Author Topic: T B Sanatorium Bhawali,Nainital Uttarakhand- प्रसिद्ध क्षय रोग हॉस्पिटल,भवाली  (Read 29968 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

Though Bhawali is a famous hill station which comes in District Nainital. It is 1706 meters above the sea level and 11 km away from Nainital.   Bhawali is famous for its scenic grandeur and as a hill fruit mart,   Bhowali is also known for its T.B. sanatorium established in 1912.

Kamala, wife of First Prime Minister Jawahar Lal Nehru was suffering from tuberculosis. Doctors advised that she should   be shifted to a hospital in Bhowali near Nainital. Her health was   improved after a two-month stay at the hospital. Further she was advised   to go to Europe for treatment. The four years from 1931 to 1934 saw a   sharp decline in Kamala`s health. During these years she witnessed a   very lonely life. She became deeply reli-gious, taking initiation at the   Ramakrishna Mission.  As her condition worsened she was taken to the Bhowali Sanitorium for treatment while Jawaharlal was in jail. 

Many TB patients from different part of Country Visit and they become normal after 2-3 months treatment.

Number of Bhwali T B Hospital - 09410513922

 05942-220395 (not working)

DM Office - 09542-235684


We will provide more details about this hospital under this topic.


M S Mehta

नवीन जोशी

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भवाली टी बी सैनीटोरियम के बारे में आज की तिथि में यह कहा जा सकता है कि धीरे धीरे यह इतिहास की बात बनने जा रहा है. पेश हैं इस बाबत मेरे दो आलेख, जिनसे इसकी कहानी कुछ हद तक साफ़ हो जायेगी.

नवीन जोशी

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एक कंपनी के नाम होगी ऐतिहासिक विरासत !
ऐतिहासिक भवाली सेनिटोरियम में प्रदेश का पहला आयुश ग्राम पीपीपी मोड में बनाने की तैयारी
नवीन जोशी, नैनीताल। राज्य की भाजपा सरकार की हर जिले में आयुष ग्राम बनाने की घोशणा नैनीताल जिले से शुरू हो सकती है। यहां भवाली स्थित ऐतिहासिक सेनिटोरियम में राज्य के पहले आयुश ग्राम के रूप में विकसित करने का फैसला कमोबेश हो चुका है। साथ ही यह भी करीब करीब तय हो गया है कि `बाजार´ के दौर में इस ऐतिहासिक विरासत के साथ ही राज्य सरकार का आयुष ग्राम का सपना (ड्रीम प्रोजेक्ट) भी एक कंपनी के हवाले कर दिया जाऐगा। आयुष ग्राम बनाने की निविदा देश की कास्मेटिक्स बनाने वाली कंपनी `इमामी´ के नाम खुल चुकी है।
उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार ने हर जिले में एक एक आयुष ग्राम बनाने की घोषणा कर दी थी। इस क्रम में टीबी मरीजों के लिए घर बैठे डॉट पद्धति से इलाज की पद्धति शुरू होने के बाद भवाली सेनिटोरियम की उपयोगिता सरकार की नज़रों में कम हो गई थी, जिसके स्थान पर करीब 10 एकड़ भूमि में करीब 50 करोड़ रुपऐ की लागत से प्रदेश का आयुष ग्राम बनाने की पटकथा शासन स्तर पर लिख ली गई है। यह क्षेत्र के लिए सुखद समाचार हो सकता है। परन्तु तस्वीर का दूसरा पहलू यह भी है कि सरकार अपनी मोटा वेतन लेने वाली व दक्ष मशीनरी पर भरोसा न करते हुऐ ऐतिहासिक स्थान पर यह ऐतिहासिक कार्य एक कास्मेटिक कंपनी `इमामी´ से करवा रही है, जिसने अन्य दो कंपनियों के साथ निविदा प्रक्रिया में भाग लेकर यह अधिकार प्राप्त भी कर लिया है। बताया गया है कि केन्द्र सरकार आयुश ग्रामों के लिए राज्यों को अपनी ओर से बजट दे रही है, ऐसे में राज्य सरकार का अपना `ड्रीम प्रोजेक्ट´ एक कंपनी के हाथों में सोंपना सवाल खड़ा कर रहा है। आखिर सवाल 50 करोड़ जैसी बड़ी धनराशि और 10 एकड़ जैसे बड़े भूखण्ड का भी है। प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री बलवन्त सिंह भौर्याल ने सेनिटोरियम में आयुश ग्राम बनने तथा आयुर्वेद निदेशक डा. पूजा भारद्वाज ने इमामी के नाम इसकी निविदा खुलने की पुष्टि की है।

