कराई और पूरे गाँव को भोज दिया था. उनके साथ उनके अंगरक्षक भी आए थे जिनका रहने खाने की व्यवस्था उन्होंने मासी बाजार में कराई थी. मासी के भूमियाँ मन्दिर में वे घंटी भी चढ़ा गये थे.  उन्होंने हमारे गाँव का नाम भी सुर्खियों में ला दिया और हम ग्राम निवासियों का सिर भी ऊँचा कर दिया है.

सरकार से विनम्र प्रार्थना है कि उनके परिवार का उचित सम्मान किया जाए ओर उन्हें समय के साथ भुला न दिया जाए.

अन्त में इतना ही कहना चाहुँगा कि " ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना"

वीरेन्द्र सिंह बिष्ट



हेम पन्त

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दिनांक 28 सितम्बर 2008 को फरीदाबाद के लायन्स क्लब में सांस्कृतिक व साहित्यिक संस्था "अंज्वाल" ने श्री मोहन चन्द्र मासीवाल की याद में एक श्रद्धांजली सभा और "उत्तराखण्ड की सैन्य परंपरा व शहादत" विषय पर एक संगोष्टी का आयोजन किया. इसमें श्री मासीवाल जी के कई परिचित व सहयोगी तथा अनेक बुद्धिजीवियों तथा पत्रकारों ने शिरकत की.

श्री चारू तिवारी जी ने उत्तराखण्ड की गौरवशाली सैन्य परंपरा निभाते हुए शहादत दे चुके अनेक वीरों के बारे में विस्तार से जानकारी दी. इस बहस में यह बात भी सामने आयी कि हम अपने शहीदों को वह सम्मान दिलाने में सफल नही हो पाये हैं, जिनके वो हकदार थे.

इसी श्रद्धांजली सभा में श्रीदेव सुमन, बाबा मोहन उत्तराखण्डी व देश की सीमाओं पर जान देने वाले  शहीदों को भी याद किया गया.

उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी प्रताप शाही जी ने राज्य की वर्तमान परिस्थिति पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि जिस सपने को लेकर राज्य प्राप्ति के लिये संघर्ष किया गया था, वह आज टूट चुका है और 44 शहीदों की शहादत को राज्य व केन्द्र सरकारें उचित सम्मान नहीं दे पा रही हैं. 

गैरसैंण राजधानी का मुद्दा भी इस संगोष्टी में जोर-शोर से उठाया गया. वक्ताओं ने इस बार पर जोर दिया कि मोहन चन्द्र मासीवाल को सच्ची श्रद्धांजली देने के लिये सरकार को गैरसैण को उत्तराखण्ड की राजधानी घोषित कर देना चाहिये क्योंकि मासिवाल जी का गांव भी गैरसैण राजधानी की परिधि में ही आता है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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शहादत पर राजनीत - शहीद मोहन चंद मासीवाल (शर्मा)

The way politics is being done late inspector is really shameful.

हेम पन्त

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अमर सिंह ने मासीवाल जी के बारे में विवादास्पद बयान देकर यह साबित कर दिया है कि अमर सिंह एक राजनेता नही बल्कि देशद्रोही है.. वैसे भी समाजवादी पार्टी उत्तराखण्ड और उत्तराखण्डियों की हमेशा से दुश्मन रही है...

एक व्यवसायी होते हुए अमर सिंह ने इस मुद्दे पर भी लाभ-हानि का ही विचार किया और मुस्लिम तुष्टिकरण को ही वोट खींचने का आधार बनाया है. लेकिन वह यह बात भूल गया कि उप्र और भारत देश में जितने मुस्लिम हैं, उससे कई ज्यादा संख्या सच्चे देशप्रेमियों की है... अगर उसे मुस्लिम वोटों की राजनीति ही करनी है तो सच्चे हिन्दू देशप्रेमियों के वोटों से हाथ धोना पङेगा...

शहीद मोहन चन्द्र मासीवाल अमर रहे

 

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