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Some Ideal Village of Uttarakhand - उत्तराखंड राज्य के आदर्श गाव!

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Bhishma Kukreti:
 
फरसाड़ी ( वीरोंखाल , पौड़ी गढ़वाल )  में स्व साधो सिंह गुसाईं  की  पंद्रह पंद्रह सिंगाड़ों (स्तम्भ)  की दो तिबारियों में  काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी 



गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  )  में काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी- 234 
  Tibari House Wood Art in  Farsadi  , Pauri Garhwal     
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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  तिबारियों , जंगलेदार मकानों या बाकगलियों के सर्वेक्षण में कई विशेष या Exclusive  तिबारियों , बाखलियों की सूचना मिलती जा रही है। ऐसे ही अति विशेष टीबारियुक्त मकान की सूचना कवि वीरेंद्र जुयाल ने फरसाड़ी से भेजी है।   वीरेंद्र जुयाल की सूचना  फरसाड़ी ( बीरों खाल , पौड़ी गढ़वाल )  में स्व साधो सिंह गुसाईं के भव्य मकान में दो बड़े बड़ी पंदरा -पंदरा  खम्या  (15 , 15 स्तम्भों की ) तिबारियों की है।  पौड़ी गढ़वाल मध्य फरसाड़ी (थलीसैण तहसील )  गाँव  में   स्व साधो सिंह गुसाईं के इस  मकान   के बहुत कमचोड़े छज्जे , छोटी छोटी खिड़कियां (मोरी ) आदि से लगता है बल  साधो सिंह गुसाई का यह मकान सम्भवतया 1895 -1910  में निर्मित हुआ होगा।  दोनों तिबारी पहली मंजिल पर स्थापित हैं। 
    फरसाड़ी (पौड़ी गढ़वाल )  में स्व साधो सिंह गुसाईं का मकान दुपुर , दुघर है व  एक तिबारी चार पांच कमरों के बाहर बरामदे से बनी है।  प्रत्येक सिंगाड़ (स्तम्भ /खाम ) एक जैसे ही हैं।  प्रत्येक सिंगाड़ /स्तम्भ छज्जे के ऊपर देहरी पटाळ  के ऊपर स्थापित हैं।   प्रत्येक स्तम्भ का आधार कुछ कुछ  चौखट  घंटाकार  का है।  इस घंटाकार आकृति के ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी (सीधा  ऊपर जाते ) कमल दल आकृति है।  यहां से कुछ कुछ पर्या  (गढ़वाली  दही मथने की मथनी )  आकर ले ऊपर बढ़ता है।  जहां पर स्तम्भ की मोटाई कम है वहां पर उलटा कमल दल उभरता है उसके ऊपर ड्यूल व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल फूल उभर कर आया है।  यहां से स्तम्भ सीधा होकर  ऊपर मुरिन्ड /शीर्ष की कड़ी से मिलता है
  फरसाड़ी ( वीरोंखाल , पौड़ी गढ़वाल )  में स्व साधो सिंह गुसाईं  के मकान में शेष भागों में कोई विशेष काष्ठ कला उल्लेखनीय नहीं है।    फरसाड़ी ( वीरोंखाल , पौड़ी गढ़वाल )  में स्व साधो सिंह गुसाईं  के मकान की मुख्य विशेषता है नक्काशीदार पंद्रह पंद्रह स्तम्भों की एक साथ दो दो तिबारियां।  मकान में बीस पच्चीस कमरे  हैं यह भी एक विशेषता है।   
सूचना व फोटो  आभार : वीरेंद्र जुयाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , भवन नक्काशी  नक्काशी,  मकान की लकड़ी  में नक्श

Bhishma Kukreti:
     
 बणचुरी  ( पौड़ी गढ़वाल ) में  लखेड़ा परिवार के   मकान  में काष्ठ कला 

बणचुरी  (यमकेश्वर , पौड़ी गढ़वाल ) में  लखेड़ा परिवार के मकान की  जंगलेदार तिबारी  वाले मकान  में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्कासी- 

