Author Topic: Guman Singh Rawat,Freedom Fighter &Folk Singer-गुमान सिंह रावत  (Read 6261 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dosto,

We are sharing here information about Mr Guman Singh Rawat who is a famous Freedom Fighter, Social Worker and also a renowned Folk Singer of Uttarakhand.

Mr Guman Singh Rawat born on 18 Mar 1918 in Ayartoli village of Bageshwar Uttarakhad. He participated in Freedom Struggle. In 1941, he was sent jail for 30 days for participating in "Vyaktigat Satya Garah Moment" and fined Rs 30/-.


In year 2010, I met Guman Singh Rawat Ji in Delhi during a Culture Programme and recorded a few video of his songs, which i am going to share with you here.

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Guman Singh Rawat was given Award by President of India Smt Pratibha Devi Singh Patil.


गरुड़ के स्वतंत्रता सेनानी गुमान रावत को राष्ट्रपति करेंगी सम्मानित
स्वतंत्रता दिवस पर होगा कार्यक्रम

चंद्रशेखर बड़सीला, गरुड़। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कत्यूर घाटी के रणबांकुरों का अविस्मरणीय योगदान रहा है। इन्ही रणबांकुरों में से एक हैं गुमान सिंह रावत। आजादी के आंदोलन के सिपाही गुमान सिंह रावत ने जीवन के 93 बसंत पार कर लिए हैं। लेकिन उनके कार्यो से लगता है कि वे अब भी जवान हैं।
विकास खंड के अयांरतोली निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को आगामी 15 अगस्त को देश की राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में सम्मानित करेंगी। श्री रावत को दिल्ली ले जाने के लिए प्रशासन ने तैयारियां पूर्ण कर ली है। 16 मार्च 1918 को अयांरतोली निवासी पिता लक्ष्मण सिंह व माता बचुली देवी के घर में जन्मे गुमान सिंह रावत बचपन से ही देश भक्ति में लीन रहते थे। वे बताते हैं कि जब उन्हें विद्यालय भेजा गया तो वे विद्यालय जाने के बजाय नजदीकी स्थानों में होने वाली स्वतंत्रता की रणनीति बैठकों में भाग लेते थे। 1929 में जब महात्मा गांधी कौसानी आए तो वे उनके सम्पर्क में आए व पूरी तरह से पढ़ाई छोड़ स्वतंत्रता आंदोलन में कूद गए। 1932 में सेना में भर्ती हो गए। चोरी छिपे स्वतंत्रता आंदोलन में काम करने पर उन्हें छह माह की सेवा के बाद ही सेना से निकाल दिया गया। इसके बाद से उन्होंने देश की आजादी में अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने पर उन्हें 30 रुपये का अर्थदंड व पांच माह के कठोर कारावास की सजा हुई। उन्होंने कई सांस्कृतिक व सामाजिक संगठनों की स्थापना की। पहाड़ी हुड़ुका लेकर गांव-गांव जाकर लोगों को हुड़के आदि की जानकारी देते थे। उनकी कला है कि वे अपने मुंह से ही हुड़के की थाप निकालते हैं। वर्तमान में वे अपनी पत्नी खिमुली देवी के साथ ही गांव में रहते हैं। गत दिवस उन्हें भारत सरकार से दिल्ली में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित करने का पत्र प्राप्त हुआ है।

लोककलाकारी में हासिल है प्रसिद्धी
गरुड़। गुमान सिंह रावत लोक कलाकार के रूप में प्रसिद्ध हैं। जब महात्मा गांधी कौसानी आए तो उन्होंने अपनी कला से किलै भभरी रैछ, गांधी जी एैरिना गीत गाया। जो कि उस समय काफी प्रसिद्ध हुआ।

भ्रष्टाचार से दुखी हैं गुमान :
गरुड़। देश में हो रहे भ्रष्टाचार व अफसरशाही व राजशाही से श्री रावत काफी दुखी हैं। वे कहते हैं कि नेता अपने दायित्व को भूल गए हैं। कहा कि अगर इस पर अभी ध्यान नहीं दिया तो आने वाला समय खतरनाक होगा और देश में फिर क्रांति होगी।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6256478.html

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is the video of Guman Singh Rawat Ji, performing in Delhi.

www.merapahadforum.com (Guman singh Rawat 98 yrs old Folk Singer of UK

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This is the photo of Mr Guman Singh Rawat





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 कत्यूर घाटी अयारतोली (गरुड़, बागेश्वर) आजादी के आंदोलन के सिपाही गुमान सिंह रावत जी का निधन
 
 भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कत्यूर घाटी के रणबांकुरों का अविस्मरणीय योगदान रहा है। इन्ही रणबांकुरों में से एक थे गुमान सिंह रावत। गरुड़ विकासखंड के गाँव अयांरतोली निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का कल 20 -09-2012 रात लगभग 9 बजे निधन हो गया। 16 मार्च 1918 को अयांरतोली निवासी पिता लक्ष्मण सिंह व माता बचुली देवी के घर में जन्मे गुमान सिंह रावत बचपन से ही देश भक्ति में लीन रहते थे। वे बताते थे कि जब उन्हें विद्यालय भेजा गया तो वे विद्यालय जाने के बजाय नजदीकी स्थानों में होने वाली स्वतंत्रता की रणनीति बैठकों में भाग लेते थे। 1929 में जब महात्मा गांधी कौसानी आए तो वे उनके सम्पर्क में आए व पूरी तरह से पढ़ाई छोड़ स्वतंत्रता आंदोलन में कूद गए। 1932 में सेना में भर्ती हो गए। चोरी छिपे स्वतंत्रता आंदोलन में काम करने पर उन्हें छह माह की सेवा के बाद ही सेना से निकाल दिया गया। इसके बाद से उन्होंने देश की आजादी में अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। 1941 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने पर उन्हें 30 रुपये का अर्थदंड व पांच माह के कठोर कारावास की सजा हुई। वर्तमान में वे अपनी पत्नी खिमुली देवी व छोटे पुत्र के साथ ही गांव में रहते थे।
 
 कई पुरुष्कारों से सम्मानित श्री रावत जी को गत स्वतंत्रता दिवस में उन्हें भारत सरकार से दिल्ली में राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा सम्मानित करने का पत्र प्राप्त हुआ था, मगर अस्वस्थ होने के कारण वे दिल्ली जा नहीं पाए।
 
 श्री गुमान सिंह रावत जी को लोककलाकारी में भी प्रसिद्धी हासिल थी। उन्होंने कई सांस्कृतिक व सामाजिक संगठनों की स्थापना की। पहाड़ी हुड़ुका लेकर गांव-गांव जाकर लोगों को हुड़के आदि की जानकारी देते थे। उनकी कला थी कि वे अपने मुंह से ही हुड़के की थाप निकालते हैं।जब महात्मा गांधी कौसानी आए तो उन्होंने अपनी कला से "किलै भभरी रैछ, गांधी जी ऐरिना.....गीत गाया। जो कि उस समय काफी प्रसिद्ध हुआ।
 
   इस महान व्यक्तित्व को श्रधांजलि :( :(
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