चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में थोकदार खूंटी नेगी परिवार के क्वाठा भितर में काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी नक्काशी
गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड, की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी नक्काशी- 239
Tibari House Wood Art in Chamda , Bungi, Pauri Garhwal
संकलन - भीष्म कुकरेती
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पौड़ी गढ़वाल में बूंगी पट्टी एक समृद्ध पट्टी मानी जाती रही है। लोक काष्ठ कला श्रृंखला में आज बूंगी पट्टी में चमाड़ा गाँव के थोकदार जंग बहादुर नेगी के भव्य कोठा-भितर (लघु किला या हवेली ) के लकड़ी नक्काशी पर गुफ्तुगू होगी। क्वाठा याने कोष्ठ याने तीन ओर से घिरा कोष्टक नुमा मकान या हवेली। थोकदार जंगबाहदुर नेगी का क्वाठा भितर ढैपुर , दुघर व काफी सजीला है। इस क्वाठा भीतर में अंदर की ओर एक भव्य तिबारी है व एक बाहर की ओर तिबारी है। चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में नेगी थोकदारों के क्वाठा भितर में काष्ठ कला समझने हेतु निम्न बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है -
चामडा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में थोकदार जंगबहादुर खूंटी नेगी परिवार के क्वाठा भितर के तल मंजिल में खोली में काष्ठ कला
चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में थोकदार जंगबहादुर खूँटी नेगी परिवार के क्वाठा भितर के पहली मंजिल में बाहर भीतर स्थापित दो तिबारियों में लकड़ी नक्काशी
चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में थोकदार जंगबहादुर खूँटी नेगी के क्वाठा भितर के पहली मंजिल के कमरे के दरवाजे -सिंगाड़ में काष्ठ कला अंकन
चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में थोकदार जंगबहादुर खूँटी नेगी परिवार के क्वाठा भितर में अन्य स्थानों में काष्ठ कला।
क्वाठा (कोष्ठक ) भितर के तल मंजिल में सजीली खोली है। खोली के दोनों और के मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ चार चार उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बने हैं। प्रत्येक उप स्तम्भ आधार से सीधे ऊपर जाकर मुरिन्ड की तह /लेयर बनते हैं। प्रत्येक उप स्तम्भ (सिंगाड़ का भाग ) में प्राकृतिक (पर्ण -लता , फूल ) के चित्र खुदे हैं व अलग अलग उप स्तम्भ में भिन्न भिन्न प्रकार की नक्काशी हई है। उप स्तम्भों से ही चौखट मुरिन्ड की तह बनी हैं। चौखट नुमा मुरिन्ड के ऊपर तोरणम है। तोरणम तीन छापों की तह से बना है। निम्न चापीय तह में द्विभुज गणपति , दो मोर व बेल बूटों की नक्काशी हुयी है। मध्य तह तोरणम का गोल भाग है। तोरणम के स्कंध याने दोनों त्रिभुजों में बेल बूटों , फूल आदि की बारीक खुदाई हई है।
चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में थोकदार जंगबहादुर खूँटी नेगी परिवार के क्वाठा भितर के पहली मंजिल में भीतर की ओर छह स्तम्भों /खामों (खटखम्या ) की तिबारी है। इसका सीधा अर्थ है कि तिबारी तीन कमरों से बनाये गए बरामदे में स्थापित है। तिबारी के सभी स्तम्भ /खाम /सिंगाड़ एक जैसे ही हैं। प्रत्येक स्तम्भ पत्थर की देहरी के ऊपर पत्थर के चौकोर आधार पर आधारित है व आधार में उल्टे कमल फूल से कुम्भी / दबल रूप बना है, अधोगामी कमल दल के ऊपर ड्यूल है व जिसके ऊपर खिला कमल फूल की पंखुड़ियां है , ध्यान देने योग्य बात है कि कमल की पंखुड़ियों में भी नक्काशी हुयी है। सीधे कमल दल से स्तम्भ लौकी आकर धारण करता है। जहां सबसे कम मोटाई है वहां स्तम्भ में उल्टा कमल है , जिसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा कमल पुष्प है। यहां से स्तम्भ दो भागों में विभक्त होता है। एक भाग सीधा थांत है जिसके ऊपर गीवालगीर (brackert) हैं व दूसरे हिज्जे से मेहराब शुरू होता है। मेहराब कुछ भिन्न है व मेहराब के स्कंध में बारीक लज्जतदार नक्काशी हुयी है। दीवालजीत ऊपर छत आधार से शरू होते हैं। दीवालगीर में चिड़िया का गला व चोंच व बड़े फूल के केशर नाभि आकृति जड़ी है। दीवालगीर काफी खूबसूरत हैं। दीवालगीर में चिड़िया गले के अगल बगल में सुरीनुमा फूल खुदे हैं।
चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में थोकदार जंगबहादुर खूँटी नेगी परिवार के क्वाठा भितर के बाहर की ओर तिबारी में काष्ठ कला लगभग अंदर की तिबारी जैसे ही है।
चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में थोकदार जंगबहादुर नेगी के क्वाठा भितर के पहली मंजिल में एक झरोखा /छाज भी है। झरोखे या खिड़की /मोरी के सिंगाड तेन उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित है। स्तम्भों में बेल बूटों की खुदाई हुयी है।
झरोखे का निम्न भाग पटिला नुमा तख्ते से बंद है किन्तु ऊपरी भाग में ज्यामितीय रूप में छेद /दुंळ हैं।
चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में थोकदार जंगबहादुर नेगी के क्वाठा भितर के पहली मंजिल में तिबारी से अंदर जाने के लिए कमरे में भी खोली /खोळी है। इस खोली के मुख्य स्तम्भ दो दो उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से बने हैं। खोली से ऊपरी मुरिन्ड तोरणम नुमा है व तोरणम के त्रिभुज या स्कंध में एक एक फूल खुदे हैं। व प्राकृतिक चित्रकारी हुयी है।
निष्कर्ष निकलता है कि चमाड़ा ( बूंगी , पौड़ी गढ़वाल ) में थोकदार जंगबहादुर नेगी के भव्य क्वाठा भितर में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है व नक्काशी बारीक हुयी है।
क्वाठा भितर लम्बा है व सीधे फोटो लेना कठिन है अतः कवि धर्मेंद्र नेगी ने अलग अलग भागों की फोटो भेजी हैं।
सूचना व फोटो आभार : धर्मेंद्र नेगी
यह लेख भवन कला संबंधित है . भौगोलिक स्थिति व मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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