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , बखाई ,  खोली  ,   कोटि बनाल   )  में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्कासी--235
House  Wood carving art from Banchuri, Ymakeshwar , Puari  Garhwal
 संकलन -भीष्म कुकरेती
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महाभारत में भृगुखाल ( कनखल  के समीप भृगु आश्रम ) व आगे की पहाड़ियों से अनुमान लगता है कि  रिख्यड -बणचुरी -सौर  आदि स्थानों में आश्रम थे व ऋषियों  की तपस्या स्थली अवश्य रही है।  रिख़्यड -बणचुरी  नाम भी २००० साल पुराने नाम है लगते हैं।  उदयपुर मल्ला की धरती कृषि उन्नत धरती मानी जाती रही है अत:  समृद्धि का प्रभाव भवन पर पड़ना आवश्यक है।  इस क्षेत्र से  तिबारियों व जंगलेदार मकानों की सूचना लगातार मिलती रहती है।  आज  इसी श्रृंखला में  ग्राम बणचुरी  (यमकेश्वर , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व जोगेश्वर प्रसाद लखेड़ा निर्मित जंगलेदार तिबारी युक्त मकान में काष्ठ कला अलंकरण पर चर्चा होगी। 
 मकान  की खड़कियाँ , जंगल , एक मीटर चौड़े छज्जे को देखकर लगता है मकान 1940 के लगभग ही निर्मित हुआ होगा।  मकान  दुपुर -दुघर है व पहली मंजिल में जंगला  भी स्थापित है व तिबारी भी। मकान भव्य है। 
 जंगला 22 खमटियों  (स्तम्भ ) से निर्मित हैं व सभी खमटियों  में ज्यामितीय अलंकरण कटान हुआ है। 
इसी तरह तिबारी में चार सपाट  स्तम्भ (सिंगाड़ ) हैं व्  चार स्तम्भ तीन ख्वाळ  बनाते हैं।  स्तम्भ सामन्य तिबारियों से अलग हैं कि इन स्तम्भों में कमल पुष्प जैसे कोई आकृति अंकित नहीं है अपितु साइकल बाड़ी (यमकेश्वर ) में स्व दिनेश कंडवाल की तिबारी जैसे सपाट  सिंगाड़ / स्तम्भ  हैं।
 अपने जमाने में स्व जोगेश्वर प्रसाद लखेड़ा  का  जंगलेदार , तिबारी युक्त मकान की  क्षेत्र में अपनी ठसक /(गर्व युक्त पहचान ) थी जो आज भी बरकरार है।  ब्यौ बरात  के मेहमानों को  ठहराने  में  इस तिबारी  युक्त  मकान का बड़ा महत्व था। 
 सूचना व फोटो आभार : दिनेश लखेड़ा
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , कोटि बनाल   ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्कासी   श्रृंखला
  यमकेशर गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;  ;लैंड्सडाउन  गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;दुगड्डा  गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ; धुमाकोट गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला ,   नक्कासी ;  पौड़ी गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ;
  कोटद्वार , गढ़वाल में तिबारी , निम दारी , जंगलेदार  मकान , बाखली में काष्ठ कला , नक्कासी ; 

Bhishma Kukreti:

गूम (बिजलौट, पौड़ी ) में स्व पंडित खिमा नंद काला के अनोखे मकान में काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी - 223
  Tibari House Wood Art in Goom , Bijlot   , Pauri Garhwal   

