Author Topic: Freedom Fighters From Uttarakhand- उत्तराखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी  (Read 18900 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास पर सूछ्म दिर्सटी डालने से ग्याँत होता है कि यह आन्दोलन दो मुख्या धाराओं मैं बंटारहा जो आगे चल कर एक दुसरे में विलीन हो गयी! प्रथम धारा के अंतर्गत क्रांतिकारियों का वह वर्ग था जो सम्भैधानिक तरीकों से स्वतंत्रता प्राप्त करने का पछधर है !

दूसरी और या दूसरी बिचार धारा के समर्थकों का विस्वाश था कि  स्वराज्य माँगने से नहीं वरन संघर्ष करने से ही प्राप्त होगा ! इस वर्ग के आन्दोलन को क्रांतिकारी आन्दोलन कि संज्ञां दी गयी है जो समयानुसार शास्त्रों के प्रयोग मैं विस्वाश रखते थे! यह विरोध बिर्टिश साशन कि दमनपूर्ण निति का स्वाभाविक परिणाम था!

 ८ अप्रैल १९१९ को केन्द्रीय एसेम्बली मैं बम फेंकने केबाद क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह और बटुकेस्वरदत ने जो पर्चे फेंके थे,उनमें स्पस्ट लिखा था "हम इंसान का रक्त बहाने कि विवशता पर दुखी हैंलेकिन क्रांति द्बारा सबको स्वत्न्रता देने और मनुष्य के शोषण को समाप्त करने के लिए कुछ ना कुछ रक्तपात अनिवार्य है"क्रांतिकारी वर्ग इस विचार धारा से गढ़वाल का जनमानस भी अछूता न रहा!


गढ़वाली नवयुवक जीविकोपार्जन हेतु गढ़वाल से बाहर मैदानी भागों मैं जाते रहे हैं!उन पर भी क्रांतिकारी आन्दोलन का गहरा प्रभाव पड़ा!

फलतःउनोहोने इस आन्दोलन के प्रमुख सूत्रधार चन्द्रशेखर आजाद व सरदार भगत सिंह एवं अन्य क्रांतिकारियों गोविन्दराम,हीरालाल कपूर, शम्भुनाथ आजाद, विद्याभूषण,विशम्भर दयाल,यशपाल आदि के साथ मिलकर  क्रन्तिकारी  आन्दोलन महत्वा पूर्ण भूमिका का निएवः किया!गढ़वाल के जिन क्रंतिरियों ने देश स्थापित क्रांतिकारी संघठनों मैं भाग लिया उनके प्रमुख किर्या कलापों पर प्रकाश डालना संघ्रामी भावनाओं के अनुकूल होगा !

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
01-क्रन्तिकारी भवानी सिंह रावत  


क्रन्तिकारी भवानी सिंह रावत  का जन्म १५ दिसम्बर १९१२ को ग्राम नाथपुर,पोडी गढ़वाल मैं हुवा था,इनके पिता सेना मैं कप्तान के पद पर कार्यरत थे!भवानी सिंह ने अपने प्रारम्भिक शिछा लैंसीडाउन मैं सैनिक छावनी मैं प्राप्त की, तत्पश्चात उनोहोने मुरादाबाद चंदोसी,सराय रोहिला की शिछां संस्थाओं मैं शिछा प्राप्त की!

उच् शिछा प्राप्त हेतु भवानी सिंह ने दिल्ली के हिन्दू कालेज मैं पर्वेश लिया !एक सैनिक अधिकारी का पुत्र होने के कारण भवानी सिंह रावत के ब्य्क्तित्वा पर पर्याप्त सैनिक प्रभाव पड़ा!पुनः सराय रोहिला शिछां संस्थान मैं अध्ययन करते समय उनने पंडित जवाहरलाल नेहरु का देशप्रेम ब्याख्यान सुनने का अवसर मिला इससे भवानी सिंह अत्यधिक प्रभवित हुए!धीरे धीरे उनके बिचारों मैं उगार्ता का समावेश होने लगा और उन्होंने राजनितिक पर्य्कर्मों मैं भाग लेना आरम्भ कर दिया!

