Author Topic: History of Haridwar , Uttrakhnad ; हरिद्वार उत्तराखंड का इतिहास  (Read 51106 times)

Bhishma Kukreti

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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास  :    कातिल , क्रूर आतंकी मुस्लिम आक्रांताओं से बचाव करने वाले राजा   गांगेयदेव

 हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में  कातिल प्रवृति के   मुस्लिम  क्रूरता व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार  भाग   -८
उत्तर भारत में मुस्लिम आतंकवाद का उदय
Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim  Terrorism in North India  - 8
 
Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -   385           
                           
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -    ३८५         


                  इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -
 
  क्रूर, प्रजा पीड़क , निर्दयी अमानुस  मुस्लिम आतंकियों से भारत में हिन्दू राजा भी कार्यरत थे इनमे कलचुरि  नरेश गांगेयदेव व कलचुरि  नरेश कर्ण भी प्रमुख थे -
अमानुष , क्रूर , प्रजापीड़क , राक्ष समान आतंकी मुस्लिम आक्रांता नियालतिगिन ने  सन  १०३४ में बनारस पर धावा बोला (१ ) व प्रजा को पीड़ा पंहुचकर लूटा ।  तो कलचुरी नरेश (त्रिपुरी ) गांगेयदेव (१०१५ -१०४१ईश्वी   ) ने सहसा कांगड़ा पर छापा मारा जिस पर निर्दयी , क्रूर आतंकवादी मुस्लिमों का अधिकार था ९१ व् २ ) । 
सन १०३४ में कर्ण  ने  कांगड़ा के मुस्लिम आतंकवादी को परास्त किया।   कलचुरि नरेश ने आतंवादी मुस्लिमों को भगाने के लिए दिल्ली के तोमर नरेश , परमार नरेश भोज तथा चाहमान नरेश अन्नाहिल  का साथ दिया (१ ) ।
कलचुरि नरेशों द्वारा कांगड़ा  पर आक्रमण करने  का अर्थ है हरिद्वार व सहरानपुर का मार्ग। 
 
 
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संदर्भ :
 १ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' ,  उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ   ४८८
२- गुरुचरण सिंह संधू , २००३ , अ  मिलिट्री हिस्ट्री ऑफ़ मेडिवल इंडिया , विजन बुक इण्डिया
 
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उत्तरी भारत पर आतंकवादी जाहिल , मुस्लिम, लोक हत्त्यारे मुस्लिम  आक्रांताओं के आक्रमण व अधिकार समय उत्तराखंड ;

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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास  : प्रजापालक परमार नरेश भोज     द्वारा शाही नरेशों से सहयोग

 हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम  क्रूरता, निर्दयी , प्रजा पीड़क  व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार  भाग   -९
उत्तर भारत में  आतंकवादी मुस्लिमों का मुस्लिम आतंकवाद का उदय
Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History with reference, the start of  Muslim  Looting , Muslim Cruelty, Muslim  Terrorism in North India  - 9

Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -   386           
                           
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - ३८६           


                  इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -

परमार (पंवार ) वंश में नवें नरेश प्रसिद्ध विदवाब भोज हुए हैं (२ )।  परमार वंशी शासकों ने धार (राजधानी ) में आठवीं सदी से चौदहवीं सदी तक राज्य किया था।  राजा भोज का समय १००० से १०५५ का माना गया है (१ )।  डा डबराल बताते हैं कि  भोज ने  १००८ सन में क्रूर , जन हत्त्यारा , आतंकवादी मुस्लिम  महमूद गजनी के विरुद्ध शाही नरेश को सहायता दी थी।  सहायता सेना रूप में थी।  १०१९ में जब शाही नरेश त्रिलोचनपाल आतंकवादी मुस्लिम महमूद से सब कुछ हार गया तो राजा भोज ने शरण दी थी।  संभवतया राजा भोज व चंदेल की सहायता से त्रिलोचनपाल ने अपने राज्य पर अधिकार कर लिया था। 
 
