Author Topic: History of Haridwar , Uttrakhnad ; हरिद्वार उत्तराखंड का इतिहास  (Read 51155 times)

Bhishma Kukreti

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    गुप्त काल में कृषि व हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास 
Agriculture in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 236               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


        गुप्त काल में कृषि मुख्य आर्थिक आधार था।  कृषि विस्तार युग था और व्यापार ने कृषि उन्नति में पूरा सहयोग दिया। उपजाऊ भूमि होते हुए भी कृषि वर्षा ऋतू पर निर्भर थी।  वराहमित्र साहित्य से पता चलता है कि जलाशयों का उपयोग होता था। वराहमित्र साहित्य अनुसार भरपूर वर्षा , सामन्य वर्षा व कम वर्षा क्षेत्र भारत में थे या वर्षा ऋतू थी। रवि व खरीफ की दो मुख्य फसलें होती थीं। . गुप्त काल में अनेक प्रकार के अनाज , दालें व औषधीय पादप उगाये जाते थे। अमरकोश व वृहत संहिता में की प्रकार के धानों , गेंहू , जौ , अनाज व तिलहनों का उल्लेख है।
   संहितायों व अभिलेखों में आधुनिक जमींदारी जैसी प्रथा का उल्लेख नहीं मिलता है। राज्य स्थिति अनुसार भूमि आबंटन करता था। राज्य ने कृषि उन्नति हेतु कुछ नियम बनाये थे। कृषि उत्पादन या अनाज नुक्सान करने वाले पर अपराध दण्ड थे। राज्य समाज लाभकारी कार्य हेतु भूमि प्रदान करता था और संस्थानों को कृषि कर्मिक व अन्य सुविधाएं प्रदान करता था।
   जल संसाधनों का पूरा उपयोग व संरक्षण होता था , कुंए आदि भी खूब थे। राज्य सिंचाई साधनों पर विशेष ध्यान देता था।
 मंदिरों , ब्रह्मणों को भूमि दी जाती थी ,  कृषि लाभ ब्राह्मण या मंदिर को मिलता था कि न्तु भूमि पर अधिकार राज्य का ही होता था।
   भूमि कीमत स्थान व उत्पादशीलता अनुसार हर स्थान पर भिन्न भिन्न थी। भूमि बहुमूल्य मानी जाती थी और भूमि अधिकार परिवर्तन हेतु पंचों की आवश्यकता पड़ती थी।
 भूमि स्वामियों  को कर देना होता था। राज परिवर्तन पश्चात भी भूमि स्वामित्व नहीं बदलता था।
गेंहू , चावल , जवार , गन्ना , जूट , तिलहन , बाजरा , मसाले।  सुपारी , औषधीय पादप मुख्य कृषि उत्पाद थे।  वनों पर भी निर्भरता थी।







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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


      Ancient  History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;   seohara , Bijnor History Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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Bhishma Kukreti

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    गुप्त कालीन  धार्मिक स्थिति व हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास
Religious Conditions in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 237               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

       गुप्तकालीन जीवन यापन व्यय व जीवन स्तर

     रहन सहन व्यय सस्ता था। एक मनुष्य 2 रूपये मासिक में जीवन यापन   कर सकता था. एक भिक्षुक को एक वर्ष में ेल टोला सोना से पाला जा सकता था। ब्याज 12 -34 % था।
            गुप्तकालीन धार्मिक स्तिथि
गगुप्त काल धार्मिक व आधात्मिक , दर्शन सिद्धांतो व शास्त्रों के विकास हेतु स्मरणीय है। गुप्त काल में सनातन , वैष्णव , शैव व बुद्ध धर्म , जैन धर्म फल फूले। निरंकार से मूर्ति पूजन विकसित हुआ। पूजा औपचारिक होती गयी। ब्राह्मणत्व का महत्व बढ़ गया था। ब्राह्मणों ने  समाज में उच्च पद प्राप्ति हेतु कई नियम बना लिए थे। अंध भक्ति/ अंध विश्वासों को प्रोत्साहन मिलने लग गया था।
    बुद्ध व हिन्दू धर्म में  विद्वानों मध्य शास्तार्थ व अनबन सामन्य थी। अभिलेखों में धार्मिक बैमनस्य देखा जा सकता है।  एक दुसरे के प्रतीकों को  निम्न बताना सामन्य प्रचलन था।  धार्मिक सहिष्णुता के पश्चात भी प्रतीकों को असल कम असल ठहरना  होता ही था।
सनातन या हिन्दू धर्म के पंथों में मेल मिलाप था और बैमनस्य कम था।  वैदिक धार्मिक कर्मकांड मुख्य कर्मकांड था।  बल्लभी , शिव अदि कई पंथ देवता उभर कर आ गए थे।  ब्रह्मा विष्णु , शिव एक ईश्वर के अंग माने जाते थे।





