Author Topic: Faith-God to save the forest- वन सम्पदा की रक्षा के लिए जंगल भी देवी को समर्पित  (Read 2959 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

People have immense faith in God & Goddess of Devbhi in Uttarakhand. In many areas, people leave the deforestation cases to their local dieties to save the forest. The visit to their local dieties & worship save their areas forest from Mafias etc. It has also been seen that whosoever unauthorizedly cut the forest, they pay divinal punishment from the God. That is the reason people believe in such practices to save the forest.


M S Mehta



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मडलकिया का जंगल भी देवी को समर्पित

निप्र : वन सम्पदा की रक्षा के लिए तहसील मुनस्यारी के मडलकिया के ग्रामीणों ने भी बांज, बुरांश, देवदार और सुरई के वृक्षों से आच्छादित जंगल न्याय की देवी कोटगाड़ी को चढ़ा दिया है। आने वाले पांच वर्षो के लिए जंगल की रक्षा अब कोटगाड़ी देवी करेंगी।
मुनस्यारी के तल्ला जोहार स्थित मडलकिया का जंगल देवदार और सुरई जैसे इमारती लकड़ी का होने के कारण माफियाओं की नजरों में रहता है। इसके अलावा शीतकाल में नामिक और हीरामणि ग्लेशियर क्षेत्र में भारी हिमपात होने पर कस्तूरा मृग सहित उच्च हिमालयी दुर्लभ वन्य प्राणी यहां पर शरण लेते हैं। जिस कारण इस जंगल में वन माफियाओं की सदैव नजर बनी रहती है और वह अवसर की ताक में रहते हैं। उनकी कुदृष्टि से जंगल को बचाने के लिए मडलकिया वन पंचायत द्वारा वन की सुरक्षा के लिए इसे न्याय की देवी कोटगाड़ी को चढ़ाने का निर्णय लिया गया।उक्त निर्णय के तहत वन पंचायत की एक बैठक हुई। जिसमें पांच वर्ष के लिए जंगल को देवी को चढ़ाने का स्टाम्प पेपर तैयार किया गया। स्टाम्प पेपर में स्पष्ट किया गया है कि जंगल की सूखी घास और लकड़ी ग्रामीण एकत्रित कर सकते हैं, परन्तु हरे वृक्षों और हरी घास पर पांच वर्षो के लिए किसी भी मानव का अधिकार नहीं रहेगा। स्टाम्प पेपर में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि अज्ञानवश यदि किसी व्यक्ति द्वारा जंगल के किसी वृक्ष पर कुल्हाड़ी चलाई गई तो देवी उसे माफ करे और जानबूझ कर कोई वृक्ष सहित वन्य प्राणियों पर हथियार चलाता है तो देवी उसे दंडित करे। वन सरपंच पूरन सिंह राणा, वन पंचायत सदस्य कमल किशोर, कुंती देवी, पार्वती देवी, बसंती देवी के संयुक्त हस्ताक्षरित स्टाम्प पेपर कोटगाड़ी मंदिर में रख दिया गया है।http://www.jagran.com/news/state-9222574.html

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एक और जंगल कोटगाड़ी देवी को समर्पित

जंगलों की सुरक्षा के सरकारी इंतजाम की खामी के चलते पिथौरागढ़ जिले के भुरमुनी गांव के ग्रामीणों ने भी अपना जंगल अब न्याय की देवी मानी जाने वाली कोटगाड़ी देवी को पांच वर्ष के लिए समर्पित कर दिया है। इस अवधि के बीच ग्रामीण जंगल से सूखी घास और सूखी लकड़ी ही बीन सकेंगे।

जिला मुख्यालय से मात्र तेरह किमी दूरी पर स्थित भुरमुनी गांव के बुरखड़ी जंगल में बांज के पेड़ों का अवैध कटान और वन सम्पदा की चोरी की घटनाएं काफी अधिक बढ़ गई थी। इस तरह की घटनाओं पर अंकुश नहीं लगने पर ग्रामीणों ने सरकारी कानूनों  के स्थान पर आस्था पर विश्वास जताया। इस संबंध में वन पंचायत सरपंच खड़क सिंह खड़ायत की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। जिसमें सर्व सम्मति से जंगल को पांच वर्षो के लिए न्याय की देवी कोकिला को समर्पित करने का निर्णय लिया गया।   बैठक में पूर्व प्रधान पवन सिंह खड़ायत, सुंदर सिंह धानिक, पंच दिलीप सिंह, महेन्द्र सिंह, नंदा सिंह, कमल सिंह, श्याम सिंह, प्रकाश राम, माहेश्वरी देवी, विमला देवी आदि ग्रामीण उपस्थित थे। उक्त निर्णय के बाद ग्रामीण ढोल नगाड़ों के साथ मंदिर में पहुंच कर जंगल देवी को समर्पित किया गया। ग्रामीणों का कहना है कि देवी को समर्पित वन पांच वषरें के बीच सुरक्षित रहेगा। वन को नुकसान पहुंचाने वालों को देवी दंडित करेगी।