नवीन जोशी

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आयुश ग्राम: एक सपना टूटा, दूसरा भी कहीं `सपना´ ही न रह जाऐ
चार करोड़ की लागत से इसी जगह बनना था कमला नेहरू चेस्ट इंस्टिट्यूट, जो सत्ता परिवर्तन की भेंट चढ़ा, आगे फिर सत्ता बदली तो आयुश ग्राम बनने पर भी संशय, कांग्रेसी पहले ही तरेर चुके हैं आंखें
नवीन जोशी, नैनीताल। कहते हैं, दूसरों के स्वप्नों की कब्र पर कभी अपने सपनों की ताबीर नहीं बनती। प्रदेश सरकार द्वारा भवाली में आयुर्वेदिक चिकित्सा को लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से `ड्रीम प्रोजेक्ट´ के रूप में जिस आयुश ग्राम का `स्वप्न´ संजोया जा रहा है, यदि कहा जाऐ कि यह पिछली पं. नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व वाली तिवारी सरकार के ऐसे ही `कमला नेहरू चेस्ट इंस्टिट्यूट´ के `स्वप्न´ की बलि देकर देखा जा रहा है, तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी। चेस्ट इंस्टिट्यूट के लिए यहां चार करोड़ रुपऐ से अधिक की अत्याधुनिक मशीनें भी आ चुकी थीं, लेकिन सत्ता परिवर्तन ने यह स्वप्न बुरी तरह तोड़ दिया। अब वर्तमान सरकार के `स्वप्न´ पर स्थानीय कांग्रेसी पहले ही आंखें तरेर चुके हैं, ऐसे में यदि पुन: सत्ता परिवर्तन हुआ तो इस स्वप्न का भी पहले वाले जैसा अंजाम हुआ, तो आश्चर्य न होगा।
उल्लेखनीय है कि कभी देश ही नहीं दुनिया भर में प्रसिद्ध 220 एकड़ भूमि में फैले 320 बेड के `भवाली टीबी सेनिटोरियम´ की उपयोगिता टीबी मरीजों की संख्या घटने और इस हेतु घर बैठे `डॉट पद्धति´ से इलाज की नई प्रविधि आने के साथ लगातार घटती जा रही है। सरकार की मंशा इसके संसाधनों व कर्मचारियों के समुचित सदुपयोग के लिए 150 बेड तक सीमित करने की है। ऐसे में पिछली तिवारी सरकार ने केवल टीबी के इस संस्थान को आज के समय के हिसाब से जरूरी छाती में होने वाले कैंसर, निमोनिया व दमा जैसे सभी बीमारियों की इलाज व शूध हेतु `चेस्ट इंस्टिट्यूट´ बनाने का प्रस्ताव किया। वर्ष 2002 में बकायदा इस हेतु शासनादेश जारी हुआ, और एक वर्ष बाद इसका नाम यहां उपचार कराने वाली देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू की पत्नी स्व. कमला नेहरू के नाम से नामकरण भी कर दिया गया। इसके बाद यहां लगभग 2.67 करोड़ रुपऐ से अत्याधुनिक सीटी स्कैन, 44 लाख रुपऐ से अल्ट्रासाउण्ड व 11.89 लाख रुपऐ से ऑटो ऐनालाइजर के साथ ही सेमी ऑटो ऐनालाइजर तथा कई अन्य मशीनें भी आ गईं। इसमें जापान का भी सहयोग लिया जाना और इसे उत्तरी भारत का अग्रणी छाती रोग संस्थान बनाया जाना प्रस्तावित था। इस बीच तत्कालीन स्वास्थ्यमंत्री तिलक राज बेहड़ ने यहां चेस्ट इंस्टिट्यूट का उद्घाटन भी किया, लेकिन राज्य की सत्ता परिवर्तन के बाद यह स्वप्न पूरी तरह टूट गया। संस्थान में विशेशज्ञ चिकित्सकों के न आने से करोड़ों की मशीनें कबाड़ में तब्दील होने लगी हैं। इधर सोमवार को मुख्यमंत्री द्वारा देहरादून में यहां निजी सहभागिता से सेनिटोरियम की 10 एकड़ भूमि पर आयुष ग्राम बनाने के लिए निजी कंपनी `इमामी´ से करार पत्रा पर हस्ताक्षर किऐ गऐ हैं, जिसकी संभावना `राष्ट्रीय सहारा´ गत 10 जुलाई को ही प्रमुखता से समाचार प्रकाशित कर जता चुका था। इस पर कांग्रेस पार्टी के जिलाध्यक्ष सतीश नैनवाल ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। साफ है कि आगे यदि पुन: राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ तो `आयुष ग्राम´ की राह निष्कंटक नहीं होगी।