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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


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     गुप्त काल में हिन्दू धर्म और हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास

Hinduism in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 238               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


        सुंग कालीन सूत्र को लेकर गुप् सम्राटों ने हिन्दू धर्म का उत्थान किया।  गुप्र शासक हिन्दू धर्म को उस ऊंचाई पर ले गए जो ऊंचाई हिन्दू धर्म ने गुप्त काल से पहले कभी नहीं पाया था। हिन्दू समाज के अंदर ताकत , उत्साह संचारण हुआ और हिंदी समाज ने कई नई रचनाधर्मिताओं को प्राप्त किया। अभिलेख प्रमाण देते हैं बल हिन्दू समाज ने पुराणपंथ व नव पंथ दोनों को स्वीकार किया। हिन्दू धर्म समाज वैदिक समाज बन गया और अन्यों को भी वैदिक रीति रिवाज अपनाने हेतु प्रभावित भी करने लगे।  वैदिक बलि सामन्य हो चली थी।





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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


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      गुप्त काल में वैदिक धर्म

Vedic Religion  Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 239               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


     गुप्त काल में वैदिक धर्म में बलि प्रथा प्रबल प्रथा थी। समुद्रगुप्त व कुमारगुप्त ने अश्वमेध यज्ञ को पुनर्जीवित कर बलि प्रथा को गति प्रदान की।  समुद्रगुप्त ने कई घोड़ों की बलि दी थी। उस काल के अन्य शासकों जैसे वकतक शाशक ने भी इसी तरह के पशु बलि यज्ञ किये थे।
 वैदिक कर्मकांड में पशु बलि या होत्र केवल समृद्ध जन ही करते थे।  सृतियों में लिखा गया कि  बलि व्ही दे जिसके पास संसाधन हों।  सामान्य जन पशु बलि नहीं देते थे। इस समय विष्णु व शिव देवता का उत्थान हुआ।  विष्णु अवतार कृष्ण अधिक प्रसिद्ध थे किन्तु राम नहीं। गुप्त शासक व मंत्री राम के उपासक नहीं थे।  अमरकोश में राम का उल्लेख नहीं है।
 





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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --240

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


      Ancient  History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;   seohara , Bijnor History Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
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      गुप्त काल में शैव्य पंथ व हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास

Shaivism in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -    240             


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


        गुप्त काल के कई पुराणों में शिव को अधिष्ठाता देव स्थापित किये गए।  शैव्य धर्म भी वैष्णव धर्म जैसी ही प्रचलित था। गुप्र समामृत वैष्णव थे किन्तु बकटका राजा शैव्य थे। अपने नाम या पुरखों के नाम पर शिव मंदिर निर्माण सामन्य प्रचलन था। पलल्वों ने ऐसे ही मंदिर निर्मित किये थे।   जौनसार बावर में भी शिव मंदिर गुप्त काल से पहले या उसी समय निर्मित हुए थे। लिंग प्रतीक महत्वपूर्ण थे।  एकमुखी लिंग अधिक प्रचलित थे। शिव के कई नाम उभर कर आये - ईश , महेश , भूतपति , हारा , जयश्वरा , कपालेश्वर , महादेव , मिहिरेश्वरा , पृथ्वीश्वरा , पिनाकिन , शम्भु , शैलश्वर , स्थानु , सुरभोगीश्वर , त्रिपुरान्तक , अर्धनारेश्वर , भवसृज  आदि





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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --241

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


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  गुप्ता काल में शैव्य  संबंधी देवी देवता

Gods -Goddesses related to Shaivism in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 241               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


