क्रांतिकारी इन्द्र सिंह,का बम प्रशिछन
२८ अप्रैल १९३३ को क्रांतिकारियों ने मदरास मैं उटी बैंक लूटा,शम्भुनाथ आजाद रूपया लेकर भागने सफल हो गए और शेस सभी साथी पुलिस द्वारा बंदी बना लिए गए!उटी बैंक लूटने के अवसर पर क्रांतिकारी रोसनलाल,गोविन्दराम,इंडे सिंह और हीरालाल मद्रास से बहार थे,अतः यह सूचना मिलते ही उन्होंने तुंरत मद्रास लोटकर अपना निवास बदल दिया!
जब क्रानिकारियों ने निर्णय लिया कि सर्वप्रथम अपने बंदी साथियों को मुक्त करवाया जाय,जो मद्रास और बंगाल के गव्रनारो कि हत्या के उदेश्य से रखे गए थे!उन्ही के माध्यम से क्रांतिकारियों को छुडाने का निर्णय लिया गया,बम का प्रयोग करने से पूर्व उनका पर्शिचन करना अनिवार्य था!
अतः इन्द्र सिंह,रोशनलाल,गोविन्दराम,हीर ालालऔर शम्भुनाथ आजाद बम परिछन के लिए मद्रास के पूर्व मैं रामेश्वर कि निकट गए!समुद्र तट पर बम का परिछन किया गया,किन्तु दुर्भाग्य वस् रोसनलाल बम कि चपेट मैं आ गए औरउनकी मिर्त्यु हो गयी !
इस घटना से पुलिस और सरकार दोंनो सतर्क हो गयी!इस बीच गवर्नरों को समाप्त करने कि योजना कि खबर भी सरकार को मिल गयी,अतः सरकार ने गुप्तचर विभाग को भी सतर्क होने का आदेश दिए,४ मई १९३३ कि दोपहर जब शम्भुनाथ अन्य साथियों सहित मद्रास नगर के मध्य मैं स्तिथ "तम्बू चेट्टी स्टीट" नामक गली के अपने निवास मैं विश्राम कर रहे थे,तो अकस्मात उन्हें पुलिस ने घेर लिया!
इन क्रांतिकारियों मैं इन्द्र सिंह भी थे,इन्द्रसिंह अपनी छे राउंड कि पिस्तौल को लेकर अपने तीन साथियों शम्भुनाथ,हीरालाल,और गोविन्दराम बहल सहित मकान की छत पर चढ़ गए,सशत्र पुलिस के साथ इन क्रांतिकारियों ने पांच घंटे तक वीरता पूर्ण संघर्स किया,इस अन्घर्स मैं इन्द्र सिंह के सहोगी गोविन्दराम बहल की पुलिस की गोली लगाने से मिर्त्यु हो गयी!शेस तीनों क्रांतिकारी पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिए गए!
तत्पश्चात इन्द्रसिंह और उनके दो साथी पर मद्रास बम कांड की अभियोग मं मुकदमा चलाया गया!फलत इन्द्रसिंह को बीस शाल कालापानी का दंड सुनाया गया और अंडमान भेजा गया!१९३७ मैं अन्द्मान्द्वीप मैं राज्तिक बादियों ने आमरण अनसन प्रारंभ कर दिया!जिनमें इन्द्रसिंह भी सम्लित थे ,प्रथम दल के साथ इन्द्रसिंह को लाहोर सेन्ट्रल जेल भेज दिया गया !
सन १९३९ मैं वे जेल से मुक्त हुए किन्तु पंजाब सरकार ने इन्द्रसिंह गढ़वाली सरदार बन्त्सिंह और खुशीराम मेहता को पंजाब से निष्कासित कर दिया!अब इन्द्र सिंह मेरठ पन्हुंचे और "कीर्ति किशन"नामक पत्रिका मैं कार्य करने लगे,१९३९ तक मेरठ मैं "भारतीय साम्यवादी दल"के कार्यलय मैं के किया,उसके बाद इन्द्रसिंह ने जीवन बिरतांत के सन्दर्भ मैं किसी भी प्रकार की जानकारी नहीं मिली!क्रांतिकारी इन्द्रसिंह गढ़वाली के विषय मैं उपरोक्त तथ्य उनके पास सहयोगी एवं क्रांतिकारी नेता शम्भुनाथ आजाद से प्राप्त हुए हैं!
इस प्रकार गढ़वाल के इस वीर पुत्र ने क्रांतिकारी संघठनों मैं भाग लेकर देश की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया,१९५२ पस्च्हत उनके विषय मैं कुछ भी सामग्री न मिल पाना,इस बात का बोधक है कि संभवत उनकी मिर्त्यु हो गयी हो,इन्द्र सिंह मैं कठोर साधना शक्ति थी!उन्होंने बिर्टिश सरकार द्वारा प्र्दाद यातनाओं को निर्भीकता से स्वीकार किया जो उनकी अदम्य रस्त्र्भक्ति का परिचायक है!