भवानी सिंह के कान्तिकारी बिचारों से प्रभावित होकर महान क्रन्तिकारी कैलाशपति और जसदेव कपूर ने उनसे संपर्क अथापित किया तथा क्रन्तिकारी भावनाओं से परिपूरन साहित्य उने प्रदान किया !
भवानी सिंह के परिपक्वा बिचारों से प्रभवित होकर क्रांतिकारियों ने उने "हिन्दुस्तान समाजवादी प्रजातंत्र संघ" की सदस्यता प्रदान की !१९२८ मैं भवानी सिंह कुछ दिनों के लिए अपने घर आगये,दुर्भाग्यवास इनी दिनों क्रांतिकारी जसदेव कपूर बम निर्मित करते हुए गिरफ्तार कर दिए गए!

तलासी लेने पर उनकी जेब मैं एक पत्र मिला जिसमें भवानी सिंह को घर से बुलाने की योजना थी!इस पत्र के प्राप्त होने के बाद पोलिस ने भवानी सिंह के सम्बन्ध मैं जानकारी लेनी प्रारंभ कर दी किन्तु सेना के कप्तान का पुत्र होने के कारण पोलिस ने उने गिरफ्तार नहीं किया!

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
 भवानी सिंह रावत की,चंद्रशेखर आजाद से भेंट

बिर्टिश सरकार ने भारतियों के मह्त्वापून मांगों के प्रति अत्यधिक अन्यायपूर्ण निति अपनाई !अत क्रांतिकारियों ने अपना विरोध प्रकट करने के लिए भारतीय केंद्रीय एसेम्बली मैं बम फेंकने की योजना बनाई!योजना की गोपनीय रूप रेखा दिल्ली मैं बनी,जबकि चंद्रशेखर आजाद उन दिनों कानपुर मैं थे,

अत उन्हें दिल्ली बुलाने हेतु भवानी सिंह को पत्र सहित उसके पास भेजा गया !भवानी सिंह रावत की चंद्रशेखर आजाद से ये प्रथम भेंट थी!आजाद भवानी सिंह सहित दिल्ली आये और केन्द्रीय एसेम्बली में बम डालने की योजना को सर्व्समती स्वीकार कर लिया!

 भगत सिंह राजगुरु सुखदेव के शत भवानी सिंह रावत ने भी अपना नाम उस सूची मैं लिखवाया,जिन्हें बम फेंकना था!परन्तु आजाद इन मैं से भगत सिंह और भवानी सिंह को बम फेंकने के लिए नहीं भेजना चाहते थे!अथ उन्होंने इन दोनों को अनुमति नहीं दी भवानी सिंह ने आजाद की आज्ञां स्वीकार कर ली!

८ अप्रैल १९१९ को भगत सिंह राजगुरु और शुख्देव ने केन्द्रीय एसंबली मैं बम फेंक दिया,और पकडे जाने पर उने मिरतु दंड दिया गया,एक अन्य विवरण के अनुसार दिल्ली ब्यावास्थापिका मैं बम फेंकने की योजना को कार्यविंत करने के सन्दर्भ  मैं मात्र भगत सिंह और बुत्केस्वर दत के नामों का उल्लेख प्राप्त होता है!

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
वायसराय बम काण्ड 

  सरदार भगत सिंह एवं उनके साथियों पर घोषित मिर्त्यु दंड को समाप्त करवाने के लिए चंद्रशेखर आजाद ने वायसराय लार्ड इर्विन  से प्रार्थना की!किन्तु वायसराय ने आजाद की इस प्रार्थना पर कोई अनुकूल प्रतिकिर्या प्रकट नहीं की थी!


अतःआजाद वायसराय के सैलून को बम से उदा देने का निर्णय लिया!२३ सितम्बर १९२९ को आजाद ने अपने साथी यशपाल और भवानी सिंह रावत के साथ नई दिल्ली निजामुद्दीन रेलवे स्टेसन के कुछ आगे वायसराय के सैलून पर बम फेंका किन्तु उनकी योजना पूर्ण तय सफल नहीं हो पाई!और लार्ड इर्विन बच गए अपने अन्य साथियों सहित भवानी सिंह भी भागने मैं सफल हो गए!

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
गढ़वाल मैं क्रांतिकारी दल का प्रशिछन शिविर

क्रांतिकारियों के लिए अस्त्र-शस्त्र चलाने  मैं दच्छ होना अत्यंत अनिवार्य एवं उपयोगी था!आजाद भी अपने साथियों को रिवाल्वर चलाने का प्रशिछन देना चाहते थे,गाडोदिया स्टोर को लूटने के पश्चात् क्रांतिकारियों ने हथियार खरीद लिए थे!लेकिन इसका प्रशिछन लेने के लिए एकांत स्थान दूंधने की समस्या थी!