 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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नैनीडांडा , धुमाकोट पूड़ी गढ़वाल क्षेत्र से कई तिबारियों व निमदारियों (जंगलेदार मकान ) की सूचना मिली हैं।  इसी क्रम में आज धुमाकोट  तहसील के गूम   गाँव में स्व खीमा नंद काला द्वारा बनाये गए जंगलेदार मकान व तिबारी की काष्ठ कला की विवेचना होगी।   स्व खिमा  नंद कला ने यह मकान संबत 1985  अर्थात सन  1928 में निर्मित किया था व समय उनके मकान के दरवाजे पर खुदा हुआ है। मिस्त्री थे ग्राम पटोटिया  (नैनीडांडा ) के जसमल।  जसमल का नाम भी दरवाजे पर अंकित है।
  गूम (बिजलौट, पौड़ी ) में स्व पंडित खिमा नंद  काला  का  दुपुर , दुघर मकान अनोखा इसलिए है कि  ऐसे बहुत कम मकान पाए गए हैं जहां जंगला पहली मंजिल पर बंधा है व तिबारी तल मंजिल में स्थापित है (पंडित विश्वंबर दत्त देवरानी , ज्याठ गांव जैसे ) I      गूम (बिजलौट, पौड़ी ) में स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान में लकड़ी नक्कासी विवेचना हेतु इन बिंदुओं पर ध्यान देना होगा - तल मंजिल में तिबारी , खोली , दरवाजे पर अंकन , पहली मंजिल में स्तम्भ व जंगल में  लकड़ी कारीगरी।
    गूम (बिजलौट, पौड़ी ) में स्व पंडित खिमा नंद काला  के तल मंजिल में खोली में काष्ठ कला , अलंकरण :-   स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान में तल मंजिल में परम्परागत खोली है।  खोली के  दोनों ओर मुख्य स्तम्भ  चार चार तीन तीन उप स्तम्भों के युग्म से बने हैं।  चारों उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड (शीर्ष ) की सतह (layers ) बनते हैं।  चार उप स्तम्भों में तीन उप स्तम्भ लगभग एक जैसे हैं जो आधार से सीधे ऊपर चलते जाते हैं व इन उप स्तम्भों में प्राकृतिक (लता पर्ण ) कला अंकित हुयी है।   चौथे  उप स्तम्भ  के आधार में अधोगामी /उल्टा कमल दल है , इसके ऊपर ड्यूल है व फिर सीधा कमल दल है व यहां से  उप स्तम्भ पर्ण  लतायुक्त नक्कासी हो ऊपर मुरिन्ड की और चले जाते हैं। 
खोली के मुरिन्ड के चौखट स्तर जो खोली का निम्न स्तर है के ऊपर  मेहराब है।  मेहराब के अंदर चाप के पटिले (तख्ता ) में पट्टी आदि की नक्काशी हुयी है।  मेहराब के ऊपर त्रिभुजों (स्कन्धों ) में एक एक बहुदलीय फूल है व बाकी स्थान में प्राकृतिक अलंकृत कला अंकित हुयी है।  मुरिन्ड का सबसे ऊपरी स्तर चौखट है।  मुरिन्ड के अगल बगल में ऊपर से दीवालगीर हैं जिन पर ज्यामितीय कला के अतिरिक्त हाथी का भी अंकन है।  खोळी मुरिन्ड के  ऊपर छप्परिका  आधार से शंकु लटके हैं।
  स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान में  तल मंजिल में तिबारी में काष्ठ कला उत्कीर्णन :-   तिबारी चार  सिंगाड़ों (स्तम्भों  ) की बनी है व तीन ख्वाळदार तिबारी है।  प्रत्येक  काष्ठ स्तम्भ के आधार  में  अधोगामी (उल्टा ) कमल दल से क्मम्भी बनी है कुम्भी के ऊपर ड्यूल (ring type wood plate  जैसे बोझा धोने हेतु सर पर गोल  कपड़ा या रस्सीनुमा  पगड़ी रखी जाती है ) है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी (सीधा ) कमल दल है , यहां से स्तम्भ लौकी आकर ले लेता है व ऊपर बढ़ता है। जहां सबसे कम मोटाई है वहां से स्तम्भ दो भागों में बंट जाता है - १- मेहराब का  अर्ध चाप व  २- स्तम्भ सीधा थांत आकृति धारण क्र मुरिन्ड चौखट की कड़ी से मिल जाता है।  मेहराब  का अर्ध चाप सामने वाले स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल पूरा मेहराब बनता है।  मेहराब के ऊपरी तरभुजों (स्कंध ) में एक त्रिभुज में एक किनारे हाथी है व दुसरे किनारे परं लताएं  अंकित हुयी है।  एक त्रिभुज में अष्टदलीय फूल है।  मुरिन्ड के चौखट कड़ी के ऊपर की कड़ी में तरंगित पत्तियां -लताओं का अंकन हुआ है।  तिबारी के मुरिन्ड के ऊपर  छज्जे  आधार से लकड़ी के शंकु लटके हुए हैं।
गूम में  स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान  के दरवाजे में काष्ठ कला अंकन -  स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान में तल मंजिल के दरवाजे में काष्ठ कला अंकन मिलता है।  दरवाजे  का  नीचे का भाग
 सपाट  है जिसके ऊपरी भाग में लेख अंकन के अतिरिक्त बहुदलीय पुष्प अंकित है।  इस भाग के ऊपर आकर्षक चतुष्दलीय  पुष्प अंकित हैं।  इस भाग के बाद दो सपाट पत्तियां दिखती है जिसके ऊपर  पत्तियों का अंकन जिसमे पट्टी की धमनिया भी नजर आ रही हैं। इसके ऊपरी भाग में गुंथी छोटी जैसा अंकन हुआ है जिसके ऊपर  गोल आकार की पत्तियों का अंकन हुआ है।
  गूम में  स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान  के  पहली मंजिल में जंगले /निमदारी में  काष्ठ अंकन :-   गूम में  स्व पंडित खिमा नंद काला  के मकान  के  पहली मंजिल में  भव्य जंगला बंधा है।  निमदारी  में 20 खाम  / स्तम्भ  हैं।  प्रत्येक  स्तम्भ  आधार व ऊपर मोटे  कटे हैं व बीच में कम मोटे  हैं।  प्रत्येक दो स्तम्भ के ख्वाळ  में दो लकड़ी की चौकोर लकड़ी की कड़ी से रेलिंग बनी हैं व रेलिंग के बीच लौह सीक से जंगला बना है।
  निष्कर्ष निकलता है कि  गूम में  स्व पंडित खिमा नंद काला  के भव्य मकान  में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय कला अलंकरण अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार :  कवि , शिक्षा विद रमा कान्त ध्यानी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 

