Uttarakhand > Uttarakhand History & Movements - उत्तराखण्ड का इतिहास एवं जन आन्दोलन

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
कोटद्वार काण्ड

३ अक्टूबर, १९९४ को पूरा उत्तराखण्ड मुजफ्फरनगर काण्ड के विरोध में उबला हुआ था और पुलिस-प्रशासन इनके किसी भी प्रकार से दमन के लिये तैयार था। इसी कड़ी में कोट्द्वार में भी आन्दोलन हुआ, जिसमें दो आन्दोलनकारियों को पुलिस कर्मियों द्वारा राइफल के बटों व डण्डों से पीट-पीटकर मार डाला।

कोटद्वार में शहीद आन्दोलनकारी:

अमर शहीद स्व० श्री राकेश देवरानी।
अमर शहीद स्व० श्री पृथ्वी सिंह बिष्ट, मानपुर, कोटद्वार।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
नैनीताल गोलीकाण्ड

नैनीताल में भी विरोध चरम पर था, लेकिन इसका नेतृत्व बुद्धिजीवियों के हाथ में होने के कारण पुलिस कुछ कर नहीं पाई, लेकिन इसकी भड़ास उन्होने निकाली प्रशान्त होटल में काम करने वाले प्रताप सिंह के ऊपर। आर०ए०एफ० के सिपाहियों ने इसे होटल से खींचा और जब यह बचने के लिये मेघदूत होटल की तरफ भागा, तो इनकी गर्दन में गोली मारकर हत्या कर दी गई।

नैनीताल गोलीकांड में शहीद लोगः

अमर शहीद स्व० श्री प्रताप सिंह।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
श्रीयंत्र टापू (श्रीनगर) काण्ड

श्रीनगर कस्बे से २ कि०मी० दूर स्थित श्रीयन्त्र टापू पर आन्दोलनकारियों ने ७ नवंबर, १९९४ से इन सभी दमनकारी घटनाओं के विरोध और पृथक उत्तराखण्ड राज्य हेतु आमरण अनशन आरम्भ किया। १० नवंबर, १९९४ को पुलिस ने इस टापू में पहुँचकर अपना कहर बरपाया, जिसमें कई लोगों को गम्भीर चोटें भी आई, इसी क्रम में पुलिस ने दो युवकों को राइफलों के बट और लाठी-डण्डों से मारकर अलकनन्दा नदी में फेंक दिया और उनके ऊपर पत्थरों की बरसात कर दी, जिससे इन दोनों की मृत्यु हो गई।

श्रीयन्त्र टापू के शहीद लोगः

अमर शहीद स्व० श्री राजेश रावत।
अमर शहीद स्व० श्री यशोधर बेंजवाल।
इन दोनों शहीदों के शव १४ नवंबर, १९९४ को बागवान के समीप अलकनन्दा में तैरते हुये पाये गये थे।

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