भवानी सिंह ने इस समस्या का समाधान करते हुए प्रामर्स दिया की ऐशा एकांत स्थान मात्र गढ़वाल मैं ही उपलब्ध हो सकता है,अतः क्रांतिकारियों का दल जिसमें चंद्रशेखर आजाद बिद्याभूषण हारकेन सिंह.हजारी लाल विशम्भर दयाल,और यशपाल थे!भवानी सिंह के साथइ  जुलाई १९३० मैं गढ़वाल आये,भवानी सिंह उन्हें अपने गाँव नाथूपुर ले गए !

क्रांतिकारियों का परिचय भवानी सिंह ने अपने पिता को सहपाठियों के रूप मैं दिया,और बताया की वे लोग पहाड़ और जंगलों को देखने की इच्छा से आये हैं!

तथा शिकार मैं भी रूचि रखते हैं एक उच्च सकारी अधिकारी होने के कारण भवानी सिंह के पिता ने अपने पुत्र और उसके सहपाठियों के लिए जंगल मैं भार्मन और शीकार खेलने की आज्ञां प्राप्त कर ली! क्रांतिकारी प्रतिदिन सांयकाल मैं जंगल जाते और वहाँ गोली चलाने का अभ्याश करते! कुछ दिनों पश्चात् इनकी सूचना सरकार को मिल गयी! अतः सरकार ने इनको पकड़ने के प्रयाश तेज कर लिए, किन्तु क्रांतिकारी पुलिश को धोखा देकर भागने मैं सफल हो गए !


कुछ दिनों के पश्चात् क्रन्तिकारी दल के एक सदस्य कैलाशपति को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया!उन्हें कठोर यातनाएं दी गयी ,और उन पर क्रांतिकारी साथियों का भेद बताने के लिए दबाव डाला गया ,जिसे वे सहन ना कर सके और उन्होंने क्रन्तिकारी साथियों का भेद खोल दिया जिसमें भवानी सिंह का नाम भी था!

नाम ग्यांत हो जाने के बाद सेकर ने भवानी सिंह के चित्र स्थान-स्थान पर चिपका दिए और उनके बारे मैं सूचना देने वाले को पांच सो रूपये देने की घोशना करवा दी!सकरी सूचना मिलाने पर भवानी सिंह सतर्क हो गए,इस अवधि मैं वे वहां से कानपुर लोट आये !जहाँ चंदार्शेखर से पुनः उनकी भेंट हुयी !चंद्रशेखर आजाद फरवरी १९३१ मैं इलाहबाद मैं पुलिश के साथ लड़ते हुए शीद हो गए !

भगत सिंह राजगुरु एवं बुत्केस्वर दत को मार्च १९३१ मैं फांसी की सजा दी गयी !इससे क्रन्तिकारी संघठन का प्रकार समाप्त होने लगा,अतः भवानी सिंह ने अपने संघठन को मजबूत बनाने और उसका प्रचार करने के उदेश्य से रूस जाने की इच्छा प्रकट की!किन्तु क्रन्तिकारी संगठन ने उन्हें बम्बई मैं क्रांतिकारी संगठन की स्थापना और प्रचार करने का कार्यभार सोंपा!

भवानी सिंह बम्बई आ गए जन्हाँ वे कामरेड नरदेव के साथ रहने लगे,कुछ समय के पस्च्हत वे उर्दू के सम्पादक मुहमद इस्मैले के साथ मुशलमान की भेष भूषा मैं रहने लगे २५ दिसम्बर १९४२ को पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया,और बम्बई से उन्हें दिली लाया गया!जहाँ उन पर विशेस मज्स्तेड की अदालर मैं मुकदमा चलाया गयामुकदमें की पूरी अवधी मैं भवानी सिंह ने क्रन्तिकारी संगठन के सन्दर्भ मैं कोई जानकारी नहीं दी!

बिर्टिस गढ़वाल की राजनीति गतिविधियों के केंद्र दोग्डा मैं रहने लगे ,किन्तु वहां भी बिर्टिस शासन ने उन पर कड़ी निगरानी रखी,स्वतंत्रता के पश्चात् भवानी सिंह ने चौदह वर्षों तक पंचायत निरिछन के पद पर कार्य किया किन्तु सरकार की नियोजन निति पसंद न आने के कारण उन्होंने अपने पद से त्याग पत्र दे दिया!

