पैराग्लाइडिंग की संभावनाओं से भरपूर पौड़ी
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ऊंची चोटी से छलांग लगाकर हवा में तैरने का कभी न भुलने का अनुभव सिर्फ पौड़ी ही दे सकता है। पौड़ी में कंडारा, कोट व गगवाड़ा घाटी पैराग्लाइडिंग की संभावनाओं से भरपूर है, यहां हुए सर्वे के बाद साहसिक पर्यटन विभाग ने पौड़ी को पैराग्लाइडिंग क्षेत्र में विकसित करने की योजना तैयार तो की, लेकिन स्वीकृति का अभी इंतजार है।
पहाड़ों की बीच दूर तक फैली गगवाड़ा, कोट व कंडारा वैली का पहली बार पैराग्लाइडिंग की संभावनाओं को लेकर सर्वे हुआ। सर्वे हिमालय पैराग्लाइडिंग इंस्टीट्यूट के संस्थापक मनीष जोशी ने करवाया। सर्वे में यह खुलकर सामने आया कि ये तीनों घाटियां पैराग्लाइडिंग के लिए उपयुक्त है। हिमालय पैराग्लाइडिंग इंस्टीट्यूट ने यहां ट्रायल के तौर पर पैराग्लाइडिंग की, जिसमें उसे सफलता मिली। वर्ष 1997 में 12 विद्यार्थियों को यहां प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण का खर्च तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने उठाया। इसके बाद यहां पैराग्लाइडिंग होती रही और वर्ष 2002 में साहसिक पर्यटन विभाग ने दो करोड़ रुपये की एक योजना शासन को भेजी। योजना के मुताबिक कंडारा, कोट व गगवाड़ा वैली में प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना, पर्यटन विश्राम गृह, घाटियों की तलहटी में मैदानों का निर्माण होना था। साथ ही, प्रशिक्षकों की भी नियुक्ति होनी थी। वर्तमान में यह योजना शासन में लंबित है। इस संबंध में साहसिक पर्यटन विभाग ने समय-समय पर शासन को पत्र भी भेजे, लेकिन जवाब नहीं मिले। योजना में देरी होने से कंडारा घाटी में तीन साल पहले हाई टेंशन लाइन बनाई गई और इस लाइन की वजह से अब कंडारा का पैराग्लाइडिंग क्षेत्र काफी कम हुआ है।
.. कंडारा, कोट व गगवाड़ा घाटी पैराग्लाइडिंग के लिए सबसे उपयुक्त हैं। यहां यदि प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित कर दिया जाए तो पौड़ी देशी-विदेशी पर्यटकों की पसंदीदा जगह बन जाएगी।
मनीष जोशी, हिमालय पैराग्लाइडिंग इस्टीट्यूट
शासन को योजना तो भेजी गई है, लेकिन योजना पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। उम्मीद है कि योजना को जल्द स्वीकृति मिल जाएगी। फिलहाल निजी सेक्टर की संस्थाओं को पौड़ी में पैराग्लाइडिंग के लिए आमंत्रित किया गया है।
जसपाल सिंह चौहान, जिला साहसिक पर्यटन अधिकारी
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