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संदर्भ :
 १ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' ,  उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ   ४८९
२- विजयेंद्र कुमार माथुर , ऐतिहासिक स्थानवली , १९९०

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उत्तरी भारत पर आतंकवादी जाहिल , मुस्लिम, लोक हत्त्यारे मुस्लिम  आक्रांताओं के आक्रमण व अधिकार समय उत्तराखंड ; मुस्लिम आतंकवाद का प्रसार , मुस्लिमों द्वारा लूटपाट इतिहास


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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास  : मुस्लिम आतंकवाद से सहयोग द्वारा संघर्ष     

 हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम  क्रूरता, निर्दयी , प्रजा पीड़क  व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार  भाग   -१०
उत्तर भारत में  आतंकवादी मुस्लिमों का मुस्लिम आतंकवाद का उदय
Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim  Terrorism in North India  - 10

Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -   387           
                           
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  ३८७           


                  इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -

मुस्लिम आतंकवाद से संघर्ष में दिल्ली के तोमर नरेश , परमार भोज , कलचुरि  कर्ण एवं चहमान  अनहिल राजाओं ने मिलकर संयुक्त रूप से मुस्लिम आतंकवाद का सामना किया।  इस संयुक्त संघर्ष में प्रतिहार भोज व कर्ण का योगदान अधिक था (१ )। 
गहड़वाल के एक अभिलेख से विदित होता है कि इन वीर राजाओं ने मुस्लिम आतंकवादियों को गंगा उतपतयातका से खदेड़ा था।
भोज व सहयोगी सेना ने यमुना पार कर मुस्लिम आतंकियों को हांसी , थानेश्वर , नगरकोट आदि से खदेड़ा था।  इन्होने पंजाब को स्वतंत्र किया।  नगरकोट में एक भव्य मंदिर भी निर्माण किया।  इनकी सेना ने लाहौर दुर्ग को घेरा था किन्तु कुछ समय उपरान्त घेरा उठा लिया था। 
 
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संदर्भ :
 १ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' ,  उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ   ४८९



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उत्तरी भारत पर आतंकवादी जाहिल , मुस्लिम, लोक हत्त्यारे मुस्लिम  आक्रांताओं के आक्रमण व अधिकार समय उत्तराखंड ; मुस्लिम आतंकवाद का प्रसार , आतंकवादी मुस्लिमों द्वारा लूटपाट इतिहास


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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास  :  उत्तराखंड पर आतंकवादी मुस्लिम आक्रमण प्रभाव   

 हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम  क्रूरता, निर्दयी , प्रजा पीड़क  व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार  भाग   -११
उत्तर भारत में  आतंकवादी मुस्लिमों का मुस्लिम आतंकवाद का उदय
Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim  Terrorism in North India  - 11

Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -   389           
                           
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -    ३८९         


                  इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -

मुस्लिम आतंकवादी आगमन से उत्तराखंड बी प्रभावित हुआ।  मैदानी भाग पर प्राचीन शाशकों का प्रभुत्व समाप्त हुआ।
परमार भोज के प्रशस्ति पत्रों से विदित होता है कि उसका अपरोक्ष रूप से राज्य उत्तराखंड तक फैला था।  संभवतया उत्तराखंड नरेश उपनयन देता रहा होगा
गढवाल नरेश पंवार वंश का मानना है कि  परमार उनके वंशज थे। 
बाद में  क्रूर , प्रजा पीड़क , मुस्लिम आतंकियों ने मैदानपन पर अधिकार किया। 
 
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संदर्भ :
 १ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' ,  उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ   ४९०


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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास  :  परमार भोज की विद्वता व विद्यालय   

 हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम  क्रूरता, निर्दयी , प्रजा पीड़क  व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार  भाग   -१२
उत्तर भारत में  आतंकवादी मुस्लिमों का मुस्लिम आतंकवाद का उदय
Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim  Terrorism in North India  - 12

Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -     390         
                           
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  ३९०           


                  इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -

राजा भोज वीर ही नहीं अपितु विद्वान् व रचनाधर्मी व्यक्तित्व के धनी थे।
उन्होंने कई ग्रंथ रचे।  राजा भोज विद्वानों व रचनाकारों के आश्रयदाता भी थे। 
राजा भोज ने धारा नगरी में सरस्वती विद्यालय खोला था जिसे आतंकवादी खिलजी ने तोड़कर मस्जिद बनवा दिया। 
 
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संदर्भ :
 १ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' ,  उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ   ४९०
विकिपीडिया


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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास  :  [b]मुस्लिम  आतंकवादियों का सहरानपुर, बिजनौर  आदि पर  पुनः अधिकार   [/b]

 हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम  क्रूरता, निर्दयी , प्रजा पीड़क  व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार  भाग   -१३
उत्तर भारत में  आतंकवादी मुस्लिमों का मुस्लिम आतंकवाद का उदय
Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim  Terrorism in North India  - 13

Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  391             
                           
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  ३९१           


                  इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -

लाहौर से पश्चिम की ओर  क्रूर , प्रजापीड़क  आतंकवादी मुस्लिमों का अधिकार हो गया था।   हिन्दू राजा पुनः अपनी प्राचीन चाल में आ गए व एक दुसरे से लड़ भिड़ने लगे व एक दूसरे को नीचा दिखाने लगे।  ऐसे में पुनः मुस्लिम आतंकवादियों ने भारत के पश्चिम उत्तर भाग पर क्रूर आतंकवादी आक्रमण , लूट पात शुरू कर दिया व हिन्दुओं में कोई संगठित अवरोध न होने से १०५१ में आतंकवादी मुस्लिमों ने नगरकोट पर अधिकार कर लिया (१ )। 
इन आतंकवादियों ने जालंधर , होशियारपुर , स्रुघ्न ( सहारनपुर ), बुंदेर /जमुनानगर आदि पर अधिकार कर लिया था।  और १०७५ तक आगरा , कन्नौज , ुजाएँ पर भी अधिकार कर लिया था।  संभवतया बिजनौर भी आतंकवादियों के अधिकार में आ  गया था। 
 
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संदर्भ :
 १ - दशरथ शर्मा , १९७५  अर्ली चौहान डाइनेस्टीज  ऐस  चाँद ऐंड  कम्पनी  पृष्ठ ४४


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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास  :  विग्रहराज   चाहमान का दक्षिण उत्तराखंड पर अपरोक्ष अधिकार   
( संस्कृत विद्यालय व ढाई दिन का झोपड़ा  मस्जिद )

 हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम  क्रूरता, निर्दयी , प्रजा पीड़क  व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार  भाग   -१४
उत्तर भारत में  आतंकवादी मुस्लिमों का मुस्लिम आतंकवाद का उदय
Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim  Terrorism in North India  - 14

Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -  392             
                           
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -   ३९२         


                  इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -

  शाकम्भरी नरेश अर्णोराजा  (1135 - 1150  CE ) ने अजमेर के निकट ने तुरुष्कों को मार भगाया था।  किन्तु चालुक्यों से हार गया था।  विकिपीडिया अनुसार उसे उसके एक पुत्र जगदेव ने मरा था।
 विग्रहराज चौहमान  १०५१ में अपने पिता की राजगद्दी पर बैठा था।  उसका कार्य काल 1167 तक रहा था। विग्रहराज ने पूर्व पंजाब से आतंकवादी मुस्लिमों को मार भगाया था। 
 विग्रहराज  सहारनपुर व बिजनौर हरिद्वार पर परोक्ष या अपरोक्ष अधिकार था(शिवालिक स्तम्भ लेख, १  )  ।  .  डा डबराल (२ ) का अनुमान है उत्तराखंड राजा विग्रह राज को उपनयन देते थे। 
विग्रह राज  राजा भोज की भांति विद्वान् व विद्वान् ाश्रयी था।  विग्रह राज चौहमान ने अजमेर में एक संस्कृत विद्यालय की स्थापना की थी जिसे मुस्लिम आतंकवादियों ने तोड़ा व मस्जिद बना डाला जिसे ढाई दिन का झोपड़ा भी कहते  (१ )हैं। 
 