नवीन जोशी

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नेहरू, गांधी का रहा है जुड़ाव
नैनीताल। दो वर्ष बाद ही 100 वर्ष पूर्ण करने जा रहे 1912 में सम्राट एडवर्ड सप्तम की याद में बने व ऐशिया का सबसे बड़े टीबी के उपचार संस्थान रहे ऐतिहासिक भवाली सेनिटोरियम को खुर्द बुर्द करने की कमोबेश तैयारी पूरी कर ली गयी है। इस संस्थान से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. नेहरू व राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जुड़ाव भी रहा है। 16 जून 1929 को महात्मा गांधी ने यहां का भ्रमण किया था, जबकि 11 अक्टूबर 1934 को जबकि पं. नेहरू नैनी जेल में कैद थे, उनकी पत्नी कमला नेहरू को यहां भर्ती कराया गया। यहां डा. प्रेम लाल साह ने उनका उपचार किया। इस कारण 1935 में नेहरू को पत्नी से नजदीकी के लिहाज से अल्मोड़ा जेल स्थानान्तरित किया गया। सेनिटोरियम में आज भी कमला नेहरू के नाम से एक वार्ड मौजूद है।



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मैंने इस हॉस्पिटल के बारे में बहुत सुना है! मेरे गाव से २ लोग इस हॉस्पिटल में भर्ती हुए थे और दोनों को एक नयी जिंदगी मिली!

हमारे गाव के एक लड़का जो दिल्ली में सेल्स एक्जेक्युतिवे का काम करता था उसे टी बी हो गया था जब उसे इस अस्पताल में भर्ती कराया गया ३-४ महीने बाद वह सही हो गया और अब एक सामान्य जिन्दगी जी रहा है!

दूसरा केस था, एक ५५ साल की महिला का जो टी बी के कारण लगभग अंतिम पड़ाव पर पहुच चुकी थी पर जब उन्होंने इस हॉस्पिटल में २-३ महीना तक इलाज करवाया अब वो सामान्य जिंदगी बिता रही है!


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Kamala Nehru Treated in TB Hospital Bhawali


By the end of 1931, Kamala`s health worsened. Still, she was active in politics. She participated in the Civil Disobedience movement. In July 1934, she suffered a severe attack of pleurisy. During that time Jawaharlal was in jail. For eleven days he was released to be at the bedside of his sick wife. Kamala suffered from tuberculosis. Doctors advised that she should be shifted to a hospital in Bhowali near Almora. Her health improved after a two-month stay at the hospital. Further she was advised to go to Europe for treatment. The four years from 1931 to 1934 saw a sharp decline in Kamala`s health. During these years she witnessed a very lonely life. She became deeply religious, taking initiation at the Ramakrishna Mission. As her condition worsened she was taken to the Bhowali Sanitorium for treatment while Jawaharlal was in jail.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भवाली सैनिटोरियम में बनेगा आधुनिक चिकित्सालय
News
नैनीताल: राज्य का स्वास्थ्य महकमा टीबी के इलाज के लिए प्रसिद्ध भवाली सैनिटोरियम को 180 बैड के आधुनिकतम चिकित्सालय के रूप में स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। इधर गेठिया सैनिटोरियम पीपी मोड के तहत डाक्टरों के प्रशिक्षण केंद्र का रूप लेगा।

