Author Topic: Various Dynasities In Uttarakhand - उत्तराखंड के विभिन्न भागो मे राजाओ का शासन  (Read 38795 times)

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0
in Garhwal, during 13th century "Parmar Rajvansh" came into existence. King "Ajay Pal" transfered his Capital from "Chandpur Garh" to "Deval Garh". in 1517 A.D. "Parmar" shifted capital to "Srinagar". Bravery of Parmar's was recognised by "Ruler of Delhi" "Sultan Lodhi" and he awarded surname "Shah" to "Parmar". 

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0

"Maan Shah" and "Mahipati Shah" of Garhwal along with "Baaj Bhadur Chand" of kumaun fought against Tibbetes.
Sena Nayak "Madho Singh Bhandari" and "Lodi Rikhola" were the war heroes again Tibbet.

In 1803AD, "Parmars" were defeated by Gorkhas. But in 1814AD, they got their kingdom back with the help of Britishers.
At the same time with an agreement they gave their East Garhwal(Kumaun Region) to Britshers. Their new capital was Tehri.

Their descendants ruled Tehri Garhwal up to 1 August 1949. After merging with India, Tehri became part of Uttar Pradesh.



Source: Uttarakhand Club Directory

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0
Kingdom of Various Dynasty in Garhwal

Raja Bhanu Pratap(888AD-945AD): In 945AD "BhanuPratap" married his daughter to "KankPal"

Paal Vansh(945AD-1646AD)

Shah Vansh(1646AD-1949AD)

Gorkhas(1805AD-1815AD)


पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
पंवार राज वंश (टिहरी के राजा) उत्तराखण्ड का ऎसा प्रथम राजवंश है, जिसने लगातार ६० पीढ़ियों तक अपनी रियासत में राज किया। ७ वीं शताब्दी में इस राजवंश की स्थापना हुई थी।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
उत्तराखण्ड के प्रथम राजा "महाराज शालिवाहन देव" थे, जिनका कार्यकाल ८५० ई० पू० माना जाता है, इनकी राजधानी कार्तिकेयपुर (जोशीमठ) थी और इनके राज्य का विस्तार किन्नर भूमि (हिमाचल) केदारखण्ड (गढ़वाल), मानसखण्ड (कुमाऊं) तथा नेपाल तक था। संभवतः रोहिलखण्ड (बरेली) में भी उनका अधिकार था|

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
चंद राजवंश के पहले राजा, राजा सोमचंद थे, जिन्होंने कुमाऊं पर सन ७००- से ७२१ तक राज किया।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
कत्यूरीवंश

आज के उत्तराखंड के संपूर्ण क्षेत्र में शासन करने का प्रथम श्रेय कत्यूर वंश को जाता है। कत्यूर घाटी में अपनी राजधानी कार्तिकेयपुर अब बैजनाथ से नाम प्राप्त करने वाले कत्यूरियों ने इस क्षेत्र में 8वीं सदी के प्रारंभ में अपना प्रभूत्व कायम किया। 10वीं सदी के अंत होते होते इस साम्राज्य में वंश के झगड़े के कारण दरार पड़नी शुरु हो गयी। 13वीं सदी तक यह बिखराव पूर्ण हो गया यद्यपि कत्यूरी वंश के वंशज कहीं-कहीं शासन करते रहे और अंत में 16वीं सदी तक चंद राजाओं ने इसे समाप्त कर दिया।

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
चंद वंश

8वीं सदी में अपने राज्य के विजित होने के बाद झांसी से भागकर कुमाऊं में चंदों का आना माना जाता है। पुराने चंदेल वंश के एक राजकुमार सोमचंद को ज्योतिषियों ने उत्तर की ओर जाने को कहा तथा उसने काली कुमाऊं के शासक कत्यूर वंश की एक राजकुमारी से विवाह कर लिया। वहां उसने चंपावत में भाटी किलेबंदी के बीच अपने सिंहासन की स्थापना की।
वर्तमान 809 ईस्वी में यह छोटा राज्य नष्ट हो गया तथा कभी प्रभावशाली रहे खासों ने कश्मीर से आसाम तक की सम्पूर्ण भूमि पर पुनः अपना अधिकार स्थापित कर लिया। सदियों के बीत जाने के बाद चंदों ने तराई से वापस आकर फिर अपना राज्य प्राप्त कर लिया, जहां वे पीढ़ियों तक रहे। वर्ष 1560 में चंदों ने 8वीं सदी का अपना घर-बार छोड़ दिया और अल्मोड़ा में अपनी नयी राजधानी बनायी, जो उनके विकसित हो रहे राज्य के अनुकूल था।
वर्ष 1790 में इस वंश का अंत हो गया जब विरलारवादी गोरखों ने अल्मोड़ा पर कब्जा कर लिया और इस प्रकार एक हजार वर्ष के चंद वंश का अंत हो गया।
 
 

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0

Some kings of Paal Vansh:
Kankpal(945AD)
AjayPal(1500)
SahajPal
ValBhadra Pal



पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
गढ़वाल के पंवार वंश की स्थापना कनक पाल ने चांदपुर गढ़ी में की और उसके 37वें वंशज अजय पाल ने वर्ष 1506-1519 के बीच श्रीनगर को अपनी राजधानी बनाया। इस वंश का नाम पाल वंश हुआ, जो बाद में 16वीं सदी के दौरान शाह वंश में बदल गया तथा वर्ष 1803 तक गढ़वाल पर शासन करता रहा। इस वर्ष नेपाल के गोरखों ने गढ़वाल पर आक्रमण कर अमर सिंह थापा को वहां का शासक घोषित कर दिया।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22