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संदर्भ :
१-  दशरथ शर्मा १९५९ अर्ली चौहान डाइनेस्टीज , मोतीलाल बनारसी दास , पृष्ठ ४३ , ४४
 २  - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' ,  उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ   ४९१


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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास  :     चाहमान नरेश प्रीति राज तृतीय का दक्षिण उत्तराखंड पर अधिकार 

 हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम  क्रूरता, निर्दयी , प्रजा पीड़क  व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार  भाग   -१५
उत्तर भारत में  आतंकवादी मुस्लिमों का मुस्लिम आतंकवाद का उदय
Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim  Terrorism in North India  - 15

Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  - 393             
                           
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  ३९३           


                  इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -

पृथ्वी राज तृतीय का शासन काल ( ११७७- ११९२ ) मन जाता है।  उसे अजमेर का शासन ११७७ में मिला।  ११७८ में आतंकवादी , क्रूर , बिधर्मियों को मौत के घात उतरने वाली कौम के नरेश मुहमद गौरी ने गुजरात पर आतंकवादी आक्रमण किया।  जैसा कि मुस्लिम संस्कृति थी गौरी ने प्रजा पीड़क मार्ग ही अपनाये।  वः पक्का मुस्लिम था जो काफिरों को जिन्दा नहीं छोड़ता था।  हिंदी फिल्मों में लगभग गलत दर्शाया जाता की मुस्लिम ईमान पर विश्वास करते हैं व दयालु होते हैं गजनवी , गौरी , खिलजी ने प्रमाण दिया मुस्लिम आतंकवादी होते थे और पकिस्तान भी यही साबित क्र रहा है। आतंकवादी मुस्लिम मुहमद गोरी ने ११७८ में पंजाब पर प्रजा पीड़न, क्रूरता  व आतंकवाद का सहारा लेकर अधिकार कर डाला।  पृथ्वी राज तृतीय की सीमा पर ही आतंवादी मुस्लिम गौरी की सीमा लगती थी।
 पूर्व की ओर  दयालु हिन्दू पृथ्वी राज का राज पंजाब से प्राचीन ब्रिटिश  मेरठ कमिश्नरीसे  राम गंगा तक था।  गंगा यमुना मध्य तोमरों का अधिकार हो चला था जो बाद में पृथ्वी राज के अंतर्गत आ गया। आतंकवादी मुस्लिम  गौरी ने  ११९१ चौहान राज पर आक्रमण किया किन्तु हरा दिया गया। 
पृथ्वी राज चहुआन अन्य हिन्दू राष्ट्रों के अधिकार हनन में लग गया और अंत में ११९२ में गौरी द्वारा कैद क्र लिया गया व उसकी हत्त्या कर दी गयी।  अस्तु आतंकवादी गौरी का अजमेर व दिल्ली पर अधिकार हो गया।  यहीं से हरिद्वार , सहारनपुर व बिजनौर पर आतंकवादी मुस्लिमों के अधिकार की शुरुवात हुयी। 

 
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संदर्भ :
१- दशरथ शर्मा १९५९ अर्ली  चौहान डाइनेस्टीज , ऐस चाँद कम्पनी  पृष्ठ ६९
२  - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' ,  उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ   -४९२


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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास  :  गुलाम वंश की  दासता का प्रसार

 हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम  क्रूरता, निर्दयी , प्रजा पीड़क  व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार  भाग   -१६
उत्तर भारत में  आतंकवादी मुस्लिमों का मुस्लिम आतंकवाद का उदय
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Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  -     394         
                           