ज्ञातव्य है कि अंग्रेजी शासनकाल में हल्द्वानी-भवाली मार्ग पर भवाली सैनिटोरियम की स्थापना की गई थी। टीबी के इलाज के लिए यह एशिया के प्रमुख अस्पताल के रूप में विख्यात है। देश की कई प्रमुख हस्तियों ने यहां अपना इलाज कराया। सन् 80 के दशक के बाद यह अस्पताल अवसान की ओर चला गया। वर्तमान में डाट पद्धति से टीबी का इलाज होने से इस चिकित्सालय को मरीजों की भर्ती के लिए बंद करने का निर्णय लिया गया। प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा अब इस चिकित्सालय में आयुष विभाग के साथ ही अत्याधुनिक चिकित्सालय खोलने की तैयारी कर रहा।

प्रदेश के स्वास्थ्य राज्य मंत्री बलवंत सिंह भौर्याल ने इस संबंध में पूछे जाने पर बताया कि भवाली सैनिटोरियम में टीबी के इलाज की जगह आयुष विभाग खोला जायेगा। इसके अलावा यहां डेढ़ सौ बिस्तरों का आधुनिकतम चिकित्सालय खोला जायेगा। इसके लिए बजट का प्रावधान किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सैनिटोरियम की तीन एकड़ भूमि का उपयोग स्वास्थ्य महकमा करेगा। इसके अलावा भवाली-ज्योलीकोट-हल्द्वानी मार्ग में स्थित गेठिया सैनिटोरियम में पीपी मोड के तहत चिकित्सकों के प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना है। एक निजी संस्था से करार किया जा चुका है। श्री भौर्याल ने कहा कि स्वास्थ्य महकमा विभागीय परिसम्पत्तियों का उपयोग जनता के हित में करेगा

(Source - Dainik Jagran)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Bhowali - WikiUttarakhand height=190
Bhowali is 11 kms away from Nainital on the Haldwani-Almora Road. It is quite famous as a market known for its variety of fruits. It also houses the famous Sainik School of India. This place is said to be good for those patients who ail from problems of the lungs. There is also a Sanatorium here. Very near to Bhowali, on Almora-Ranikhet road is
The temple complex of Kainchi. Only 3 km, from here is Ghorakhal, famous for the temple of Gollu Devta, a demi God highly revered by the Kumaonis. Similarly Jeolikote (1219 mts) is famous as a health resort and for its butterflies, as also for the production of honey, mushrooms and fruits including strawberries and leechis.[/size][/font]It is 1706 meters above the sea level and is a road junction serving all the nearby hill stations from Nainital.  Bhowali is also known for its T.B. sanatorium established in 1912.