 सन १९६७ के चुनाव मैं भवानी सिंह ने पोडी गढ़वाल निर्वाचन छेत्र से पमुनिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा,किन्तु उन्हें सफलता नहीं मिली १९७३ मैं भवानी सिंह ने चंद्रशेखर आजाद की पुन्य तिथि स्मिरती मैं दुगडामैं चंदार्शेखर आजाद स्मारक अथापित करवाया,भवानी सिंह एक महान क्रांतिकारी थे!

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
०२-क्रांतिकारी इन्द्र सिंह
 
क्रन्तिकारी इन्द्र सिंह का जन्म १९०६ मैं टिहरी रियासत (बर्तमान टिहरी गढ़वाल) मैं हुवा था!तेईस वर्ष की आयु मैं वे जीविकोपार्जन हेतु अमृतसर चले गए, ओर एक समाचार पत्र एजेंसी मैं कार्य करने लगे,इन्द्रसिंह सन १९२८ से १९३० तक अमृतसर मैं रहे इस अवधी मैं वे "नौजवान भारत सभा" के नाम से प्रशिध हुयी ! सन १९२९के कांग्रेस के लाहोर अधिवेसन मैं इन्स्द्र सिंह ने एक स्वयं सेवक के रूप मैं भाग लिया था!

उसी वार्स महान क्रन्तिकारी शम्भुनाथ ने इन्द्र सिंह से प्रभावित होकर उन्हें क्रन्तिकारी दल की सदस्यता प्रदान की!दिसम्बर १९३० मैं इन्द्र सिंह,शम्भुनाथ,आजाद के साथ हथियारों का बण्डल दिली से बनारस ले जाने के प्रयास मैं पुलिश द्वारा गिरफ्तार किये गए! जब पोलिस ने इन्द्र सिंह से जानकारी करनी करनी चाहि तो उन्होंने ने अपने क्रन्तिकारी दल के सम्बन्ध मैं जानकारी देने से इनकार कर दिया !

अतः उन्हें दिली के काश्मिरी गेटथाने मैं १५ दिनों तक यातनाएं देने के पश्चात् सात वर्स के कठोर कारावास का दंड दिया गया!जो लाहोर उच्च न्यालय मैं अपील करने के बाद तीन वर्स कर दिया गया!

१९३३ मैं मुल्तान कारागार से तीन वर्ष की सजा अमाप्त हो जाने के पश्चात् इन्द्र सिंह को रिहा कर दिया गया,रिहाई के तुंरत बाद उन्हें "नौजवान भारत सभा" ने एक क्रांतिकारी टुकड़ी का संचालक बनाकर कार्यवाही हेतु दछिनी भारत मैं भेज दिया गया!
मद्रास मैं उन्हें इस सभा की पंजाब,ग्वालियर,दिली,तथा कलकत्ता की शाखाओं से संपर्क स्थापित करने का कार्य सोमपा गया!

 मद्रास मैं कुछ अवधी ब्यतीत करने के पश्चात,क्रांतिकारियों ने मद्रास एवं बंगाल के गव्रनरों पर बम फेंकने की योजना बनाई!तब इन्द्र सिंह गवर्नर की यात्राओं की सूचनाओं का पता लगाने के लिए "प्रेम प्रकाश मुनि" के साधू के भेष मैं रहने लगे और बाद मैं इसी नाम से क्रांतिकारी दल मैं प्रशिध हो गए!

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
क्रांतिकारी इन्द्र सिंह,का बम प्रशिछन

२८ अप्रैल १९३३ को क्रांतिकारियों ने मदरास मैं उटी बैंक लूटा,शम्भुनाथ आजाद रूपया लेकर भागने सफल हो गए और शेस सभी साथी पुलिस द्वारा बंदी बना लिए गए!उटी बैंक लूटने के अवसर पर क्रांतिकारी रोसनलाल,गोविन्दराम,इंडे सिंह और हीरालाल मद्रास से बहार थे,अतः यह सूचना मिलते ही उन्होंने तुंरत मद्रास लोटकर अपना निवास बदल दिया!

 जब क्रानिकारियों ने निर्णय लिया कि सर्वप्रथम अपने बंदी साथियों को मुक्त करवाया जाय,जो मद्रास और बंगाल के गव्रनारो कि हत्या के उदेश्य से रखे गए थे!उन्ही के माध्यम से क्रांतिकारियों को छुडाने का निर्णय लिया गया,बम का प्रयोग करने से पूर्व उनका पर्शिचन करना अनिवार्य था!