Bhishma Kukreti:


 
 त्यूड़ी (चन्द्रबदनी , टिहरी गढ़वाल ) के रौथाण परिवार के  भवन की तिबारी में काष्ठ कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी

गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी , कोटि बनाल   ) में काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी-236   
  Traditional House Wood Carving Art of  Tyudi  , Tehri
 
संकलन - भीष्म कुकरेती
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  टिहरी गढ़वाल के सभी भागों से तिबारियों , निमदारियों व जंगलेदार मकानों की सूचनाएं प्रचुर मात्रा में मिल रही हैं।   आज इसी क्रम में त्यूड़ी (चन्द्रबदनी , टिहरी गढ़वाल ) के एक भवन की तिबारी में काष्ठ कला, अलंकरण व नक्काशी पर चर्चा होगी। 
तिबारी चौखम्या , तिख्वळया है। त्यूड़ी (चन्द्रबदनी , टिहरी गढ़वाल ) के  प्रस्तुत रौथाणपरिवार के  भवन की तिबारी के सिंगाड़ (स्तम्भ /खाम ) कुछ अलग प्रकार  के हैं।  काष्ठ स्तम्भ पाषाण देहरी  के ऊपर चौकोर पाषाण डौळ के ऊपर स्थापित हैं।  आम गढ़वाली तिबारियों के सिंगाड़ /स्तम्भ /खाम जैसे त्यूड़  की इस तिबारी के स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल फूल पंखुड़ियों (अधोगामी पद्म पुष्प दल ) से कुम्भी नहीं खुदी है अपितु कुछ कुछ चौड़ा है व इसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर लम्बोतर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल  (सीधे में कमल पंखुड़ियां ) की आकृति है। कमल दल के ऊपर भी पर्ण-लता की बारीक नक्काशी हुयी है।  कमल दल के ऊपर सिंगाड़  षटाकार या अस्टाकार  रूप में ऊपर बढ़ता है और ऊपर चौखटिय मुरिन्ड /मथिण्ड (शीर्ष ) से मिल जाते हैं।  कमल दल से मुरिन्ड तक सिंगाड़ /स्तम्भ में उभर -गड्ढे (fleut -flitted ) नक्काशी है व उभार में पर्ण-लता अंकन हुआ है।  मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष की कड़ी कई स्तर की है व इन स्तरों  में पर्ण -लता आकृति अंकन हुआ है जो बारीकी का उम्दा उदाहरण है। 
 निष्कर्ष है निकलता है कि त्यूड़ी (चन्द्रबदनी , टिहरी गढ़वाल ) में रौथण परिवार के  इस  भवन की तिबारी में सिंगाडों /स्तम्भों व मुरिन्ड कड़ी में बहुत सुंदर व बारीक , मन लुभावनी नक्काशी हुयी है।  निर्माण स्व सटे सिंह रौथाण ने पचास साल पहले किया था .
सूचना व फोटो आभार :    जगमोहन सिंह जयाड़ा

यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटी  संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला ( तिबारी  - 
Traditional House Wood Carving Art (in Tibari), Bakhai , Mori , Kholi  , Koti Banal )  Ornamentation of Garhwal , Kumaon , Dehradun , Haridwar Uttarakhand , Himalaya -
  Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Tehri Garhwal , Uttarakhand , Himalaya   -   
घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखनी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ; House Wood carving Art from   Tehri;

Bhishma Kukreti:

दुगड्डा (पौड़ी गढ़वाल ) में डालूराम केदारनाथ  के  जंगलेदार मकान में  काष्ठ कला

गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड,  की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल  ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन; लकड़ी  नक्काशी- 237 
  Tibari House Wood Art in Dugadda, Pauri Garhwal     
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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  ब्रिटिश काल के में दुगड्डा  गढ़वाल की प्रसिद्ध मंडी बन गयी थी।  गढ़वाल से ग्रामीण ढाकर (ढो कर ) लेने दुगड्डा आते थे।  दुगड्डा में बिजनौर से  दुकानदार स्थानांतर  हुए और यहां उन्होंने बड़े अच्छे शानदार भवन बनवाये . ऐसे ही एक मकान है (जिसमे पोस्ट ऑफिस है )  डालूराम -केदारनाथ का जंगलेदार मकान।  दुगड्डा में डालूराम केदारनाथ का मकान दुपुर है व तिघर (   तीन कमरे वाला ) . पहली मंजिल पर अपने समय का भव्य जंगला स्थापित है।  मकान के पहली मंजिल में  दोनों ओर  (सामने व  बगल  में ) 14  खाम (स्तम्भ हैं ) . सभी खाम (स्तम्भ )  लकड़ी के मजबूत छज्जे पर स्थापित हैं।  सभी खामों  के आधार के दोनों ओर खमटियाँ /खमचियां /पट्टिका लगे हैं जिससे खाम  का आधार मोटा दिखता है।  इसके बाद खाम  सीधा ऊपर मुरिन्ड (शीर्ष ) की कड़ी से मिल जाते हैं। 
आधार पर  दो खामों  के मध्य के ख्वाळ  में आधार से  दो फ़ीट ऊंचाई पर लकड़ी की कड़ी /रेलिंग है व आधार की कड़ी  के मध्य लोहे का जंगल बंधा है।
निष्कर्ष निकलता है बल  दुगड्डा में डालूराम केदारनाथ  के मकान में  अपने समय का भव्य जंगला  बंधा है।  खामों व अन्य  लकड़ी में केवल ज्यामितीय कला अंकन हुआ है।   
सूचना व फोटो आभार :  जागेश्वर जोशी  (फोटो , M  S  Negi )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , भवन नक्काशी  नक्काशी,  मकान की लकड़ी  में नक्श

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