  ज्योलिकोट से जैसे ही गेठिया पहुँचते हैं तो चीड़़ के घने वनों के दर्शन हो जाते हैं। गेठिया में टी. बी. सेनिटोरियम का अस्पताल है। मुख्य अस्पताल गेठिया से आगे पहाड़ी की ओर चोटी पर स्थित है। सन् १९१२ में भुवाली का अस्पताल ही टी. बी. सेनिटोरियम कहलाता है। गेठिया सेनिटोरियम इसी अस्पताल की शाखा है। चीड़ के पेड़ों की हवा टी. बी. के रोगियों के लिए लाभदायक बताई जाती है। इसीलिए यह अस्पताल चीड़ के घने वन के मध्य में स्थित किया गया। श्रीमति कमला नेहरु का भी इसी अस्पताल में इलाज हुआ था।
भवाली सेनिटोरियम के फाटक से जैसे ही आगे बढ़ना होता है, वेसे ही मार्ग ढलान की ओर अग्रसर होने लगता है। कुछ देर बाद एक सुन्दर नगरी के दर्शन होते हैं। यह भवाली है जो चीड़ और वाँस के वृक्षों के मध्य और पहाड़ों की तलहटी में १६८० मीटर की ऊँचाई में बसा हुआ एक छोटा सा नगर है। यहाँ की जलवायु अत्यन्त स्वास्थ्यवर्द्धक है। शान्त वातावरण और खुली जगह होने के कारण 'भवाली' कुमाऊँ की एक शानदार नगरी है। यहाँ पर फलों की एक मण्डी है। यह एक ऐसा केन्द्र - बिन्दु है जहाँ से काठगोदाम हल्द्वानी और नैनीताल, अल्मोड़ा - रानीखेत भीमताल - सातताल और रामगढ़ - मुक्तेश्वर आदि स्थानों को अलग - अलग मोटर मार्ग जाते हैं।
भवाली में ऊँचे-ऊँचे पहाड़ तथा सीढ़ीनिमा खेत है। सर्पीले आकार की सड़कें और चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। घने बांज - बुरांश के पेड़ हैं, चीड़ के वृक्षों का यह तो घर ही है। और पर्वतीय अंचल में मिलने वाले फलों की मण्डी है।
'भवाली' नगर भले ही छोटा हो परन्तु उसका महत्व बहुत अधिक हैं। भवाली के नजदीक कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल हैं, जिनका अपना महत्व है। भवाली के पास घोड़ाखाल में कुमाऊँ के प्रसिद्ध गोलू ज्यू देवता का प्राचीन मन्दिर है, तो यहीं पर देश का प्रसिद्ध, एक सैनिक स्कूल भी है। 'शेर का डाण्डा' और 'रेहड़ का डाण्डा' भी भवाली से ही मिला हुआ है। अपने कुमाऊँ पर्वतारोहण अभियान के पर्वतारोहियों को भवाली  आना ही पड़ता है। भीमताल, नौकुचियाताल, मुक्तेश्वर, रामगढ़ अल्मोड़ा और रानीखेत आदि स्थानों को काठगोदाम से आनेवाले पर्यटकों, सैलानियों एवं पहारोहियों को भी  'भवाली'  की भूमि के दर्शन करने ही पड़ते हैं - अतः 'भवाली' का महत्व जहाँ भौगोलिक है वहाँ प्राकृतिक सुषमा भी है। इसीलिए इस शान्त और प्रकृति की सुन्दर नगरी को देखने के लिए सैकड़ों - हजारों प्रकृति-प्रेमी प्रतिवर्ष आते रहते हैं।
नैनीताल से भवाली की दूरी केवल ११ किनोमीटर है। नैनीताल आये हुए सैलानी भवाली की ओर अवश्य आते हैं। कुछ पर्यटक कैंची के परसिद्ध मन्दिर तक जाते हैं तो कुछ 'गगार्ंचल' पहाड़ की चोटी तक पहुँचते हैं। कुछ पर्यटक 'लली कब्र' या लल्ली की छतरी को देखने जाते हैं। कुछ पदारोही रामगढ़ के फलों के बाग देखने पहुँचते हैं। कुछ जिज्ञासु लोग 'काफल'  के मौसम में यहाँ 'काफल'  नामक फल खाने पहुँचते हैं। 'भवाली' १६८० मीटर पर स्थित एक ऐसा नगर है जहाँ मैदानी लोग आढ़ू ; सेब, पूलम (आलूबुखारा) और खुमानी के फलों को खरीदने के लिए दूर - दूर से आते हैं।
'भवाली' नगर के बस अड्डे से एक मार्ग चढ़ाई पर नैनीताल, काठगोदाम और हल्द्वानी की ओर जाता है। दूसरा मार्ग ढ़लान पर घाटी की ओर कैंची होकर अल्मोड़ा, रानीखेत और कर्णप्रयाग की ओर बढ़ जाता है। तीसरा मार्ग भवाली के बाजार के बीच में होकर दूसरी ओर के पहाड़ी पर चढ़ने लगता है। यह मार्ग भी अगे चलकर दो भागों में विभाजित हो जाता है। दायीं ओर का मार्ग घोड़ाखाल, भीमताल और नौकुचियाताल की ओर चला जाता है और बायीं ओर को मुड़ने वाला मार्ग रामगढ़ मुक्तेश्वर अंचल की ओर बढ़ जाता है।
उत्तराखंडी संगीत प्रेमियों के लिए भवाली का महत्त्व इसलिए भी है की भवाली काफी समय तक कुमाऊनी के महान व प्रसिद्ध गायक, संगीतकार व रचनाकार स्व गोपाल बाबु गोस्वामी जी की निवास स्थली और कर्मस्थली रहा है!

Source - http://bedupako.wetpaint.com

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Number of TB Sanatorium Bhawali,Nainital Uttarakhand-
« Reply #9 on: September 20, 2011, 05:18:50 AM »

Number of T B Sanatorium - 05942-220395

If this number sometime not working, mail me

msmehta@merapahad.com



 

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