अतः इन्द्र सिंह,रोशनलाल,गोविन्दराम,हीर ालालऔर शम्भुनाथ आजाद बम परिछन के लिए मद्रास के पूर्व मैं रामेश्वर कि निकट गए!समुद्र तट पर बम का परिछन किया गया,किन्तु दुर्भाग्य वस् रोसनलाल बम कि चपेट मैं आ गए औरउनकी मिर्त्यु हो गयी !

इस घटना से पुलिस और सरकार दोंनो सतर्क हो गयी!इस बीच गवर्नरों को समाप्त करने कि योजना कि खबर भी सरकार को मिल गयी,अतः सरकार ने गुप्तचर विभाग को भी सतर्क होने का आदेश दिए,४ मई १९३३ कि दोपहर जब शम्भुनाथ अन्य साथियों सहित मद्रास नगर के मध्य मैं स्तिथ "तम्बू चेट्टी स्टीट" नामक गली के अपने निवास मैं विश्राम कर रहे थे,तो अकस्मात उन्हें पुलिस ने घेर लिया!

 इन क्रांतिकारियों मैं इन्द्र सिंह भी थे,इन्द्रसिंह अपनी छे राउंड कि पिस्तौल को लेकर अपने तीन साथियों शम्भुनाथ,हीरालाल,और गोविन्दराम बहल सहित मकान की छत पर चढ़ गए,सशत्र पुलिस के साथ इन क्रांतिकारियों ने पांच घंटे तक वीरता पूर्ण संघर्स किया,इस अन्घर्स मैं इन्द्र सिंह के सहोगी गोविन्दराम बहल की पुलिस की गोली लगाने से मिर्त्यु हो गयी!शेस तीनों क्रांतिकारी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए!

 तत्पश्चात इन्द्रसिंह और उनके दो साथी पर मद्रास बम कांड की अभियोग मं मुकदमा चलाया गया!फलत इन्द्रसिंह को बीस शाल कालापानी का दंड सुनाया गया और अंडमान भेजा गया!१९३७ मैं अन्द्मान्द्वीप मैं राज्तिक बादियों ने आमरण अनसन प्रारंभ कर दिया!जिनमें इन्द्रसिंह भी सम्लित थे ,प्रथम दल के साथ इन्द्रसिंह को लाहोर सेन्ट्रल जेल भेज दिया गया !

सन १९३९ मैं वे जेल से मुक्त हुए किन्तु पंजाब सरकार ने इन्द्रसिंह गढ़वाली सरदार बन्त्सिंह और खुशीराम मेहता को पंजाब से निष्कासित कर दिया!अब इन्द्र सिंह मेरठ पन्हुंचे और "कीर्ति किशन"नामक पत्रिका मैं कार्य करने लगे,१९३९ तक मेरठ मैं "भारतीय साम्यवादी दल"के कार्यलय मैं के किया,उसके बाद इन्द्रसिंह ने जीवन बिरतांत के सन्दर्भ मैं किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं मिली!क्रांतिकारी इन्द्रसिंह गढ़वाली के विषय मैं उपरोक्त तथ्य उनके पास सहयोगी एवं क्रांतिकारी नेता शम्भुनाथ आजाद से प्राप्त हुए हैं!

 इस प्रकार गढ़वाल के इस वीर पुत्र ने क्रांतिकारी संघठनों मैं भाग लेकर देश की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया,१९५२ पस्च्हत उनके विषय मैं कुछ भी सामग्री न मिल पाना,इस बात का बोधक है कि संभवत उनकी मिर्त्यु हो गयी हो,इन्द्र सिंह मैं कठोर साधना शक्ति थी!उन्होंने बिर्टिश सरकार द्वारा प्र्दाद यातनाओं को निर्भीकता से स्वीकार किया जो उनकी अदम्य रस्त्र्भक्ति का परिचायक है!

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
०३-क्रांतिकारी बच्चूलाल भट्ट

-संग्रामी बच्चूलाल भट्ट का जन्म १९०९ मैं लैंसीडाउन छेत्र मैं हुआ था!उनके पिता रामचंद्र भट्ट,अमृतसर मैं डाकखाने मैं नौकरी करते थे,बच्चूलाल भी अपने पिता के साथ अमृतसर ही एक दिली निवासी ब्यापारी की दूकान पर नौकरी करते थे!
सन १९२९ मैं संपन्न कांग्रेस अधिवेसन मैं उनका परचय प्रशिध क्रांतिकारी शम्भुनाथ आजाद से हुआ!

