Author Topic: म्यर उत्तराखण्ड ग्रुप संस्था 14 अगस्त 2011 को गैरसैण (चंद्रनगर) राजधानी की मांग  (Read 19504 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,


विषय: म्यर उत्तराखण्ड संस्था  14 अगस्त  2011  को  गैरसैण
(चंद्रनगर) राजधानी की मांग  को लेकर शांतिपूर्ण धरना एवं जनजागरण रैली |प्रिय दोस्तो, नमस्कार/ प्रणाम / पैलाग / सिमन्या


 म्यर उत्तराखण्ड ग्रुप सोसायटी बीते सालो की भाँति इस बार भी राज्य के ज्वलंत मुद्दों को लेकर एक जन- जाग्रति यात्रा का आयोजन करने जा रही है | यह यात्रा स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर 14 अगस्त 2011 को उत्तराखण्ड की ह्रदय स्थली गैरसैण में सम्पन होगी | इस यात्रा में उत्तराखण्ड के साथ ही विभिन्न शहरो से प्रवासी बड़ी संख्या में भाग ले रहे है |यात्रा का उद्देश्य उत्तराखण्ड राज्य के अनेको ज्वलंत मुद्दों पर जनमत बनाने के साथ साथ जन समर्थन जुटाना व जागरूकता पैदा करना है | राज्य आन्दोलन के दौर से ही जनकांक्षाओ की राजधानी रही गैरसैण राज्य गठन के दस साल बाद भी राजधानी नहीं बन पाई है| इतना ही नहीं पहाड़ो में शिक्षा व रोजगार के अवसर बढ़ने के बजाय घट रहे है| यहाँ तक कि पहाड़ो में आवादी भी घट रही है | शिक्षा, रोजगार, पलायन, विस्थापन, जल, जंगल और जमीन के सवाल आज भी पहाड़ को जकडे हुए है| इन सवालो के दौरान नेताओ और अधिकारियो ने पहाड़ के विकास के लिए जितनी संवेदना दिखाई है वह किसी से छिपा नहीं है | ऐसे में हमारी संस्था इन सवालो पर लोगो के बीच जाकर जितना भी संभव हो जागरूकता का प्रयास कर रही है |
 
कार्यक्रम का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-

13 अगस्त 2011- दिल्ली से यात्रा का शुभारंभ
14 अगस्त 2011- सुबह 10 :00 बजे से गैरसैण में शांति पूर्ण धरना और गोष्ठी
15 अगस्त 2011- जी . आई . सी जौरासी मे स्वतंत्रता दिवस आयोजन मे भाग लेगी और करियर मार्गदर्शन कैम्प
 
गैरसैंण राजधानी के मुद्दे पर इस समय आवाज बुलन्द करना अत्यन्त जरूरी है, अन्यथा यह चुप्पी उत्तराखण्ड के भविष्य के लिये घातक हो सकती है. आप सभी लोगों से अपील है कि आप इस मुद्दे पर आगे आयें और इस अभियान में सहभागी बनें
 ज्यादा जानकारी के लिए आप हम से संपर्क कर सकते है

धन्वाद.
मोहन सिंह बिष्ट , सुदर्शन रावत, हरीश रावत , श्री. भूपाल सिंह बिष्ट , कैलाश बेलवाल , धीरेन्द्र अधिकारी , त्रिलोक रावत, विनोद शाही , शिवानी सिंह , दीपा किर्मोलिया , श्रीमती मोहिनी शाही  जी ,  नीरज पंवार , मनोज सिंह नेगी , मनोज पालीवाल ,
 
म्यर उत्तराखण्ड ग्रुप सोसाइटी (रजी.)


M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is the news published on Amar Ujala on 22 July 2011

प्रवासियों ने छेड़ी मुहिम, ‘हिटो गैरसैंण’
हल्द्वानी। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान जोरशोर से उछले गैरसैंण राजधानी के मुद्दे को लेकर आज भले ही राजनीतिक दलों ने खामोशी साध ली हो लेकिन इंटरनेट में स्थायी राजधानी पर गरमागरम बहस जारी है। भारत ही नहीं अमेरिका, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया, आयरलैंड और न्यूजीलैंड में बसे प्रवासी उत्तराखंडी भी इस मुद्दे को लेकर विचलित हैं। फेसबुक और ऑरकुट जैसी सोशल साइटें ‘पहाड़ प्रेम’ और ‘गैरसैंण राजधानी’ दो के नारों से पटी पड़ी है। ‘हिटो गैरसैंण’ के नारे के साथ 13 अगस्त को दिल्ली से सैकड़ों प्रवासी गैरसैंण को कूच करने की तैयारी में है। गैरसैंण में 14 अगस्त को सुबह दस बजे से प्रवासियों की जनसभा होगी।