http://www.jagran.com/news/state-9588116.html

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एक और जंगल न्याय की देवी को समर्पित
गंगोलीहाट (पिथौरागढ़) : वनों को बचाने के लिए सरकारी कानूनों के कारगर साबित नहीं होने से एक और जंगल को बचाने के लिए आस्था का सहारा लिया गया है। तहसील के उप्राड़ा का जंगल 10 वर्षाें के लिए न्याय की देवी कोटगाड़ी को चढ़ा दिया गया है।
तहसील मुख्यालय के निकटवर्ती उप्राड़ा का जंगल बांज और चीड़ के वृक्षों से आच्छादित है। इस जंगल में अवैध कटान जोरों पर है। ग्रामीणों ने कई बार अवैध कटान रोकने के लिए प्रयास किए परंतु ग्रामीण सफल नहीं हो सके। इसकी शिकायत प्रशासन और वन विभाग से किए जाने के बाद भी जंगल को बचाने की कोई सार्थक पहल नहीं हुई। ग्रामीणों के सामने की बांज और चीड़ के वृक्ष काटे जाते रहे। इससे खिन्न ग्रामीणों ने जंगल को बचाने के लिए आस्था का सहारा लेने का निर्णय लिया। वन सरपंच की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में जंगल को न्याय की देवी कोटगाड़ी को चढ़ाने का निर्णय लिया गया। बैठक में लिए गए निर्णय के तहत जंगल दस वर्षो के लिए देवी को चढ़ाया गया है। 10 वर्षो के भीतर जंगल में किसी तरह का पातन, कटान नहीं होगा। जो कोई भी इसका उल्लंघन करेगा उसे देवी दंड देगी। इस आशय के बोर्ड बना कर जंगल के चारों तरफ लगाए जायेंगे। निर्णय के बाद कागज तैयार कर गांव के सरपंच संजय पंत, पंच नित्यानंद पंत, गंगा सिंह, मोहन चंद्र पंत, हरी राम, मनोज  पंत, कुंदन सिंह, राम सिंह, गणेश सिंह , भगवती पंत, जीवंती देवी , रमेश राम ने पांखू कोटगाड़ी मंदिर जाकर बांड पेपर देवी को चढ़ा दिया है। मालूम हो कि जिले के दो दर्जन से अधिक जंगल पिछले कई वर्षो से देवी को अर्पित किए गए हैं। जो जंगल देवी को अर्पित किए गए उनमें अवैध गतिविधियां ठप हो चुकी हैं।http://www.jagran.com/news/state-10967567.html

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हरियाली बरकरार रखने को जंगल देवी को समर्पित
हाटथर्प के नवनियुक्त वन सरपंच की पहल
जाका, डीडीहाट : तहसील मुख्यालय से सटे हाटथर्प के चौड़ी पत्ती वाले वृक्षों से आच्छादित जंगल की हरियाली को बरकरार रखने के लिए  देवी को समर्पित कर दिया गया है। यह निर्णय नव नियुक्त वन सरपंच की पहल पर लिया गया। हाटथर्प वन पंचायत के सरपंच का शुक्रवार को चुनाव हुआ। जिसमें सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से नंदन सिंह कफलिया को वन सरपंच चुना गया। वन सरपंच बनते ही नंदन सिंह द्वारा सबसे पहला प्रस्ताव हरियाली को बचाए रखने के लिए जंगल देवी को समर्पित करने का लिया गया। बैठक में मौजूद ग्रामीणों की सहमति से हाटथर्प का चरमा नदी से सटे जंगल को न्याय की देवी को समर्पित करने का प्रस्ताव तैयार किया गया। प्रस्ताव के तहत देवी को समर्पित जंगल से कोई भी ग्रामीण वन सम्पदा का दोहन नहीं कर सकेगा। देवी को चढ़ाए गए जंगल में कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति के हथियार लेकर प्रवेश नहीं कर सकेगा। विदित हो कि पर्वतीय क्षेत्रों के जंगलों में अवैध कटान आदि से बचने के लिए जंगलों को देवी-देवताओं के नाम पर चढ़ाने की परंपरा रही है। ग्रामीणों द्वारा देवी-देवताओं को समर्पित किए गए जंगलों से अवैध कटान वर्जित रहता है। सरकारी कानूनों के स्थान पर आस्था के कारगर साबित होने से जंगलों को जीवनदान मिल रहा है। जिले के दर्जनों जंगल देवी-देवताओं को समर्पित किए जा चुके हैं। इस कड़ी में अब हाटथर्प का जंगल भी शामिल हो चुका है। http://www.jagran.com/news/state-10199661.html

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छानापांडे का जंगल देवी को समर्पित पिथौरागढ़। सरकारी व्यवस्था से आजिज
 आकर जंगलों को न्याय
 की देवी कोटगाड़ी (कोकिला) को चढ़ाने के
 सिलसिले को छानापांडे के लोगों ने आगे
 बढ़ाया है।