       गुप्त काल में कार्तिकेय का शैव्य पंथ के प्रमुख देवताओं में प्रमुख स्थान  था। कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति माना गया है।  गुप्त राजाओं में  कार्तिकेय को प्रमुख स्थान प्राप्त था।  कार्तिकेय के कुमार व स्कन्द अन्य नाम भी थे।  कालिदास ने कमार संभव महाकाव्य कार्तिकेय जन्म पर आधारित विष्ट पर आधारित है। कुमार गुप्त के समय कार्तिकेय मन्दिर की स्थापना हुयी।  बिलसद  अभिलेख में कार्तिकेय मंडित स्थापना लिखित है।  गणेश की मूर्ति भी गुप्त काल मन्दिरों जैसे पन्ना व भुम्रा मन्दिरों के स्थाप्य में मिलता है।  व्रह्मिरी साहित्य में गणेश मूर्ति बनाने पर साहित्य मिलता है। द्वादश भुजा देवी , महिसासुर मर्दनी पूजने का भी प्रचलन गुप्त काल में था।
मथुरा शैव्य दर्शन का प्रमुख केंद्र था। लाकुला , पाशुपात , कपिल , पाराशर , उपमिता , उदित आदि शैव दर्शन के प्रसिद्ध आचार्य गुप्त काल में ही हुए हैं।



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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --242

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -242


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      गुप्त काल में शाक्त पंथ या शक्ति पूजा

   Shakt Sect in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  242               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

 शक्ति पूजा विभिन्न नामों से की जाती रही है जैसे - भगवती , भवानी , देवी ,गौरी , पार्वती , कात्यायनी आदि आदि।  कुमार गुप्त के एक मंत्री ने मातृ पूजा हेति एक मंदिर निर्मित करवाया था।  इस मातृ मंदिर  में
सात मातृ मूर्तियों के अतिरिक्त महिषासुर मर्दनी  की मूर्ति भी है स्कन्द गगुप्त के बिहार अभिलेख में भद्रिका , भद्रया आदि का उल्लेख है। कुछ गुप्त मुद्राओं में दुर्गा चित्र भी मिलते हैं। . समुद्र गुप्त के मुद्राओं में गंगा और सरस्वती प्रथम बार चित्रित हुयी है ।  गुप्त काल के अभिलेखों में जम्बावती , लक्ष्मी , वैष्णवी , सरस्वती , सची , पॉलोमी का उल्लेख भी मिलता है ( महाजन , वही , पृष्ठ ५६६ )
       





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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --243

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -243


      Ancient  History of Kankhal, Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Har ki Paidi Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Jwalapur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Telpura Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient  History of Sakrauda Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Bhagwanpur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient   History of Roorkee, Haridwar, Uttarakhand  ;  Ancient  History of Jhabarera Haridwar, Uttarakhand  ;   Ancient History of Manglaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient  History of Laksar; Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient History of Sultanpur,  Haridwar, Uttarakhand ;     Ancient  History of Pathri Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Landhaur Haridwar, Uttarakhand ;   Ancient History of Bahdarabad, Uttarakhand ; Haridwar;      History of Narsan Haridwar, Uttarakhand ;    Ancient History of Bijnor;   seohara , Bijnor History Ancient  History of Nazibabad Bijnor ;    Ancient History of Saharanpur;   Ancient  History of Nakur , Saharanpur;    Ancient   History of Deoband, Saharanpur;     Ancient  History of Badhsharbaugh , Saharanpur;   Ancient Saharanpur History,     Ancient Bijnor History;
कनखल , हरिद्वार  इतिहास गुप्त काल ; तेलपुरा , हरिद्वार  गुप्त काल इतिहास ; सकरौदा ,  हरिद्वार  गुप्त काल इतिहास ; भगवानपुर , हरिद्वार  गुप्त काल इतिहास ;रुड़की ,हरिद्वार गुप्त काल इतिहास ; झाब्रेरा हरिद्वार  इतिहास ; मंगलौर हरिद्वार  गुप्त काल इतिहास ;लक्सर हरिद्वार  इतिहास ;सुल्तानपुर ,हरिद्वार  इतिहास ;पाथरी , हरिद्वार  गुप्त काल इतिहास ; बहदराबाद , हरिद्वार  गुप्त काल इतिहास ; लंढौर , हरिद्वार  इतिहास ;ससेवहारा  बिजनौर , बिजनौर इतिहास; नगीना ,  बिजनौर गुप्त काल   इतिहास; नजीबाबाद , नूरपुर , बिजनौर गुप्त काल इतिहास;सहारनपुर इतिहास; देवबंद सहारनपुर गुप्त काल इतिहास , बेहत सहारनपुर गुप्त काल इतिहास , नकुर सहरानपुर गुप्त काल इतिहास Haridwar Itihas, Bijnor Itihas, Saharanpur Itihas