बच्चुलाला के क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित होकर शम्भुनाथ आजाद ने उन्हें "नौजवान भारत सभा"का सदस्य बना लिया,१९३१ मैं अम्बाला गोलीकांड के सम्बन्ध मैं बच्चूलाल सहित,अनेक लोगों को बंदी बनाया गया!

शैसन जज ने प्रमाणों के आभाव मैं शम्भुनाथ आजाद और बच्चूलाल को तो मुक्त कर दिया किन्तु उसके साथी नरेंद्र नाथ पाठकऔर बच्चूलाल के पिता रामचंद्र भट्ट को दस दस वर्षों की अवधी का कारावास का दंड दिया गया!

 १९२० मैं क्रांतिकारियों की कार्यवाही हेतु जब "क्रांतिकारी एक्शन समिति" गठित की उसमें बच्चूलाल अत्यधिक उतसाह के साथ सम्मिलित हुए और रोसनलाल महरा के साथ मद्रास पंहुच गए!

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

मद्रास उट्टी बैंक काण्ड -मैं बच्चूलाल कि भूमिका


१९३२ मैं मद्रास पंहुच जाने पर क्रांतिकारियों को धन की आवश्यकता अनुभव हुई,अथ उन्हें ऊटी बैंक के मुख्य द्वार पर प्रहरी न्युक्त कर दिया गया!वे आंगल भेश्भुषा मैं अत्यधिक रौबीले लगते थे,उट्टी बैंक की डकैती के समय उसके चारों ओर जनसमूह एकत्र हो गया!

इसी समय पुलिश भी वहां अ पहुंची,दो पुलिश वाले शिपाई परिचय हेतु बच्चूलाल के समुख आये तो उनोहोने उन दो शिपाहियों को बन्दूक के कुंदे से घायल कर दिया,बैंक को सफलता पूर्वक लूटकर सभी क्रांतिकारी टेक्सी मैं बैठकर निलगिरी पर्वतमाला से बहार निकल गए!

२९ अप्रैल १९३३ को बच्चूलाल और उनके साथियों को हथियारबंद सैकिकों ने घेर लिया!दोनों दलों के मध्य भयंकर शंघर्स हुआ,फिर भी क्रांतिकारी भाग निकलने मैं सफल हो गए!

बच्चूलाल का रूप रंग दछिन भारत के निवाशियों से भिन्न थ!साथ ही वे वहां की भाषा से अन्भिन्ज्ञान थे,अथ उनके लिए किसी के घर चले जाना संभव न था,इसलिए ३० अप्रैल जब वे विश्राम कर रहे थे,तो पुलिश ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया!ऐसी विकत स्तिथि मैं बच्चूलाल ने अपनी पांच राउंड वाली पिस्तौल को पुलिश दल की ओरफेंक दिया और कहा,"तुम भारतीय हो,तुमें मारना हमारा धर्म नहीं है,तुम भले ही हमें मार डालो"और पुलिश ने उन्हें गेराफ्तार कर लिया!

उट्टी बैंक काण्ड को लेकर क्रान्तिकार्यों की गिरफ्तारी के सन्दर्भ मैं दो मत सामने आये,प्रथम मत के अनुशार २८ अप्रैल १९३३ को उट्टी बैंक को लूटने के पश्चात् सभी क्रांतिकारी भागने मैं सफल रहे!
द्वेतीय मत के आधार पर मात्र शम्भुनाथ आजाद रूपये लेकर भागने मैं सफल हो पाए और शेस क्रांतिकारी गिरफ्तार कर लिए गए!यह प्रश्न विचारणीय है कि-यदि २८ अप्रैल १९३३ को उट्टी बैंक लूटने वाले सभी क्रांतिकारी,जिनमें bachchu
लाल भी सम्मलित थे,गिरफ्तार कर लिए गए थे तो फिर ३०अप्रैल १९३३ को पुलिश द्वारा किस बच्चूलाल कि गिरफ्तारी का उलेख किया गया! इस सम्बन्ध मैं प्रथम मत सत्यता से प्रतीत होता है!क्योंकि इस मत प्रतिपादिता सत्पथी ने स्वयं जानता एवं क्रांतिकारियों के परिवारों से संपर्क कर तथ्यों को एकत्र किया गया!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22