हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में कत्यूरी राजवंश राजधानियां
हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तराखंड पर कत्यूरी राज भाग - १४
Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History with reference Katyuri rule -14
Ancient History of Haridwar, History Bijnor, Saharanpur History Part - 326
हरिद्वार इतिहास , बिजनौर इतिहास , सहारनपुर इतिहास -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - 326
इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
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कत्यूरी बागेश्वर शिलालेख में वसंतन की राजधानी का कोई उल्लेख नहीं है। यदि वसंतन या वासुदेव एक ही व्यक्ति थे तो जोशीमठ शिलालेख आधार पर जिसमें वासुदेव को गिरिराज चक्र -चंद्रचूड़ामणी ' कहा गया है जिससे अनुमान लगता है कि वासुदेव या वसंतन की राजधानी जोशीमठ रही होगी (डबराल)। जिसे कत्यूरी अभिलेखों में कार्तिकेयपुर कहा गया है। तथा जहां निंबर परिवार की व सलोणादित्य परिवार की राजधानी थी। कार्तिकेयपुर तिब्बत जाने वाले मार्ग नीति -माणा की प्रहरी थी। जोशीमठ से कुमाऊं क्षेत्र में सेना भेजने में भी सुगमता थी। स्वतंत्र होने के पश्चात भी तिबती आतंकवादियों से रक्षा आवश्यक थी। कार्तिकेयपुर एक सही छावनी स्थल था। डबराल लिखते हैं कि रक्षा हेतु अन्य स्थानों में भी छावनियां रहीं होंगी।
डी सी सरकार ने कत्यूरी अभिलेखों की राजधानी कार्तिकेयपुर को अल्मोड़ा के वैद्यनाथ (आज का बैजनाथ ) को माना है (१ )। जबकि एटकिनसन (३ व राहुल (४ ) ने असहमति जताते बताया कि राजधानी जोशीमठ ही थी। वैद्यनाथ -कार्तिकेयपुर का सर्वपर्थम उल्लेख तेरहवीं सदी के त्रिभुवन पाल देव के शिलालेख में मिलता है (५ ). त्रिभुवनपालदेव के पूर्वज ललितशूर व पद्मदेव के अभिलेखों में कार्तिकेयपुर के निकट अंतरग, टंकणपुर, विषय , टंकण पुर , बद्रिकाश्रम , तपोवन , योशिका ,गरुड़ाश्रम , पलसारी , विष्णु गंगा आदि का उल्लेख होने से कत्यूरियों की आदि राजधानी जोशीमठ सही बैठती है। पीछे जब बैद्यनाथ जाना पड़ा तो राजधानी का नाम वैद्यनाथ -कार्तिकेयपुर नाम दे दिया ( ६)। राहुल की मान्यता है कि कत्यूरियों के पुरखे अपनी मुद्राओं में कार्तिकेय अर्थात स्कंध अंकित करते थे। समुद्रगुपर के समय कीर्तिपुर की ख्याति थी बाद में महत्व घट गया किन्तु बाद में कत्यूरियों ने पुनः गरिमा प्रदान की व राजधानी स्थापित की ( २ )।
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संदर्भ :
१- एपिग्रफिका इंडिका vol ३१ भाग ६ , पृष्ठ २७९
२ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' , उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ ४४८
३- एटकिनसन - हिमालयन डिस्ट्रिक्ट्स खंड २ पृष्ठ ४६७
४- राहुल , कुमाऊं पृष्ठ ५६
५- राहुल कुमाऊं पृष्ठ ६१
६- राहुल कुमाऊं पृ ६५
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