Author Topic: Ringal & Bamboo as source Employemet- रिंगाल और बांस उद्योग में रोजगार  (Read 9005 times)




विनोद सिंह गढ़िया

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[justify]नाम : डोका (ड्वक)

उत्तराखण्ड की मनोहर वादियों में आज भी डोके का प्रयोग अन्य रिंगाल से निर्मित वस्तुओं की अपेक्षा अधिक होता है। चाहे हमें घास लाना हो या जंगल से सूखी पत्ती, डोके का प्रयोग करते आ रहे हैं। इन सब के बावजूद आज डोके का प्रयोग पहले की अपेक्षा हम दिन-प्रतिदिन कम करते जा रहा हैं। कुछ सालों पहले तक इस डोके के उपयोग के आधार पर अलग-अलग नामों से जाना जाता था। जैसे- घस्यारी डोका ( घास लाने के लिए), घट्याव डोका (घट/घराट में अनाज लाने ले जाने के लिए), पतली डोका (जंगल से सूखी पत्ती/पत्याल लाने के लिए), पुरोली डोका (खेतों में गोबर का खाद/प्वर ले जाने के लिए)इत्यादि- इत्यादि। लेकिन आज इसके उपयोग सीमित रह गए हैं। आज आवश्यकता है तो हमारे उत्तराखण्ड के रिंगाल उद्योग का संरक्षण और संवर्धन की।

(भूल-चूक और संशोधन पर आपके सुझाव आमंत्रित हैं- विनोद गढ़िया)


विनोद सिंह गढ़िया

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नाम : डलिया (डाल)

आज आपको संक्षिप्त जानकारी देते हैं रिंगाल से निर्मित बहुपयोगी वस्तु 'डलिया' के बारे में।


 

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