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग - ३९४           


                  इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -

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 आतंकवादी  मुस्लिम मुहम्मद गौरी ने भारत का भार अपने कारिंदे /गुलाम  कुत्तुबदीन  को सौंपकर गजनी चला गया।  कातिल आतंकवादी मुस्लिम  कुत्तुबदीन ने शीघ्र ही मेरठ  पर अधिकार कर लिया  व कुत्तुबदीन  (शासन कल १२०६ - १२१० )  गुलाम वंश का शुरुवाती शासक था। 
 आतंकवादी मुस्लिम कुत्तुबदीन  ने मेरठ के बाद अलीगढ़ पर अधिकार किया व बनारस व बाद में ग्वालियर व बाहरवाल व कालिंजर पर अधिकार किया। 
 १२०८ में  आतंकवादी मुस्लिम गुलाम गयासुद्दीन  सुल्तान बना व  गुलामी नाम बंद हुआ। 
  कातिल , क्रूर जाहिल आतंकवादी, गंवार अनपढ़  मुस्लिम कुत्तुबदीन  ने दिल्ली में विशु मंदिर ध्वस्त कर  'कुब्बुत- उल - -इस्लाम  व अजमेर में संस्कृत विद्यालय  उजाड़ कर के स्थान में ढाई दिन का झोपड़ा मस्जिद निर्मित किया।
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संदर्भ :
 १ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' ,  उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ   ४९३


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हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास  :     मुस्लिम आतंकवाद के कारण मैदानों से पहाड़ों की ओर पलायन 

 हरिद्वार , सहारनपुर , बिजनौर इतिहास संदर्भ में उत्तर भारत में मुस्लिम  क्रूरता, निर्दयी , प्रजा पीड़क  व मुस्लिम आतंकवादियों का अधिकार  भाग   -१७
उत्तर भारत में  आतंकवादी मुस्लिमों का मुस्लिम आतंकवाद का उदय
Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History with reference, the start Muslim Cruelty, Muslim  Terrorism in North India  - 17

Ancient  History of Haridwar, History Bijnor,   Saharanpur History  Part  - 395             
                           
    हरिद्वार इतिहास ,  बिजनौर  इतिहास , सहारनपुर   इतिहास  -आदिकाल से सन 1947 तक-भाग -  ३९५           


                  इतिहास विद्यार्थी ::: आचार्य भीष्म कुकरेती -

मुहम्मद गज्नवयी , गौरी सभी आतंकवादी व जाहिल व शिक्षा , सही संस्कार व मानव विरोधी थे।  ये मुस्लिम राजा जन्मजात  व ये मुस्लिम आतंकवादी राजाओं ही नहीं प्रजा को पीड़ित करते थे।  उत्तर भारत में गौरी , गजनवी व तट पश्चात आतंकवादी मुस्लिम राजाओं के राज में प्रजा पीड़न , प्रजा के धर्म प्रतीकों का विखंडन व मानव समाज पर काटिलियना हमला होता ही रहा यह मुस्लिम  आतंकवादी कार्य  बहादुर शाह जफर तक चलता ही रहा। ये आतंकवादी मुस्लिम प्रजा को काटते थे व ाटबक फैलाते थे , जबरन धर्म परिवर्तन करवाते थे। 
 उत्तर भारत में ही नहीं कातिल  मुस्लिम , आतंकवाद  व  जबरन धर्म परिवर्तन  से दूर होने हेतु मैदानों से मानव पहाड़ों की शरण में आने लगे व आधुनिक उत्तराखंड की नींव इन्ही हिन्दुओं ने रखी।

 
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संदर्भ :
 १ - शिव प्रसाद डबराल 'चारण ' ,  उत्तराखंड का इतिहास भाग ३ वीरगाथा प्रेस दुगड्डा , उत्तराखंड , पृष्ठ   ४९३


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