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छानापांडे का जंगल देवी को समर्पितशुक्रवार, 31 अगस्त 2012

पिथौरागढ़। सरकारी व्यवस्था से आजिज आकर जंगलों को न्याय की देवी कोटगाड़ी (कोकिला) को चढ़ाने के सिलसिले को छानापांडे के लोगों ने आगे बढ़ाया है। वन पंचायत छानापांडे के जंगल को 10 वर्षों के लिए कोटगाड़ी देवी को चढ़ा दिया है।
ग्राम पंचायत में हुई बैठक में जंगल के अंधाधुंध कटान को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए जंगल कोटगाड़ी देवी को चढ़ाने का फैसला लिया गया। तय हुआ कि गांव के लोग साल में केवल एक बार जंगल से घास काटेंगे और गिरे हुए पत्तों का उठान करेंगे। आवश्यक कार्य जैसे कि मृत्यु आदि पर बेकाम की लकड़ियों को जंगल से उठाया जाएगा। बांज, बुरांश, मेहल, काफल, उतीस आदि प्रजातियों के पेड़ों से किसी भी दशा में  कटान नहीं किया जाएगा। इन पेड़ों की टहनियों और पत्तों को चारे के रूप में भी उपयोग नहीं किया जाएगा।


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जंगल बचाने को कोटगाड़ी देवी की शरण

अल्मोड़ा। पिथौरागढ़ जिले के पांखू के पास स्थित कोटगाड़ी देवी अब अल्मोड़ा के खसपड़-क्वैराली वन पंचायत के जंगल की रक्षा भी करेंगी। क्षेत्र के ग्रामीणों ने कोटगाड़ी मंदिर जाकर 175 हेक्टयर वन क्षेत्र देवी को पांच वर्ष के लिए समर्पित कर दिया है। ग्रामीणों को भरोसा है कि जंगल को नुकसान पहुंचाने वालों को कोटगाड़ी मां दंड देगी। धौलादेवी ब्लाक के पनुवानौला के निकट खसपड़-क्वैराली गांव स्थित है। इस गांव में करीब 202 हेक्टयर के पंचायती वन हैं। जंगल में बांज, बुरांश, उतीश, काफल आदि चौड़ी पत्ती प्रजाति के पेड़ पौधे हैं। जैव विविधता के लिए भी यह जंगल महत्वपूर्ण है। पिछले दस वर्षों से हकदारों के अलावा आसपास के गांववासियों ने चारा पत्ती, लकड़ी आदि के लिए जंगल को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। कई बार नियम बनाने के बाद भी जंगल में नुकसान नहीं रुक सका। जंगल बचाने के लिए अब ग्रामीणों ने देवी की शरण ली है। वन पंचायत सरपंच पूरन चंद्र बिनवाल ने बताया कि जंगल बचाने के लिए ग्रामीणों ने पिछले तीन-चार माह से विचार विमर्श किया। इसके बाद त्वरित न्याय के लिए प्रसिद्ध कोटगाड़ी देवी को वन पंचायत अर्पित करने का

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एक और जंगल देवता को समर्पित
गुरुवार, 2 मई 2013
पिथौरागढ़। जंगल की सुरक्षा के लिए वन पंचायत पुरान के लोग भी ईष्ट देवता की शरण में चले गए हैं। वन पंचायत ने जंगल को पांच साल के लिए भनारी गोरिया देवता को अर्पित कर दिया है। जिले में इससे पहले भी दर्जनों जंगलों को देवी, देवताओं को चढ़ाया जा चुका है।
वन पंचायत पुरान के अध्यक्ष अर्जुन प्रसाद की अध्यक्षता में हुई बैठक में जंगलों में हो रहे अवैध कटान पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया कि लाख कोशिशों के बाद भी जंगलों का दोहन नहीं रुक पा रहा है। सभी लोगों ने एक राय से देभुड़ी से कौलखोला, नंदपानी और बल्दजुड़ी से सिग्नाखोला तक का जंगल भनारी गोरिया देवता को पांच साल के लिए चढ़ाने का निर्णय लिया।
कोई भी व्यक्ति जंगल का कटान करेगा तो उसे गोरिया देवता के कोप का सामना करना पड़ेगा। इन जंगलों में बांज, बुरांस, कूकाट आदि के वृक्ष हैं। बता दें कि सीमांत जिले में जंगलों को देवी, देवता को चढ़ाने का सिलसिला गंगोलीहाट तहसील के चिटगल से शुरू हुआ। वर्ष 2000 में वहां के तत्कालीन सरपंच जानकी प्रसाद पंत ने जंगल को पांच साल के लिए न्याय की देवी कोटगाड़ी को चढ़ा दिया। पांच साल में चिटगल का जंगल का जंगल काफी विकसित हो गया था। देखादेखी में सीमांत के तमाम जंगल देवी, देवताओं को चढ़ा दिए गए हैं। इसका बेहतर लाभ देखने को मिल रहा है।
http://www.amarujala.com/news/states/uttarakhand/pithoragarh/Pithoragarh-54691-117/

 

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