‘छबिलो गढ़वाल मेरो, रंगीलो कुमाऊं और यो पहाड़ बसनी मेरो प्राण, यो छू मेरी जन्मभूमि महान ’ जैसे गीतों के जरिये प्रवासी उत्तराखंडी इंटरनेट पर गैरसैंण को राजधानी बनाने की पुरजोर वकालत कर रहे हैं। कुछ लोग इसे अव्यवहारिक भी मानते हैं। पक्ष और विपक्ष में नेट पर घंटों चैटिंग का दौर जारी है। दिल्ली में कुछ प्रवासियों ने बाकायदा साइट और ब्लॉग बनाकर राजधानी के लिए अभियान चलाया है। ऐसी ही एक साइट म्यार उत्तराखंड 14 अगस्त को गैरसैंण में जनसभा करनेजा रही है। साइट चलाने वाले मोहन सिंह बिष्ट जो कि दिल्ली की एक निजी कंपनी में प्रबंधक हैं, बताते हैं कि अब तक करीब 800 प्रवासियों ने 14 को गैरसैंण पहुंचने का वायदा किया है। करीब 2500 प्रवासियों के जवाब का अभी इंतजार है। बिष्ट ने उम्मीद जताई है कि करीब 2000 प्रवासी 14 अगस्त को देश के कोने-कोने से गैरसैंण पहुंचेंगे। दिल्ली की एक मेडिकल कंपनी में प्रबंधक दयाल पांडे, आईटी कंपनी में काम कर रहे महिपाल मेहता और हेम पंत भी म्यार पहाड़ नाम की साइट बनाकर पहाड़ के मुद्दाें को उठा रहे हैं। इसमें गैरसैंण प्रमुख है। हजारों लोगों के सहयोग से चल रही इस साइट में दो सौ लोग देश से बाहर के हैं। इन्हीं में एक अमेरिका में रसायन विज्ञान पर शोध कर रहे प्रवासी डा. शैलेश उप्रेती कहते हैं कि राजधानी के साथ ही पहाड़ के अन्य मुद्दों को भी उठाए जाने की जरूरत है। घर से पलायन का जो दर्द प्रवासी झेल रहे हैं उसे कम करने की यह एक छोटी सी मुहिम है।


(Source -http://epaper.amarujala.com/svww_zoomart.php?Artname=20110722a_001114013&ileft=111&itop=1249&zoomRatio=136&AN=20110722a_001114013)

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Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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The people of Uttarakhand wish that permanent capital should be at its proposed place in Gairsain which is cetnre of both Kumoan & Garhwal region of Uttarakhand.

Unfortunately, after formation of Uttarakhand state, this matter was political issue. There was no need to make a Dixit Commission to study appropriate place for Capital and it took 10 yrs to give its report.

Why was Dixit Aayog formed when a Commission has suggested Gairsain to be appropriate place for uttarakhand capital before formation .

A good effort by you young people to make this issue alive.


हेम पन्त

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A very good step ..

rajdhani gairsain honi chahiye.. Sarkar to andhi hai... .. Pahad ke sath khilwaad kiya hai

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सभी लोगो को मिलजुल कर आगे आकर इस आन्दोलन को सफल बनाना चाहिए! आज १० साल बीतने के बाद भी हमारे  उत्तराखंड राजधानी अपने प्रस्तावित स्थान गैरसैंन पर नहीं बन सकी है !

राज नेताओ ने आन्दोलन कारियों एव जनता के साथ मजाक किया है ! समय आ गया है .. अपने हक़ की लडाई और तेज करे.. और राजधानी गैरसैंन हो..



एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इस आन्दोलन को एक अच्छा जन समर्थन मिल रहा है! १४ अगस्त को बहुत से लोगो की इस जन सभा मी आने की उम्मीद है !


MANOJPUNDIR

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गैरसैण  में आपका स्वागत है ..................सर

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गैरसैंण के बिना राज्य का मकसद अधूरा    देहरादून, जागरण संवाददाता: गैरसैंण महज एक जगह नहीं बल्कि आंदोलनकारियों का सपना है। यह एक भावना है, विचार है। जब उत्तराखंड आंदोलन हुआ तो राज्य आंदोलनकारियों ने सोच-विचार के गैरसैंण को राज्य की राजधानी घोषित किया। पहाड़ की राजधानी यदि पहाड़ में नहीं होगी तो इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या हो सकता है। इन्हीं सवालों को लेकर म्यार उत्तराखंड गु्रप सोसायटी गैरसैंण राजधानी की मांग को लेकर हिटो गैरसैंण के नारे के साथ 14 अगस्त को गैरसैंण में धरना व जनजागरण रैली निकालने का ऐलान किया है। इस मौके पर आयोजित प्रेसवार्ता में संस्था के अध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट महासचिव सुदर्शन रावत, धीरेंद्र अधिकारी, त्रिलोक सिंह रावत, कैलाश बेलवाल थे।   http://in.jagran.yahoo.com/epaper/index.php?location=43&edition=2011-07-25&pageno=12 

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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This time the public response seems to be overwhelming.

As i already mentioned, for BJP and Congress, this is not a issue. They want to befool public and fix their 5 yrs terms after winning the election.

I think, it is high time for UKD also to support this issue with the social groups and regain public faith through the capital issue.

Today, you will not believe none of the Govt employees want to serve in hill areas. Everybody wants his / her posting at Dehdradoon.

Afterall, we had not fought for 4-5 decades for this pathetic condition of Uttarakhand.

People are in favour of Doon, dont not have much knowledge about Uttarakhand State Struggle Hisotry.

Even they don't know there was a man popularly known "Baba Mohan Uttarakhandi" who sacrified his life after 42 days hunger strike in 2004 for shifting the Capital to Gairsain.


 

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