Author Topic: Who, Where, Why In Uttarakhand? - उत्तराखंड मे कौन, कहाँ, क्यो?  (Read 145176 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Question : Uttarakhand mai Hariyali Devi Ka Mandir Kahan par hai or yahan par mela kab lagta hai ?

Devbhoomi,Uttarakhand

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Question : Uttarakhand mai Hariyali Devi Ka Mandir Kahan par hai or yahan par mela kab lagta hai ?

हरियाली देवी का मंदिर रुद्रप्रयाग जिले मैं है ,हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी दीपावली पर्व से एक दिन पूर्व धनतेरस के दिन
 से आस्था व श्रद्धा की प्रतीक सिद्धपीठ मां त्रिपुरा सुंदरी वैष्णो माता हरियाली देवी की कांठा यात्रा शुरू होगी। यह यात्रा अपने ससुराल जसोली से शुरू होकर मायके कांठा मंदिर पहुंचेगी।

तीज त्योहार के मौकों पर अपनी शादीशुदा बेटियों को जिस तरह हम ससुराल से मायके बुलाते हैं, ठीक उसी प्रकार देवी-देवताओं के साथ भी यह परंपरा रही है। इसी तरह आस्था व श्रद्धा की प्रतीक सिद्धपीठ मां वैष्णो माता हरियाली देवी की कांठा यात्रा भी है, जो हर वर्ष दीपावली पर्व से एक दिन पूर्व शुरू होती है।

जिले के नगरासू-डांडाखाल मोटरमार्ग पर स्थित जसोली ग्राम पंचायत में हरियाली देवी का भव्य मंदिर है। दीपावली पर्व से एक दिन पूर्व देवी की डोली यात्रा निशानों व भक्त जनों के अपार उत्साह से देर सायं जसोली से रवाना होती है तथा रात भर विभिन्न पड़ावों को तय कर दीपावली की सुबह मंदिर में प्रवेश करती है।

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महापंडित, काकभुन्शुडी ने उत्तराखंड के कौने सी जगह पर राम भक्त जटायु को राम-महिमा कि कहानी सुनाई थी?



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गढ़वाल से गोरखाओं को कब खदेडा गया था ?

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टेहरी (नरेंदर नगर ) के राजा नरेंद्र शाह की मिर्त्यु कब और कैसे हुई ?

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                        District Magistrate Champawat

                        from 02-10-1997 onwards ..


S.No.      Name of District Magistrate                    From                 To


1     Sh. Naveen Chandra Sharma     I.A.S.      02-10-1997      14-12-1999

2     Sh. S.K.Maheswari                    I.A.S.       14-12-1999     05-09-2001

3     Sh. Tarkendra Vaishnav           I.A.S.         05-09-2001        22-08-2003

4     Sh. Gopal Krishna Dwivedi         I.A.S.          22-08-2003     14-06-2004

5     Sh. Amit Negi                         I.A.S.               14-06-2004        01-04-2005

6     Sh. Dayal Singh Nath         I.A.S.               01-04-2005         05-03-2006

7     Sh. Vinod Kumar Pathak          I.A.S.                05-03-2006          30-10-2006

8     Dr Pratap Singh Gussain          I.A.S.                30-10-2006          05-10-2007

9     Sh. Kunaal Sharma                  I.A.S.                 06-10-2007          18-11-2007

10     Sh. Ramesh Chandra Pathak    I.A.S.                18-11-2007          17-06-2008

11     Sh. Haritash Gulshan           I.A.S.                 18-06-2008          01-11-2008

12     Sh. Avnendra Singh Nayal         I.A.S.                  08-11-2008     Till date


पंकज सिंह महर

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क्या आप इस तथ्य से परिचित हैं कि उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण की मांग में प्रसिद्ध शिकारी जिम कार्बेट की भी भूमिका रही थी?

जी हां, त्रिलोक चन्द्र भट्ट द्वारा लिखित "उत्तराखण्ड आन्दोलन का इतिहास" नामक पुस्तक में निम्न लाइनें लिखी हुई हैं।

1923- 27 नवम्बर, धार्मिक, सांस्कृतिक, ऎतिहासिक और राजनैतिक आधार पर उत्तराखण्ड को संयुक्त प्रांत से अलग करवाने की मंशा से राजा आनन्द सिंह, जिम कार्बेट, भैरव द्त्त, जंगबहादुर विष्ट, लच्छी राम शाह, ऎनी बिल्कनसन, हाजी नियाज अहमद, गंगाधर पांडे, आदि लोगों ने संयुक्त प्रांत के गवर्नर को एक ग्यापन भेजा गया, जिसमें मांग की गयी कि "सरकार को चाहिये कि कुमाऊं को शेष भारत से पृथक करने के लिये जल्द कदम उठाये।" {कुमाऊं से अभिप्राय टिहरी रियासत को छोड़कर सम्पूर्ण उत्तराखण्ड से था, जो तत्कालीन कुमाऊं कमिश्नरी थी}

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क्या आप इस आश्रम के बारे मैं जानते हैं ?

स्वामी माधवाश्रम

शंकराचार्य स्वामी माधवाश्रम जी महाराज भारत के उत्तरांचल राज्य में बद्रीनाथ तीर्थ के समीप जोशीमठ तीर्थ स्थित ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य हैं। यह आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित चार मठों में से एक है। स्वामी जी उत्तराखण्ड क्षेत्र से शंकरारार्य के पद पर सुशोभित होने वाले पहले संन्यासी हैं। वे अखिल भारतीय धर्म संघ समेत विभिन्न धार्मिक संस्थाओं के अघ्यक्ष एवं सदस्य हैं।

स्वामी माधवाश्लम का जन्म उत्तरांचल के रुद्रप्रयाग जिले के अन्तर्गत बेंजी ग्राम में हुआ था। इनका मूल नाम केशवानन्द था। आरम्भिक विद्यालयी शिक्षा के पश्चात इन्होंने हरिद्वार, अम्बाला में सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज, वृंदावन में बंशीवट में श्री प्रभुदत्त ब्रह्मचारी जी के आश्रम एवं वाराणसीसमेत देश के विभिन्न स्थानों पर वेदों एवं धर्मशास्त्रों की दीक्षा ली। विवाह के उपरान्त कुछ वर्ष पश्चात इन्होंने संन्यास ग्रहण किया।

 इनकी विद्वता को देखते हुए धर्म संघ के तत्वाधान में धर्मसम्राट स्वामी करपात्री जी के आशीर्वाद से जगन्नाथ पुरीपीठ के तत्कालीन शंकराचार्य स्वामी निरंजनदेव तीर्थ जी ने इन्हें ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य नियुक्त किया। तब से वे इस परम्परा का बखूबी पालन कर रहे हैं। स्वामी जी धर्मप्रचार एवं गौहत्या विरोधी विभिन्न आंदोलनों एवं संगठनों से जुड़े हैं।

पंकज सिंह महर

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टेहरी (नरेंदर नगर ) के राजा नरेंद्र शाह की मिर्त्यु कब और कैसे हुई ?

संभवतः सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हुई थी।

Devbhoomi,Uttarakhand

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महापंडित, काकभुन्शुडी ने उत्तराखंड के कौने सी जगह पर राम भक्त जटायु को राम-महिमा कि कहानी सुनाई थी?



इसका उत्तर है --रामायण में उद्दारित महापंडित काक्भुशंडी ने रामभक्त जातु को काक्भुशंडी ताल  में राम महिमा सुनाई  थी !

 

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