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State Emblems Of Uttarakhand - उत्तराखण्ड के राजकीय चिन्ह

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पंकज सिंह महर:
किसी भी राज्य की पहचान उसके राजकीय चिन्हों से होती है। उत्तराखण्ड राज्य ने भी अपने राजकीय चिन्ह घोषित किये हैं, जिनके बारे में हम यहां पर जानकारी देंगे।

पंकज सिंह महर:
उत्तराखण्ड का राजकीय चिन्ह-



उक्त चिन्ह को उत्तराखण्ड के राजकीय चिन्ह के रुप में अंगीकृत किया गया, जिसमें ऊपर के पहाड़ हिमालय की विराटता को प्रदर्शित करते हैं और इसमें दिखाई गई चार लहरें गंगा की लहरें हैं। जो उत्तराखण्ड के पहाड़ों से निकल कर मैदानों को सिंचित कर उत्तराखण्ड की उदारता और हृदय की विराटता को प्रदर्शित करती हैं।

पंकज सिंह महर:
उत्तराखण्ड का राज्य पुष्प- ब्रह्म कमल (Saussurea obvallata)

ब्रह्म कमल का उल्लेख वेदों में भी मिलता है। यह कश्मीर, मध्य नेपाल, उत्तराखण्ड में  फूलों की घाटी, केदारनाथ-शिवलिंग क्षेत्र आदि स्थानों में बहुतायत में होता है। यह 3600 से 4500 मीटए की ऊंचाई पर पाया जाता है। पौधे की ऊंचाई 70-80 सेंटीमीटर होती है। जुलाई और सितम्बर के मध्य यह फूल खिलता है और जहां पर वह खिलता है उसके आस-पास का क्षेत्र सुगन्धित हो जाता है। फूल के चारों ओर कुछ पारदर्शी ब्लैंडर के समान पत्तियों की रचना होती है। जिसको स्पर्श करने से ही इसकी सुगन्ध कई घण्टों तक अनुभव की जाती है, इस पौधे की जड़ों में कई औषधीय तत्व भी होते हैं।

पंकज सिंह महर:
उत्तराखण्ड का राज्य पशु- कस्तूरी मृग (Musk deer) { Moschus chrysogaster}



भारत में कस्तूरी मृग, जो कि एक लुप्तप्राय जीव है, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल के केदार नाथ, फूलों की घाटी, हरसिल घाटी तथा गोविन्द वन्य जीव विहार एवं सिक्किम के कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित रह गया है। हिमालय क्षेत्र में यह देवदार, फर, भोजपत्र एवं बुरांस के वनों में लगभग ३६०० मी. से ४४०० मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है। कंधे पर इसकी ऊँचाई ४० से ५० से.मी. होती है। इस मृग के सींग नहीं होते है तथा उसके स्थान पर नर के दो पैने दाँत जबड़ों से बाहर निकले रहते हैं। शरीर घने बालों से ढ़का रहता है। इसकी नाभि में कस्तूरी नामक एक ग्रन्थि होती है जिसमें भरा हुआ गाढ़ा तरल पदार्थ अत्यन्त सुगन्धित होता है। मादा वर्ष में एक या दे बार १-२ शावकों को जन्म देती है। आम मृग से अलग इस प्रजाति के मृग संख्या में भी काफी कम हैं।

पंकज सिंह महर:
उत्तराखण्ड का राजकीय वृक्ष- बुरांश (Rhododendron arboreum)


बुरांस मध्यम ऊँचाई का सदापर्णी वृक्ष है। यह हिमालय क्षेत्र से लगभग १५०० मीटर से ३६०० मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है। इसकी पत्तियाँ मोटी एवं पुष्प घंटी के आकार के लाल रंग के होते हैं। मार्च-अप्रैल में जब इस वृक्ष में पुष्प खिलते हैं तब यह अत्यन्त शोभावान दिखता है। इसके पुष्प औषधीय गुणों से परिपूर्ण होते हैं जिनका प्रयोग कृषि यन्त्रों के हैन्डल बनाने तथा ईंधन के रुप में करते हैं। बुरांस पर्वतीय क्षेत्रों में विशेष वृक्ष हैं जिसकी प्रजाति अन्यत्र नहीं पाई जाती है।
      घने हरे पेड़ों पर बुरांश के सुर्ख लाल रंग के फूल जंगल को जैसे लाल जोड़े में लपेट देते हैं. बुरांश सुंदरता का, कोमलता का और रूमानी ख्यालों का संवाहक फूल माना जाता है . बुरांश में सौंदर्य के साथ महत्व भी जुड़ा है. इन फूलों का दवाइयों में इस्तेमाल के बारे में तो सब जानते ही हैं, पर्वतीय इलाकों में पानी के स्रोतों को बनाए रखने में इनकी बड़ी भूमिका है. बुरांश, उत्तराखण्ड का राज्य वृक्ष है.

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