गटकोट (ढांगू ) में गुठ्यार सिंह रावत की तिबारी में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन, लकड़ी पर नक्काशी
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी - 204
संकलन - भीष्म कुकरेती
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पौड़ी गढ़वाल के द्वारीखाल ब्लॉक में गटकोट एक कृषि समृद्ध गांव रहा है और गटकोट में समृद्धि प्रतीक तिबारियों व निमदारियों की संख्या भी अच्छी खासी है। इसी क्रम में आज गटकोट के ठाकुर गुठ्यार सिंह रावत की अपने समय की भव्य तिबारी की काष्ठ कला अंकन पर चर्चा होगी। ]
गटकोट में गुठ्यार सिंह रावत का मकान दुपुर , दुखंड (दुघर ) मकान है व तिबारी पहली मंजिल में स्थापित है।
गटकोट में गुठ्यार सिंह रावत की तिबारी चौ खम्या (चार स्तम्भ ) व तिख्वळ्या (तीन ख्वाळ /द्वार ) तिबारी है। गटकोट में गुठ्यार सिंह रावत की तिबारी पत्थर के छज्जे के ऊपर पत्थर की देळी (देहरी ) के ऊपर स्थापित है। तिबारी के चारों सिंगाड़ ( स्तम्भ ) पत्थर के डौळ के ऊपर स्थापित हैं। तिबारी में प्रत्येक स्तम्भ के आधार में कुम्भी या दबल आकर है जो उल्टे कमल पंखुड़ियों से बना है, उसके ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी (सीधा ) कमल पंखुड़ियां अंकित हैं। यहां से सिंगाड़ (स्तम्भ) लौकी आकार अख्तियार कर लेता है व इसमें उभर -गड्ढे Fulet -fillet ) का अंकन शुरू हो जाता है जहां पर सिंगाड़ (स्तम्भ) सबसे कम मोटा है वहां पर उल्टा कमल पुष्प है , इस उलटे कमल के ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर खिलता कमल पुष्प अंकित है। खिलते कमल पुष्ट से सिंगाड़ (स्तम्भ ) दो भागों में बंट जाता है। सिंगाड़ का एक भाग सीधा ऊपर जाते हुए थांत (cricket bat blade type ) आकर धारण कर लेता है व दूसरी ओर से बहु परतीय मेहराब का अर्ध मंडप शुरू होता है जो सामने वाले सिंगाड़ (स्तम्भ) के अर्ध मंडप से मिलकर पूर्ण मेहराब (तोरणम ) बनता है। मेहराब तिपत्ति नुमा व बहुपरतीय है। मेहराब की परतों में लता -पर्ण (बेल बूटे ) अंकन हुआ है। मेहराब के बाहर के त्रिभुजों के दोनों किनारे पर बहुदलीय सूरजमुखी समान फूल है व त्रिभुजों में हाथी सूंड की आकृति भी खुदी हैं। मुरिन्ड (शीर्ष ) बहुपरतीय कड़ियों एवं पट्टिका से निर्मित है व कड़ियों व पट्टिका में वानस्पतिक व ज्यामितीय अलंकरण अंकन हुआ है।
मकान के छत आधार पट्टिका से प्रत्येक सिंगाड़ के थांत आकार के ऊपर तक दीवालगीर (brackets ) हैं। प्रत्येक दीवालगीर में चिड़िया की चोंच व पुष्प प्राग नाभि आकृति की नक्काशी हुयी है व सभी आकृतियां भव्य रूप में हैं।
निष्कर्ष निकलता है कि गटकोट में ठाकुर गुठ्यार सिंह रावत की भव्य तिबारी में मानवीय अलंकरण कम है या प्रतीकात्मक रूप में है या आभासी है किन्तु ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण का भरपूर प्रयोग हुआ है व सभी अंकन आकर्षक हैं।
सूचना व फोटो आभार: विवेका नंद जखमोला
यह लेख भवन कला, नक्काशी संबंधित है न कि मिल्कियत संबंधी . मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: वस्तुस्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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