Bhishma Kukreti

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      हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में गुप्त काल में सूर्य उपासना

Sun Worshiping in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  243               


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

 पिछले साम्राज्यों की तर्ज पर गुप्त काल में भी सूर्य उपासना होती थी ।   रेशम व्यापार संगठन ने दासपुर में सूर्य मंदिर निर्मित किया।  इसी संघ ने एक सूर्य मंदिर  का पुनरोत्थान भी किया।  दो क्षत्रिय व्यापारियों ने स्कन्द गुप्त काल में एक सूर्य मंदिर निर्मित किया। उच्चकैपा महाराज श्रवंता सूर्य मंदिर का पुंनर्रोत्थान किया।  मिहिरकुल के ग्वालियर अभिलेख में सूर्य मंदिर उल्लेख मिलता है।  बंगाल अभिलेख में सूर्य प्रतिमा मिलती है।  अभिलेख संज्ञान देता है कि  बीमारी निरोधक देवता थे।
    नाग व यक्ष पूजा भी सामन्य थी।  पद्मावती , ग्वालियर निकट , में व मणिनगर में यक्ष मंदिर था। 
       
(संदर्भ महाजन , उपरोक्त पृष्ठ ५६६ )

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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --243

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


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      हरिद्वार , बिजनौर , सहारनपुर इतिहास संदर्भ में गुप्त काल में सार्वजनिक देव स्थलों में पूजा

Worshipping in Public Place in   Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 244                 


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती

 गुप्त काल में सार्वजनिक मंदिरों  की संख्या में वृद्ध हुयी और हिन्दू मंदिर , शिक्षा , संस्कृति व धर्म केंद्र बन गए।  मंदिर निर्माण में धनिकों , नागरिकों के निवेश व शिल्पकारों को रहन सहन की सार्वजनिक सुविधा देने से मंदिरों में शिल्प कला का अद्भुत विकास होने लगा।  मंदिरों व पूजा थलों के निर्माण में शिल्पियों व मंदिरों में संगीतकारों व नर्तकों की मांग बढ़ चली थी।  मंदिर धर्म नहीं संस्कृति संचालन केंद्र बन गए थे।  मंदिरों की आय का कुछ भाग नरधनों के हित हेतु वयवय होने से कई सार्वजनिक कार्य होने लगे।  गुप्त काल की मंदिरों में पूजा विधि आज वर्तमान में भी वैसी ही है। 
       





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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  -- २४५

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


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Bhishma Kukreti

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      गुप्त काल में धार्मिक विश्वास प्रचलन

  Religious Beliefs and Practices  in Gupta Era in context History of Haridwar,  Bijnor,   Saharanpur
                   
                         
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -   245             


                                               इतिहास विद्यार्थी ::: भीष्म कुकरेती


        गुप्त काल में पुराणों का पुनर्लेखन व संकलन हुआ।  मंदिरों में पुराण कथा वाचन एक अहम प्रचलन था।  हिंदुत्व को पुराणों ने ताकत व स्थायित्व दिया और आज भी महत्व कम नहीं हुआ।  गुप्त काल की दें है कि पुराण हिंदुत्व से जुड़े।  वैदिक बलि कम हुयी और कर्मकांड में सरलता आयी।  संद्य बदन , स्व पूजा, जप व तप सरल हो गए थे।  इस सरलता ने हिंदुत्व सदियों तक की रक्षा की।  वेदों के कठिन सूत्र या अन्य सूत्रों को सरल बनाकर पेश किया गया जिन्हे  सरलता से समझा व व्यवहार में अपनाया।  दान समाज में एक अहम विचार ने घर कर लिया।  धर्मार्थ कार्यों को अधिक मान्यता मिली और संशाधन युक्त मनुष्य परमार्थ चिकित्सालय , धर्मशालाएं मार्ग निर्माण में रूचि लेने लगे।  राजा भी सामजिक कार्यों हेतु आर्थिक सहायता देने लगे।





(संदर्भ -महाजन उपरोक्त पृष्ठ ५६६ )

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   History of Haridwar, Bijnor, Saharanpur  to be continued Part  --

 हरिद्वार,  बिजनौर , सहारनपुर का आदिकाल से सन 1947 तक इतिहास  to be continued -भाग -


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